अब जागा उत्साह हृदय में, रंग अब जीवन का भाता है,
पर सूरज क्यों आज समय से पहले डूबा जाता है ।
चढ़ा लड़कपन, खेल रहा था,
बचपन का उन्माद भरा था ।
मन, विवेक पर हावी होती,
नवयौवन की उत्श्रंखलता ।
बीत गया पर जीवन में, वह समय नहीं दोहराता है ।
देखो सूरज आज समय से पहले डूबा जाता है ।।१।।
प्रश्नोत्तर में बीता यौवन,
दर्शन, दिशा प्राप्त करके मन ।
अब अँगड़ाई लेकर जागा,
तोड़ निराशा के शत-बन्धन ।
लक्ष्य और मन जोड़ सके, वह शक्ति-सेतु ढह जाता है ।
देखो सूरज आज समय से पहले डूबा जाता है ।।२।।
जीवन पद्धतियों से लड़ने,
अपनी सीमाआें से बढ़ने ।
चलें कँटीली कुछ राहों पर,
निज भविष्य की गाथा गढ़ने ।
लगता क्यों अब जीवन मन का साथ नहीं दे पाता है ।
देखो सूरज आज समय से पहले डूबा जाता है ।।३।।
रचना निःसंदेह बहुत सुंदर है पर इसमें मुझे हताशा के कुछ रंग भी नज़र आये। optimistic रहना बहुत ज़रूरी है..मुश्किलें आसान हो जाती हैं... ☺
ReplyDeleteसुन्दर कविता..... समय से पहले कुछ नहीं होता .......तेरा मन दर्पण कहलाये......
ReplyDeleteलगता क्यों अब जीवन मन का साथ नहीं दे पाता है ।
ReplyDeleteदेखो सूरज आज समय से पहले डूबा जाता है ।।३।।
लयात्मक भाव प्रधान प्रश्नमूलक अभिव्यक्ति
जीवन का चक्र---कभी धूप कभी छांव.
ReplyDeleteदिन का उजाला फैलना लाजमी है.
सुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteदिनांक 21/08/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर
मन तो जीवन से ही पोषित होता है...और जीवन मन से समृद्ध...
ReplyDeleteलगता क्यों अब जीवन मन का साथ नहीं दे पाता है ।
ReplyDeleteदेखो सूरज आज समय से पहले डूबा जाता है ।।३।।
बहुत बढिया गीत है. बधाई
अति सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति। बढिया गीत ...आभार
ReplyDeleteविषम परिस्थितयों में जीवन सरल नहीं चलता ...
ReplyDeleteमन अच्छा है जीवन अच्छा ...
बहुत बढ़िया ....
सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर ----
आग्रह है
कृष्ण ने कल मुझसे सपने में बात की -------
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (21-08-2014) को "लेखक बनाने की मशीन" (चर्चा मंच 1712) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मित्रों से मन की बात कहें , इस से निराकरण मिलता है ।
ReplyDeleteफूलों का राजा कमल मात्र कीचड में ही तो खिलता है ॥
सूरज तो अपने समय पर ही डूबता है परन्तु शायद हमारा बचपन और यौवन अधिक लंबा समय चाहता है !
ReplyDeleteमैं
ईश्वर कौन हैं ? मोक्ष क्या है ? क्या पुनर्जन्म होता है ? (भाग २ )
bahut sundar ... aaj kaafi samay baad blog me aayi ... rachnatamktaa jaari hai yaha achha laga .. kuchhek blog me kai bahut puraani post dekh ke chinta hui.......... haa main apne dashboard par jaa nahi paa rahi hun ..kripya bataayen kaise janaa hoga ..
ReplyDeleteअरे नहीं , बादलों ने आकार कुछ समय के लिए ढक लिया होगा, समय से पहले सूरज नहीं डूबेगा.
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता है आपकी। हाल ही में मैंने एक ब्लॉग लिखना शुरू किया है। कृपया पढ़ कर अपने कमेंट्स या सुझाव दे। मेरे ब्लॉग का नाम दैनिक ब्लॉगर है। (http://dainikblogger.blogspot.in/)
ReplyDeleteधन्यवाद
अयान
प्रश्नोत्तर में बीता यौवन,
ReplyDeleteदर्शन, दिशा प्राप्त करके मन ।
अब अँगड़ाई लेकर जागा,
तोड़ निराशा के शत-बन्धन ।
लक्ष्य और मन जोड़ सके, वह शक्ति-सेतु ढह जाता है ।
देखो सूरज आज समय से पहले डूबा जाता है ।।२।।
बहुत बढ़िया
behad khoob
ReplyDeleteयदि समय का सही उपयोग न हो पाया हो तो सूरज समय से पहले डूबा हुआ जान पड़ताहै।
ReplyDeleteक्या आपका तात्पर्य नवयौवन की उच्छृंखलता था. देख लें.
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विचारों की धुंध के पार, अ-मन की और चलें।
सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति बढिया गीत ...आभार