कौन कहता है, ये जीवन दौड़ है,
कौन कहता है, समय की होड़ है,
हम तो रमते थे स्वयं में,
आँख मूँदे तन्द्र मन में,
आपका आना औ जाना,
याद करने के व्यसन में,
तनिक समझो और जानो,
नहीं यह कोई कार्य है,
काल के हाथों विवशता,
मन्दगति स्वीकार्य है।
अति उत्तम भाव
ReplyDeleteइस मंद में भी गति है
ReplyDeleteतनिक समझो और जानो,
ReplyDeleteनहीं यह कोई कार्य है,
काल के हाथों विवशता,
मन्दगति स्वीकार्य है।
...बिलकुल सही ..
सुंदर रचना
ReplyDeleteकाल की गति कोई न जाने
ReplyDeleteमन घोड़े की लगाम को भी वो थामे
waah.... kya khoob
ReplyDeleteगति होनी ज़रूरी है..
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