7.8.21

प्रार्थना


मुझ पापी को ज्ञान नहीं है, 

सत्कर्मों का भान नहीं है ।

प्रायश्चित का अवसर देना,

माया का श्मशान न देना ।।१।।

 

धन की अन्तिम बूँद छीन लो,

वंचित सुख से करो दीन को ।

या काँटों पर दे दो सोना,

पर ईश्वर अभिमान न देना ।।२।।

 

मुझमें किञ्चित भक्ति नहीं थी,

तुझ पर भी आसक्ति नहीं थी ।

निज भक्ति की राह दिखाना,

भौतिक सुख की छाँह न देना ।।३।।

 

जब तक तेरे सेवक के 

सेवक का सेवक तृप्त नहीं हो,

तब तक मुझको सेवा में

उनकी पल भर विश्राम न देना ।।४।।

15 comments:

  1. एक अच्छी और सार्थक प्रार्थना ZRTI/GCT के लिये। लिखिए। वहां पर "इतनी शक्ति मुझे देना दाता...... ही चल रहा है।।
    ZRTI/TPJ में जो अंग्रेजी में है यदि उसका हिंदी में अनुवाद हो जाये तो अति उत्तम होता।

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    1. ZRTI/TPJ की प्रार्थना उपलब्ध करा सकते हैं?

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  2. सुन्दर प्रार्थना

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  3. बहुत सुन्दर प्रार्थना . 🙏🙏🙏🙏

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  4. न जानामि योगं जपं नैव पूजां। नतोऽहं सदा सर्वदा शंभु तुभ्यं॥
    अद्भूत।साधू साधू
    कदा निलिंप निर्झरी निकुंज कोटरे वसन विमुक्त दुर्मतिः सदा शिरः स्थमंजलि वहन,
    🙏🙏
    सेवा के उच्च स्तर पर ऐसी विचारधारा को नमन🙏

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  5. न जानामि योगं जपं नैव पूजां। नतोऽहं सदा सर्वदा शंभु तुभ्यं॥
    अद्भूत।साधू साधू
    कदा निलिंप निर्झरी निकुंज कोटरे वसन विमुक्त दुर्मतिः सदा शिरः स्थमंजलि वहन,
    🙏🙏
    सेवा के उच्च स्तर पर ऐसी विचारधारा को नमन🙏

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  6. बहुत ही सुंदर प्रार्थना, प्रवीण भाई।

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  7. वाह...
    लाज़वाब👌

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  8. मुझमें किञ्चित भक्ति नहीं थी,

    तुझ पर भी आसक्ति नहीं थी ।

    निज भक्ति की राह दिखाना,

    भौतिक सुख की छाँह न देना ।।३ ये भौतिक सुख की चाहत ही न जाने क्या क्या करवाती है। ईश्वर आपकी तथा सबकी प्रार्थना सुने,यही प्रार्थना है।

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    1. बहुत आभार आपका। कभी कभी सुख की चाह क्या नहीं करवा जाती है।

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