मन कहता है, वह कहने दो,
जीवन बहता है, बहने दो ।
आज व्यर्थ की चिन्ताओं से,
पंथ स्वयं का मत रोको ।
जीकर देखो तो वर्तमान,
संगीत मधुर है, मत टोको ।
रमणीयों में मन रमने दो,
जीवन बहता है, बहने दो ।। १।।
मनस-विकल्पों के दलदल में,
उलझा लेना सहज, सरल है ।
क्या पाओगे चिन्तन में,
जो जीवन में, कल था, कल है ।
ऐसी भावुकता रहने दो,
जीवन बहता है, बहने दो ।। २।।
घटनायें बहती नियतिबद्ध,
क्यों तोड़ रहे हो इस क्रम को ।
हम नहीं नियन्ता जीवन के,
तो व्यर्थ अकारण इस मन को,
क्यों तिक्त व्यथायें सहने दो,
जीवन बहता है, बहने दो ।। ३।।
तर्क-वितर्कों के कुण्डों में,
जीवन कइयों जल जायेंगे ।
रहे निरर्थक बुद्धि-यज्ञ,
निष्कर्ष नहीं मिल पायेंगे ।
चहुँ ओर सरसता रहने दो,
जीवन बहता है, बहने दो ।। ४।।
very nice
ReplyDeleteबहुत प्रेरक
ReplyDeleteGreat lines..................Super like.
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 17/08/2014 को "एक लड़की की शिनाख्त" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1708 पर.
आशा जगाती सुंदर रचना...
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत
ReplyDeleteअनुपम भावों का संगम ....
ReplyDeleteजो रुका सड गया जो बहता गया निर्मल हुआ.
ReplyDeleteसही आम्कलन
बहता जल-जीवन निर्मल!!!
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति...
ReplyDeleteतर्क-वितर्कों के कुण्डों में,
ReplyDeleteजीवन कइयों जल जायेंगे ।
रहे निरर्थक बुद्धि-यज्ञ,
निष्कर्ष नहीं मिल पायेंगे ।
चहुँ ओर सरसता रहने दो,
जीवन बहता है, बहने दो ।। ४।।
Indeed fabulous lines..Most of the time we should flow with the existence. A great philosopher has said it rightly that the best way to tackle a problem is to "Go Through It"..Thank you for sharing another good piece of poetry!!
मनस-विकल्पों के दलदल में,
ReplyDeleteउलझा लेना सहज, सरल है ।
क्या पाओगे चिन्तन में,
जो जीवन में, कल था, कल है ।
ऐसी भावुकता रहने दो,
जीवन बहता है, बहने दो ।। २।।
सुंदर प्रस्तुति।।।
बहे जाओ.. नई दिशाएँ बनाए जाओ... यथार्थ!
ReplyDeleteघटनायें बहती नियतिबद्ध,
ReplyDeleteक्यों तोड़ रहे हो इस क्रम को ।
हम नहीं नियन्ता जीवन के,
तो व्यर्थ अकारण इस मन को,
क्यों तिक्त व्यथायें सहने दो,
जीवन बहता है, बहने दो ।। ३।।
भावपूर्ण रचना
बहना ही तो है जीवन। बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteवाह! देखा आपने बारिश हो गई. आकाश निरभ्र हो गया. नदी सागर से मिल गई।
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