"त्यक्त, कुभाषित जीवन तेरा," त्यक्त और कुभाषित के लिये कैसे बाहे फैला दी??
जी, संभावित संशय दूर कर दिया है, अर्धविराम लगाकर।
जी हाँ अल्पविराम से संशय की धुंध साफ़ हो गयी, बहुत अच्छा है ।
जय मां हाटेशवरी...आपने लिखा...कुछ लोगों ने ही पढ़ा...हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...इस लिये दिनांक 11/01/2016 को आप की इस रचना का लिंक होगा...चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...आप भी आयेगा....धन्यवाद...
गहन , यह व्याकुलता सबके मन में ही है
बहुत खूब लिखा है आपने।
बहुत खूब ...
सीधे उतरा मन में।
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १२०० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ... ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "तुम्हारे हवाले वतन - हज़ार दो सौवीं ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
bahut sundar abhav abhivyakti praveen ji
अद्भुत अभिव्यक्ति
भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
राग ये कैसा उठ रहा है ?
"त्यक्त, कुभाषित जीवन तेरा," त्यक्त और कुभाषित के लिये कैसे बाहे फैला दी??
ReplyDeleteजी, संभावित संशय दूर कर दिया है, अर्धविराम लगाकर।
Deleteजी हाँ अल्पविराम से संशय की धुंध साफ़ हो गयी, बहुत अच्छा है ।
Deleteजी हाँ अल्पविराम से संशय की धुंध साफ़ हो गयी, बहुत अच्छा है ।
Deleteजय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteआपने लिखा...
कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये दिनांक 11/01/2016 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
आप भी आयेगा....
धन्यवाद...
गहन , यह व्याकुलता सबके मन में ही है
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने।
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने।
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteसीधे उतरा मन में।
ReplyDeleteआज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १२०० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "तुम्हारे हवाले वतन - हज़ार दो सौवीं ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
bahut sundar abhav abhivyakti praveen ji
ReplyDeleteअद्भुत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteराग ये कैसा उठ रहा है ?
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