नहीं पुष्प में पला, नहीं झरनों की झर झर ज्ञात मुझे,
नहीं कभी भी भाग्य रहा जो सुख सुविधायें आकर दे ।
इच्छायें थी सीमित, सिमटी, मन-दीवारों में पली बढ़ीं,
आशायें शत, आये बसन्त, अस्तित्व-अग्नि शीतल कर दे ।।१।।
शीतल, मन्द बयार हृदय में ठिठुरन लेकर आती है,
तारों की टिमटिम, धुन्धों में जा, चुपके से छिप जाती है ।
रिमझिम वर्षा की बूँदों ने, प्लावित बाँधों को तोड़ दिया,
लहरों की कलकल ना भाती, रह रहकर शोर मचाती है ।।२।।
फिर भी जीवन में कुछ तो है, हम थकने से रह जाते हैं,
भावनायें बहती, हृद धड़के, स्वप्न दिशा दे जाते हैं,
नहीं विजय यदि प्राप्त, हृदय में नीरवता सी छाये क्यों,
संग्रामों में हारे क्षण भी, हौले से थपकाते हैं ।।३ ।।
नहीं कभी भी भाग्य रहा जो सुख सुविधायें आकर दे ।
इच्छायें थी सीमित, सिमटी, मन-दीवारों में पली बढ़ीं,
आशायें शत, आये बसन्त, अस्तित्व-अग्नि शीतल कर दे ।।१।।
शीतल, मन्द बयार हृदय में ठिठुरन लेकर आती है,
तारों की टिमटिम, धुन्धों में जा, चुपके से छिप जाती है ।
रिमझिम वर्षा की बूँदों ने, प्लावित बाँधों को तोड़ दिया,
लहरों की कलकल ना भाती, रह रहकर शोर मचाती है ।।२।।
फिर भी जीवन में कुछ तो है, हम थकने से रह जाते हैं,
भावनायें बहती, हृद धड़के, स्वप्न दिशा दे जाते हैं,
नहीं विजय यदि प्राप्त, हृदय में नीरवता सी छाये क्यों,
संग्रामों में हारे क्षण भी, हौले से थपकाते हैं ।।३ ।।
जीवन की सफलता -असफलता ,हार -जीत ,आशा -निराशा जीवन के अंतिम क्षण तक रहता है ,शायद यही जिंदगी है ! सुन्दर रचना
ReplyDeleteन्यू पोस्ट हिमालय ने शीश झुकाया है !
न्यू पोस्ट अनुभूति : लोरी !
जीवन की सफलता आशा से ही है शायद पर आशाओं को भी तो जिन्दा रखना एक चुनौती ही है
ReplyDeleteअथक रहना ही उपलब्धि है।
ReplyDeleteHope is always there :)
ReplyDeleteLovely read on a Sunday morning.
Bahut Sundar Bhaav....
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteजीवन के एकात्म मानवीय भावों को कविता के सौन्दर्य में रचकर ऐसे प्रस्तुत करना, सुन्दर।
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (02-03-2015) को "बदलनी होगी सोच..." (चर्चा अंक-1905) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
साकारात्मक भाव लिए सुन्दर रचना।
ReplyDeleteसमता भाव बना रहे यही साधना है...
ReplyDeleteसकारात्मक उम्मीदों की सुन्दर रचना
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत ही शानदार
ReplyDeletehttp://puraneebastee.blogspot.in/
@PuraneeBastee
बहुत ही जानदार रचना की प्रस्तुति।
ReplyDeleteMan is to elevate above his daily fights. Beautiful.
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