आया कोई याद हृदय में,
सुखदायी अनुनाद हृदय में ।
तनिक विहँस कर हौले हौले,
कह जाता संवाद हृदय में ।।१।।
कहाँ छिपा था, मन में आया,
सुखारूढ़ जो समय बिताया ।
स्मृति के छोटे हाथों भर,
लाया लघु-उन्माद हृदय में ।
आया कोई याद हृदय में ।।२।।
याद आ रहे हैं मधुरिम क्षण,
काल-ताल में डूबा जीवन ।
भूला बिसरा राग सुनाये,
सुर बन गाये आज हृदय में ।
आया कोई याद हृदय में ।।३।।
कौन और किस प्रायोजन से,
स्मृतियों के महासिन्धु से ।
चुपके से जाकर ले आया,
सुख का बीता ज्वार हृदय में ।
आया कोई याद हृदय में ।।४।।
किसकी करनी, नहीं ज्ञात है,
इस जीवन पर ऋण अपार है ।
यादों से जो दे जाता है,
आस भरा विश्वास हृदय में ।
आया कोई याद हृदय में ।।५।।
किसकी करनी, नहीं ज्ञात है,
ReplyDeleteइस जीवन पर ऋण अपार है ।
यादों से जो दे जाता है,
आस भरा विश्वास हृदय में ।
आया कोई याद हृदय में
........क्या खूब कही आपने
शुद्ध कविता का आनन्द ही कुछ और है
ReplyDeleteकविताओं में यही गड़बड़ है - उन्हे पढ़ना मानो यादें अलाव की चिनगारी सी भभक उठती हैं कुरेदने पर।
ReplyDeletewaah bahut sundar prastuti ...
ReplyDeleteसुन्दर।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteशानदार रचना
ReplyDeleteकल 14/दिसंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
आहा.. बड़ी ही सरल और सुन्दर सी कविता.. ऐसे ही कोई हर दिन याद आये ह्रदय में!
ReplyDeletesunder prem ras se bhari rachna
ReplyDeleteshubhkamnayen