10.12.14

आया कोई याद हृदय में

आया कोई याद हृदय में,
सुखदायी अनुनाद हृदय में ।
तनिक विहँस कर हौले हौले,
कह जाता संवाद हृदय में ।।१।।

कहाँ छिपा था, मन में आया,
सुखारूढ़ जो समय बिताया ।
स्मृति के छोटे हाथों भर,
लाया लघु-उन्माद हृदय में ।
आया कोई याद हृदय में ।।२।।

याद आ रहे हैं मधुरिम क्षण,
काल-ताल में डूबा जीवन ।
भूला बिसरा राग सुनाये,
सुर बन गाये आज हृदय में ।
आया कोई याद हृदय में ।।३।।

कौन और किस प्रायोजन से,
स्मृतियों के महासिन्धु से ।
चुपके से जाकर ले आया,
सुख का बीता ज्वार हृदय में ।
आया कोई याद हृदय में ।।४।।

किसकी करनी, नहीं ज्ञात है,
इस जीवन पर ऋण अपार है ।
यादों से जो दे जाता है,
आस भरा विश्वास हृदय में ।
आया कोई याद हृदय में ।।५।।

10 comments:

  1. किसकी करनी, नहीं ज्ञात है,
    इस जीवन पर ऋण अपार है ।
    यादों से जो दे जाता है,
    आस भरा विश्वास हृदय में ।
    आया कोई याद हृदय में
    ........क्या खूब कही आपने

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  2. शुद्ध कविता का आनन्द ही कुछ और है

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  3. कविताओं में यही गड़बड़ है - उन्हे पढ़ना मानो यादें अलाव की चिनगारी सी भभक उठती हैं कुरेदने पर।

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  4. waah bahut sundar prastuti ...

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  5. शानदार रचना

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  6. कल 14/दिसंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  7. आहा.. बड़ी ही सरल और सुन्दर सी कविता.. ऐसे ही कोई हर दिन याद आये ह्रदय में!

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  8. sunder prem ras se bhari rachna

    shubhkamnayen

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