बहुधा विचार टकरा जाते हैं,
मनस पटल पर आ जाते हैं ।
नहीं जानता किन स्रोतों से,
किस प्रकार के अनुरोधों से,
आवश्यक वे हो जाते हैं,
अवलोकन का प्रश्न उठाते,
चिन्तन पथ पर बढ़ जाते हैं ।।१।।
कभी कभी उद्वेलित करते,
उत्साहों से प्रेरित करते ।
कुछ झिंझोड़ते, मन निचोड़ते,
और कभी मन बहलाते हैं ।
अपनी अपनी छाप छोड़ सब,
आते और चले जाते हैं ।।२।।
शायद मेरा सार छुपा था,
जीवन का आकार छुपा था ।
अभी कहीं वे जीवित होंगे,
अनुपस्थित जो हो जाते हैं ।
आने के अनुकूल समय में,
आयेंगे जो अति भाते हैं ।।३।।
दुख में घावों को सहलाने,
मन का सारा क्लेष मिटाने ।
लाकर अद्भुत शान्ति हृदय को,
चुपके से पहुँचा जाते हैं ।
सुन्दरता से तार छेड़ने,
बिन बुलाये ही आ जाते हैं ।।४।।
अच्छी कविता |
ReplyDeleteविचारों का जरिया भी भला आज तक कोई जान पाया है, पल में इधर तो पल में उधर..
ReplyDeleteसुन्दर कविता!
ReplyDeleteबिना बुलाये आ जाते हैं
ReplyDeleteवाह !!
sunder vichar, sab ke liye achchhi hoti hai.
ReplyDeleteबहुत सुंदर पंक्तियाँ ..... विचार कुछ यूँ ही दस्तक देते हैं ...
ReplyDeleteविचार औषधि हैं ... मन को दृढ़ता देते हैं ....!!सुंदर भाव ...सुंदर रचना ....!!
ReplyDeleteआकस्मिक विचारों का प्रवेश आह्लादित करता है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता .....
ReplyDeleteविचारों की डगर, रोचक और सुन्दर।
ReplyDeleteअ नो भद्रा क्रतवो यन्तु विश्वतः
ReplyDeleteसब ओर से उदात्त विचार मेरे पास आयें
बहुत खूब लिखा है...विचार तो प्रवाहमान ही अच्छे...होते हैं, रुकने पर दुर्गंध आने की संभावना है।
ReplyDeleteअत्यंत सुंदर और भाव प्रवण रचना.
ReplyDeleteरामराम.
हमारे विचार ही हम हैं...
ReplyDeleteसच यह विचार होते ही ऐसे है, बिना बुलाये ही आजाते है।
ReplyDeleteसुन्दर काव्य पंक्तियाँ।।
ReplyDeleteनई चिट्ठियाँ : ओम जय जगदीश हरे…… के रचयिता थे पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी
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सुन्दर काव्य रचना ......
ReplyDelete--- अध्ययन-मनन द्वारा प्राप्त अनुभव, ज्ञान,तर्क-शक्ति व विवेक द्वारा संस्कारित भाव ही विचार बनकर उभरते हैं ....
hamaare to ham se roothe hain aajkal :(.
ReplyDeletesundar kavita rachi hai aapne.
बिना बुलाए आ जाते हैं....वाह।
ReplyDeleteमनुष्य जैसा सोचता और करता है वह वैसा ही बन जाता है । सुन्दर कविता, रस-मय कविता ।
ReplyDeleteवास्तविकता लिए सुन्दर कविता !
ReplyDeleteनई पोस्ट तुम
नहीं जानता किन स्रोतों से,
ReplyDeleteकिस प्रकार के अनुरोधों से,
आवश्यक वे हो जाते हैं,
अवलोकन का प्रश्न उठाते,
चिन्तन पथ पर बढ़ जाते हैं ।।१।
सार्थकता लिये सशक्त अभिव्यक्ति
beautiful lines
ReplyDeleteविचारों की उत्पत्ति के स्रोत को जान लिया तो मन से ऊपर उठना आसान हो जाता है।
ReplyDeleteयही तो सत्य है, परम आनंद है।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteशानदार रचना
ReplyDeleteकभी कभी उद्वेलित करते,
ReplyDeleteउत्साहों से प्रेरित करते ।
कुछ झिंझोड़ते, मन निचोड़ते,
और कभी मन बहलाते हैं ।
अपनी अपनी छाप छोड़ सब,
आते और चले जाते हैं ।।२।।
दुख में घावों को सहलाने,
मन का सारा क्लेष मिटाने ।
लाकर अद्भुत शान्ति हृदय को,
चुपके से पहुँचा जाते हैं ।
सुन्दरता से तार छेड़ने,
बिन बुलाये ही आ जाते हैं ।।४।।
मुझको जब तब दुलराने को ,
भूली बिसरी दोहराने को
भाव समुन्दर आ जाते हैं।
सुन्दर गीतात्मक प्रस्तुति भाव गंगा।
औरों को भी सहला जाता हैं..सुन्दर विचार......
ReplyDeleteविचार हमारे गतिशील रहने की निशानी हैं ...
ReplyDeleteआते रहें तो ठीक है ...
कितना अच्छा है की बिन बुलाये भाव और विचार आ जाते हैं ..... यहाँ तो बुला बुला कर थक भी गए ।
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