न दैन्यं न पलायनम्
21.8.22
सज्जन-मन
›
सब सहसा एकान्त लग रहा, ठहरा रुद्ध नितान्त लग रहा, बने हुये आकार ढह रहे, सिमटा सब कुछ शान्त लग रहा। मन का चिन्तन नहीं व्यग्रवत, शुष्क ...
14 comments:
14.8.22
तेल और बाती
›
मेरा जीवन , एक दिये सा , तेल तनिक पर बाती लम्बी , जलने की उत्कट अभिलाषा , स्रोत विरलतम , आस विहंगी। आशा के अनुरूप जल...
5 comments:
7.8.22
धर बल, अगले पल चल जीवन
›
शत पग , रत पग , हत पग जीवन , धर बल , अगले पल चल जीवन। रथ रहे रुके , पथ रहे बद्ध , प्रारम्भ , अन्त से दूर मध्य , सब ...
16 comments:
31.7.22
जहाँ से चले थे, वहीं पर खड़े हैं
›
वही प्रश्न हैं और उत्तर वही हैं , नहीं ज्ञात यह भी , सही या नहीं हैं , समस्या भ्रमित , हर दिशा अग्रसर है , नहीं प्रश्न ...
19 comments:
24.7.22
वयं राष्ट्रे जागृयाम
›
नाद निनाद , सतत उत्थान , वयं राष्ट्रे जागृयाम। गति में शक्ति , शक्ति में मति हो , आवश्यक जो , लब्ध प्रगति हो , रेल हेतु ...
22 comments:
›
Home
View web version