कुछ दिन पहले टाटा स्काई के कुछ चैनलों का प्रसारण बाधित होने लगा। पहले तो लगा कि अधिक वर्षा इसका कारण रहा होगा। किन्तु जब धूप छिटक आयी और फिर भी चैनल बाधित रहे तो टाटा स्काई वालों को फ़ोन किया गया। फ़ोन पर समस्या बताने पर उनके प्रतिनिधि ने बताया कि वे प्रसारण की अधिक उन्नत तकनीक की ओर जा रहे हैं, सेट टॉप बॉक्स बदलने से सारे चैनल पूर्ववत आने लगेंगे। यदि आप अभी बदलवाना चाहें तो तीन घंटे के अन्दर हमारे कार्यकर्ता आकर बदल देंगे। साथ ही साथ उन्होंने मुझे दो और सेट टॉप बाक्सों का प्रस्ताव भी दिया। पहला टाटा स्काई एचडी का और दूसरा टाटा स्काई प्लस एचडी का। एचडी में कुछ चैनल अधिक स्पष्टता में आयेंगे, प्लस में आपके पास कार्यक्रमों को रिकार्ड करने की व्यवस्था रहेगी जिससे वे बाद में सुविधानुसार देखें जा सकें। मात्र एचडी में हज़ार रुपये लग रहे थे, प्लस में पाँच हज़ार।
कार्यक्रमों को अधिक स्पष्टता से देखने का अधिक मोह नहीं रहा है, पर अपने एक मित्र के यहाँ पर एचडी चैनल देखकर प्रभावित अवश्य हुआ था। एक क्रिकेट मैच चल रहा था और लग रहा था कि मैदान के अन्दर खड़े होकर मैच देख रहे हैं। यद्यपि हमें तीसरे अम्पायर का कार्य नहीं करना था पर क्रिकेट का आनन्द एचडी में और बढ़ जाता है। साथ ही साथ एचडी फ़िल्मों में भी डायरेक्टर द्वारा छिटकाये रंगों को आप मल्टीप्लेक्स के समकक्ष स्पष्टता में देख पाते हैं। डिस्कवरी और हिस्ट्री आदि चैनल जो हमें अत्यन्त भाते है, वे भी एचडी में ही अपने पूरे रंग में आते हैं। उत्सुकता मन में थी ही, प्रस्ताव आते ही मन के अनुकूल हो गया, हज़ार रुपये जेब से निकल भागने को तत्पर हो गये।
तभी मन ने कहा, जब चिन्तन द्वार खोले ही हैं तो प्लस के प्रस्ताव पर भी विचार कर लो। कार्यक्रम को रिकार्ड कर बाद में देखने की व्यवस्था में टीवी अधिक देखे जाने की संभावना दिख रही थी और प्रथम दृष्ट्या प्लस घर के लिये उपयोगी नहीं लग रहा था। यही नहीं, उसमें एक हज़ार के स्थान पर पाँच हज़ार रुपये लग रहे थे। पर पता नहीं क्या हुआ, पूरे टीवी प्रकरण को समग्रता से सोचने लगा, निर्णय प्रक्रिया में श्रीमतीजी और बच्चों की सहमति लेने का मन बन आया।
बच्चे सदा से ही प्लस से अभिभूत रहे हैं, कॉलोनी में एक दो घरों में होने के कारण पुराने छूट गये कार्यक्रमों को मित्रों के साथ निपटा आने की कला में सिद्धहस्त रहे हैं दोनों बच्चे। इस सुविधा के लिये वे कुछ भी करने को तैयार थे, अधिक टीवी न देखने के लिये तो तुरन्त ही तैयार हो गये दोनों। मेरी एक और समस्या थी उनसे, रात में टीवी देखने की। रात में सबकी पसन्द के कार्यक्रम देखने के क्रम में सोने में देर हो जाती थी, सो सुबह उठने में कठिनाई। रात भर के कार्यक्रमों का प्रभाव यह होता था कि सुबह सब कुछ आपाधापी में होता था। दोपहर में बच्चे इसलिये नहीं पढ़ते हैं कि विद्यालय से पढ़कर आये हैं, रात में इसलिये नहीं पढ़ते हैं कि उनके पसन्द के कार्यक्रम आ रहे होते हैं। बीच के समय में सायं आती है, तो उसमें किसी का इतना साहस कि उन्हें खेलने से मना कर दे। पढ़ाई समयाभाव में तरसती रहती है। पढ़ाई कभी आधे घंटे के लिये, कभी डाँट से, कभी चिरौरी कर के, घर में सबसे बेचारी सी। उनकी उत्सुकता देख कर मेरे अन्दर का स्नेहिल और अनुशासनात्मक पिता एक साथ जाग उठा। संतुलन की संभावना देखकर एक व्यापारी की तरह बोला, ठीक है, रात के कार्यक्रम रिकार्ड कर दोपहर में देखना होगा, खेलने के बाद पढ़ाई और समय से सुलाई। हाँ, सहर्ष मान गये दोनों बच्चे, वचन दे बैठे। वैसे रात में टीवी देखना तो मुझे भी अच्छा नहीं लगता है, न ढंग से लेखन हो पाता है और न ढंग से नींद आ पाती है। अच्छा हुआ एक तीर में दोनों ध्येय सध गये।
पिछली गर्मी की छुट्टी में एक और समस्या हुयी थी। मेरे पिताजी को समाचार आदि देखने में रुचि रहती है और बच्चों को कार्टून आदि में। एक टीवी रहने पर दोनों पीढ़ियों के बीच घर्षण बना रहता था। हम और हमारी श्रीमतीजी के द्वारा टीवी से वनवास लेने के बाद भी बहुधा समस्या उलझ जाती थी। या तो बच्चे क्रोधित हो जाते या पिताजी बच्चों को बिगाड़ने के दोष मढ़ने लगते। अनुशासन व प्यार के द्वन्द्व में मस्तिष्क पूरी तरह घनघना गया था। दूसरा टीवी और दूसरा कनेक्शन लेना तो पूरी तरह व्यर्थ था, वांछित शान्ति तब आयी जब पिताजी को अपने मित्रों की याद आने लगी। लगा कि प्लस लेने से यह समस्या भी सुलझ जायेगी। जिसको देखना होगा, देखेगा, दूसरे का कार्यक्रम रिकार्ड हो जायेगा, बाद में देखने के लिये।
मेरी पसन्द के कई कार्यक्रम या तो ऑफ़िस के समय में आते हैं या तो सोने के समय में। डीडी भारती, डिस्कवरी, हिस्ट्री आदि के कई कार्यक्रम ऐसे होते हैं जो बार बार देखने का मन करता है। न रात में जगना हो पाता है और न ही उसके पुनर्प्रसारण की प्रतीक्षा करना। सायं और रात को जो समय मिलता, उसमें टीवी या तो बच्चे हथियाये रहते या तो श्रीमतीजी। हमें भी लगने लगा कि हमें भी इस डब्बे से अपनी पसन्द के गुणवत्ता भरे कार्यक्रम देखने को मिल जायेंगे। साथ ही साथ कई नई फ़िल्में भी टीवी पर आती रहती हैं, एचडी में उन्हें घर में ही देख लेने से मल्टीप्लेक्स जाने का व्यय भी कम होने की संभावना भी दिखने लगी।
श्रीमतीजी घर का सारा काम करने के बाद घर में भी खाली रहती हैं, उनसे भी कहा कि यदि हम प्लस लेते हैं तो आप भी अपने कार्यक्रम दोपहर में देख लिया करें और सायं का समय परिवार के साथ और रात का भोजन टीवी के बिना, गुणवत्ता भरा। एक तरह से घर के सारे लोगों के लिये लाभकारी होने वाली थी, प्लस की यह अवधारणा।
एक और लाभ होता है रिकॉर्डेड कार्यक्रम देखने का, बीच में आये प्रचारों को आप बढ़ा सकते हैं। यदि गणना की जाये तो हर कार्यक्रम में लगभग ३० प्रतिशत समय उन प्रचारों से भरा रहता है जिन्हें हम देखना ही नहीं चाहते हैं। इस प्रकार हमारे समय की बहुत बचत हो सकती है। यदि आप एक दिन में एक घंटे भी टीवी देखें तो पूरे वर्ष में लगभग १०० घंटे की बचत निश्चित है। पूरे परिवार के लिये एक वर्ष में ४०० घंटे की बचत के लिये एक बार दिये अतिरिक्त ४००० रुपये अधिक नहीं हैं।
इन लाभों को देखते हुये सामूहिक और पारिवारिक निर्णय यह लिया गया कि टाटा स्काई प्लस एचडी लिया जाये और परिवार की जीवनशैली को एक नया रूप दिया जाये। एक ऐसा स्वरूप जिसमें टीवी कार्यक्रम का समय हमें आदेश न दे, बच्चों को पढ़ाई के लम्बे कालखण्ड मिले, घर को लम्बी शान्तिकाल मिले, ठूँसे गये कार्यक्रम के स्थान पर गुणवत्ता भरे कार्यक्रम मिलें, कार्यक्रमों के दृश्य अधिक स्पष्ट दिखें, सप्ताहन्त में साथ बैठ कोई फ़िल्म देखी जाये, साथ बैठ बिना टीवी के व्यवधान के रात में खाना खाया जाये, और ऐसे न जाने सुधरते जीवन के कितने आकार गढ़ें।
मेरे दो ऐसे मित्र हैं जिन्होंने अपने घर में टीवी को धँसने नहीं दिया है। हम उनके दृढ़ निश्चय से प्रभावित तो रहे हैं पर उन जैसा साहस नहीं कर पाये हैं। टीवी से होने वाले लाभों को अधिकतम उपयोग कर सके और साथ ही होने वाली हानियों को न्यूनतम कर सके, यही बस प्रयास रहा है।
टाटा स्काई के प्रतिनिधि को फ़ोन करके हमने अपना निर्णय बता दिया। उनकी त्वरित सेवा देख कर मैं दंग रह गया, तीन घंटे के अन्दर हम एक एचडी चैनल देख रहे थे और दूसरे को रिकॉर्ड कर रहे थे। श्रीमतीजी बड़ी प्रसन्न थीं, करवा चौथ वाले दिन उन्हें रंगभरा उपहार मिल गया था। उन्होंने अपने उपहार का त्याग कर परिवार के लिये टाटा स्काई प्लस एचडी को वरीयता दी है। परिवार का वातावरण और भी रंग बिरंगा हो गया है।
हाई डेफिनिशन, गजब की क्वालिटी |
तभी मन ने कहा, जब चिन्तन द्वार खोले ही हैं तो प्लस के प्रस्ताव पर भी विचार कर लो। कार्यक्रम को रिकार्ड कर बाद में देखने की व्यवस्था में टीवी अधिक देखे जाने की संभावना दिख रही थी और प्रथम दृष्ट्या प्लस घर के लिये उपयोगी नहीं लग रहा था। यही नहीं, उसमें एक हज़ार के स्थान पर पाँच हज़ार रुपये लग रहे थे। पर पता नहीं क्या हुआ, पूरे टीवी प्रकरण को समग्रता से सोचने लगा, निर्णय प्रक्रिया में श्रीमतीजी और बच्चों की सहमति लेने का मन बन आया।
प्लस में रिकार्डिंग की व्यवस्था |
पिछली गर्मी की छुट्टी में एक और समस्या हुयी थी। मेरे पिताजी को समाचार आदि देखने में रुचि रहती है और बच्चों को कार्टून आदि में। एक टीवी रहने पर दोनों पीढ़ियों के बीच घर्षण बना रहता था। हम और हमारी श्रीमतीजी के द्वारा टीवी से वनवास लेने के बाद भी बहुधा समस्या उलझ जाती थी। या तो बच्चे क्रोधित हो जाते या पिताजी बच्चों को बिगाड़ने के दोष मढ़ने लगते। अनुशासन व प्यार के द्वन्द्व में मस्तिष्क पूरी तरह घनघना गया था। दूसरा टीवी और दूसरा कनेक्शन लेना तो पूरी तरह व्यर्थ था, वांछित शान्ति तब आयी जब पिताजी को अपने मित्रों की याद आने लगी। लगा कि प्लस लेने से यह समस्या भी सुलझ जायेगी। जिसको देखना होगा, देखेगा, दूसरे का कार्यक्रम रिकार्ड हो जायेगा, बाद में देखने के लिये।
मेरी पसन्द के कई कार्यक्रम या तो ऑफ़िस के समय में आते हैं या तो सोने के समय में। डीडी भारती, डिस्कवरी, हिस्ट्री आदि के कई कार्यक्रम ऐसे होते हैं जो बार बार देखने का मन करता है। न रात में जगना हो पाता है और न ही उसके पुनर्प्रसारण की प्रतीक्षा करना। सायं और रात को जो समय मिलता, उसमें टीवी या तो बच्चे हथियाये रहते या तो श्रीमतीजी। हमें भी लगने लगा कि हमें भी इस डब्बे से अपनी पसन्द के गुणवत्ता भरे कार्यक्रम देखने को मिल जायेंगे। साथ ही साथ कई नई फ़िल्में भी टीवी पर आती रहती हैं, एचडी में उन्हें घर में ही देख लेने से मल्टीप्लेक्स जाने का व्यय भी कम होने की संभावना भी दिखने लगी।
श्रीमतीजी घर का सारा काम करने के बाद घर में भी खाली रहती हैं, उनसे भी कहा कि यदि हम प्लस लेते हैं तो आप भी अपने कार्यक्रम दोपहर में देख लिया करें और सायं का समय परिवार के साथ और रात का भोजन टीवी के बिना, गुणवत्ता भरा। एक तरह से घर के सारे लोगों के लिये लाभकारी होने वाली थी, प्लस की यह अवधारणा।
एक और लाभ होता है रिकॉर्डेड कार्यक्रम देखने का, बीच में आये प्रचारों को आप बढ़ा सकते हैं। यदि गणना की जाये तो हर कार्यक्रम में लगभग ३० प्रतिशत समय उन प्रचारों से भरा रहता है जिन्हें हम देखना ही नहीं चाहते हैं। इस प्रकार हमारे समय की बहुत बचत हो सकती है। यदि आप एक दिन में एक घंटे भी टीवी देखें तो पूरे वर्ष में लगभग १०० घंटे की बचत निश्चित है। पूरे परिवार के लिये एक वर्ष में ४०० घंटे की बचत के लिये एक बार दिये अतिरिक्त ४००० रुपये अधिक नहीं हैं।
इन लाभों को देखते हुये सामूहिक और पारिवारिक निर्णय यह लिया गया कि टाटा स्काई प्लस एचडी लिया जाये और परिवार की जीवनशैली को एक नया रूप दिया जाये। एक ऐसा स्वरूप जिसमें टीवी कार्यक्रम का समय हमें आदेश न दे, बच्चों को पढ़ाई के लम्बे कालखण्ड मिले, घर को लम्बी शान्तिकाल मिले, ठूँसे गये कार्यक्रम के स्थान पर गुणवत्ता भरे कार्यक्रम मिलें, कार्यक्रमों के दृश्य अधिक स्पष्ट दिखें, सप्ताहन्त में साथ बैठ कोई फ़िल्म देखी जाये, साथ बैठ बिना टीवी के व्यवधान के रात में खाना खाया जाये, और ऐसे न जाने सुधरते जीवन के कितने आकार गढ़ें।
मेरे दो ऐसे मित्र हैं जिन्होंने अपने घर में टीवी को धँसने नहीं दिया है। हम उनके दृढ़ निश्चय से प्रभावित तो रहे हैं पर उन जैसा साहस नहीं कर पाये हैं। टीवी से होने वाले लाभों को अधिकतम उपयोग कर सके और साथ ही होने वाली हानियों को न्यूनतम कर सके, यही बस प्रयास रहा है।
टाटा स्काई के प्रतिनिधि को फ़ोन करके हमने अपना निर्णय बता दिया। उनकी त्वरित सेवा देख कर मैं दंग रह गया, तीन घंटे के अन्दर हम एक एचडी चैनल देख रहे थे और दूसरे को रिकॉर्ड कर रहे थे। श्रीमतीजी बड़ी प्रसन्न थीं, करवा चौथ वाले दिन उन्हें रंगभरा उपहार मिल गया था। उन्होंने अपने उपहार का त्याग कर परिवार के लिये टाटा स्काई प्लस एचडी को वरीयता दी है। परिवार का वातावरण और भी रंग बिरंगा हो गया है।
ये बढ़िया रहा...जिन्दाबाद!!
ReplyDeleteरोचक जानकारी । अच्छा हुआ आपने बता दिया, मैं भी सोच रही थी कि कैसे टाटा -स्काई में कुछ नहीं आ रहा है । आज ही मैं भी व्यवस्था कर लेती हूँ ।
ReplyDeleteबधाई हो ......
ReplyDeleteरोचक ,प्रेरक और सुविधाजनक ....यंत्र |
ReplyDeleteआप हमारे तकनीक गुरु भी हैं |अक्सर कोई बेहतरीन फोन्स या गजेट या बेहतर लैपटॉप के विषय में जानने के लिए आपकी पुरानी पोस्टों तक जाना होता हैं बस |साथ ही बहुत ही उम्दा लेख भी मिल जाते हैं |
'करवा चौथ' का तोहफा तो रिकार्ड हो गया । अब धनतेरस की तैयारी कीजिये ।
ReplyDeleteबधाई जी आपको।
ReplyDeleteबच्चों की टीवी देखने में रूचि और सुबह की आपाधापी .... सबकी एक ही व्यथा है :) त्योहारी सीजन में घर में रंग बिखरे हैं ख़ुशी के, बधाई ...
ReplyDeleteरोचक, सुंदर जानकारी ,,,बधाई
ReplyDeleteRECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
रोचक जानकारी ....सुंदर आलेख .....!!प्रसन्नता बनी रहे शुभकामनायें ।!!
ReplyDeleteहमारे यहाँ तो एयरटेल का एच डी सेट अप बॉक्स लगा है जो साल भर में लगभग 4200 रुपए में एच डी चैनल का प्रसारण करता है।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : "प्रोजेक्ट लून" जैसे प्रोजेक्ट शुरू होने चाहिए!!
चित्तौड़ की रानी - महारानी पद्मिनी
और, एचडी प्लस की सबसे बड़ी, अप्रतिम सुविधा की बात तो आपने की ही नहीं...
ReplyDeleteरेकॉर्डेड प्रोग्राम को देखते समय बीच-बीच में ब्रेक के अंतहीन, घोर उबाऊ विज्ञापनों को फास्ट फारवर्ड कर "खालिस कार्यक्रमों" को देखने की सुविधा - घंटे भी बचते हैं और शुद्ध मनोरंजन भी होता है. मैं पिछले 4 वर्षों से उपयोग कर रहा हूँ, और इसमें किया गया खर्च महीने भर में ही पैसा-वसूल जैसा कार्य है.
इसमें ऑप्टिकल ऑडियो आउट की भी सुविधा है, जिसे 7.1 सराउंड ऑडियो सिस्टम में जोड़कर होम थिएटर का आनंद भी लिया जा सकता है. यदि नहीं है तो अगला खर्च इसमें अवश्य करें, और एचडी में वीडियो देखने का असली - जी हाँ, असली आनंद लें. :)
Deleteसच कहा आपने, यह बहुत बड़ी सुविधा है, लगभग ३० प्रतिशत का समय बड़े आराम से बचता है। अन्त में इस लाभ को भी बताया है।
Deleteजी अगली गिफ़्ट, ऑडियो सिस्टम और होम थियेटर।
Deleteबधाई हो सर। इसके लिये टी वी का एचडी होना आवश्यक तो नही?
ReplyDeleteजी, एलसीडी या एलइडी टीवी चाहिये होगा।
Deleteबधाई हो सर। इसके लिये टी वी का एचडी होना आवश्यक तो नही?
ReplyDelete३०% समय की बचत ... यही एक कारण भी बहुत है इस बदलाव के लिए तो ...
ReplyDeleteमनपसंद कार्यक्रमों को रिकार्ड कर बाद में देखने की सुविधा बहुत अच्छी है। विशेषकर, डीडी भारती पर शाीय संगीत के ढेर सारे अच्छे कार्यक्रम आते हैं, सुरक्षित करके सुविधानुसार देखा जा सकता है।
ReplyDeleteटाटा स्काई की सेवा निश्चित ही शानदार है। बधाई।
मेरे दो ऐसे मित्र हैं जिन्होंने अपने घर में टीवी को धँसने नहीं दिया है..............इस मामले में तीसरा मुझे समझ लीजिए।
ReplyDeleteएच डी लेने के बाद ही मैंने जी स्टूडियो आदि पर प्रसारित फ़िल्में देखना शुरू किया है....वरना ब्रेक के साथ फ़िल्में मुझसे नहीं देखी जातीं .
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31-10-2013 के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteकृपया पधारें
धन्यवाद
बधाई!
ReplyDeleteहर साल कुछ नया उपलब्ध होगा।
आज आप HD और टाटा स्काई प्लस से प्रभावित हुए हैं।
यहाँ कैलिफ़ोर्निया में हम इससे भी आगे निकल चुके हैं।
Netflix और Apple TV
हमने टीवी प्रसारण देखना छोड दिया।
हजारों फ़िल्मे, (जो कम से कम एक साल पुरानी हो गई हों), एक से बढकर एक उत्कृष्ट documentary फिलमें, दुनिया के हर कोने से अच्छे और लोकप्रिय टीवी सीरियल, वगैरह हम आराम से, और अपना समय चुनकर देख सकते हैं, बिना ads से परेशान।
पर इस के लिए जरूरी है एक super fast internect connection.
यहाँ कैलिफोर्निया में, हमारे पास 24Mbps speed का connection है और ज्यादा पैसा देने से, इससे भी अधिक गति उपलब्ध है, पर हमारे लिए 24Mbps भी जरूरत से ज्यादा है।
You Tube भी हम full size TV screen पर देखते हैं
बस सब कुछ उपलब्ध है पर लोगों को यह सब enjoy करने के लिए समय नहीं!
विश्वनाथ जी, आपको देख कर अच्छा लगा.... कई दिनों से आपसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे....
Deleteहम भी फुल एच डी में देखते हैं।साफ और अल्प-विज्ञापन।
ReplyDeleteबधाई आपको नए फुल H D के रोमांच का अनुभव करने के लिए और साथ ही संतोषी भाभी जी के लिए भी बधाई, जिन्होंने अपने इच्छा पर आपके और बच्चों की इच्छा को वरीयता दी. शुभकामनायें..
ReplyDeleteबधाई हो जी :)
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन डॉ. होमी जहाँगीर भाभा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteबढ़िया सेवा है , हम शुरू से उपयोग कर रहे हैं !
ReplyDeleteसबकी राय ले कर बढ़िया काम किया ... सब प्रसन्न हैं .... फिर आप तो स्वयं प्रसन्न हो जाएंगे :)
ReplyDeleteटाटा स्काई के प्रतिनिधि को फ़ोन करके हमने अपना निर्णय बता दिया। उनकी त्वरित सेवा देख कर मैं दंग रह गया, तीन घंटे के अन्दर हम एक एचडी चैनल देख रहे थे और दूसरे को रिकॉर्ड कर रहे थे। श्रीमतीजी बड़ी प्रसन्न थीं, करवा चौथ वाले दिन उन्हें रंगभरा उपहार मिल गया था। उन्होंने अपने उपहार का त्याग कर परिवार के लिये टाटा स्काई प्लस एचडी को वरीयता दी है। परिवार का वातावरण और भी रंग बिरंगा हो गया है।
ReplyDeleteबेहद उपयोगी आलेख। भाई साहब आपका समाज सापेक्ष टेक्नोलोजी प्रसूत लेखन समय प्रबंधन की गुरुता को हर बार रेखानिकित कर जाता है MBA का जाता है। आपकी प्रासंगिक टिप्पणियाँ और मौज़ूदगी उत्साह बढ़ाये रहती है हमारा भी।
जानकारी देने के लिए आभार।
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी
ReplyDeleteनई पोस्ट हम-तुम अकेले
It's really very good. My parents and in-laws both use their service.
ReplyDeleteवाह ! इसे कहते हैं सेवा का सदुपयोग ..
ReplyDeleteMaine Dilli mein Airtel ka IPTV le rakha tha.. Landline, Internet, WiFi, TV aur hafte bhar ki recording.. Sab apne hisab se dekhte thay..
ReplyDeleteभारत में सभी चैनल HD नहीं हैं और जो हैं उनपर भी सभी कार्यक्रम HD क्वालिटी के प्रसारित होते हैं, इसमें भी सन्देह है।
ReplyDeleteकेवल एक मुश्त 4000 का फर्क नहीं है जी, मासिक/वार्षिक चार्जेज भी अलग हैं।
रिकार्डिंग वाली सुविधा के लिये हैं 4000 तो, और वो सुविधा बेहतरीन है।
प्रणाम
बढ़िया जानकारी
ReplyDelete!! प्रकाश का विस्तार हृदय आँगन छा गया !!
!! उत्साह उल्लास का पर्व देखो आ गया !!
दीपोत्सव की शुभकामनायें !!
यह भी बढिया जानकारी मिली, हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteभारत में गिनती के चैनल HD हैं . लेकिन क्या किसी सर्विस प्रोवाइडर का लोगो दिखाना उचित है? आपकी राय चाहूँगा.
ReplyDeleteबढ़िया ...ये रिकॉर्डर की सुविधा सबको प्रसन्न करती है, और समय भी बचाती है फालतू विज्ञापनों से.
ReplyDeleteबधाई हो!
ReplyDeleteअसली मज़ा तो यही है... हम भी लेंगे कभी न कभी.... :)
ReplyDeleteye bhi jaroori hai is manoranjan ki duniya ko samjhne ke liye ,happy diwali
ReplyDeleteI have lot of learn from your decision making process! :-)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। आभार आपकी टिप्पणियों का।
ReplyDeleteसामूहिक और पारिवारिक निर्णय यह लिया गया कि टाटा स्काई प्लस एचडी लिया जाये और परिवार की जीवनशैली को एक नया रूप दिया जाये
ReplyDelete..बहुत बढ़िया कदम ...
श्रीमती जी के साथ ही बच्चों की तो पौ बारह हो गयी ...
.आज धनतेरस के दिन भी कुछ नया आने वाला होगा घर में जरुर ... धनतेरस की शुभकामनायें .
रोचक जानकारी...पर हम दो के लिए हमारे दो टीवी काफ़ी हैं, यद्यपि HD के सेट टॉप बॉक्स के लिए ज़रूर विचार है.
ReplyDeleteक्रिकेट का आनन्द एचडी में और बढ़ जाता है
ReplyDeleteसिर्फ़ क्रिकेट का आनंद ही नहीं बढ़ जाता वरन् डिस्कवरी, नैशनल जियोग्राफ़िक आदि एचडी में देख लें एक बार फिर साधारण ट्रांसमिशन पर नहीं देखा जाता। :)
कार्यक्रम को रिकार्ड कर बाद में देखने की व्यवस्था में टीवी अधिक देखे जाने की संभावना दिख रही थी
नुकसान है तो फ़ायदा भी है। मैं टीवी बहुत ही कम देखता हूँ, कुछेक ही कार्यक्रम देखना पसंद करता हूँ डिस्कवरी, फ़ॉक्स ट्रैवलर आदि पर, लेकिन उस समय ऑफिस के काम का समय होता है तो देख नहीं सकता। इसलिए टाटा-स्काई को निर्देश दे रखे होते हैं एडवांस में कि फलाना शो रिकॉर्ड कर ले और फिर जब मुझे समय मिलता है तो आराम से बैठ के मैं वह एपिसोड देख लेता हूँ। इसका एक लाभ यह भी है कि टाटा-स्काई के अपने ऑनलाईन खाते में लॉगिन कर आप पूरे सप्ताह के कार्यक्रमों की सूचि देख सकते हैं और जिस कार्यक्रम का जो एपिसोड रिकॉर्ड करना हो उसको ऑनलाईन ही रिकॉर्डिंग कतार में लगा सकते हैं। टाटा-स्काई के रिमोट से रिकॉर्डिंग पर लगाने का एक लाभ यह है कि एक कार्यक्रम के सभी एपिसोड रिकॉर्डिंग पर लगा सकते हैं, बार-२ प्रत्येक एपिसोड को रिकॉर्डिंग पर लगाने की आवश्यकता नहीं। :)
Well, I have not been a regular TV viewer for last 12 years or so. Never felt need. I watch everything I want by internet on laptop. :) that too without any commercial break. :)
ReplyDeleteसामूहिक और पारिवारिक निर्णय यह लिया गया कि टाटा स्काई प्लस एचडी लिया जाये और परिवार की जीवनशैली को एक नया रूप दिया जाये .... इस नये रूप के लिये बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteहमने भी पिछले साल मात्र 1700 रूपये में डिश टीवी का डिश प्लस रिकार्डर सैट टाप बाक्स लिया था । ये इतना सस्ता इसलिये है क्योंकि इसमें हार्ड डिस्क ना होकर पैन ड्राइव या चिप लगाने की सुविधा है । हालांकि हमने इसका पांच घंटे से ज्यादा इस्तेमाल नही किया अब तक क्योंकि हमने टीवी को अंशकालिक ही घुसने दिया है घर में । कभी बच्चे की पढाई के नाम पर तो कभी किसी और बहाने मै सीरियलो से सख्त नफरत करता हूं और कभी नही देखता । मैने तो एक करवाचौथ पर श्रीमति जी से उल्टा उपहार ले लिया था सीरियल ना देखने का वादा लेकर
ReplyDeleteडिश टीवी का एच डी भी इतने ही रूपये में आता है उसमें भी पैन ड्राइव की ही सुविधा है । मध्यम वर्ग के लिये बढिया आप्शन है । रिकार्डिंग के अपने फायदे हैं जो कि आपने गिना ही दिये हैं ।