खाई बड़ी थी मतभेदों की,
भरने की करता अभिलाषा,
कितने ही थे समझौते,
जो मैने अपने साथ किये ।
और अभी भी जीवन के जीवन ही इसमें बह जायेंगे ,
नहीं किन्तु वह भर पायेंगे, किञ्चित दुख बढ़ा जायेंगे ।
और अभी भी मुक्त विवशता आयेगी मेरे ही द्वारे,
समझौतों का भार लिये और पीड़ाआें का हार लिये ।
रहने दो इन मतभेदों को,
क्यों मतैक्य की लिये लालसा,
जीवन के अनुपम मूल्यों को,
मैं व्यर्थों में व्यर्थ करूँ ।
किन्तु तुम्हारा श्रेय रहा है,
मेरे इस अवमूल्यन में,
तुमने ही आँखें खोली,
तुम धन्यवाद स्वीकार करो ।
हर रिश्ता बलि मॉगता है ।
ReplyDeleteनिर्वाक्- बेडियॉ डालता है ॥
बहुत अच्छे
ReplyDeletewaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah
ReplyDeleteकितने ही समझौते मैंने अपने साथ किये।।।।
ReplyDeleteहर घड़ी हर पल
दिन और रात किये
समझौतों में ही बित गया जीवन सारा
फिर रह गया मैं बेचारा का बेचारा
बहुत सुंदर रचना. ईश्वर सब को शक्ति दे विवेक पूर्ण जीवन जीने के लिए.
ReplyDeleteगहरी अभिव्यक्ति.....स्वयं को समझाना-समझना ही श्रेष्ठ है
ReplyDeleteअवमूल्यन भी आवश्यक है, अन्यथा हम दौड़ में पीछे रह जाते हैं , जीवन शायद इसी का नाम है।
ReplyDeleteबेहद गहन भाव ..... लिये उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
ReplyDeletebhut achhi kavita hai
ReplyDeleteअवमूल्यन भी दर्पण का काम करता है बशर्ते वह स्वच्छ व निष्पक्ष हो ।
ReplyDeleteबेहद गहन.....
ReplyDeleteजीवन शायद समझौतों से ही गुजरता है..सुंदर प्रस्तुति।।।
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ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति ...!
RECENT POST आम बस तुम आम हो
आज की ब्लॉग बुलेटिन लोकतंत्र, सुखदेव, गांधी और हम... मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ...
ReplyDeleteसादर आभार !
अहंकार को किसी तरह तो गलना होगा
ReplyDeleteप्रभु के मंदिर चढ़ने हेतु जलना होगा
चाहे कह लें उन्हें समझोते या कि स्वीकर-भाव,मनःस्थिति की दशाएं है.
ReplyDeleteमन अपनी ही ढालों पर तलवारें खीचता रहता है.
कभी-कभी ऐसा भी होता है?
दोनो ओर व्यक्तित्व समपन्नता में मतभेद होना स्वाभाविक है.स्वाभाविक प्रवाह बना रहे इसलिए एक सम पर आना समझौता भले हो, अवमूल्यन कैसे ?
ReplyDeleteBahut khoob....
ReplyDeleteसमझौते जिंदगी के आधार हैं...रिश्तों की तरह...निभाने ज़रूरी हैं...
ReplyDeleteजाने क्यों वेद लिखे हमने, हँसते हैं अब,अपने ऊपर !
ReplyDeleteभैंसे भी, कहाँ से समझेंगे , यह गोबर ढेर, हमारे भी !
रिश्ते हैं तो जीवन है ... बहुत ही लाजवाब धाराप्रवाह ...
ReplyDeleteहर जीवन , जीवन जीने का समझौता होता है.
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