पिछले दस वर्ष के इतिहास और भविष्य की अपेक्षाओं के संदर्भ में देखता हूँ तो मुझे सांस्थानिक समर्थन का अर्थ ९ स्पष्ट कार्यों या स्तरों में समझ आता है। उसमे प्रथम ६ स्थूल हैं और भिन्न भिन्न रूपों में उपस्थित हैं, पर वे आधार कितने दृढ़ हैं और उन पर कितना निर्भर रहा जा सकता है, यह एक यक्ष प्रश्न है। यदि हिन्दी ब्लॉग के लिये एक व्यापक आधार बनाना है तो हर स्तर को आत्मनिर्भर, स्वतन्त्र और सुदृढ़ बनाना होगा। अन्तिम ३ विरल हैं, ब्लॉग जगत में यत्र तत्र छिटके भी हैं, पर इतने आवश्यक हैं कि प्रत्येक ब्लॉगर उनको चाहता है।
प्रथम ६ हैं, आधार(प्लेटफ़ार्म), प्रेषक(फीडबर्नर), फीडरीडर, चर्चाकार, संकलक, संग्रहक। अन्तिम ३ हैं, उत्साहवर्धक, मार्गदर्शक, व्यावसायिक उत्प्रेरक। चर्चा के लिये प्रत्येक बिन्दु पर प्रकाश डालना आवश्यक है। हो सकता है कि कोई पक्ष सहज या सरल लगे, पर समग्रता की दृष्टि से उन पर भी विहंगम दृष्टि आवश्यक है।
प्रत्येक आधार है आवश्यक |
पहला है आधार या प्लेटफार्म। ब्लॉगर या वर्डप्रेस ऐसे ही दो आधार हैं। उनकी निशुल्क सेवाओं का निश्चय ही बहुत महत्व रहा है और यदि वे न होतीं तो ब्लॉग जगत अपने वर्तमान स्वरूप में न होता। अधिकांश ब्लॉग अभी भी निशुल्क हैं, उन पर उपयोगकर्ताओं को अभिव्यक्ति का अधिकार है। उन पर लिखा हुआ साहित्य और प्रचार की दृष्टि से उनका व्यावसायिक उपयोग सेवा देने वाली कम्पनियों के हाथ में ही है। भला सोचिये, कोई आप पर धन व्यय कर रहा है, कोई न कोई निहितार्थ तो होगा ही। आपका माध्यम आपके नियन्त्रण में है ही नहीं। भगवान न करे, कभी कोई कुदृष्टि हो गयी औऱ आपकी वर्षों की साधना स्वाहा। यह प्रथम पग है और बिना इस पग के कहीं पर भी छलांग लगाना अन्धश्रद्धा है। ऐसा नहीं है कि इस प्लेटफार्म का निर्माण करने में बहुत धन व्यय होगा। थोड़ा बहुत तो निश्चय ही होगा, साइट, सर्वर, सुरक्षा आदि में, पर सांस्थानिक समर्थन के लिये वह अत्यावश्यक भी है।
एक बार लोगों ने अपना ब्लॉग बना लिया, तब प्रेषक या फीडबर्नर का कार्य प्रारम्भ होता है। जब कभी भी आप अपने ब्लॉग पर कुछ नया लिखेंगे, उसे फीडबर्नर तुरन्त ही जान लेता है। ऐसा वह उस प्रक्रिया के रूप में करता है जिसमें सारे ब्लॉगों की स्थिति फीडबर्नर सतत जाँचता रहता हैं और पिछली स्थिति की तुलना में हुये बदलाव को एकत्र करता रहता है। इन कम्पनियों का धन कमाने का अपना कोई साधन नहीं होता है क्योंकि इनका कार्य परोक्ष में चलता है और इन्हें प्रचार का अवसर नहीं मिल पाता है। प्लेटफार्म या फीडरीडर यह कार्य भी करते रहते हैं क्योंकि ऐसा करने से उन तक भी पाठकों का प्रवाह बना रहता है और प्रचार से होनी वाली आय के लिये प्रचार मिलता है।
एक बार प्लेटफार्म या ब्लॉग पर लिखी लेखक की बात फीडबर्नर की सहायता से पाठक तक पहुँचा दी जाती है तो पाठक को भी अपनी रुचि के विभिन्न ब्लॉगों को सुविधानुसार पढ़ने के लिये एक जगह एकत्र करने की आवश्यकता होती है। यह कार्य फीडरीडर करता है। कुछ महीने पहले जब गूगल रीडर बन्द हुआ था तो पूरी की पूरी ब्लॉग व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया था। लगा था कि अब कैसे ब्लॉग पढ़े जा सकेंगे, बिना पाठक कैसे लेखकों में उतना ही उत्साह रह पायेगा? वह तो भला हो फीडली का कि हम लगभग पहले की तरह ही लेखन व पठन कर पा रहे हैं। वैकल्पिक व्यवस्था के अन्तर्गत फीडबर्नर नयी पोस्टों की जानकारी ईमेल के माध्यम से भी प्रेषित कर सकता है, पर पाठकों को ईमेल में सैकड़ों अनपढ़े लेखों को रखने की तुलना में एक अलग व्यवस्था भाती है। फीडरीडर में भी आत्मनिर्भरता सांस्थानिक समर्थन का तीसरा स्तर है।
एक बार लेखक और पाठक में संपर्क स्थापित हो जाता है तो लिखने और पढ़ने का प्रवाह बना रहता है। तब लेखक को अधिक पाठक मिले, पाठक को अधिक लेखक मिले, ये निष्कर्ष सहज ही हैैं, ब्लॉग के विकास और विस्तार के लिये। इस स्तर पर चर्चाकार और चर्चामंच अपना कार्य करते हैं। सौभाग्य से हिन्दी ब्लॉग में यह कार्य अच्छे ढंग से चल रहा है। सुधीजन न केवल अच्छे ब्लॉग लिखते और पढ़ते हैं, वरन उन्हें सबके सामने लाते हैं और प्रेरित करते हैं। आज भी चर्चाकारों के माध्यम से हर दिन कुछ न कुछ नये और स्तरीय ब्लॉगों से जुड़ता रहता हूँ और उनको पढ़ता रहता हूँ। यह एक साझा मंच होता है जहाँ पर ब्लॉग नित विकसित होता है। यह अभी तक व्यक्तिगत स्तर पर ही हो रहा है, इस प्रक्रिया को भी सांस्थानिक समर्थन की आवश्यकता है और वह भी व्यापकता में। यह एक पूर्णकालिक कार्य है, ढेर सारे ब्लॉगों को पढ़ना और उनमें से स्तरीय चुनना वर्षों के साहित्यिक अनुभव से ही आता है। अनुभवी चर्चाकारों की उपस्थिति हिन्दी ब्लॉग व साहित्य के लिये शुभ लक्षण है, यह लक्षण और भी घनीभूत हो और साहित्य का स्थायी अंग हो जाये।
अगला स्तर है संकलक का, चर्चाकारों के सहित हर पाठक को ऐसा मंच चाहिये जहाँ पर हिन्दी ब्लॉग जगत की प्रत्येक पोस्ट के बारे में जाना जा सके। नये लेखकों के लिये यह मंच प्रारम्भिक पड़ाव हो। अपना ब्लॉग बनाने के बाद वे इसमें स्वयं को पंजीकृत कर सकते हैं जिससे वह ब्लॉग पढ़ने वाले सारे पाठकों की दृष्टि में आ सकें। यही नहीं, संकलकों में इस बात की भी जानकारी हो कि कोई पोस्ट कितनी बार पढ़ी गयी, हर बार उसे कितनी देर पढ़ा गया, लेखन के कितने वर्षों के बाद भी उसे पढ़ा जा रहा है। इस तरह के मानकों से कालान्तर में पाठकों को अच्छा साहित्य ढूढ़ने में सहायता मिलेगी। यही नहीं संकलकों में खोज की उन्नत व्यवस्था हो, जिससे किसी भी विषय पर क्या लिखा जा रहा है, कितना लिखा जा रहा है, सब का सब सहज रूप से सामने आ जाये। संकलकों के माध्यम से न केवल नये लेखकों को सहायता मिलेगी वरन हर स्तर पर पाठकों को ब्लॉग जगत को समग्रता से देखने का अवसर भी मिलेगा।
अगला स्तर संग्रहक का है। यह एक व्यापक कार्य है, इस स्तर में अब तब हिन्दी साहित्य में लिखा हुया एक एक शब्द संग्रहित हो। प्रश्न यह उठ सकता है कि क्या संग्रहणीय है, क्या नहीं? इस पर अधिक चर्चा न कर इतिहास की दृष्टि से अधिकाधिक संग्रहित किया जाये। संभव है जो आज संग्रहण योग्य न लगे, हो सकता है वह भविष्य में सर्वाधिक पढ़ा जाये। साहित्य का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा है औरर उनसे सीखने के क्रम में सबकुछ संग्रहित किया जाये। डिजिटल रूप में संग्रहण सरल भी है और अधिक समय तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है।
इस समय देखा जाये तो प्रत्येक स्तर के लिये एक अलग व्यवस्था है। कहीं पर भी कोई क्रम टूटा तो ब्लॉग आंशिक या पूर्ण रूप से प्रभावित हो जायेंगे। कहीं पर भी लगा तनिक सा भी झटका हमें पूरी तरह से हिला जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि ये सारे स्तर एकीकृत हों और हमारे नियन्त्रण में हों। इस परिप्रेक्ष्य में सांस्थानिक समर्थन से मेरा आशय ब्लॉग की व्यवस्था को न केवल और अधिक सुविधाजनक बनाना है, वरन उसे अनिश्चितता से पूर्णतया बाहर लाना है।
इन सारे स्तरों को स्कीकृत करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिये। हमारा एक ही वेबपेज हो, उसी में संबंधित सारे ब्लॉग हों। उसी वेबपेज में हमारी रुचियों के अनुसार फीडरीडर भी हो। फीड भेजे जाने की प्रक्रिया पूर्णतया आन्तरिक हों। संकलक भी उसी पृष्ठ से ही दिख जाये, किसी विषय से संबंधित सारी पठनीय पोस्टें हमारे सम्मुख हों। चर्चा के लिये हम उसी पेज से उन पर अपनी संस्तुति देकर चर्चा के लिये प्रेषित कर सकते हों। एक व्यवस्था के अनुसार विषयानुसार सर्वाधिक संस्तुति की गयी पोस्टें स्वतः ही उसी क्रम में चर्चामंचों में दिखायी पड़ें। इस प्रकार ब्लॉग के लिये एक स्थान पर ही जाना पड़ेगा और वहीं से सारे कार्य सम्पादित हो जाया करेंगे, बिना किसी घर्षण के।
भारत में न प्रतिभा की कमी है, न धन की और न ही संसाधनों की। हिन्दी के प्रति प्रेम भी हमारा है और उत्तरदायित्व भी हमको ही लेना होगा। स्वयं सक्षम होते हुये भी किसी अन्य पर आश्रित बने रहना और आधार हटने पर सामूहिक विलाप करना हम जैसे प्रतिभावान समाज को शोभा नहीं देता है। हम ब्लॉग व्यवस्था के लिये किसी से भी अच्छा मंच तैयार कर सकते हैं, जो भी सांस्थानिक समर्थन करें, उसे गुणवत्ता और क्रियाशीलता की दृष्टि से उत्कृष्ट बना सकते हैं। पहल तो करनी ही होगी, कहीं ऐसा न हो कि अपेक्षायें हमसे कहीं आगे निकल जायें और हम योगदान के स्थान पर अश्रुदान करने में लगे रहें।
अन्तिम ३ स्तरों पर चर्चा अगली पोस्ट में।
चित्र साभार - www.oxy.edu
निश्चित रूप से आपकी कही हुई हर बात विचारणीय है ....वर्तमान और भविष्य के सन्दर्भ में ...!!!
ReplyDeleteब्लॉग के सम्बन्ध में पहली बार इतनी व्यापक जानकारी से अवगत हुआ। बहुत ही सरल और सहज रूप से ब्लॉग कि दुनिया से रु-बरु कराता आलेख .......सादर धन्यवाद.......
ReplyDeleteसुन्दर और ज्ञानवर्धक विश्लेषण के लिए आपका आभार |
ReplyDeleteयह फीडली क्या है? गूगल रीडर के बाद हम डेसबोर्ड पर ही ब्लाग पढ़ पा रहे हैं। इसकारण कई दिनों तक बाहर रहने पर पुरानी पोस्ट पढ़ने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
ReplyDeleteआप के द्वारा दी गई जानकारी से मुझे इतनी सन्तुष्टि मिलती है जिसे मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता हूं । वैसे तो कई ब्लोग पर जानकारी मिलती है परन्तु आप से मिली ज्यादातर जानकारी हमेशा के लिये उपयोगी होती है । तकनीक के बारे में हमारे जैसे लोगों तक का सोच समय के साथ अपने को बदलने में रुचि लेने के लिये प्रोत्साहित करने वाला साबित होता है । आप का यह लेख पढ कर मैं आज यह लिखने के लिये बाध्य हो गया । सामान्यतया आप का लेख पढने तक ही मैं अपने को सीमित रखता हूं । आप को बहुत - बहुत साधुवाद, शुभकामनायें, नव वर्ष की मंगल कामना तथा बृहत्तर सामाजिक हित के लिये इस पथ पर निरन्तर अडिगता से बने रहने की प्रार्थना
ReplyDeleteज्ञानवर्धक विचारनीय पोस्ट | विशेषज्ञ एवं साधन सम्पन्न लोगो को आगे आना चाहिए !
ReplyDeleteनई पोस्ट मेरे सपनो के रामराज्य (भाग तीन -अन्तिम भाग)
नई पोस्ट ईशु का जन्म !
सुन्दर विश्लेषण...!
ReplyDeleteएक ऐसा विश्लेषण जिसे बार-बार पढ़ने का मन करता है।
ReplyDeleteबहुत प्रेरक पोस्ट
ReplyDeleteक्या बात वाह! अति सुन्दर
ReplyDeleteतीन संजीदा एहसास
Very inspirational :)
ReplyDeleteसुन्दर विश्लेषण किया है ..इस ज्ञानवर्धक विचारनीय पोस्ट के लिए आभार..प्रवीण जी
ReplyDeleteतकनीकी रूप से समृद्ध व्यक्ति आपके लेख को आधार बनाकर पूरा वेब डिजाइन कर सकता है।
ReplyDeleteब्लॉग व्यवस्था के लिए अच्छा मंच.
ReplyDeleteजरूर आपके मन में कुछ अलग, अनूठा चल रहा होगा, जो आगे की पोस्टों में दिखाई देगा।
सार्थक जानकारी देती बहुत उम्दा पोस्ट ...! आभार प्रवीण जी,
ReplyDeleteRecent post -: सूनापन कितना खलता है.
सही बात.. आँसूं बहाते रहने से क्या होने वाला है.
ReplyDeleteबस यहाँ पाठक वर्ग की ही कमी अखरती है, इतना सब कुछ होते हुए भी हिन्दी का पाठक वर्ग अभी तक ब्लॉग से दूर है ।
ReplyDeleteज्ञानवर्धक आलेख...
ReplyDeleteएक सांस्थानिक समर्थन तो मिला भी मगर परिणाम आज भी प्रतीक्षित है,दरअसल यह सब एक ब्लागर संगठन खुद बने और करे तभी भरोसेमंद हो सकता है -परमुखापेक्षी होने से कोई ठोस परिणाम निकलने वाला नहीँ !
ReplyDelete" कौन बॉचे इस शहर में सतसई सौन्दर्य की , ये शहर हल कर रहा है भूख की प्रश्नावली ।"
ReplyDeleteबेहतरीन एवं आवश्यक !!
ReplyDeleteएक बेहतरीन पोस्ट के साथ किया गया सार्थक आव्हान .....
ReplyDeleteगहरे अदयान की उपज है ये विस्तृत आलेख ...
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो ...
तो ये शुरुआत आप अपने स्तर पर ही कर दीजिए, क्योंकि आपको हिन्दी साहित्य में अगाध रुचि होने के साथ-साथ इसके आधुनिक प्रसारक ब्लॉग और इसके अंतर्जाल घटकों की अच्छी तकनीकी जानकारी जो है। मेरे जैसे तो तकनीकी पक्ष के साथ बतौर सहायक, वो भी प्रशिक्षण उपरान्त, ही कुछ कर सकते हैं।
ReplyDeletebahut hi jaankari bhari post ...agle kisto ki prateeksha me,
ReplyDeleteकाफी विस्तृत और कहीं कहीं जटिल प्रतीत होता आलेख..इसलिये कुछ समझा और बहुत कुछ नहीं भी समझ पाया..तथापि प्रतिक्रिया कर रहा हूँ..साथ ही नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं।।।
ReplyDeleteकुछ बातें समझने का प्रयाश कर रहा हूँ एक बात कहना चाहूँगा नए ब्लोगेर्स का उत्साह वर्धन कम ही लोग करते हैं जिससे उनमे निराशा का भाव घर करता है और वे लिखना छोड़ देते है
ReplyDeleteसमय पर उठाया गया कोई भी कदम सही होता है.
ReplyDeleteआपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (28 दिसंबर, 2013) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।
ReplyDeleteकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा
बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-तुमसे कोई गिला नहीं है
विचारणीय प्रश्न उठाता बहुत सारगर्भित आलेख...
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