मैनें रेखाचित्र बनाये,
जगह जगह से कर एकत्रित, आकृतियों के ढेर सजाये ।
कहीं कहीं पर मधुर कल्पना के धुँधले आकार बिछाये,
कहीं सोचकर बड़े यत्न से, सुन्दर से कुछ चित्र बनाये ।
इतना सब कुछ पहले से है, फिर भी कुछ तो छूटा जाये ।
मैनें रेखाचित्र बनाये ।।१।।
इन रेखाचित्रों में उभरे, तेरे थे जो चित्र बनाये,
अलग व्याख्या, अलग सजावट, तेरा सब श्रृंगार सजाये ।
पर रेखाआें की यह रचना, आँखों में क्यों उतर न पाये ।
मैनें रेखाचित्र बनाये ।।२।।
कार्य यही अब इन चित्रों के तीखेपन को सरल बनाना,
कहीं वेदना के दृश्यों का, थोड़ा सा आकार घटाना ।
पर गन्तव्य पहुँचने पर, अनुभव की नद विस्तार बढ़ाये ।
मैनें रेखाचित्र बनाये ।।३।।
वाह ! बहुत खूब ....
ReplyDeleteजिवन की सुन्दर व्याख्या
ReplyDeleteअहा"कहीं वेदना के दृश्यों का,थोड़ा सा आकार घटाना।"
अतिसुन्दर रचना। साधू साधू
जिवन की सुन्दर व्याख्या
ReplyDeleteअहा"कहीं वेदना के दृश्यों का,थोड़ा सा आकार घटाना।"
अतिसुन्दर रचना। साधू साधू
दिनांक 10/08/2015 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
ReplyDeleteचर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
आप भी आयेगा....
धन्यवाद...
सुन्दर रचना है
ReplyDeleteइन टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं को बनाते चलना ही चित्रकार का काम है ... आगे ...और आगे .... और
ReplyDeleteWah wah
ReplyDeleteWah wah
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 11 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, बजरंगी भाईजान का सब्स्टिटूट - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteमैनें रेखाचित्र बनाये ....वाह! बहुत सुन्दर !
ReplyDelete:)
ReplyDeleteलाजबाब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर्1 इन रेखा चित्रों मे सुन्दर रंग भरें ये दुया है1
ReplyDeleteइन रेखा चित्रों में ही जीवन उलझा रहता है.
ReplyDeleteइन रेखाचित्रों में अब रंग भी भरा जाना चाहिए|
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