13.9.15

पंथ प्रथम है

आँखों से क्यों खींच रही हो,
आकर्षण-तरु सींच रही हो,
नहीं शक्ति, आमन्त्रण तज दूँ,
उद्वेलित हूँ, नहीं सहज हूँ,
साँसों का आवेग विषम है,
आशंकित हूँ, पंथ प्रथम है ।

प्रेम तुम्हारा, आधी रचना,
आधा जगना, आधा सपना,
नहीं सूझता है कुछ मन को,
कैसे रोकूँ आज समय को,
सुख, व्याकुलता मिश्रित क्रम है,
आशंकित हूँ, पंथ प्रथम है ।

11 comments:

  1. सुख, व्याकुलता मिश्रित क्रम है,
    आशंकित हूँ, पंथ प्रथम है
    क्या खूब बात कही आपने

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  2. नही शक्ति आमन्त्रण तज दूँ(अच्छी रचना)साधू साधू
    ढोता हूं पर पंथ प्रथम है

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  3. नही शक्ति आमन्त्रण तज दूँ(अच्छी रचना)साधू साधू
    ढोता हूं पर पंथ प्रथम है

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  4. प्रेम तुम्हारा आधा सपना—
    बखूबी श्रम्गार-रस के मलवे तले
    जीवन की वास्तविकता से रूबरू होना,
    जैसे नीम्द मेम हो—फिर भी चैतन्य.

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  6. उम्दा प्रवीण जी

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  7. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, स्कूली जीवन और बॉलीवुड के गीत - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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