10.7.21

आँखों के दो तारे तुम

 

आत्म-अधिक हो प्यारे तुम,

आँखों के दो तारे तुम ।

 

रात शयन से प्रात वचन तक, सपनों, तानों-बानों में,

सीख सीख कर क्या भर लाते विस्तृत बुद्धि वितानों में,

नहीं कहीं भी यह लगता है, मन सोता या खोता है,

निशायन्त तुम जो भी पाते, दिनभर चित्रित होता है,

कृत्य तुम्हारे, सूची लम्बी, जानो उपक्रम सारे तुम,

आँखों के दो तारे तुम ।१।

 

कहने से यदि कम हो जाये उत्श्रंखलता, कह दूँ मैं,

एक बार कर यदि भूलो तो, चित्त-चपलता सह लूँ मैं,

एक कान से सुनी, बिसारी, दूजे से कर रहे मन्त्रणा,

समझा दो जो समझा पाओ, हमको तो बस मन की करना,

अनुशासन के राक्षस सारे, अपने हाथों मारे तुम,

आँखों के दो तारे तुम ।२।

 

पैनी दृष्टि, सतत उत्सुकता, प्रश्न तुम्हारे क्लिष्ट पहेली,

समय हाथ में, अन्वेषणयुत बुद्धि तुम्हारी घर-भर फैली,

कैंची, कलम सहज ही चलते, पुस्तक, दीवारें है प्रस्तुत,

यह शब्दों की चित्रकारिता या बल पायें  भाषायें नित,

जटिल भाव मन सहज बिचारो, प्रस्तुति सहज उतारे तुम,

आँखों के दो तारे तुम ।३।

 

अनुभव सब शब्दों में संचित, प्रश्नों के उत्तर सब जानो,

स्वतः सुलभ पथ मिलते जाते, यदि विचार कोई मन में ठानो,

मुक्त असीमित ऊर्जा संचित, कैसे बाँध सके आकर्षण,

चंचल चपल चित्त से सज्जित, रूप बदलते हर पल हर क्षण,

उलझे चित्रण, चंचल गतियाँ, घंटों सतत निहारे तुम,

आँखों के दो तारे तुम ।४।

 

बादल बन बहती, उड़ती है, कहीं बिचरती मनस कल्पना,

और परिधि में सभी विषय हैं, सजती जीवन-प्रखर अल्पना,

अनुभव के अम्बार लगेंगे, बुद्धिमता के हार सजेंगे,

अभी लगे उत्पातों जैसे, उत्थानों के द्वार बनेंगे,

सीमाओं से परे निरन्तर, बढ़ते जाओ प्यारे तुम,

आँखों के दो तारे तुम ।५।


(पहले मानसिक हलचल में लिखी थी, स्मृति में पुनः उतर आयी)


6 comments:

  1. सीमाओं से परे निरन्तर, बढ़ते जाओ प्यारे तुम,
    आँखों के दो तारे तुम
    संतति हेतु सुंदर शब्द सुंदर भाव !!

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  2. अनुशासन के राक्षस सारे, अपने हाथों मारे तुम,

    आँखों के दो तारे तुम...अद्भुत कव‍िता प्रवीन जी

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  3. अनुभव सब शब्दों में संचित, प्रश्नों के उत्तर सब जानो,
    स्वतः सुलभ पथ मिलते जाते, यदि विचार कोई मन में ठानो,
    मुक्त असीमित ऊर्जा संचित, कैसे बाँध सके आकर्षण,
    चंचल चपल चित्त से सज्जित, रूप बदलते हर पल हर क्षण,
    उलझे चित्रण, चंचल गतियाँ, घंटों सतत निहारे तुम,
    आँखों के दो तारे तुम ।४।..संतति के प्रति सुंदर,अद्भुत तथा प्रेरक भावों का उत्कृष्ट सृजन,बहुत शुभकामनाएँ उन प्यारों के लिए।

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  4. जी बहुत आभार आपका।

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