प्रणय की और प्रेरणा की
मूर्ति बनती जा रही हो ।
पंथ की छाया बनी हो,
हृदय को तुम भा रही हो ।।
कोई आकर पूछ ले परिचय तुम्हारा,
जीवनी में पिरोकर अस्तित्व सारा ।
प्रेम की अभिव्यक्ति को, तुम कर्म-सुर में गा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।१।।
ओट में मन-कल्पना की, और सिमटकर,
रही अब तक स्वप्न-महलों से निकल कर ।
पास आकर, स्वप्न-जल-तल में डुबोती जा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।२।।
बिसारे अस्तित्व का क्रन्दन भुलाने,
प्रेम-पूरित राग फिर से गुनगुनाने ।
प्रतीक्षित थी, आस-पूरित, जीवनी बन आ रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।३।।
छेड़ती उन्माद से मन की तहों को,
सरसता बिन बीत जाती जीवनी को ।
मधुर सी कविता बनाकर, बाँचती तुम जा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।४।।
स्वार्थ-पूरित पंक और तुम कमल-दल सी,
खिल रही निश्चिन्त, जीवन में उमड़ती ।
मुस्कराती,प्रेम की, आकृति बनाती जा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।५।।
सहजता चहुँ ओर डूबी प्रचुर मद में,
आत्म-केन्द्रित जनों से परिपूर्ण जग में ।
अहम् तजकर, प्रेम के, अनुरूप ढलती जा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।६।।
उमंगों से रिक्त, सूने उपवनों में,
चेतना यदि सुप्त, एकाकी क्षणों में ।
चहकती तुम, प्रेम-पोषित, हृदय को बहका रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।७।।
सोचता हूँ, और मेरा क्या अभीप्सित,
प्रश्न का विस्तार यदि होता असीमित ।
उत्तरों की डोर पकड़े, क्षितिज तक ले जा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।८।।
दूत बनकर आयी कष्टों को मिटाने,
किन्तु उपजे विरह का संकट हटाने ।
अब सनातन-संगिनी बन, साथ चलती जा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।९।।
बहुत खूब...
ReplyDeleteअकथ काब्य सौन्दर्य समाहित है इस कवितामें ----- "हृदय को तुम भा रही हो। " चित्रण अनूठा यह अलौकिक बोध की / साहित्य तो समृद्ध काब्यानन्द भी / डूब उतराता हृदय उल्लास में / भाव - रस -सम्पृक्त सर्वानन्द भी ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (14-09-2014) को "मास सितम्बर-हिन्दी भाषा की याद" (चर्चा मंच 1736) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हिन्दी दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अरे कविते ! तुम बहकती जा रही हो ....
ReplyDeleteशब्दों में उलझी, भाव उलझा रही हो |
बहुत हि सुंदर , प्रवीण सर धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
वाह...सुन्दर और सार्थक पोस्ट...
ReplyDeleteसमस्त ब्लॉगर मित्रों को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@हिन्दी
और@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
man ko pad kr ek sukun sa mila
ReplyDeleteबस यूँ ही प्रेम की गंगा बहते चलो.
ReplyDeleteसुंदर। आप निरंतर सक्रीय हैं ब्लाग पर यह देखकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteAs usual... very beautiful... AApka blog one of the famous hindi blog ki khabar sunke ke hume bahut garlog ke zariyr he sahi jaante toh hai :)
ReplyDeleteखूबसूरत और कोमल भावों से रची बसी कविता ।
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