हर रात के बाद,
बरसात के बाद,
दिन उभरेगा,
तिमिर छटेगा,
फूल रंग में इठलायेंगे,
कर्षण पूरा, मन भायेंगे,
पैर बँधे ढेरों झंझावत,
पग टूटेंगे, रहे रुद्ध पथ,
बरसायेंगे शब्द क्रूरतम,
बहुविधि उखड़ेगा जीवनक्रम,
दिन की भेंट निगल जाने को,
संभावित गति हथियाने को,
यत्न पूर्णतः कर डालेंगे,
संशय भरसक भर डालेंगे,
खींच खींच कर उन बातों में,
अँधियारी काली रातों में,
ले जाने को फिर आयेंगे,
रह रह तुमको उकसायेंगे।
निर्मम हो एक साँस पूर्ण सी भर लो मन में,
जीवन का आवेश चढ़ाकर, भर लो तन में,
गूँजे भर भर, सतत एक स्वर दिग दिगन्त में,
नहीं दैन्यता और पलायन, इस जीवन में ।
बरसात के बाद,
दिन उभरेगा,
तिमिर छटेगा,
फूल रंग में इठलायेंगे,
कर्षण पूरा, मन भायेंगे,
पैर बँधे ढेरों झंझावत,
पग टूटेंगे, रहे रुद्ध पथ,
बरसायेंगे शब्द क्रूरतम,
बहुविधि उखड़ेगा जीवनक्रम,
दिन की भेंट निगल जाने को,
संभावित गति हथियाने को,
यत्न पूर्णतः कर डालेंगे,
संशय भरसक भर डालेंगे,
खींच खींच कर उन बातों में,
अँधियारी काली रातों में,
ले जाने को फिर आयेंगे,
रह रह तुमको उकसायेंगे।
निर्मम हो एक साँस पूर्ण सी भर लो मन में,
जीवन का आवेश चढ़ाकर, भर लो तन में,
गूँजे भर भर, सतत एक स्वर दिग दिगन्त में,
नहीं दैन्यता और पलायन, इस जीवन में ।