विविध विधा के फूल खिले हैं,
आकर्षण के थाल सजे है,
किन्तु शब्द गुञ्जित मन में,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।१।।
भाव-वृक्ष की सुखद छाँह है,
सम्बन्धों की मधुर बाँह है,
पर बन्धन से मुक्त पथिक,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।२।।
सुविधाआें से संचित जन हैं,
मुग्ध छटा से सिंचित वन हैं,
पर मन की दुर्बलता तज,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।३।।
जीवन पथ पर विघ्न बड़े हैं,
अट्टाहस कर आज खड़े हैं,
पर पथ के सब विघ्न तोड़,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।४।।
यदि विरोध की हवा बही है,
बहुमत तेरी ओर नहीं है,
पर सुलक्ष्य पर दृढ़-प्रतिज्ञ,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।५।।
कार्य-क्षेत्र यह तन क्षीणित हो,
जीवन-रस से आज रहित हो,
पर अन्तः में शक्ति निहित,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।६।।
वह जीवन भी क्या जीवन है जिसमें गति न रवानी है, ...बहुत प्रेरक और सुन्दर ।
ReplyDeleteप्रेरणादायी , उत्कृष्ट कविता .. कितने ही प्रश्नों का हल सुझाती ..
ReplyDeleteजीवन के विविध विचारों का प्रदर्शन .. अनुपम बन पड़ा है ।
ReplyDeleteवाह -प्राणदायी ,स्फूर्ति -अनुप्राणित प्रयाण गीत -
ReplyDeleteराबर्ट फ्रास्ट की कविता भी याद हो आयी सहसा, जो नेहरु जी को अतिशय प्रिय थी -
सुन्दर सघन मनोहर वन तरु
मुझको आज बुलाते हैं
मगर किये जो वादे मैंने
याद मुझे आ जाते हैं
अभी कहाँ आराम मुझे
यह मूक निमंत्रण छलना है
और अभी तो मीलों मुझकों
मीलों मुझको चलना है !
...इसे मेरी भी टीप समझी जाय !
Deleteयदि विरोध की हवा बही है,
ReplyDeleteबहुमत तेरी ओर नहीं है,
पर सुलक्ष्य पर दृढ़-प्रतिज्ञ,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।
मनोबल को दृढता का पोषण देती अद्भूत शब्द-राशि.
अच्छी रचना प्रस्तुत करने हेतु आभार.
ReplyDeletereminding the lines...
ReplyDelete"miles to go before i sleep..."
वाह ...
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ReplyDeleteखूबसूरत रचना , आभार
ReplyDeleteप्रेरक,बहुत उम्दा उत्कृष्ट रचना,,,
ReplyDeleteRecent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
बेहतरीन प्रेरणाप्रद रचना...आभार.
ReplyDeleteप्रेरणादायी ,खूबसूरत रचना , आभार
ReplyDeleteयदि विरोध की हवा बही है,
ReplyDeleteबहुमत तेरी ओर नहीं है,
पर सुलक्ष्य पर दृढ़-प्रतिज्ञ,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।५
वाह पाण्डेय जी ......बिलकुल सटीक चित्रण कर दिया ....सादर बधाई स्वीकारें
यदि विरोध की हवा बही है,
ReplyDeleteबहुमत तेरी ओर नहीं है,
पर सुलक्ष्य पर दृढ़-प्रतिज्ञ,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।
बहुत ही सशक्त भाव लिये उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
बहुत प्रेरक और सुन्दर रचना आभार।
ReplyDeleteचरैवेति, चरैवेति॥ यही हमारा भी कहना है।
ReplyDeleteसभी के मन में छिपे सवालों का जवाब है यह रचना :)
ReplyDeleteजीवन पथ पर विघ्न बड़े हैं,
ReplyDeleteअट्टाहस कर आज खड़े हैं,
पर पथ के सब विघ्न तोड़,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ..
जीवन की चुनुतियों का सामना करना ही तो जीवन है ...
बहुत लाजवाब ...
चलते जाना है , बस यूँ ही चलते जाना.
ReplyDeleteअति सुन्दर ,
ReplyDeleteआभार !
इसके अतिरिक्त कोई विकल्प भी तो नहीं है.सुन्दर कृति ..
ReplyDeleteकभी न ख़त्म होने वाला दृढ सफ़र !
ReplyDeleteदृढ़ता और एकाग्रता ....बहुमूल्य रत्न जीवन के ...
ReplyDeleteसुन्दर सशक्त सार्थक रचना .....
सुमंज़िल जानिब चलता जा ,चलता जा ,
ReplyDeleteरहे हौसला कायम तेरा ,बढ़ता चल राही बढ़ता चल .
जोश और दृढ प्रतिज्ञा होने की और दो कदम ....धरता चल धरता चल
एकदम दुरस्त।
ReplyDeleteसुन्दर रचना .....
ReplyDeleteसुन्दर भाव ,सुन्दर रचना !!!
ReplyDeleteगतिमान होना ही जीवन्तता का प्रमाण है!
ReplyDeleteAkela chal chala chal fakira chal chala chal .....
ReplyDeleteजीवन पथ पर विघ्न बड़े हैं,
ReplyDeleteअट्टाहस कर आज खड़े हैं,
पर पथ के सब विघ्न तोड़,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।४।।
प्रेरणा देती बहुत सुंदर रचना ।
anand badhaatee
ReplyDeleterasmay man bhatee
rachna yeh geharee
anupranit kar jaatee
kya baat hai Praveenje
bahut achche
Ashok Vyas
पर पथ के सब विघ्न तोड़,
ReplyDeleteत्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।४।।
..........प्रेरणाप्रद सुंदर रचना...आभार
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।|
ReplyDelete.
सुन्दर ,प्रेरणादायी सन्देश
सादर
चलना ही जिन्दगी है.
ReplyDeleteसतात संसरण-शील जगत का,
ReplyDeleteयह है शाश्वत सत्य .......
सुन्दर सृजन
chalte rahna hi jivan chakra hai.
ReplyDeleteSundartam preranaspad
ReplyDeleteRamram
हर हाल मे चलते रहना ही जीवन है
ReplyDeletebeautiful expression..
ReplyDeleteI keep reading it :)
सार्थकता से पूर्ण।
ReplyDeleteAti sundar, aakarshak shabdon se saji man bhawan aur prerak kavita. Abhar...
ReplyDeleteयदि विरोध की हवा बही है,
ReplyDeleteबहुमत तेरी ओर नहीं है,
पर सुलक्ष्य पर दृढ़-प्रतिज्ञ,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।५।।... अनुकरणीय
शानदार प्रस्तुती
ReplyDeleteप्रेरणा देती रचना.
ReplyDeleteचलते रहना ही तो जीवन है!
Your poems are too good. Though I google for some words, my hindi is not that good. :(
ReplyDeleteनदिया चले ,चले रे धारा
ReplyDeleteचंदा चले रे तारा ,तुझको चलना होगा ,तुझको चलना होगा ।
बहुत सुन्दर रचना ।
Nice Blog.
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ReplyDeleteबहुत सुंदर संदेश---त्वम चरैवेति,त्वम चरैवेति
चलते ही चले जाना है ...जीवन बस इस चलने का ही नाम है !
ReplyDeleteप्रेरक गीत !
बहुत खूब .....!!
ReplyDeleteकिसी प्रवीण पांडे को युवा साहित्य पुरस्कार मिला है क्या आप ही हैं .....?
जी नहीं हरकीरतजी, वह संस्कृत के लिये मिला है और प्रवीण पान्ड्या जी को मिला है..
Deleteप्रवीण जी इसी तरह लिखते रहें..हमारी कामना है कि आप भी एक रोज इस सूची में होंगे..
Deleteजीवन पथ पर विघ्न बड़े हैं,
ReplyDeleteअट्टाहस कर आज खड़े हैं,
पर पथ के सब विघ्न तोड़,
त्वम् चरैवेति, त्वम् चरैवेति ।।४।।
प्रेरणादाई सुन्दर रचना
एक बार फिर आपकी लेखनी से निःसृत उत्कृष्ट रचना। जिस समय इन पंक्तियों को पढ़ रहा हूँ, पार्श्व में हरिप्रसाद चौरसिया का बजाया हुआ राग पहाड़ी बज रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे काव्य और संगीत के बीच जुगलबंदी हो रही है। एक अद्भुत साम्य है -दोनों में गजब का प्रवाह है , जैसे कोई झरना बह रहा हो। छंद भी कितने साफ सुथरे हैं। पहाड़ों में उगे अनगढ़ फूल की तरह- निर्दोष, नैसर्गिक, सहज. चरैवेति चरैवेति .....................................चरैवेति ..............चरैवेति ................
ReplyDeleteरात अन्धेरी है,
ReplyDeleteकहीं न ठिकाना,
दूर सितारा चमके,
वहीं तू ठहरना
राही चलता जा, राही चलता जा
रात अन्धेरी है, कहीं न ठिकाना
ReplyDeleteदूर सितारा चमके, वहीं तू ठहरना
वही तेरी मंजिल है, वहीं है ठिकाना
राही चलता जा, राही चलता जा