10.5.15

तुम्हारा साथ

आज मेधा साथ देती,
उमड़ता विश्वास भी है ।
चपल मन यदि शान्त बैठा,
यह तुम्हारा साथ ही है ।।१।।

दिख रहा स्पष्ट सब कुछ,
यदि दिशा मन की बँधी है ।
प्रेरणा अविराम बहती,
यह तुम्हारा साथ ही है ।।२।।

बढ़ रहा हूँ लक्ष्य के प्रति,
और संग आशा चली है ।
बिन सहारे चल रहा हूँ,
यह तुम्हारा साथ ही है ।।३।।

यदि सम्हलता समय का रथ,
जीवनी की लय सधी है ।
मन मुदित हो गीत गाता,
यह तुम्हारा साथ ही है ।।४।।

15 comments:

  1. अनुपम सानिध्य!

    ReplyDelete
  2. अनुपम सानिध्य!

    ReplyDelete
  3. साथ बना रहे... बनी रहे कविता भी!

    ReplyDelete
  4. तुम्हारा साथ जैसे लंगर जीवन का । कोई तूफ़ान ,कोई झंझावात कैसे असर करे जब साथ है तुम्हारा ।

    ReplyDelete
  5. "तुम्हारा साथ" ये रचना बहुत अच्छी लगी !आपको धन्यवाद !
    keep it up !

    ReplyDelete
  6. साथ की आवश्यकता सदा जीवन में बनी रहती है।

    ReplyDelete
  7. यह तुम्हारा साथ ही है---
    प्रवीण जी बहुत सुंदर भाव-रचना.
    यदि साथ,साथ हो तो जीवन ही लक्ष है.

    ReplyDelete
  8. चाहे यह मां है या पत्‍नी या बिटिया या पिता या पुत्र या मित्र...........इनके साथ की शक्ति से निश्चित ही आप अविराम लक्ष्य के प्रति चल रहे हैं। कविता के शब्‍द आशा व विश्‍वास का कितना संचार कर रहे हैं!!

    ReplyDelete
  9. Great inspiration without physically being along- good lyric. Words are weaved beautifully. Regards.

    ReplyDelete
  10. जो साथ इतना प्रेरक है ,ऊर्जादायी है कि वह रचनाओं में झलक रहा है निरंतर . वह अक्षुण्ण रहे .

    ReplyDelete
  11. संग साथ अच्छा मिले तो जीवन आसान बना रहता है ..
    बहुत सुन्दर रचना

    ReplyDelete