मन की तहों में क्या हलचल मची है ।
न बोलूँ अगर, पर ये आँखें बतातीं ।।१।।
अगर पूछ सकते तो धड़कन से पूछो ।
किसे कष्ट कितना, वह कहकर सुनाती ।।२।।
तुम्हारे लिये मात्र सो के है उठना ।
तड़प कितनी होती, जो रातें सताती ।।३।।
वचन था, हृदय को हृदय में रखेंगे ।
भूले नहीं, बात तुमने भुला दी ।।४।।
कहा, तुम नहीं तो, नहीं चैन आता ।
सुनी बात, सुनकर हँसी में उड़ा दी ।।५।।
है मन को मनाने के औरों तरीके ।
नहीं बोलते बात, तुमपर जो आती ।।६।।
तुममें बसा मन, तुम्हे मन में ढूढ़ूँ ।
यही कर्म औ चाह मन में बसा ली ।।७।।
मेरी जीवनी को, समझती है दुनिया ।
नहीं कुछ किया और यूँ ही बिता दी ।।८।।
'शकुन' कोई तरक़ीब बता वह भी जीवन सुख से जी ले ।
ReplyDeleteजीवन यह अनमोल - बहुत है तुम मानो या न मानो ।।
कोई हंसी में उड़ा देता है और कोई अन्तःकरण में समेट लेता है।
ReplyDeleteBahut achchhi kavita hai, mujhe bahut pasand ayi ...apko bahut bahut dhanyawad aisi kavita hamse share karne ke liye..Indian matrimonial site
ReplyDeleteबेहद प्यारी अभिव्यक्ति ..... मंगलकामनाएं आपको !
ReplyDeleteआहा !
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