13.12.15

और तुम

मन की तहों में क्या हलचल मची है ।
न बोलूँ अगर, पर ये आँखें बतातीं ।।१।।

अगर पूछ सकते तो धड़कन से पूछो ।
किसे कष्ट कितना, वह कहकर सुनाती ।।२।।

तुम्हारे लिये मात्र सो के है उठना ।
तड़प कितनी होती, जो रातें सताती ।।३।।

वचन था, हृदय को हृदय में रखेंगे ।
भूले नहीं, बात तुमने भुला दी ।।४।।

कहा, तुम नहीं तो, नहीं चैन आता ।
सुनी बात, सुनकर हँसी में उड़ा दी ।।५।।

है मन को मनाने के औरों तरीके ।
नहीं बोलते बात, तुमपर जो आती ।।६।।

तुममें बसा मन, तुम्हे मन में ढूढ़ूँ ।
यही कर्म औ चाह मन में बसा ली ।।७।।

मेरी जीवनी को, समझती है दुनिया ।
नहीं कुछ किया और यूँ ही बिता दी ।।८।।


5 comments:

  1. 'शकुन' कोई तरक़ीब बता वह भी जीवन सुख से जी ले ।
    जीवन यह अनमोल - बहुत है तुम मानो या न मानो ।।

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  2. कोई हंसी में उड़ा देता है और कोई अन्तःकरण में समेट लेता है।

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  3. Bahut achchhi kavita hai, mujhe bahut pasand ayi ...apko bahut bahut dhanyawad aisi kavita hamse share karne ke liye..Indian matrimonial site

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  4. बेहद प्यारी अभिव्यक्ति ..... मंगलकामनाएं आपको !

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