4.12.13

न दैन्यं, न पलायनम्

जब तक मन में कुछ शेष है, कहने को,
जब तक व्यापित क्लेश है, सहने को,
जब तक छिद्रमयी विश्व, रह रह कर रिसता है,
जब तक सत्य अकेला, विष पाटों में पिसता है,

तब तक छोड़ एक भी पग नहीं जाना है,
समक्ष, प्रस्तुत, होने का धर्म निभाना है,
उद्धतमना, अवशेष यदि किञ्चित बलम्,
गुञ्जित इदम्, न दैन्यं, न पलायनम्।

36 comments:

  1. न दैन्यं, न पलायनम्।

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  2. अनुष्ठित सत्य..

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  3. "न दैन्यं, न पलायनम्।"

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  4. तारीफी सुविचारित भावपूर्ण पंक्तियां

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  5. "मन के हारे हार है मन के जीते जीत पार-ब्रह्म को पाइये मन के ही परतीत ।" कबीर

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  6. चाह कर भी कुछ कह नहीं पाते
    सब कुछ चुपचाप सहना है
    जीवन है जीते जाना है
    इस दुनिया में ही तो रहना है

    उत्तम रचना

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  7. प्रकाशवान है सत्य ....... उद्दीप्त विजयी भाव ,सुदृढ़ सुन्दर रचना !!

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  8. न दैन्यं, न पलायनम्। सुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुति ।

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  9. कम शब्द , बड़ी बात |

    सादर

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  10. न दैन्यं, न पलायनम्
    .........सुन्दर रचना !!!

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  11. जब तक सत्य अकेला, विष पाटों में पिसता है,
    तब तक छोड़ एक भी पग नहीं जाना है,
    समक्ष, प्रस्तुत, होने का धर्म निभाना है,

    बहुत सुन्दर पंक्तियां...सुन्दर भाव....

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  12. मंगलकामनाएं !!

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  13. बहुत बढ़िया ...

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  14. कल 05/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  15. समस्‍या के समक्ष प्रस्‍तुत हो कर उसे साधने की प्रेरणा मिले।

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  16. यही सत्य है ... यही शिव हैं ... यही सुंदर भी है ....

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  17. miles to go before i sleep...very nice...

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  18. सत्यम् शिवम् सुन्दरम्।

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  19. सच को दिए उत्कृष्ट शब्द .....

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  20. धर्म के आगे कहाँ टिकेगा ,छिपेगा अ -धर्म ,कभी न कभी मारा जाएगा धर्म के हाथों। वैसे जो अधर्म के साथ हैं मरे हुए ही हैं। बहुत बढ़िया प्रस्तुति दर्शन तत्व लिए कलियुगी रूपक लिए।

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  21. वाह ! बहुत बढ़िया,बेहतरीन अभिव्यक्ति...!
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    Recent post -: वोट से पहले .

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  22. उच्च विचार और संकल्प । सचमुच जीवन और जगत के प्रति उत्तरदायित्त्व समझने पर ही यह भाव आ सकता है ।

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  23. सूक्तिमय हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति

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  24. बहुत खुबसूरत विचार !
    नई पोस्ट वो दूल्हा....
    latest post कालाबाश फल

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  25. सुन्दर..
    न दैन्यं, न पलायनम् , हाल में इसी शीर्षक पर अटल बिहारी बाजपेई की एक पुस्तक पढ़ी.

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  26. बहुत खूब...इस धर्म को निभाते रहें।

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  27. Kya baat kya baat kya baat

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  28. पलायन बिल्‍कुल नहीं।

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  29. सत्य है, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  30. उद्धतमना, अवशेष यदि किञ्चित बलम्,
    गुञ्जित इदम्, न दैन्यं, न पलायनम्।

    ....शाश्वत सत्य...

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  31. वाह...बहुत उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी

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