तुझे जीना ही होगा
अनुकूल बात, हो न हो,
कार्यान्त रात, हो न हो,
न्यूनतम व्याप्त, विषयगत आस , हो न हो।
हृदय-तम अब हटाना है,
उन्हें यह सच बताना है,
नहीं उनसे विश्व पालित,
यहाँ सबका ठिकाना है।
नहीं अमृत का कलश है,
प्राप्ति में श्वेदान्त रस है,
उपेक्षा का अर्क, पीना ही होगा,
तुझे जीना ही होगा।
अनुकूल बात, हो न हो,
कार्यान्त रात, हो न हो,
न्यूनतम व्याप्त, विषयगत आस , हो न हो।
हृदय-तम अब हटाना है,
उन्हें यह सच बताना है,
नहीं उनसे विश्व पालित,
यहाँ सबका ठिकाना है।
नहीं अमृत का कलश है,
प्राप्ति में श्वेदान्त रस है,
उपेक्षा का अर्क, पीना ही होगा,
तुझे जीना ही होगा।
उपेक्षा का अर्क, पीना ही होगा,
ReplyDeleteतुझे जीना ही होगा
जीवन की कड़वी सच्चाई
हृदय-तम अब हटाना है,
ReplyDeleteउन्हें यह सच बताना है,
नहीं उनसे विश्व पालित,
यहाँ सबका ठिकाना है।
....काश यह सब समझ सकें...बहुत सारगर्भित प्रस्तुति...
अनुकूल बात, हो न हो,
ReplyDeleteकार्यान्त रात, हो न हो,
न्यूनतम व्याप्त, विषयगत आस , हो न हो।
बहुत बहुत बढ़िया , हौसला मिला पढ़कर
बहुत बढ़िया ....
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (21-09-2015) को "जीना ही होगा" (चर्चा अंक-2105) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रेरणादायक पोस्ट.
ReplyDeletetouching
ReplyDelete
ReplyDeleteआप की लिखी ये रचना....
24/09/2015 को लिंक की जाएगी...
http://www.halchalwith5links.blogspot.com पर....
आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित हैं...
आप की लिखी ये रचना....
24/09/2015 को लिंक की जाएगी...
http://www.halchalwith5links.blogspot.com पर....
आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित हैं...
हर हाल में जीना ही पड़ता है
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना महोदय और कृपया Hindi site पर भी पधारे और हमे सुझाव दे कि हम और क्या बेहतर कर सकते है |
ReplyDeleteAwesome information and its wonderful.I really enjoyed
ReplyDeleteThanks sir
वाकई में एक रचनाकार अपनी दृष्टि से पूरी दुनिया को एक मंच पर ला सकता है| कृपया हमारी साईट http://www.hindishortstories.com/ पर भी पधारें और हमें सुझाव दें|
ReplyDeleteधन्यवाद