इस बार इंडीब्लॉगर के मिलने का स्थान था, यूबी सिटी। यह स्थान विजय माल्या जी का है, जी हाँ किंगफिशर वाले और यहीं पर ही उनका मुख्यालय भी है। मेरे घर से लगभग ३ किमी दूर और विस्तृत और सुन्दर कब्बन पार्क के समीप। रविवार का समय था, अघटित सा, सदा की तरह शान्त और रिक्त, यह आयोजन रोचक लगा तो नहा धोकर वहाँ पहुँच गये।
यूबी सिटी के १६वें तल में टावर किचेन नामक यह स्थान निश्चय ही रात्रिकालीन पार्टियों में चहल पहल से भरा पूरा रहता होगा, क्योंकि अपराह्न के समय ही बार आदि की तैयारियाँ विधिवत चल रही थीं। उन सब विषयों पर ध्यान नहीं जाना चाहिये था, आयोजन का विषय कुछ और था, पर एक ब्लॉगर होने के नाते पत्रकारिता के गुणों के छींटे बिना आप पर पड़े रह भी कहाँ सकते हैं। हम भी अवलोकन का धर्म निभा उस ओर बढ़ गये जहाँ से चहल पहल की टहल चल रही थी।
इस बार कुछ अधिक ही भीड़ थी, ब्लॉगरों के अतिरिक्त माइक्रोसॉफ्ट के चाहने वालों की भी भीड़ थी वहाँ पर। विषय और आयोजन ही कुछ ऐसा था। यह आयोजन माइकोसॉफ्ट और इंडीब्लॉगर ने मिलकर किया था और शीर्षक था, 'क्लॉउड ब्लॉगॉथन'। देखिये एक ही शब्द में कितने पक्ष साध लिये। क्लॉउड से तकनीकी पक्ष, ब्लॉग से लेखकीय पक्ष और ऑथन से कुछ कुछ मैराथन जैसा लम्बा चलने वाला। तीनों ही विषय, तकनीक, लेखन और अस्तित्व, मेरे प्रिय विषय हैं। बस यही कारण था अत्यधिक भीड़ का, त्रिवेणी के संगम में तीनों मतावलम्बियों की भीड़ थी, हम थे जो तीनों के संश्लेषित रूप लिये पहुँचे थे।
आशायें बहुत प्रबल थीं और लग रहा था कि चर्चा गहरी होगी। पहली आशा कि लेखन की तकनीक पर चर्चा होगी, ढह गयी। दूसरी आशा कि तकनीकी लेखन पर चर्चा होगी, ढह गयी। तीसरी आशा कि तकनीक या लेखन में से किसी के भविष्य पर चर्चा होगी, वह भी ढह गयी। अन्ततः मन्तव्य समझ आया कि यह माइक्रोसॉफ्ट के उत्पादों को ब्लॉगिंग के माध्यम से प्रचारित करने के लिये आयोजित कार्यक्रम था। क्योंकि क्लॉउड इण्टरनेट का भविष्य है, माइक्रोसॉफ्ट के क्लॉउड प्रधान उत्पाद ऑफिस ३६५ ही चर्चा के केन्द्रबिन्दु में था।
जब पहले से कार्यक्रम के आकार और आसार के बारे में कुछ ज्ञात नहीं हो तो समझने में थोड़ा समय चला जाता है। इस स्थिति में एक कोने में सुविधाजनक शैली में बैठकर सुनने से अच्छा कुछ नहीं है। अपनी उपस्थिति को अपने तक ही सीमित रखने से संवाद का बहुत अधिक प्रवाह आपकी ओर बहता है। जब बोलने की इच्छा न हो तो, समझने में बहुत अधिक आनन्द आता है। मेरे जैसे १५-२० लोग स्थान की परिधि निर्मित किये हुये थे, उसके अन्दर नये और उत्साही प्रतिभागी अपनी उपस्थिति का नगाड़ा बजा रहे थे।
तभी माइक्रोसॉफ्ट के भारतीय परिक्षेत्र के एक बड़े अधिकारी आते हैं, पहले कम्प्यूटर, फिर माइक्रोसॉफ्ट और फिर क्लॉउड की महत्ता पर एक सारगर्भित और स्तरीय व्याख्यान देते हैं। सब कुछ इतने संक्षिप्त में सुनकर अच्छा लगा और साथ ही साथ अनुभव का संस्पर्श देख रुचि और बढ़ी। पर ब्लॉग को किसलिये शीर्षक सें सम्मिलित किया गया है, उसे सुनने की प्रतीक्षा बनी रही। जब व्याख्यान अपने अंतिम चरण पर पहुँचा, तब कहीं जाकर पता चला कि ब्लॉग को उनके उत्पादों के प्रचार तक ही महत्व प्राप्त है। ब्लॉगरों को प्रचार माध्यम का एक अंग मानकर दिया गया था वह व्याख्यान। थोड़ा छली गयी सी प्रतीत हुयी अपनी उपस्थिति, वहाँ पर।
तीन तरह की प्रतिक्रियायें स्पष्ट दिख रही थीं। पहली उनकी थी जो विशुद्ध तकनीकी थे, वे सबसे आगे खड़े थे, अधिकारी को लगभग पूरी तरह घेरे, कुछ ज्ञान की उत्सुकतावश और कुछ संभावित नौकरी के लिये स्वयं को प्रदर्शित करने हेतु। उनके तुरन्त बाहर विशुद्ध ब्लॉगरों की प्रतिक्रिया थी, उनका तकनीक के बारे में ज्ञान लगभग शून्य था और वे मुँह बाये सब सुन रहे थे, सब समझने का प्रयास कर रहे थे। उनमें भी तनिक विकसित प्रतिक्रियायें उन ब्लॉगरों की थीं जिन्होने तकनीक के प्रभाव को समाज में समाते हुये देखा है, उन्हें तकनीक का ब्लॉग समाज के पास आकर प्रचार का आधार माँगना रुचिकर लग रहा था।
चौथी प्रतिक्रिया विहीन उपस्थिति हम जैसे कुछ लोगों की थी, जो शान्त बैठे इस गति को समझने का प्रयास कर रहे थे। मैं संक्षिप्त में बताने का प्रयास करूँगा कि उसकी दिशा क्या थी।
क्लॉउड इण्टरनेट के भविष्य की दिशा निर्धारित कर रहा है। प्रोग्रामों के बदलते संस्करण, फाइलों के ढेरों संस्करणों में होता विचरण, कई लोगों के सहयोग के सामंजस्य में आती अड़चन, कई स्थानों पर रखे और संरक्षित डिजटलीय सूचनाओं के सम्यक रख रखाव ने क्लॉउड को जन्म दिया है। न केवल आवश्यकता इस बात की है कि सूचनाओं का रखरखाव क्लॉउड में हो, वरन उनमें आये बदलाव और उन्हें त्वरित कार्य में लाने की एक ऐसी प्रणाली बने, जिसें श्रम, समय और साधनों की न्यूनतम हानि हो और साथ ही साथ उत्पादकता भी बढ़े।
जब दिशा ज्ञात है तो वहाँ पहुँचने की होड़ भी मची है। व्यवसाय भी उसी दिशा में जाता है जहाँ वह औरों को अपना मूल्य दे पाता है, अपनी उपस्थिति जताने के लिये उसे भी प्रचार की आवश्यकता होती है। हम ब्लॉगरों पर भी तकनीक के ढेरों उपकार हैं, बिना तकनीक तो हम व्यक्त भी नहीं थे। तकनीक जितनी व्यवधान रहित होगी, अभिव्यक्ति की पहुँच भी उतनी ही विस्तृत होगी। ब्लॉग न केवल तकनीकी, वरन सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक संवादों में अपनी उपस्थिति बनाने लगा है। जो यात्रा एक प्रयोग के माध्यम से प्रारम्भ हुयी थी, उसे आज एक पूर्णकालिक माध्यम की पहचान मिल चुकी है।
यह आयोजन भले ही किसी के द्वारा अपनी बात कहने का व्यावसायिक प्रयास हो, पर एक संकेत स्पष्ट रूप से देता है कि ब्लॉगिंग को एक माध्यम के रूप में स्वीकार और उसका आधार निर्माण करने का समय आ गया है। जहाँ यह हम सबके लिये प्रसन्नता का विषय है कि हमें भी अभिव्यक्ति का श्रेय मिलना प्रारम्भ हो चुका है, साथ ही साथ यह हमारे ऊपर एक उत्तरदायित्व का बोध भी है जो हमें इस माध्यम की गुणवत्ता बढ़ाने की ओर प्रेरित करता है।
भविष्य का निश्चित स्वरूप क्या होगा, किसे पता? हमें तो राह का आनन्द ही भाता है, हमें बस चलना ही तो आता है।
जब पहले से कार्यक्रम के आकार और आसार के बारे में कुछ ज्ञात नहीं हो तो समझने में थोड़ा समय चला जाता है। इस स्थिति में एक कोने में सुविधाजनक शैली में बैठकर सुनने से अच्छा कुछ नहीं है। अपनी उपस्थिति को अपने तक ही सीमित रखने से संवाद का बहुत अधिक प्रवाह आपकी ओर बहता है। जब बोलने की इच्छा न हो तो, समझने में बहुत अधिक आनन्द आता है। मेरे जैसे १५-२० लोग स्थान की परिधि निर्मित किये हुये थे, उसके अन्दर नये और उत्साही प्रतिभागी अपनी उपस्थिति का नगाड़ा बजा रहे थे।
तभी माइक्रोसॉफ्ट के भारतीय परिक्षेत्र के एक बड़े अधिकारी आते हैं, पहले कम्प्यूटर, फिर माइक्रोसॉफ्ट और फिर क्लॉउड की महत्ता पर एक सारगर्भित और स्तरीय व्याख्यान देते हैं। सब कुछ इतने संक्षिप्त में सुनकर अच्छा लगा और साथ ही साथ अनुभव का संस्पर्श देख रुचि और बढ़ी। पर ब्लॉग को किसलिये शीर्षक सें सम्मिलित किया गया है, उसे सुनने की प्रतीक्षा बनी रही। जब व्याख्यान अपने अंतिम चरण पर पहुँचा, तब कहीं जाकर पता चला कि ब्लॉग को उनके उत्पादों के प्रचार तक ही महत्व प्राप्त है। ब्लॉगरों को प्रचार माध्यम का एक अंग मानकर दिया गया था वह व्याख्यान। थोड़ा छली गयी सी प्रतीत हुयी अपनी उपस्थिति, वहाँ पर।
तीन तरह की प्रतिक्रियायें स्पष्ट दिख रही थीं। पहली उनकी थी जो विशुद्ध तकनीकी थे, वे सबसे आगे खड़े थे, अधिकारी को लगभग पूरी तरह घेरे, कुछ ज्ञान की उत्सुकतावश और कुछ संभावित नौकरी के लिये स्वयं को प्रदर्शित करने हेतु। उनके तुरन्त बाहर विशुद्ध ब्लॉगरों की प्रतिक्रिया थी, उनका तकनीक के बारे में ज्ञान लगभग शून्य था और वे मुँह बाये सब सुन रहे थे, सब समझने का प्रयास कर रहे थे। उनमें भी तनिक विकसित प्रतिक्रियायें उन ब्लॉगरों की थीं जिन्होने तकनीक के प्रभाव को समाज में समाते हुये देखा है, उन्हें तकनीक का ब्लॉग समाज के पास आकर प्रचार का आधार माँगना रुचिकर लग रहा था।
चौथी प्रतिक्रिया विहीन उपस्थिति हम जैसे कुछ लोगों की थी, जो शान्त बैठे इस गति को समझने का प्रयास कर रहे थे। मैं संक्षिप्त में बताने का प्रयास करूँगा कि उसकी दिशा क्या थी।
जब दिशा ज्ञात है तो वहाँ पहुँचने की होड़ भी मची है। व्यवसाय भी उसी दिशा में जाता है जहाँ वह औरों को अपना मूल्य दे पाता है, अपनी उपस्थिति जताने के लिये उसे भी प्रचार की आवश्यकता होती है। हम ब्लॉगरों पर भी तकनीक के ढेरों उपकार हैं, बिना तकनीक तो हम व्यक्त भी नहीं थे। तकनीक जितनी व्यवधान रहित होगी, अभिव्यक्ति की पहुँच भी उतनी ही विस्तृत होगी। ब्लॉग न केवल तकनीकी, वरन सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक संवादों में अपनी उपस्थिति बनाने लगा है। जो यात्रा एक प्रयोग के माध्यम से प्रारम्भ हुयी थी, उसे आज एक पूर्णकालिक माध्यम की पहचान मिल चुकी है।
यह आयोजन भले ही किसी के द्वारा अपनी बात कहने का व्यावसायिक प्रयास हो, पर एक संकेत स्पष्ट रूप से देता है कि ब्लॉगिंग को एक माध्यम के रूप में स्वीकार और उसका आधार निर्माण करने का समय आ गया है। जहाँ यह हम सबके लिये प्रसन्नता का विषय है कि हमें भी अभिव्यक्ति का श्रेय मिलना प्रारम्भ हो चुका है, साथ ही साथ यह हमारे ऊपर एक उत्तरदायित्व का बोध भी है जो हमें इस माध्यम की गुणवत्ता बढ़ाने की ओर प्रेरित करता है।
भविष्य का निश्चित स्वरूप क्या होगा, किसे पता? हमें तो राह का आनन्द ही भाता है, हमें बस चलना ही तो आता है।
तकनीकि जिस तरह से बढ़ रही है लगता है भविष्य में सबसे ज्यादा समय इसे समझने में ही लगाना पड़ेगा !!
ReplyDeleteमैं भी [सिर्फ़] एक बार ऐसी ही भीड़ का हिस्सा बन कर धन्य हो चुका हूँ, ऐसे एवेंट्स में मेरे जैसे व्यक्ति का क्या काम ....... ब्लॉगिंग का महत्व बेशक बढ़ा है / बढ़ रहा है
ReplyDelete"तकनीक जितनी व्यवधान रहित होगी, अभिव्यक्ति की पहुँच भी उतनी ही विस्तृत होगी" यही हमारी समझ.
ReplyDeleteहम तो इसी चक्कर में इनके यहाँ जाना छोड़ दिये हैं, बुलाकर केवल कंपनियाँ अपनी मार्केटिंग करती हैं.. और जब वापिस लौटते हैं तो ऐसा लगता है कि अपन खाली हाथ ही जा रहे हैं, कुछ पाने की उम्मीद रहती है.. कि कुछ तो मिलेगा.. पर मिलता नहीं
ReplyDeleteकार्यक्रम की जान्कारी आपने सारगर्भित रूप से दी, जिससे पहली बार ऐसे कार्यक्रमों में क्या होता है कि जानकारी मिली, आभार.
ReplyDeleteरामराम.
यह जानकर खुशी हुई कि ब्लागिंग को एक माध्यम के रूप में स्वीकारा जा रहा है. मेरे हिसाब से माध्यम ज्यादा ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि माध्यम ही वाहक बनता है, अच्छा है ब्लागिंग भविष्य में एक और सशक्त होगी.
ReplyDeleteरामराम.
ब्लॉगिंग का महत्व तो स्थापित हो रहा है.
ReplyDeleteब्लागरों को कहीं तो मान सम्मान मिले :-) भले ही कुछ सीमा तक उनका यूज ही क्यों न हो जाय !
ReplyDeleteउत्तरदायित्व और गुणवत्तापूर्ण.
ReplyDeleteइन्दी ब्लॉगर इस तरह के कार्यक्रम विभिन्न शहरों में करते हैं जिसमे ब्लोगिंग प्लेटफार्म को माध्यम बना प्रचार के अवसर ढूंढें जाते हैं. एक तरह से देखा जाय तो यह समीकरण ब्लोगिंग के लिये बुरा नहीं है.
ReplyDeleteब्लॉगिंग महत्वपूर्ण भूमिका तो निभा ही रहा है!! हम सबके लिए :) सुन्दर आलेख
ReplyDeleteघुइसरनाथ धाम - जहाँ मन्नत पूरी होने पर बाँधे जाते हैं घंटे।
Blogger used to be a place where one would expect almost total immunity from advertizing but thanks to this kind of events it is not so anymore.
ReplyDeleteanyway, I dont read ad blogs but I thought probably you are writing first time in this genre. So lets see.
Not so disappointed. I must say. :)
यह तो ख़ुशी की बात है कि ब्लोग्गेर्स का पहचान बन रहा है !
ReplyDeleteLATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
latest post मंत्री बनू मैं
मुझे लगता है प्रचार के लिए उन्हें अपने ब्लॉग खुद ही लिखने होंगे, या लिखवाने होंगे ... जब लिखवाएंगे तो ...वो बात नहीं होगी ...जो हममें है .... अपने मन की ... :-) हाँ तकनिकी को समझना और प्रयोग करते रहना ही आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देगा ....
ReplyDeleteचलिए ब्लोगर्स को पहचान तो मिल रही है..रोचक आलेख...
ReplyDeleteअपनी उपस्थिति को अपने तक ही सीमित रखने से संवाद का बहुत अधिक प्रवाह आपकी ओर बहता है। जब बोलने की इच्छा न हो तो, समझने में बहुत अधिक आनन्द आता है।................आपने निशिचत रुप से इस सम्मेलन के बहुत ही महत्वपूर्ण उपादानों को समझा है। तकनीक सुधरेगी तो अभिव्यक्ति का प्रसार भी सुधरेगा और भी बहुत कुछ सकारात्मक हो सकेगा ब्लॉगर-जगत के लिए।
ReplyDeleteजब दिशा ज्ञात है तो वहाँ पहुँचने की होड़ भी मची है। व्यवसाय भी उसी दिशा में जाता है जहाँ वह औरों को अपना मूल्य दे पाता है, अपनी उपस्थिति जताने के लिये उसे भी प्रचार की आवश्यकता होती है
ReplyDeleteekdam sahi
बेशक अब ब्लॉगिंग को पहचाना जाने लगा है।
ReplyDeleteबस हमें इसे दुरूपयोग से बचाना है। हालाँकि व्यवसायिक उपयोग में कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए।
इंडी ब्लोगर अच्छा कार्य कर रहे हैं , वे बेहतर संभावनाएं तलाश करने में लगे रहते हैं और हम अपनी कमीज़ का कालर चमकाने के पर्यटन में लगे रहते हैं, वह भी चमकता नहीं !
ReplyDeleteशुभकामनाएं आपको !
बस राह का आनन्द अवश्य उठाते चलें...कहीं पीछे न रह जायें तो चलते रहना तो अति आवश्यक है ही..अच्छा किया हो आये...भले ही आशाएँ ढह गईं...
ReplyDelete...लगे रहो !
ReplyDelete.
शुभकामनाएँ
गुणवत्ता और स्तरीयता बनाए रखना बहुत ज़रूरी है !
ReplyDeleteअभी यह पगडण्डी है जो राजमार्ग अवश्य बनेगी ।
ReplyDeleteब्लॉगिंग जिंदाबाद
ReplyDeleteअपने अपने संभावनाओ की तलाश में कई संभावना बनती है ,कोई उदेश्य किसी अन्य सार्थकता को जन्म देता है तो स्वागत योग्य है।
ReplyDeleteथमे रहने से बेहतर चलते जाना !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आलेख .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (10.06.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर किया जायेगा. कृपया पधारें .
ReplyDeleteफिलहाल तो ब्लागिंग का भविष्य उज्ज्वल लगता है। आनेवाले समय में इन्टरनेट की पहुँच ज्यादा लोगों तक होगी त्तब लेखन भी ज्यादा होगा।
ReplyDeleteप्रवीण जी आपका यह आलेख मैंने काफी उत्साह के साथ पढा । इसलिये नही कि मैं उसे समझने का आनन्द ले रही थी । सच तो यह है कि तकनीकी क्षेत्र में न तो मेरा ज्ञान है इसलिये ना ही रुचि । बल्कि इसलिये कि कल मैं भी बच्चों के साथ वहाँ थी । चमत्कृत कर देने वाली वहाँ की चमक-दमक और शानदार वैभव के बीच सोच रही थी कि कि इसकी बजाय हम कहीं बाहर किसी पहाड या नदी के किनारे चले जाते तो शायद अधिक तृप्ति मिलती । यह एक संयोग ही है कि कुछ पलों के लिये वहाँ आप या आप जैसे ही किसी परिचित के मिल जाने का विचार भी आया था अब समझ में आया कि वह विचार व्यर्थ नही था ।
ReplyDeleteहमें तो राह का आनन्द ही भाता है, हमें बस चलना ही तो आता है - gist of the post.
ReplyDeleteतकनीकी के साथ-साथ चलते रह पाने में ही निर्वाह है ।हालाँकि वर्तमान सूचना तकनीकी की तेज रफ्तार परिवर्तन के साथ गति मिलाकर चलना प्रौढ़ पीढ़ी के लिये सहज नहीं किंतु कोई अन्य विकल्प भी तो नहीं ।अति सूचनावर्धक व प्रभावी लेख ।बधाई।
ReplyDelete'ब्लॉग'की शक्ति और निस्सीम प्रभावी उपयोग पर अभी भी शायद ही कोई सोच रहा हो। यह 'आत्माभिव्यक्ति' और 'स्वान्त:सुखाय' से कोसों आगे बढकर, सामाजिक बदलाव का धारदार औजार हो सकता है।
ReplyDeleteब्लोगिंग के माध्यम से अपने उत्पाद का प्रचार करना भी बुरा नहीं है ..... कम से कम ब्लोगिंग की शक्ति का परिचय तो मिलता ही है ।
ReplyDeleteबाज़ारों ने सौदा करने का,
ReplyDeleteनिज धर्म निभाया |
Congrats blog is published at largest reading HINDI newspaper of India: http://digitalimages.bhaskar.com/mpcg/epaperpdf/10062013/9ICITY%20BHASKAR-PG3-0.PDF
ReplyDelete;-)
ब्लॉगिंग के लिए शुभ संकेत ही मान कर खुश हुआ जा सकता है...
ReplyDelete
ReplyDeleteजहाँ यह हम सबके लिये प्रसन्नता का विषय है कि हमें भी अभिव्यक्ति का श्रेय मिलना प्रारम्भ हो चुका है, साथ ही साथ यह हमारे ऊपर एक उत्तरदायित्व का बोध भी है जो हमें इस माध्यम की गुणवत्ता बढ़ाने की ओर प्रेरित करता है।
गुणवत्ता बनी रहे ...यही प्रयास करते रहना चाहिए ...!!
सार्थक आलेख .
ब्लोगिंग की स्वीकृति बढ़ी है ... इसमें अपना ही मज़ा है ...
ReplyDeleteगुणवत्ता में ही ब्लोगिग आनंद है ,,,सार्थक प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post : मैनें अपने कल को देखा,
future is definitely based on cloud computing..
ReplyDeleteblogging won't stop even then :)
ब्लॉगरों का उपयोग किया गया! :)
ReplyDeleteक्लाउड निःसंदेह भविष्य की तकनीक है पर यह तभी सफल होगी जब यह सुरक्षित होगी कोई भी इसमें रखे डाटा तक अपनी पहुँच ना बना पाए ।
ReplyDeleteजिस चर्चा परिचर्चा की आशा लेकर कहीं जाया जाए और उसका कोई सूत्र न मिले.... वहाँ ऐसा ही होता है कि मैराथन के दर्शक तक नहीं बने रहने का जी होता।
ReplyDeleteबेहतरीन नयनाभिराम दृश्यावली और वर्रण सशक्त .
ReplyDelete
ReplyDeleteटिपण्णी बदल गई थी प्रवीण जी .यह प्रायोजित ब्लागिंग थी .यह क्या कम है विज्ञापनी विमर्श अब ब्लागिंग के मिस होने लगा है .ॐ शान्ति .