संख्याओं का महत्व बस इतना ही है कि वे थाह दे जाती हैं, एक माप दे जाती है। “मा” धातु से ज्ञान सम्बन्धी न जाने कितने संस्कृत शब्द अपनी निष्पत्ति पाते हैं। प्रमा, प्रमाण, अनुमान, उपमान, सम्मान, परिमाण, माप आदि। बड़ी प्रसिद्ध कहावत है कि किसी क्षेत्र में सुधार चाहते हैं तो उसे मापना प्रारम्भ कर दें। तब कम या अधिक की तुलना सरल हो जाती है। पता चलता रहता है कि कितना बढ़ चुके हैं और कितना अभी चलना है। यद्यपि कई अनुभूतियाँ संख्याओं पर निर्भर नहीं करती हैं पर कोई न कोई ऐसी मापने योग्य विमा निकल ही आती है जिसके आधार पर हम उस विषय से सम्बद्ध विकास को व्यक्त कर सकते हैं।
सन् २००९ से अब तक चल रही ब्लाग की यात्रा ऐसा ही एक क्षेत्र है। संभवतः संख्याओं पर ध्यान न जाता यदि ब्लागर ने उसे प्रमुखता से मुखपृष्ठ पर न चिपकाया होता। १२ वर्षों की इस यात्रा में कई बार व्यस्तता बढ़ी, समय की कमी रही, मन उचाट हुआ, विषयों में शुष्कता रही, सृजनात्मकता का हृास हुआ पर जब कभी भी ब्लागर का मुखपृष्ठ खोलकर देखा तो लगा कि पाठक ब्लाग पढ़ रहे हैं। तब लिखते रहना आवश्यक हो गया। संख्यायें उकसाती रहीं, यात्रा चलती रही।
एक दिन बिटिया देवला भी साथ बैठकर ब्लाग देख रही थी। यद्यपि हिन्दी पर उसका अधिकार तनिक कम है पर पिता को इस रुचि में लगा देखकर परामर्श दे देती है। ब्लाग के प्रारम्भिक काल में “मेरी बिटिया पढ़ा करो” के शीर्षक से उसके ऊपर एक कविता लिखी थी। वह कविता हम दोनों को ही बहुत अच्छी लगती है। यह लगाव भी एक कारण है कि बिटिया गाहे बगाहे परिमार्जन के कुछ सूत्र बताती रहती है, उत्साह बढ़ाती रहती है।
उस दिन देखा कि ब्लाग को अब तक दस लाख से भी ऊपर लोग पढ़ चुके हैं। नयी पीढ़ी के लिये “एक मिलियन” की यह संख्या अत्यन्त प्रभावित करने वाली है। यूट्यूब आदि में गानों के एक मिलियन दृष्टिपात यश की सीमा समझी जाती है, सफलता का मापदण्ड माना जाता है, उत्साह बढ़ाने वाला माना जाता है। मुझे जब उस संख्या का महत्व बताया गया तब लगा कि यह कोई लघु उपलब्धि नहीं है।
संख्यागत उपलब्धि |
औसतन एक ब्लाग १५०० बार पढ़ा गया। १२ वर्ष पहले लिखे ब्लाग भी वर्तमान में पढ़े जा रहे हैं। नये और पुराने ब्लागों में लगभग समान रूप से पाठक आते हैं। औसतन एक ब्लाग पर ४० टिप्पणियाँ की गयीं। पूरी अवधि में औसतन २५० पाठक प्रतिदिन आये। प्रारम्भ में यह संख्या कम होगी पर वर्तमान में प्रतिदिन लगभग १५०० पाठक कोई न कोई ब्लाग पढ़ते हैं। बिटिया ने जब ये संख्यायें समझायीं तो विशिष्ट सा अनुभव होने लगा।
संख्यायें जानने के तुरन्त बाद तुलना की प्रवृत्ति जागती है। पर किससे तुलना करें, क्या तुलना करें? यह कोई ऐसा क्षेत्र तो नहीं या कक्षा तो नहीं कि जिसमें सबको एक सा पढ़ाया गया हो और उसकी परीक्षा ली जाये। सबके अपने ब्लाग हैं, अपने विषय हैं, अपनी अभिरुचियाँ हैं, देखा जाये तो सब के सब विशिष्ट हैं।
तब क्या मापदण्ड रहे जिसके आधार पर ये संख्यायें संतुष्टि प्रदान कर सकें? संतुष्टि तो इसलिये भी नहीं है कि लिखने को कितना कुछ शेष है, व्यक्त करने के कितने कुछ विषय हैं। लेखक या कवि असंतुष्ट ही रहे तो अच्छा है, इसी कारण वह लिखता रहेगा और अच्छा लिखता रहेगा।
तब इस यात्रा को किस कोटि में रखा जाये। यह अवमूल्यन सूक्ष्म नहीं होगा। स्थूल ही सही पर जीवन के बहुत से आकलन हम कोटिबद्ध कर देते हैं। कहीं घूमने गये तो पूछते हैं कि वह यात्रा कैसी रही? कोई अंक तो देते नहीं हैं, यही कहते हैं कि बहुत अच्छी रही, सामान्य रही या अनुभव ठीक नहीं रहे।
संभवतः यह मानव स्वभाव है किसी के बारे में एक वाक्य में निर्णय सुना देना। घटनाओं का समुच्चय, अनुभवों को संग्रह किसी एक कोटि में रखा भी नहीं जा सकता है। उसे विस्तार से विश्लेषित करने और समझने की आवश्यकता होती है।
कई उतार रहे, कई चढ़ाव रहे, कई बार ठहराव रहा, कभी स्थिरता रही, कभी अस्थिरता ने व्यवधान डाला।
यात्रा के इस ओर संख्याओं के साथ खड़े हैं। क्या करें इनका? संख्यायें ही सुख देती तो उसी को जुटाने में लगे रहते। संख्यायें यात्रा में संभवतः उतनी महत्वपूर्ण नहीं रहीं जितनी अभी लग रही हैं। कुछ भी हो, कैसे भी हो, ये संख्यायें स्मृति में उतराने का एक अवसर तो दे ही गयी हैं।
सतत लेखन की ओर बढ़ते कदम !! यात्रा अनवरत चलती रहे .....!!!
ReplyDeleteजी बहुत आभार। प्रेरणा आवश्यक है लिखते रहने की। ईश्वर की कृपा है कि लेखन में आनन्द आ रहा है।
Deleteबहुत ही प्यारा अपनत्व भरा भाव संख्याओं पर, प्रवीण जी,खुलकर क्यों न कहें हम कि आप की ये संख्याओं की यात्रा बहुत ही शानदार है,ऐसी ही और इससे भी ज्यादा शानदार हो यही शुभकामनाएं हैं।
ReplyDeleteविषयगत आनन्द संख्यात्मक नहीं होता पर संख्या उछाह देती हैं सृजन को। बहुत आभार आपका जिज्ञासाजी।
Deleteबेहद खूबसूरत लेखन
ReplyDeleteबहुत आभार आपका मनोजजी।
Deleteब्लॉग की यात्रा में संख्याओं का निश्चय ही महत्त्व है ।।
ReplyDeleteअब तो हम भी देखेंगे कि ये संख्या कहाँ तक पहुंची ।
पता नहीं, एक संतुष्टि तो मिलती है पर सृजन करते समय यह सब सहायता नहीं करतीं।
Deleteवाकई इतनी ज्यादा संख्या में पाठकों का ब्लॉग पर आना अपनेआप में महत्वपूर्ण उपलब्धि है...और विशिष्टता का अनुभव क्यों न हो कि आपके विचारों को इतने लोग पढ़ते हैं यानि इतने सारे लोग आपसे सहमत हैं।भावनाओं के इस संख्यात्मक जुड़ाव हेतु बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
ReplyDeleteअच्छा लगता है कि पाठक पढ़ते हैं। तब अच्छा लिखना पड़ता है जब पाठक पढ़ते हैं। बहुत आभार आपका।
Deleteहाँ सचमुच संख्याएँ सुख देती हैं किंतु आपका लेखन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है सर।
ReplyDeleteइससे भी अधिक संख्याओं से सुसज्जित रहे आपके रचनात्मक पृष्ठ कामना करती हूँ।
प्रणाम
सादर।
बहुत आभार आपका श्वेताजी। अच्छा लिखना निश्चय ही होता रहेगा, संख्यायें यह उत्तरदायित्व लेकर आयी हैं।
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