नाद निनाद, सतत उत्थान,
वयं राष्ट्रे जागृयाम।
गति में शक्ति, शक्ति में मति हो,
आवश्यक जो, लब्ध प्रगति हो,
रेल हेतु हो, राष्ट्रोन्नति हो,
नित नित छूने हैं आयाम,
वयं राष्ट्रे जागृयाम।
सहज समेटे, जन मन जोड़े,
भाषा, भूषा अन्तर तोड़े,
अथक अनवरत हर क्षण दौड़े,
रेल राष्ट्र का है अभिमान,
वयं राष्ट्रे जागृयाम।
रेख उकेरे, लौह-गंग सी,
चहुँ दिश बहती, जल तरंग सी,
आह्लादित, कूकी उमंग की,
रेल राष्ट्र का नवल विहान,
वयं राष्ट्रे जागृयाम।
महाकाय, घन, किन्तु व्यवस्थित,
अपनी सीमाओं में प्रस्थित,
चलती रहती सर्व समन्वित,
संयत अनुशासित उपमान,
वयं राष्ट्रे जागृयाम।
(यजुर्वेद से उद्धृत "वयं राष्ट्रे जागृयाम" हमारे रेल संस्थान का ध्येय वाक्य है। रचना के बाद उसे संगीतबद्ध और छायांकित करने में संस्थान के प्रशिक्षु अधिकारियों का अद्भुत योगदान रहा है। मनन से प्रकटन तक के प्रकल्प की प्रेरणा संस्थान की महानिदेशिका श्रीमती चन्द्रलेखा मुखर्जी जी से प्राप्त हुयी है)
सुंदर भाव सुंदर कविता
ReplyDeleteअद्भुतम
ReplyDeleteलयात्मक काव्य
बहुत सुंदर । सुनकर आनंद आ गया है ।
ReplyDeleteदेश के प्रति आस्था जगाती सुंदर प्रस्तुति । सम्पूर्ण रेल व्यवस्था को नमन ।।
उत्तम संगीत,उत्तम प्रस्तुति,उत्तम ही रेलसंचरण। धन्यवाद !!
ReplyDeleteअद्भुत। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteअद्भुत। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteवाह अति उत्तम प्रस्तुति!! सभी का प्रयास प्रशंसनीय है!!
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना सोमवार 25 जुलाई 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
प्रशंसनीय प्रयास।
ReplyDeleteकल्याणकारी पोस्ट प्रणाम
ReplyDeleteवाह! अत्यंत प्रेरणादायक प्रस्तुति!!
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना सोमवार 25 जुलाई 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
कल भी सूचना दी गयी थी । स्पैम में देखिएगा ।
Deleteसंगीताजी, क्षमा कीजियेगा। आज ही देख पाया, पता नहीं कैसे स्पैम में चली गयी थी। बहुत आभार आपका।
Deleteबहुत सुंदर। बहुत खूब।
ReplyDeleteप्रशंसनीय अभिव्यक्ति सर।
ReplyDeleteसादर।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही उत्कृष्ट...
लाजवाब।
वाह लाजवाब अद्भुत
ReplyDeleteबहुत सुंदर सर 🙏🙏
ReplyDeleteअत्यंत सुंदर!!!!!
ReplyDeleteनमस्ते प्रवीण जी।
ReplyDeleteआज देखा पढ़ा और सुना "वयं राष्ट्रके जागृयाम्।"
अद्भुत अतिसुंदर, और इतने सुंदर तरीके से इसे संगीत और लयबद्ध किया गया है।
यह रचना 2022 की है आशा है इसमें और नहीं रचनाएं जुड़ती रहेगी