कई बार ऐसा हुआ है ट्रेन यात्रा के समय रात में सोया और सुबह उठने पर पाया कि मोबाइल में १५% बैटरी कम हो गयी। कोई फ़ोन नहीं, कोई इण्टरनेट नहीं, तब कौन सा टैक्स लग गया? थोड़ा शोध किया तो पता चला कि यह नेटवर्क टैक्स है, आपका बिल नहीं खाता है, बस बैटरी खाता है।
कुछ दिनों बाद सामान्य ज्ञान के प्रश्न कुछ इस तरह से हुआ करेंगे। माना कि १००० किमी की यात्रा में २०० किमी में नेटवर्क नहीं है। पहले मार्ग में २०० किमी की यह दूरी २० किमी के १० हिस्सों में बंटी है। दूसरे मार्ग में २०० किमी की यह दूरी एक साथ है। किस मार्ग में जाने से आपकी बैटरी अधिक कम होगी और क्यों? उत्तर कठिन नहीं है, पहले मार्ग में बैटरी का क्षय दूसरे मार्ग से कहीं अधिक होगा।
क्यों का उत्तर भी समझाया जा सकता है, पर उसके लिये मोबाइल की सामान्य कार्यप्रणाली समझनी होगी। मोबाइल के अन्दर एक चिप होती है, जिसका कार्य बैटरी की ऊर्जा को रेडियो सिग्नल में बदलना होता है, रेडियो सिग्नल के माध्यम से हम नेटवर्क से संपर्क साध पाते हैं। यही चिप जिसे हम पॉवर एम्पलीफायर भी कहते हैं, मोबाइल की ६५% तक ऊर्जा खा जाती है। यदि नेटवर्क से संपर्क बना रहता है तो थोड़ी कम ऊर्जा लगती है, यदि नेटवर्क ढूँढना हो तो यही ऊर्जा और अधिक व्यय हो जाती है। यही नहीं, नेटवर्क न मिलने की दशा में पुनः खोज प्रारम्भ हो जाती है और तब तक चलती है जब तक वह मिल न जाये। कई अच्छी तकनीक वाले फ़ोन इस नेटवर्क बाधा से परिचित होते हैं और लगभग ३० मिनट बाद प्रयास करना बन्द कर देते हैं और अगले प्रयास के पहले थोड़ा विश्राम ले लेते हैं। कम समझदार मोबाइल जूझे रहते हैं और बैटरी गँवा कर गर्म होते रहते हैं।
२०० किमी में जब १० बार यह नेटवर्क बाधा आयेगी तो अधिक ऊर्जा व्यय होगी, जबकि केवल एक बार बाधा आने से यही व्यय बहुत कम होगा। ऐसा नहीं है कि नेटवर्क का न होना ही ऊर्जा व्यय करता है। जब भी नेटवर्क की उपस्थिति कम होती है या कहें कि आपको अपने मोबाइल में कम डंडियाँ दिख रही हों, समझ लीजिये कि चिप महोदय बैटरी का ख़ून चूसने में लगे हैं, नेटवर्क से अपना संबंध स्थापित करने के लिये और आपको अधिक डंडियाँ दिखाने के लिये। अधिक सघनता या टॉवर से दूरी के कारण नेटवर्क की क्षमता में आये उतार चढ़ाव आपकी मोबाइल बैटरी को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। संभव है कि दो कम्पनियों के नेटवर्क एक ही तरह के मोबाइल पर भिन्न प्रभाव डालें। एक नगर में भी किसी कम्पनी के टॉवरों को इस तरह से लगाया जाता है कि कम से कम टॉवरों में सारा नगर ढक जाये और बाधित नेटवर्क के स्थान भी न्यूनतम रहें। यदि उसमें कोई कमी रही है तो उसका दण्ड आपकी मोबाइल बैटरी को देना होगा, नेटवर्क टैक्स के रूप में।
फोन का यह नियत टैक्स तो सबको ही देना पड़ेगा। अब जो लोग फ़ेसबुक, ट्विटर आदि के लिये इण्टरनेट का भी उपयोग करते हैं, उनकी बैटरी लगभग दुगनी गति से कम होती है। कुछ और लोग जो बड़े नगरों में हैं और साधारण जीएसएम के स्थान पर २जी या ३जी का उपयोग करते हैं, उनका कार्य और भी तीव्र गति से हो जाता है। उन्हें अधिक डाटा डाउनलोड करने की सुविधा रहती है पर उनकी बैटरी और भी अधिक मात्रा में कम हो जाती है। सिद्धान्त वही है कि जितना तेज भागना हो उतनी तेजी से ऊर्जा बहानी पड़ती है।
आप यदि अतिव्यस्त हैं तो चाहेंगे कि जैसे ही कोई ईमेल हो या फेसबुक स्टेटस आया हो, वह तुरन्त ही आपके मोबाइल पर उपस्थित हो जाये। इस दशा में आप अपना २जी या ३जी नेटवर्क हर समय चालू रखते हैं और आपका संबंधित एप्लीकेशन सदा ही यह पता करने में लगा रहता है कि कोई आगत संदेश तो नहीं है। इस स्थिति में बैटरी अत्यन्त दयनीय हो जाती है, पता नहीं कब समाप्त हो जाये, कभी कभी तो एक दिन भी नहीं। प्रारम्भिक फोनों में एक नोकिया का फोन ऐसा था जो डाटा केवल एप्लीकेशन खोलने पर ही जोड़ता था और शेष समय बन्द रखता था। सारे फोनों में यह सुविधा नहीं है और बहुधा डाटा बहता ही रहता है, न जाने कितने स्रोतों से। एक नये शोध में यह भी बताया गया है कि फ्री में मिलने वाले एप्लीकेशन सर्वाधिक डाटा खाते हैं क्योंकि उसमें आपके मोबाइल से संबंधित जानकारी अपलोड होने की और विविध प्रचार डाउनलोड होने की विवशता होती है। हो सके तो वह अनुप्रयोग खरीद ले, उसमें प्रचार नहीं होगा और वह डाटा और बैटरी पर होने वाले धन के व्यय को भी बचायेगा।
एक बड़ा सीधा सा प्रश्न आ सकता है कि जब इतने पैसे खर्च कर एक स्मार्टफोन लिया है तो क्यों न उसका उपयोग अधिकतम करें। और यदि संसार से हर समय जुड़े रहना है तो इण्टरनेट को सदा ही चालू रखना होगा, थोड़ी बहुत बैटरी जाती है तो जाये। प्रश्न अच्छा है पर यह एक और बड़ा प्रश्न खड़ा करता है, क्या आप चाहते हैं कि आपका मोबाइल हर समय आपकी दिनचर्या या कार्यचर्या में व्यवधान डालता रहे, या आपके अनुसार चले? यदि आप हर समय व्यवधान नहीं चाहते हैं तो दोनों ही ध्येय साधे जा सकते हैं, पहला सदा ही सूचित बने रहने का, दूसरा लम्बी बैटरी समय का। पर उसके लिये एक नियम बनाना पड़ेगा।
अपना डाटा 'पुस' के स्थान पर 'फेच' पर कर लें, कहने का आशय है कि जब भी आप अपना एप्लीकेशन खोलेंगे तभी डाटा बहना प्रारम्भ होगा। हो सकता है यह करने के पश्चात आप दिन में कई बार देखें, पर बीच का जो समय बचेगा उस समय आपका मोबाइल व्यर्थ श्रम करने से बच जायेगा और बैटरी अधिक चलेगी। ऐसा करने भर से बैटरी में २०% तक ही वृद्धि हो जायेगी, न कुछ छूटेगा और व्यवधान भी कम होगा। यदि बैटरी और बचानी हो तो डाटा को पूरी तरह से बन्द कर दें और जब भी एप्लीकेशन देखना हो उसके पहले ही डाटा भी जोड़ें। जब एप्लीकेशन नहीं भी चल रहा होता है तब भी २जी या ३जी को स्थापित किये रहने में बहुत बैटरी खर्च होती है। साथ ही साथ ३जी नेटवर्क पर किया फोन और एसएमएस भी सामान्य की तुलना में कहीं अधिक ऊर्जा खाते हैं। डाटा भी बन्द कर देने से बैटरी का समय लगभग दुगना हो गया। ऐसा नहीं कि कोई कार्य छूट गया हो, बस थोड़ा सा व्यवस्थित भर हो गया। दो या तीन घंटे में समय पाकर एक बार डाटा चालू कर सारे स्टेटस और ईमेल देख लेते थे और फिर अपने कार्य में। थोड़ा धैर्य भर बढ़ गया, सूचना पूरी मिलती रही।
एक बात और, मोबाइल में वाईफाई के माध्यम से इण्टरनेट देखने में नेटवर्क की तुलना में बहुत कम ऊर्जा व्यय होती है और गति अधिक मिलती है सो अलग। यदि आपके पास घर या कार्यालय में वाईफाई की सुविधा है तो उसका उपयोग अवश्य करें। वाईफाई होने पर उसी को नेटवर्क के ऊपर प्राथमिकता मिलती है। यह प्रयोग आईफोन पर किया और पहले की तुलना में लगभग दुगनी बैटरी चलने लगी। पहले एक दिन चलती थी, अब दो दिन से भी अधिक खिंच गयी। हमने नेटवर्क से यथासंभव कम संपर्क रखा हुआ है, केवल कार्यानुसार ३जी चलता है, बैटरी के रूप में हमारा नेटवर्क टैक्स भी कम हो गया है। आप भी प्रयोग कर डालिये।
कुछ दिनों बाद सामान्य ज्ञान के प्रश्न कुछ इस तरह से हुआ करेंगे। माना कि १००० किमी की यात्रा में २०० किमी में नेटवर्क नहीं है। पहले मार्ग में २०० किमी की यह दूरी २० किमी के १० हिस्सों में बंटी है। दूसरे मार्ग में २०० किमी की यह दूरी एक साथ है। किस मार्ग में जाने से आपकी बैटरी अधिक कम होगी और क्यों? उत्तर कठिन नहीं है, पहले मार्ग में बैटरी का क्षय दूसरे मार्ग से कहीं अधिक होगा।
२०० किमी में जब १० बार यह नेटवर्क बाधा आयेगी तो अधिक ऊर्जा व्यय होगी, जबकि केवल एक बार बाधा आने से यही व्यय बहुत कम होगा। ऐसा नहीं है कि नेटवर्क का न होना ही ऊर्जा व्यय करता है। जब भी नेटवर्क की उपस्थिति कम होती है या कहें कि आपको अपने मोबाइल में कम डंडियाँ दिख रही हों, समझ लीजिये कि चिप महोदय बैटरी का ख़ून चूसने में लगे हैं, नेटवर्क से अपना संबंध स्थापित करने के लिये और आपको अधिक डंडियाँ दिखाने के लिये। अधिक सघनता या टॉवर से दूरी के कारण नेटवर्क की क्षमता में आये उतार चढ़ाव आपकी मोबाइल बैटरी को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। संभव है कि दो कम्पनियों के नेटवर्क एक ही तरह के मोबाइल पर भिन्न प्रभाव डालें। एक नगर में भी किसी कम्पनी के टॉवरों को इस तरह से लगाया जाता है कि कम से कम टॉवरों में सारा नगर ढक जाये और बाधित नेटवर्क के स्थान भी न्यूनतम रहें। यदि उसमें कोई कमी रही है तो उसका दण्ड आपकी मोबाइल बैटरी को देना होगा, नेटवर्क टैक्स के रूप में।
फोन का यह नियत टैक्स तो सबको ही देना पड़ेगा। अब जो लोग फ़ेसबुक, ट्विटर आदि के लिये इण्टरनेट का भी उपयोग करते हैं, उनकी बैटरी लगभग दुगनी गति से कम होती है। कुछ और लोग जो बड़े नगरों में हैं और साधारण जीएसएम के स्थान पर २जी या ३जी का उपयोग करते हैं, उनका कार्य और भी तीव्र गति से हो जाता है। उन्हें अधिक डाटा डाउनलोड करने की सुविधा रहती है पर उनकी बैटरी और भी अधिक मात्रा में कम हो जाती है। सिद्धान्त वही है कि जितना तेज भागना हो उतनी तेजी से ऊर्जा बहानी पड़ती है।
आप यदि अतिव्यस्त हैं तो चाहेंगे कि जैसे ही कोई ईमेल हो या फेसबुक स्टेटस आया हो, वह तुरन्त ही आपके मोबाइल पर उपस्थित हो जाये। इस दशा में आप अपना २जी या ३जी नेटवर्क हर समय चालू रखते हैं और आपका संबंधित एप्लीकेशन सदा ही यह पता करने में लगा रहता है कि कोई आगत संदेश तो नहीं है। इस स्थिति में बैटरी अत्यन्त दयनीय हो जाती है, पता नहीं कब समाप्त हो जाये, कभी कभी तो एक दिन भी नहीं। प्रारम्भिक फोनों में एक नोकिया का फोन ऐसा था जो डाटा केवल एप्लीकेशन खोलने पर ही जोड़ता था और शेष समय बन्द रखता था। सारे फोनों में यह सुविधा नहीं है और बहुधा डाटा बहता ही रहता है, न जाने कितने स्रोतों से। एक नये शोध में यह भी बताया गया है कि फ्री में मिलने वाले एप्लीकेशन सर्वाधिक डाटा खाते हैं क्योंकि उसमें आपके मोबाइल से संबंधित जानकारी अपलोड होने की और विविध प्रचार डाउनलोड होने की विवशता होती है। हो सके तो वह अनुप्रयोग खरीद ले, उसमें प्रचार नहीं होगा और वह डाटा और बैटरी पर होने वाले धन के व्यय को भी बचायेगा।
एक बड़ा सीधा सा प्रश्न आ सकता है कि जब इतने पैसे खर्च कर एक स्मार्टफोन लिया है तो क्यों न उसका उपयोग अधिकतम करें। और यदि संसार से हर समय जुड़े रहना है तो इण्टरनेट को सदा ही चालू रखना होगा, थोड़ी बहुत बैटरी जाती है तो जाये। प्रश्न अच्छा है पर यह एक और बड़ा प्रश्न खड़ा करता है, क्या आप चाहते हैं कि आपका मोबाइल हर समय आपकी दिनचर्या या कार्यचर्या में व्यवधान डालता रहे, या आपके अनुसार चले? यदि आप हर समय व्यवधान नहीं चाहते हैं तो दोनों ही ध्येय साधे जा सकते हैं, पहला सदा ही सूचित बने रहने का, दूसरा लम्बी बैटरी समय का। पर उसके लिये एक नियम बनाना पड़ेगा।
अपना डाटा 'पुस' के स्थान पर 'फेच' पर कर लें, कहने का आशय है कि जब भी आप अपना एप्लीकेशन खोलेंगे तभी डाटा बहना प्रारम्भ होगा। हो सकता है यह करने के पश्चात आप दिन में कई बार देखें, पर बीच का जो समय बचेगा उस समय आपका मोबाइल व्यर्थ श्रम करने से बच जायेगा और बैटरी अधिक चलेगी। ऐसा करने भर से बैटरी में २०% तक ही वृद्धि हो जायेगी, न कुछ छूटेगा और व्यवधान भी कम होगा। यदि बैटरी और बचानी हो तो डाटा को पूरी तरह से बन्द कर दें और जब भी एप्लीकेशन देखना हो उसके पहले ही डाटा भी जोड़ें। जब एप्लीकेशन नहीं भी चल रहा होता है तब भी २जी या ३जी को स्थापित किये रहने में बहुत बैटरी खर्च होती है। साथ ही साथ ३जी नेटवर्क पर किया फोन और एसएमएस भी सामान्य की तुलना में कहीं अधिक ऊर्जा खाते हैं। डाटा भी बन्द कर देने से बैटरी का समय लगभग दुगना हो गया। ऐसा नहीं कि कोई कार्य छूट गया हो, बस थोड़ा सा व्यवस्थित भर हो गया। दो या तीन घंटे में समय पाकर एक बार डाटा चालू कर सारे स्टेटस और ईमेल देख लेते थे और फिर अपने कार्य में। थोड़ा धैर्य भर बढ़ गया, सूचना पूरी मिलती रही।
एक बात और, मोबाइल में वाईफाई के माध्यम से इण्टरनेट देखने में नेटवर्क की तुलना में बहुत कम ऊर्जा व्यय होती है और गति अधिक मिलती है सो अलग। यदि आपके पास घर या कार्यालय में वाईफाई की सुविधा है तो उसका उपयोग अवश्य करें। वाईफाई होने पर उसी को नेटवर्क के ऊपर प्राथमिकता मिलती है। यह प्रयोग आईफोन पर किया और पहले की तुलना में लगभग दुगनी बैटरी चलने लगी। पहले एक दिन चलती थी, अब दो दिन से भी अधिक खिंच गयी। हमने नेटवर्क से यथासंभव कम संपर्क रखा हुआ है, केवल कार्यानुसार ३जी चलता है, बैटरी के रूप में हमारा नेटवर्क टैक्स भी कम हो गया है। आप भी प्रयोग कर डालिये।
एक कठिन और तकनीकी विषय को बहुत हो रोचक ढंग से आपने समझा दिया |सर बहुत -बहुत आभार |
ReplyDeletenice info..... i wasn't aware before . now i will keep mobile switched off where there is no network. it will help in saving battery .
ReplyDeleteसलाम है, आपको और आपकी पारखी नज़र को ... अब वैसे प्रश्नों को भी हल कर पाएंगे बच्चे आने वाले दिनों में ....
ReplyDeleteतकनीक का प्रयोग बेहतरीन उपायों के साथ ...
ReplyDeleteरोचक और उपयोगी !
जब भी ट्रेन का सफ़र करना होता है हम तो इसीलिये नेटवर्क को मैनुअल सर्च पर सैट कर देते हैं, और आजकल समय की कमी के कारण वाकई में फ़ोन की और किसी सुविधा का आनंद लेना बहुत मुश्किल हो गया है, इसीलिये अभी तक हम तो नोकिया पर ही अटके हुए हैं अभी भी हमारा स्मार्ट फ़ोन ३ दिन का बैटरी बैकअप देता है, अभी नया सैमसंग का स्मार्टफ़ोन लिया है तो पहले नेटवर्क चालू रहता था तो बैटरी ८ घंटे में ही नमस्ते हो जाती थी, अब बराबर सैटिंग कर दी है, तो उसकी बैटरी भी २ दिन चल रही है। केवल हमें पता होना चाहिये कि कौन सा एपलीकेशन बैटरी को चूस रहा है । और हम यह टैक्स देने में थोड़ा कंजूस हैं ।
ReplyDeleteबढिया जानकारी।
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी...... सच में ध्यान देने योग्य....
ReplyDeleteबड़े काम की जानकारी -कुशल तकनीकी विद हैं आप !
ReplyDeleteबड़े काम की चीज़ ..
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी.
ReplyDelete...फ़ोन की बैटरी से अकसर परेशान रहता हूँ !!
ReplyDeleteबड़े काम की बातें!
ReplyDeleteबेहद उपयोगी एंव विस्तार से इसको बताया आपने आभार।
ReplyDeleteकभी इसकी वजह से ( मोबाइल पर नेट सर्फिंग करने) आँखों के यूसेज और स्टैंड बाइ में क्या भिन्नता या अंतर आता है उसका भी विश्लेषण कीजिएगा :)
ReplyDeleteसफ़र में बेटरी कम हो जाती है यह तो मालूम था पर उसका तकनीक निदान आज आपसे मिला. हम तो घर आफ़िस में वाई फ़ाई ही यूज करते हैं, फ़ोन का नेटवर्क आप्शन ही बंद कर रखा है, बेटरी अच्छी चल जाती है. बहुत आभार आपका.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत ही उपयोगी जानकारी. एक बात जरूर स्पष्ट है "जितना तेज भागना हो उतनी तेजी से ऊर्जा बहानी पड़ती है"
ReplyDelete
ReplyDeleteदिनांक 14/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
आज की ब्लॉग बुलेटिन आज लिया गया था जलियाँवाला नरसंहार का बदला - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteक्या जानकारी दी है, क्या उपाय सुझाए हैं ..वाह .
ReplyDeleteगहन गम्भीर, किन्तु सरल उपाय!! आभार!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी व काम की जानकारी
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि कल के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत ही उपयोगी जानकारी
ReplyDeleteआभार ।
प्रोद्योगिकी और अभिनव प्रोद्योगिकी की दांव पेंच सरल भाषा में समझा गए हैं आप .ऊर्जा की अंतरण का ही खेल है सारा का सारा .सशक्त प्रस्तुति बहुविध आयाम समेटे फोन प्रोद्योगिकी की .
ReplyDelete
ReplyDeleteरोचक ढंग से तकनीकी जानकारी देने के लिए आभार,,,,प्रवीण जी,,,,
Recent post: होरी नही सुहाय,
हम जैसे कलाकारों के लिए ....जिनका तकनीकी से कोई खास रिश्ता नहीं रहता ....एकदम बेसिक मॉडल फोन ...और उसका भी न्यूनतम इस्तेमाल ....!!!आपकी पोस्ट बड़े ध्यान से पढ़ना पड़ती है ...पर ज्ञानवर्धन ज़रूर होता है ...ये अच्छी बात है ...!!
ReplyDeleteलिखते रहें ....शुभकामनायें ....
इस बात को मैं पहले से जानती हूँ और अक्सर बैटरी बचाने के लिए यात्रा में फोन ऑफ रखती हूँ. वैसे भी मुझे व्यक्तिगत जीवन में मोबाइल और इंटरनेट की मनमानी दखलअंदाजी नहीं पसंद है. घर पर भी अक्सर पढ़ते समय फोन ऑफ रखती हूँ.
ReplyDeleteहाँ, ये 'पुश' और 'फेच' वाली बात नहीं मालूम थी.
सारगर्भित एवं उपयोगी जानकारी
ReplyDeleteबढ़िया शोध , अच्छी जानकारी .
ReplyDeleteअधुनातन जानकारी मुहैया करवाई है आपने .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का ,सहज व्याखेयेय बनाया है जानकारी को .
ReplyDeleteराजधानी जैसी ट्रेन मे तो मोबाइल चार्ज के लिए भी लाइन लगानी पड़ती है बाकी ट्रेन मे कैसा होता है आप अंदाजा लगा सकते हो। लोग 5 घंटे तक लैपटाप को चार्ज मे लगाए रखते हैं, बेचारे मोबाइल वाले अपना टुन-टूना लिया इधर उधर खाली पॉइंट तलाशते रहते हैं। 8 लोगों के लिए सिर्फ 2 पॉइंट दिये हैं जिसमे अधिकतर खराब रहते हैं।
ReplyDeleteडंडियों को बनाए रखने का बढ़िया सूत्र ढूंढा।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी ... सजी विषय पे ध्यान बटोरा है सभी का ...
ReplyDeleteये समस्या सभी को आती है ...
smartphones n their different issues... this is the most common one...
ReplyDeletemujhe to apne mobile ki battery ko din mei do baar charging mei lagana padta hai... kahi koi app battery kha raha hai to kahi koi update... bas yahi kahanai hai... but thank u so much fr writing about this topic... caz, aap jis museebat se joojh rhe ho, usi k karan doosra bhi koi pareshaan hai to thoda halka mahsoos hone lagta hai... ;)
पहले सादा फोन था, आठ दिन तक चल जाती थी बैट्री, अब स्मार्टफोन है, दिन में दो बार चार्ज करना पड़ती है.
ReplyDeleteउपयोगी प्रवीन भाई।
ReplyDeleteस्मार्ट फ़ोन लेना बाकि हैं, आप लगता हैं, एप्पल उपयोग लाते हैं। कोई सलाह?
उपयोगी जानकारी पूर्ण लेख...
ReplyDeleteसुचना ****सूचना **** सुचना
ReplyDeleteसभी लेखक-लेखिकाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सुचना सदबुद्धी यज्ञ
(माफ़ी चाहता हूँ समय की किल्लत की वजह से आपकी पोस्ट पर कोई टिप्पणी नहीं दे सकता।)
there is an application on android "easy battery saver" and its intelligent mode almost double battery life of my galaxy note 2.
ReplyDeleteupyogi jaankari ...abhar..
ReplyDeleteवाह लेख और टिप्पणियां दोनो ही फोन की बैटरी बचाने की जानकारी दे रहे हैं बहुत आभार ।
ReplyDeleteइतना सब तो मालूम नहीं था...वाकई उपयोगी जानकारी.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी जानकारी देता आपका यह आलेख ...
ReplyDeleteआभार
प्रवीण जी नेट वर्क तो वैसे भी बहुत टेक्स किए है आदमी को खासकर उसे जो अब साइबोर्ग हो चला है बढ़िया विषय उठाया है आपने और उसके विविध आयामों को समझाया है .अभिनव प्रोद्योगिकी को समझाने का काम आपसा कोई उस्ताद ही कोई अंजाम दे सकता है इस तरह .शुक्रिया आपकी टिप्पणी का .
ReplyDeleteकई लोग ऊपर टिप्पणियों में स्मार्टफोन्स को गलिया रहे हैं (अपने या पराए) बिना यह समझे कि जो चीज़ आपने बतलाई है इस पोस्ट में उसका फोन की स्मार्टनेस से कोई लेना देना नहीं है वरन् यह प्रक्रिया सभी बेतार फोन उपकरणों में होती है (बेतार लैंडलाइन वाले हैण्डसैट में भी)। ;)
ReplyDeleteकुछ दिनों बाद सामान्य ज्ञान के प्रश्न कुछ इस तरह से हुआ करेंगे। माना कि १००० किमी की यात्रा में २०० किमी में नेटवर्क नहीं है। पहले मार्ग में २०० किमी की यह दूरी २० किमी के १० हिस्सों में बंटी है। दूसरे मार्ग में २०० किमी की यह दूरी एक साथ है। किस मार्ग में जाने से आपकी बैटरी अधिक कम होगी और क्यों?
मेरे ख्याल से कुछ समय बाद यह प्रश्न ही गौण हो जाएगा हम जैसों के लिए भी क्योंकि अब फोन उपकरण पहले से काफ़ी बेहतर हो गए हैं (जैसा आपने कुछ समझदार फोन के विषय में कहा) और भविष्य में समझदारी का घड़ा भरेगा ही, छलकेगा नहीं। दूसरे फिर यह है कि बैट्रियाँ भी दिन प्रतिदिन उन्नत होती जा रही हैं। जहाँ दो साल पहले तक १०००-१२०० मिलि ऐंप ऑर की बैट्री फोन में होना बड़ी बात होती थी वहीं आज २०००-२५०० मिलि ऐंप ऑर की बैट्री आने लगी हैं। बैट्री पॉवर और क्षमता बढ़ेगी और सिग्नल खोजने के चक्क्र में होने वाली खपत घटेगी। फिर आजकल पोर्टेबल चार्जर का चलन भी आ गया है, पहले लोग ज़रूरत होने पर फोन की एक बैट्री साथ लेकर चला करते थे वहीं आजकल फोन के ही आकार का चार्जर साथ ले लेते हैं लंबे सफ़र पर कि फोन २-३ बार चार्ज हो जाएगा उससे। :)
आपसे पूर्णतया सहमत हूँ, जिस तरह से बुद्धिमान फोन आ रहे हैं, लगता है ये सारे अनुभव उसकी कार्यप्रणाली के अनिवार्य अंग हो जायेंगे। आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि २५०० mA की बैटरी और एक पॉवर मैनेजिंग चिप, मोबाइल को ४-५ दिन तक बिना चार्जिंग के चलाने लगे।
Deleteno dearth of taxes..
ReplyDeleteone more in the list :P