19.7.14

प्रेम और प्राप्ति

स्वतः तृप्ति हैप्रेम शब्द में प्यास नहीं है,
मात्र कर्म हैफल की कोई आस नहीं है,
प्रेम साम्य हैकभी कोई आराध्य नहीं है,
सदा मुक्त हैअधिकारों को साध्य नहीं है 

यदि कभी भी प्रेम का विन्यास लभ हो जटिलता को,
सत्य मानो प्राप्ति की इच्छा जगी हैअनबुझी है 
प्राप्ति का उद्योग यूँ ही मधुरता को जकड़ता है,
प्रेम तो उन्मुक्तता हैव्यथा शासित तम नहीं है ।।

प्रेम का निष्कर्ष सुख है,
वेदना का विष नहीं है 
अमरता का वर मिला है,
काल से शापित नहीं है ।।

19 comments:

  1. प्रेम में रची बसी उत्तम रचना

    ReplyDelete
  2. Most beautiful treatment of the topic of love.

    ReplyDelete
  3. सुंदर प्रस्तुति...
    दिनांक 21/07/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
    हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
    हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
    सादर...
    कुलदीप ठाकुर

    ReplyDelete
  4. प्रेम की सही परिभाषा. सुंदर रचना.

    ReplyDelete


  5. यदि कभी भी प्रेम का विन्यास लभ हो जटिलता को,
    सत्य मानो प्राप्ति की इच्छा जगी है, अनबुझी है ।
    प्राप्ति का उद्योग यूँ ही मधुरता को जकड़ता है,
    प्रेम तो उन्मुक्तता है, व्यथा शासित तम नहीं है ।।

    प्रेम का निष्कर्ष सुख है,
    वेदना का विष नहीं है ।
    अमरता का वर मिला है,
    काल से शापित नहीं है ।।
    बिल्‍कुल सच ....

    ReplyDelete
  6. बहुत शानदार प्रस्तुति।
    कर्म की परेरणा देती हुई।

    ReplyDelete
  7. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, पानी वाला एटीएम - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  8. मात्र कर्म है, फल की कोई आस नहीं है,--प्रेम का बहुत ही उदात्त रूप है अलौकिक भी क्योंकि लोक में यह प्रेम दुर्लभ है ।

    ReplyDelete
  9. "prem ka nishkarsh sukh hai " :)
    Bilkul sahi

    ReplyDelete
  10. सुन्दर रचना...

    ReplyDelete
  11. सुंदर परिभाषा प्रेम की..

    ReplyDelete
  12. गीत के लिए नहीं गद्य के लिए, प्रेम की सुंदरता परिभाषित करने के लिए...वाह!

    ReplyDelete
  13. शानदार...

    ReplyDelete
  14. प्रेम का निष्कर्ष सुख है,
    वेदना का विष नहीं है ।
    अमरता का वर मिला है,
    काल से शापित नहीं है ।।

    सुन्दर रचना...

    ReplyDelete
  15. प्रेम अपने आप में परिपूर्ण है.

    ReplyDelete
  16. प्रेम ही परमेश्वर है ।

    ReplyDelete
  17. बहुत ही सुंदर.

    रामराम.

    ReplyDelete
  18. उन्मुक्त प्रेम प्रभु से मिलन।

    ReplyDelete