नहीं, एप्पल ने किसी नये उत्पाद की घोषणा नहीं की है, यह मेरे नये प्रयोग का नाम है। इसके पीछे एक रोचक कहानी है, एक परिवर्धित सततता है, एक सुनिश्चित योजना है और उत्पादकतापूर्ण उत्साहवर्धन भी।
जिन्होंने मैकबुक एयर को देखा और परखा है, उन्हें यह ज्ञात होगा कि यह सबसे हल्का लैपटॉप है, ११.६ इंच स्क्रीन और भार मात्र एक किलो। उठाने में सुविधाजनक, रखने में सुरक्षित और कम्प्यूटर के मानकों में आधुनिकतम। यही नहीं, बैटरी भी पर्याप्त रहती है, लगभग ६ घंटे। दो वर्ष पहले लिया था और आज भी नया सा ही लगता है। उपयोग भी सघन है, परिचालन, प्रशासनिक, लेखन और ब्लॉग संबंधी सारे कार्य उसी लैपटॉप में ही होते हैं। कुल मिलाकर मेरे द्वारा ६ घंटे औऱ बच्चों द्वारा २ घंटे उपयोग में आता है। लगभग ८ घंटे के उपयोग में दो बार बैटरी चार्ज करनी पड़ जाती है। उपयोगिता की दृष्टि से देखा जाये तो सामान्य से कहीं अधिक मूल्य देने के बाद भी कहीं अधिक संतुष्ट और प्रसन्न हूँ।
कुछ दिन पहले बिटिया का जन्मदिन था। पढ़ाई में पिछले वर्षों की अपेक्षा बहुत अच्छा प्रदर्शन करने के कारण मन प्रसन्न था और उसे कुछ अच्छा उपहार देने का मन बना लिया था, ऐसा उपहार जो आगे भी उसके काम आ सके। सोचा, विचारा और जाकर एप्पल का आईपैड मिनी ले आया। पता नहीं, आप लोग क्या कहेंगे? आप कह सकते हैं कि दस वर्ष की बिटिया को इतना बहुमूल्य उपहार देना एक मूर्खता है। सबने यही कहा कि ऐसे तो आप बच्चों को बिगाड़ देंगे। क्या करें, मुझे लगा कि अभी थोड़ा बहुत गेम खेलेगी, थोड़े बहुत गाने सुनेगी, वीडियो देख लेगी, पर धीरे धीरे पढ़ने और अन्य सार्थक उपयोग में लाने लगेगी। जो भी हो, बिटिया बड़ी प्रसन्न है, सहेलियों के बीच सगर्व लिये घूमती भी है।
आईपैड मिनी मात्र ३०० ग्राम का है, अत्यन्त हल्का, ८ इंच की स्क्रीन और कार्य करने में अत्यधिक सुविधाजनक। छोटी सी बिटिया के हाथ में छोटा सा आईपैड मिनी, उपयुक्त और मेल खाता। रोचकता में ही सही, वह उस पर बहुत कुछ करना सीख गयी। फिर भी तकनीकी रूप से उसमें कुछ भी करने का उत्तरदायित्व मेरा ही था, मैं उसका तकनीकी सलाहकार जो था। इसी बहाने कई बार उसे देखने, समझने और उस पर कार्य करने का अवसर भी मिला। अब बिटिया जब स्कूल जाती थी, उसका लाभ उठा कर उसे कई बार कार्यालय भी ले गया। उसमें कार्य कर बड़ा आनन्द आया। मैकबुक एयर पर किये जाने वाले सारे कार्य बड़ी सरलता से उसमें भी कर सका। धीरे धीरे नशा बढ़ता गया, कार्यालय में आईपैड मिनी अपना अधिकार बढ़ाने लगा, साथ ही लम्बे निरीक्षणों में और वाहन में भी उसका उपयोग करने लगा।
एक बात जो सर्वाधिक प्रभावित कर गयी, वह थी लगभग तीन गुनी बैटरी, बिना एक बार भी चार्ज किये हुये लगभग १५ घंटे। साथ में चार्जर ले जाने की आवश्यकता समाप्त हो गयी। अब एक तिहाई से भी कम भार में तीन गुनी से भी बैटरी, धीरे धीरे उस पर मन डोलने लगा। बहुधा घर में भी उसे उपयोग में लाने लगा, कहीं कोने में चुपचाप, बिटिया से आँँख बचा कर, घंटे भर के लिये।
बस दो समस्यायें हैं, एक तो स्क्रीन पर टाइप करने से टाइपिंग की गति बहुत कम होने लगती है, उतनी नहीं रहती है जितनी एक भौतिक कीबोर्ड में। जब सोच समझ कर लिखना हो तो वह गति अधिक महत्व नहीं रखती, पर जब विचारों का प्रवाह गतिमय हो तो ऊँगलियों को भी और अधिक थिरकना पड़ता है। उसे एक हाथ से पकड़कर दूसरे हाथ से टाइप करने में बायाँ हाथ थोड़ा थकने लगता है और केवल एक हाथ के प्रयोग से टाइपिंग की गति आधी हो जाती है। दूसरा यह कि कीबोर्ड स्क्रीन पर आ जाने से कार्य करने के लिये क्षेत्रफल कम मिलता है और देखने में थोड़ी असुविधा होने लगती है। संभवतः यही दो बिन्दु प्रमुख थे जब टैबलेट के ऊपर वरीयता देकर मैकबुक एयर को खरीदा था।
थोड़ी सुविधा और थोड़ी असुविधा के साथ आईपैड के प्रयोग में मिलाजुला अनुभव हो रहा था। जब तनिक सुविधाभोगी प्रयोग हो तो आईपैड मिनी, जब तनिक गतिमय लेखन हो तो मैकबुक एयर। मेरे इस व्यवहार से सर्वाधिक अड़चन बिटिया को होने लगी। यद्यपि मैकबुक एयर का प्रयोग करते हुये उसे भी कई गेम उस पर अच्छे लगने लगे थे, पर मेरा यह व्यवहार देखकर उसे लगा कि उसके हाथ से कहीं दोनों ही न निकल जायें, जब नहीं तब पिताजी किसी पर भी कार्य करने लगते हैं। एक दिन हमें चेतावनी मिल गयी कि आप किसी एक का ही उपयोग करने का निश्चित कर लें, दूसरा पूरी तरह उसके लिये छोड़ दें।
किसी पुराने नशेड़ी की तरह मुझे भी आईपैड मिनी के प्रयोग में आनन्द आने लगा था। इस चेतावनी के बाद कोई न कोई उपाय ढूढ़ना आवश्यक हो चला था। एक दिन बंगलोर में भ्रमण करते समय लॉजीटेक कम्पनी की नयी खुली दुकान में जाना हुआ। आईपैड मिनी के लिये एक ब्लूटूथ कीबोर्ड देखा, बहुत छोटा और कई प्रकार से उपयोगी। लगा कि इसे लेने से उपरिलिखित दो समस्यायें सुलझ जायेंगी और आईपैड मिनी के सशक्त पक्ष भी बने रहेंगे। एक दिन बिटिया के साथ गये और जाकर वह कीबोर्ड ले आये। तब तक अनुभव नहीं था कि वह उपयोग में कैसा रहेगा? दो लाभ स्पष्ट थे, पहला वह कीबोर्ड एक कवर का भी कार्य करने लगा, उसकी बनावट बिल्कुल आईपैड मिनी से मेल खाती थी। दूसरा वह एक आधार के रूप में भी कार्य करने लगा, लम्बा और चौ़ड़ा, दोनों ही प्रकार से। अब लिखने, पढ़ने, वीडियो देखने और अन्य कार्य करने में सुविधापूर्ण आनन्द आने लगा है। आप दोनों का अन्तर चित्र में देखिये।
यह कीबोर्ड परम्परागत कीबोर्डों के आधे आकार का है। एक संशय हो सकता है कि आकार आधा होने पर टाइप करने में कठिनाई हो सकती है। हाँ, यदि आप दसों ऊँगलियों से टाइप करते हैं तो संभव है कि कई बार आपसे भूल हो जाये और आपकी ऊँगलियाँ कुछ और टाइप कर जायें। पर यदि आप मेरी तरह हैं और दो ऊँगलियों से ही देख देख कर टाइप करते हैं तो आपकी गति पहले से और अधिक हो जायेगी, क्योंकि इसमें आपको अन्य कीबोर्डों की तुलना में हाथ बहुत कम हिलाना पड़ेगा।
अभ्यास लय पकड़ चुका है और टाईपिंग की गति पहले से बीस प्रतिशत अधिक हो गयी है। बैटरी तीन गुनी और कीबोर्ड को मिलाकर भी भार मैकबुक एयर का आधा रह गया है। यदि मूल्य भी देखा जाये तो वह भी मैकबुक एयर का आधा ही है। अन्य कार्यों के बारे में तो नहीं कह सकता पर लेखन, कार्यालय, अध्ययन समेत मेरे सारे कार्यों के लिये यह पर्याप्त है। जब से इस प्रयोग में लगा हूँ, लेखन बहुत अधिक बढ़ गया है। इसका नामकरण मैंने 'मैकबुक मिनी' किया है। अब बिटिया मेरे 'मैकबुक एयर' में प्रसन्न है और मैं उसके 'मैकबुक मिनी' में।
कुछ दिन पहले बिटिया का जन्मदिन था। पढ़ाई में पिछले वर्षों की अपेक्षा बहुत अच्छा प्रदर्शन करने के कारण मन प्रसन्न था और उसे कुछ अच्छा उपहार देने का मन बना लिया था, ऐसा उपहार जो आगे भी उसके काम आ सके। सोचा, विचारा और जाकर एप्पल का आईपैड मिनी ले आया। पता नहीं, आप लोग क्या कहेंगे? आप कह सकते हैं कि दस वर्ष की बिटिया को इतना बहुमूल्य उपहार देना एक मूर्खता है। सबने यही कहा कि ऐसे तो आप बच्चों को बिगाड़ देंगे। क्या करें, मुझे लगा कि अभी थोड़ा बहुत गेम खेलेगी, थोड़े बहुत गाने सुनेगी, वीडियो देख लेगी, पर धीरे धीरे पढ़ने और अन्य सार्थक उपयोग में लाने लगेगी। जो भी हो, बिटिया बड़ी प्रसन्न है, सहेलियों के बीच सगर्व लिये घूमती भी है।
आईपैड मिनी मात्र ३०० ग्राम का है, अत्यन्त हल्का, ८ इंच की स्क्रीन और कार्य करने में अत्यधिक सुविधाजनक। छोटी सी बिटिया के हाथ में छोटा सा आईपैड मिनी, उपयुक्त और मेल खाता। रोचकता में ही सही, वह उस पर बहुत कुछ करना सीख गयी। फिर भी तकनीकी रूप से उसमें कुछ भी करने का उत्तरदायित्व मेरा ही था, मैं उसका तकनीकी सलाहकार जो था। इसी बहाने कई बार उसे देखने, समझने और उस पर कार्य करने का अवसर भी मिला। अब बिटिया जब स्कूल जाती थी, उसका लाभ उठा कर उसे कई बार कार्यालय भी ले गया। उसमें कार्य कर बड़ा आनन्द आया। मैकबुक एयर पर किये जाने वाले सारे कार्य बड़ी सरलता से उसमें भी कर सका। धीरे धीरे नशा बढ़ता गया, कार्यालय में आईपैड मिनी अपना अधिकार बढ़ाने लगा, साथ ही लम्बे निरीक्षणों में और वाहन में भी उसका उपयोग करने लगा।
एक बात जो सर्वाधिक प्रभावित कर गयी, वह थी लगभग तीन गुनी बैटरी, बिना एक बार भी चार्ज किये हुये लगभग १५ घंटे। साथ में चार्जर ले जाने की आवश्यकता समाप्त हो गयी। अब एक तिहाई से भी कम भार में तीन गुनी से भी बैटरी, धीरे धीरे उस पर मन डोलने लगा। बहुधा घर में भी उसे उपयोग में लाने लगा, कहीं कोने में चुपचाप, बिटिया से आँँख बचा कर, घंटे भर के लिये।
बस दो समस्यायें हैं, एक तो स्क्रीन पर टाइप करने से टाइपिंग की गति बहुत कम होने लगती है, उतनी नहीं रहती है जितनी एक भौतिक कीबोर्ड में। जब सोच समझ कर लिखना हो तो वह गति अधिक महत्व नहीं रखती, पर जब विचारों का प्रवाह गतिमय हो तो ऊँगलियों को भी और अधिक थिरकना पड़ता है। उसे एक हाथ से पकड़कर दूसरे हाथ से टाइप करने में बायाँ हाथ थोड़ा थकने लगता है और केवल एक हाथ के प्रयोग से टाइपिंग की गति आधी हो जाती है। दूसरा यह कि कीबोर्ड स्क्रीन पर आ जाने से कार्य करने के लिये क्षेत्रफल कम मिलता है और देखने में थोड़ी असुविधा होने लगती है। संभवतः यही दो बिन्दु प्रमुख थे जब टैबलेट के ऊपर वरीयता देकर मैकबुक एयर को खरीदा था।
थोड़ी सुविधा और थोड़ी असुविधा के साथ आईपैड के प्रयोग में मिलाजुला अनुभव हो रहा था। जब तनिक सुविधाभोगी प्रयोग हो तो आईपैड मिनी, जब तनिक गतिमय लेखन हो तो मैकबुक एयर। मेरे इस व्यवहार से सर्वाधिक अड़चन बिटिया को होने लगी। यद्यपि मैकबुक एयर का प्रयोग करते हुये उसे भी कई गेम उस पर अच्छे लगने लगे थे, पर मेरा यह व्यवहार देखकर उसे लगा कि उसके हाथ से कहीं दोनों ही न निकल जायें, जब नहीं तब पिताजी किसी पर भी कार्य करने लगते हैं। एक दिन हमें चेतावनी मिल गयी कि आप किसी एक का ही उपयोग करने का निश्चित कर लें, दूसरा पूरी तरह उसके लिये छोड़ दें।
अभ्यास लय पकड़ चुका है और टाईपिंग की गति पहले से बीस प्रतिशत अधिक हो गयी है। बैटरी तीन गुनी और कीबोर्ड को मिलाकर भी भार मैकबुक एयर का आधा रह गया है। यदि मूल्य भी देखा जाये तो वह भी मैकबुक एयर का आधा ही है। अन्य कार्यों के बारे में तो नहीं कह सकता पर लेखन, कार्यालय, अध्ययन समेत मेरे सारे कार्यों के लिये यह पर्याप्त है। जब से इस प्रयोग में लगा हूँ, लेखन बहुत अधिक बढ़ गया है। इसका नामकरण मैंने 'मैकबुक मिनी' किया है। अब बिटिया मेरे 'मैकबुक एयर' में प्रसन्न है और मैं उसके 'मैकबुक मिनी' में।
पिता-पुत्री दोनो को मुबारक हो !
ReplyDeleteसचमुच प्रवीण जी ,अपने बच्चों को नई सुविधाओं से संपन्न कर और उन पर विश्वास कर हम उनकी सामर्थ्य बढ़ाने में सहायक होते हैं!
उपयोगी जानकारी
ReplyDeleteबहुत खूब ...अब इन्तजार का फल तो मीठा होता ही है .... बहुत दिनों से वत्सल की जिद्द थी कि आपको आई पेड ले देता हूँ,अभी नासिक में आजमा भी लिया ,पर कुछ शंका थी ,अब थोड़ा मन और बना है फिर भी एक शक दूर करें कि क्या पॉडकास्ट किया जा सकेगा ... :-) अगर ऐसा पॉसिबल हुआ तो बहुत से नये पॉडकास्ट सुनवाये जा सकेंगे -जैसे ताई जी के पुराने गीत ..दीदी के भजन ... (लाने ले जाने में आसानी हो जायेगी न !) ... :-)
ReplyDeleteआईफोन पर तो पॉडकास्ट बड़े आराम से रिकॉर्ड किये जा सकते हैं, आईपैड पर कभी प्रयास किया नहीं, कर के देखते हैं।
DeleteMy dad gave me tablet last year...
ReplyDeletethroughout the post I was smiling with each sentence of yours and was wondering are all daddies same :)
Happy Father's day to u in advance..
have loads of fun with your kids :)
तकनीक का साथ बनाये रखने से शेष कोई भी क्षेत्र सम्हाल लेंगे, आज के बच्चे।
Deleteपिता-पुत्री दोनो को मुबारक हो
ReplyDeleteहमने भी पिछले वर्ष अपने बेटेलाल को टेबलेट दिया, जिसमें वे बहुत ही खुश हैं.. बच्चों को नई तकनीक की वस्तुएँ दे दी जायें तो वे आगे रहेंगे.. बिटिया के लिये शुभकामनाएँ
ReplyDeleteआवश्यकता अविष्कार की जननी है ,सुन्दर जानकारी
ReplyDeleteआपके काम अनुकरणीय हैं.
ReplyDeleteबढ़िया तुलनात्मक अध्ययन किया है दोनों का .अलबत्ता आँख की बीनाई पे आंच न आये यह भी ज़रूरी है छोटे प्रिंट के खतरे भी भांपने होंगें .तन्वंगी होती टेक्नालोजी मन को भाये ,खूब रिझाए ,जहां चाहे ले जाएँ ,उठाए उठाए ....ॐ शान्ति .
ReplyDeleteयह सुनिश्चित किया है कि फॉण्ट का आकार बड़ा कर के ही पढ़ें।
Delete...बिटिया को मुबारक हो !
ReplyDelete.
.हमें भी अपने बेटे के लिए लगता है अब लेना पड़ेगा...पर वही समस्या आएगी कि उससे ज़्यादा मैं लगा रहूँगा !
फ़िलहाल बधाई !
वाह बढ़िया जानकारी मिली ... लगे रहिए और ऐसे ही अपने अनुभव सांझा करते रहिए !
ReplyDeleteबिटिया और आप दोनों ही खुश ..... आज कल बच्चे बहुत जल्दी सब सीख लेते हैं ।
ReplyDeleteबिटिया रानी को पढ़ाई में अच्छा करने पर बधाई। पर बच्चों को कभी लिनेक्स का भी प्रेम क्यों नहीं जगाते। यह उनके लिये ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा।
ReplyDeleteलिनेक्स कभी सीखा नहीं। कई परिचितों को देखा अवश्य है, एक अलग ही दुनिया है उनकी।
DeleteMicrosoft Surface Windows RT कहीं बेहतर विकल्प है अब
ReplyDeleteबस भार थोड़ा अधिक है और उपलब्धता भी कम है।
DeleteBahut badhiya jaanakarI...Mai bhi naya kuch khaaridane ki Sochi rahi hu....
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी जानकारी!!
ReplyDeleteसार्थक ,रोचक पोस्ट ...बहुत बढ़िया जानकारी ....आजकल tech savy होना बहुत ज़रूरी है ....आपकी पोस्ट पढ़कर हमें भी काफी जानकारी मिलती रहती है .....!!!
ReplyDeleteआपने इन उपकरणों के बारे में सही और उपयोगी जानकारी दी, आभार और बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत ही उपयोगी जानकारी,आभार
ReplyDeleteये सुविधापूर्ण आनन्द संक्रमित कर रहा है..
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-06-2013) के चर्चा मंच 1277 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteमैकबुक मिनी मुबारक ! अच्छा इम्प्रोवायिजेशन किया !
ReplyDeleteaapki beti ko mubarak...
ReplyDeleteaapke post har baar lajajab kar dete hain
sarthak post...
नई तकनीक में आरंभ में दिक्कत आती है। लेकिन फिर आदत पड़ जाती है। हमें तो शुरू में लैप टॉप पर काम करना भी बड़ा मुश्किल काम लगता था। अब डेस्क टॉप बेकार पड़ा है। लेकिन एप्पल के प्रोडक्ट्स महंगे हैं।
ReplyDeleteजी हाँ, मँहगे अवश्य हैं, पर सर्वश्रेष्ठ हैं, अत्यधिक संतुष्ट हूँ इसके उत्पादों से।
Deleteआज की ब्लॉग बुलेटिन तार आया है... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteज्ञानवर्धक :)
ReplyDeleteबिटिया को बहुत -बहुत बधाई।
ReplyDeleteआपने लिखा....हमने पढ़ा
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए आज 16/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिए एक नज़र ....
धन्यवाद!
ReplyDeleteतकनीकि ज्ञान और भावनाओं का अद्भुत घालमेल!
लैपटॉप भी जल्दी ही बीते ज़माने की चीज़ बनने वाला है क्योंकि कि जिस तरह से टैबलेट अपनी क्षमता बढ़ाते जा रहे हैं और सर्वगुण सम्पन्न होते जा रहे हैं यह दिन दूर नहीं लगता.
ReplyDeleteसार्थक व् उपयोगी जानकारी हेतु आभार . मगरमच्छ कितने पानी में ,संग सबके देखें हम भी . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN "झुका दूं शीश अपना"
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी दी आपने..
ReplyDeleteशुक्रिया..
बहुत ही उपयोगी जानकारी । बिटिया के लिये तो एक अनौखा स्कूल घर में ही है । इससे अच्छी बात एक बच्चे के लिये और क्या होसकती है ।
ReplyDeleteएप्पल के दीवाने कम नहीं हैं ...
ReplyDeleteआप तो थे अब बिटिया भी ... क्या बात है ... बधाई बिटिया के जनम दिन की ...
बहुत उपयोगी जानकारी....आपने मेरे काफ़ी संशय दूर कर दिये...क्या हिंदी में टाइपिंग के लिए इस पर google transliteration काम करता है?
ReplyDeleteजी, दोनों कीबोर्ड उपयोग में लाये जा सकते हैं, इन्स्क्रिप्ट भी, फोनेटिक भी।
Deleteशुक्रिया...
Deleteबढ़िया जानकारी दी आपने.. परवीन जी ..... लेना पड़ेगा लगता है
ReplyDeleteतकनीकी का विस्तार लघुरूप की और है लगातार .
ReplyDeleteआपकी ये तकनीकी जानकारी पढ़ कर मेरा मन भी ललचा रहा है आइपैड लेने को पर मुझे इसकी उतनी आवश्यकता नहीं क्योकि मै आप जितना टेक सेवी नहीं हूँ ।
ReplyDeleteजानकारी के लिए आभार,,,बिटिया के जनम दिन की बधाई ...,,,
ReplyDeleteRECENT POST: जिन्दगी,
रोचक जानकारी के साथ साथ पिता और बिटिया का प्रेम
ReplyDeleteबहुत सुंदर
सादर
सादर नमस्कार , रोचक तकनीकी ज्ञान के लिए धन्यवाद !
ReplyDeleteतकनीक का तकनीकी प्रयोग ...बढ़िया ।
ReplyDeleteदेवला को बधाई ...... सार्थक जानकारी के लिए आभार
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई...
ReplyDeleteतकनीक के उपर आपकी ये बेहतरीन पोस्त के लिये साधुवाद ।
ReplyDeleteलघु का है आकर्षण भारी ,...शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
ReplyDeleteमुझे लगता है, आखिरी उम्र में मुसलमॉं बनने से बचना चाहिए मुझे।
ReplyDeleteमैं तो तकनीक में शून्य हूँ। न एप्पल जानता न बनाना। मोबाइल पुराना इस्तेमाल करता हूँ। और डेस्कटॉप पर चुनिंदा कमांड के साथ काम करता हूँ। इतना है कि टाइप ठीकठाक कर लेता हूँ।
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