जीवन में लैपटॉप की आवश्यकता सबसे पहले तब लगी थी, जब कार्यालय और घर के डेस्कटॉपों पर पेनड्राइव के माध्यम से डाटा स्थानान्तरित करते करते पक गया था। लैपटॉप आने से दोनों डेस्कटॉप मेरे लिये अतिरिक्त हो गये। लैपटॉप की और छोटे होने की चाह बनती ही रही, कारण रहा, उस १५.६ इंच के लैपटॉप को ट्रेन यात्रा और कार यात्रा के समय अधिकतम उपयोग न कर पाने की विवशता। १२ सेल की बैटरी के साथ लगभग ४ किलो का उपकरण सहजता से यात्रा में उपयोगी नहीं हो सकता था। बैठकों में भी १५.६ इंच का लैपटॉप अपने सामने रखना अटपटा सा लगता था, लगता था कि कोई और व्यक्ति सामने आकर बैठ गया हो। अन्ततः वह लैपटॉप दो डेस्कटॉपों के स्थानापन्न के रूप में बना रहा।
मेरी यह चाह संभवतः तकनीक की भी राह रही, बहुतों को यही समस्या रही होगी, बहुत लोग लैपटॉप का उपयोग और अधिक स्थानों पर करना चाहते होंगे। १० इंच की छोटी स्क्रीन की ढेरों नेटबुक बाजार में आयीं, पर बाधित और सीमित क्षमता के कारण अपना समुचित स्थान नहीं बना पायीं। लैपटॉप की क्षमता एक मानक बन चुकी थी और कोई उससे कम पर सहमत भी नहीं था। १३ इंच के कई लैपट़ॉप बड़ी संभावना लेकर आये, पर उसमें भी भार अधिक कम नहीं हुआ, हाँ छोटी स्क्रीन पर अधिक न समेट पाने के कारण कार्य करने पर आँखों को बड़ा कष्ट सा होता रहा। जूम करना, विण्डो बदलना आदि ढेर सारे कार्य करने के लिये माउस से हैण्डल ढूढ़ना बड़ा कष्टकर कार्य हो जाता था।
तकनीक अपने रास्ते ढूढ़ ही लेती है। हार्डड्राइव, बैटरी, चिप, स्क्रीन आदि क्षेत्रों में गजब का विकास हुआ और जो उत्पाद सामने आया, उनका नामकरण अल्ट्राबुक्स हुआ। मैकबुक एयर की डिजायन एक मानक बन गयी, जिस पर अन्य मॉडल आधारित होने लगे। ११.६ और १३ इंच की स्क्रीन, वजन १.० और १.३ किलो। इससे हल्के लैपटॉप पहले कभी नहीं बने थे। उन्हे तो चलते चलते भी उपयोग में लाया जा सकता है, एक हाथ से उठा कर दूसरे हाथ से टाइप किया जा सकता है।
लैपटॉप में टचपैड ने माउस का प्रयोग लगभग समाप्त ही कर दिया था, पर उपयोग की दृष्टि से टचपैड का स्क्रीन पर पूर्ण नियन्त्रण उसके बड़े होने और बहुआयामी कार्य करने से आया। पिंच जूम, सरकाना, पलटना, पिछले पृष्ठ पर जाना, नयी विण्डो खोलना आदि टचपैड से होने लगा, स्क्रीन का सारा नियन्त्रण विधिवत रूप से ऊँगलियों से ही होने लगा। इसका सीधा प्रभाव यह पड़ा कि ११.६ इंच की छोटी स्क्रीन भी गतिशील और बड़ी लगने लगी।
स्क्रीन को छोटा और भार को कम करने में भौतिक कीबोर्ड एक बाधा था, जगह घेरता था और भारी होता था। उन्हे हटा कर स्क्रीन में ही छूकर कार्य करने की तकनीक ने टैबलेट को जन्म दिया। १० इंच का टैबलेट पर्याप्त लगा, सारे कार्य निपटाने में। इस प्रयास में भार और आकार तो कम हो गया पर दो विकार अनचाहे ही आ गये। एक तो ओएस अपनी पूर्ण क्षमता से रहित हो गया और दूसरा स्क्रीन का आकार कीपैड के कारण और सीमित हो गया। १० इंच का टैबलेट ६०० ग्राम के आसपास सिमट आया, कहीं भी ले जाने के लिये सुविधाजनक।
श्रीमतीजी के आईपैड में कई बार प्रयास किया कि कम से कम एक पोस्ट के बराबर लेखन करें। कीपैड के माध्यम से टाइप करने से न तो वह गति आयी और न ही वह सहजता जो मेकबुक एयर के चिकलेट कीबोर्ड से मिलती है। संभवतः ऊँगलियाँ इस तरह टाइप करने की अभ्यस्त ही नहीं हैं। एक अलग भौतिक कीबोर्ड लेने से और टैबलेट की स्क्रीन को बचाने का कवर लेने से, टैबलेट का भार और आकार लगभग मैकबुक एयर के बराबर ही हो जाता है, सम्हालने में मैकबुक एयर से कहीं अधिक कठिनाई के साथ। मैकबुक एयर बन्द करते ही पूरी तरह सुरक्षित हो जाती है।
यही कारण रहे कि हमने मैकबुक एयर को आईपैड के ऊपर चुना, पूरी क्षमता और सबसे हल्का। चर्चा में है कि बाजार में विण्डोज ८ पर आधारित टैबलेट आने वाला है, उसमें लैपटॉप की क्षमता रहेगी। ऐसे टैबलेट का भार और आकार निश्चय ही उत्सुकता का विषय रहेगा। बहुत लोग जो अधिक लेखन आदि नहीं करते हैं, उनके लिये हल्के टैबलेट बड़े लाभदायक हो सकते हैं, पर मेरे लिये लैपटॉप से अधिक उपयोगी कुछ भी नहीं है। मैकबुक एयर के रूप में सर्वश्रेष्ठ लैपटॉप का अनुभव अत्यन्त संतुष्टिपूर्ण रहा है। श्रीमतीजी अपने आईपैड से अत्यन्त प्रसन्न हैं, उनकी आवश्यकता के लिये टैबलेट ही सर्वोत्तम है।
यदि टैबलेट के विषय में कोई एक पक्ष है जो सर्वाधिक सशक्त लगता है, तो वह है इसकी बैटरी। लगभग दुगना समय टैबलेट चलता है। अधिक क्षमता के यन्त्र अधिक ऊर्जा लेते हैं, यही कारण है कि हमें अधिक ऊर्जा खपानी पड़ती है। लैपटॉप आधारित उपकरणों पर जीवन बीतने से टैबलेट थोड़ा सकुचाया सा दिखता है, पर कुछ एक कार्यों को छोड़ दें तो टैबलेट लैपटॉप के सारे कार्य कर सकता है। घर में यदि एक लैपटॉप है तो अन्य लोग टैबलेट से काम चला सकते हैं। टैबलेट लैपटॉप की तुलना में अधिक सस्ता भी होता है। यदि एक घर के सारे उपकरणों को एक पारितन्त्र के रूप में कार्य करते हुये समझें तो, एक लैपटॉप का पहले से होना टैबलेट के लिये मार्ग प्रशस्त करता है।
मोबाइल के दृष्टिकोण से भी देखा जाये तो अधिक शक्तिशाली मोबाइल टैबलेट के ढेरों कार्य कर सकता है, पर आकार छोटा होने के कारण वही कार्य करने में उतनी सहजता नहीं आ पाती है। कार में जाते समय या रसहीन बैठकों में बैठे हुये मोबाइल से न जाने कितने कार्य हो जाते हैं। यह मानकर चलता हूँ कि कोई याद आयी पंक्ति या विचार छूट न जाये और एक भी पल व्यर्थ न जाये, मोबाइल इन दोनों स्थितियों में उत्पादकता बनाये रखता है। आईक्लाउड के माध्यम से प्रयासों में सततता भी बनी रहती है।
अनुभव और तकनीक के आधार पर मैकबुक एयर और आईफोन की जोड़ी मेरे लिये पर्याप्त है और उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही है। अब इन दो उपकरणों के आधार पर कार्यशैली और जीवनशैली किस प्रकार विकसित हो रही, यह अगली पोस्ट का विषय रहेगा।
मेरी यह चाह संभवतः तकनीक की भी राह रही, बहुतों को यही समस्या रही होगी, बहुत लोग लैपटॉप का उपयोग और अधिक स्थानों पर करना चाहते होंगे। १० इंच की छोटी स्क्रीन की ढेरों नेटबुक बाजार में आयीं, पर बाधित और सीमित क्षमता के कारण अपना समुचित स्थान नहीं बना पायीं। लैपटॉप की क्षमता एक मानक बन चुकी थी और कोई उससे कम पर सहमत भी नहीं था। १३ इंच के कई लैपट़ॉप बड़ी संभावना लेकर आये, पर उसमें भी भार अधिक कम नहीं हुआ, हाँ छोटी स्क्रीन पर अधिक न समेट पाने के कारण कार्य करने पर आँखों को बड़ा कष्ट सा होता रहा। जूम करना, विण्डो बदलना आदि ढेर सारे कार्य करने के लिये माउस से हैण्डल ढूढ़ना बड़ा कष्टकर कार्य हो जाता था।
तकनीक अपने रास्ते ढूढ़ ही लेती है। हार्डड्राइव, बैटरी, चिप, स्क्रीन आदि क्षेत्रों में गजब का विकास हुआ और जो उत्पाद सामने आया, उनका नामकरण अल्ट्राबुक्स हुआ। मैकबुक एयर की डिजायन एक मानक बन गयी, जिस पर अन्य मॉडल आधारित होने लगे। ११.६ और १३ इंच की स्क्रीन, वजन १.० और १.३ किलो। इससे हल्के लैपटॉप पहले कभी नहीं बने थे। उन्हे तो चलते चलते भी उपयोग में लाया जा सकता है, एक हाथ से उठा कर दूसरे हाथ से टाइप किया जा सकता है।
स्क्रीन को छोटा और भार को कम करने में भौतिक कीबोर्ड एक बाधा था, जगह घेरता था और भारी होता था। उन्हे हटा कर स्क्रीन में ही छूकर कार्य करने की तकनीक ने टैबलेट को जन्म दिया। १० इंच का टैबलेट पर्याप्त लगा, सारे कार्य निपटाने में। इस प्रयास में भार और आकार तो कम हो गया पर दो विकार अनचाहे ही आ गये। एक तो ओएस अपनी पूर्ण क्षमता से रहित हो गया और दूसरा स्क्रीन का आकार कीपैड के कारण और सीमित हो गया। १० इंच का टैबलेट ६०० ग्राम के आसपास सिमट आया, कहीं भी ले जाने के लिये सुविधाजनक।
श्रीमतीजी के आईपैड में कई बार प्रयास किया कि कम से कम एक पोस्ट के बराबर लेखन करें। कीपैड के माध्यम से टाइप करने से न तो वह गति आयी और न ही वह सहजता जो मेकबुक एयर के चिकलेट कीबोर्ड से मिलती है। संभवतः ऊँगलियाँ इस तरह टाइप करने की अभ्यस्त ही नहीं हैं। एक अलग भौतिक कीबोर्ड लेने से और टैबलेट की स्क्रीन को बचाने का कवर लेने से, टैबलेट का भार और आकार लगभग मैकबुक एयर के बराबर ही हो जाता है, सम्हालने में मैकबुक एयर से कहीं अधिक कठिनाई के साथ। मैकबुक एयर बन्द करते ही पूरी तरह सुरक्षित हो जाती है।
यदि टैबलेट के विषय में कोई एक पक्ष है जो सर्वाधिक सशक्त लगता है, तो वह है इसकी बैटरी। लगभग दुगना समय टैबलेट चलता है। अधिक क्षमता के यन्त्र अधिक ऊर्जा लेते हैं, यही कारण है कि हमें अधिक ऊर्जा खपानी पड़ती है। लैपटॉप आधारित उपकरणों पर जीवन बीतने से टैबलेट थोड़ा सकुचाया सा दिखता है, पर कुछ एक कार्यों को छोड़ दें तो टैबलेट लैपटॉप के सारे कार्य कर सकता है। घर में यदि एक लैपटॉप है तो अन्य लोग टैबलेट से काम चला सकते हैं। टैबलेट लैपटॉप की तुलना में अधिक सस्ता भी होता है। यदि एक घर के सारे उपकरणों को एक पारितन्त्र के रूप में कार्य करते हुये समझें तो, एक लैपटॉप का पहले से होना टैबलेट के लिये मार्ग प्रशस्त करता है।
मोबाइल के दृष्टिकोण से भी देखा जाये तो अधिक शक्तिशाली मोबाइल टैबलेट के ढेरों कार्य कर सकता है, पर आकार छोटा होने के कारण वही कार्य करने में उतनी सहजता नहीं आ पाती है। कार में जाते समय या रसहीन बैठकों में बैठे हुये मोबाइल से न जाने कितने कार्य हो जाते हैं। यह मानकर चलता हूँ कि कोई याद आयी पंक्ति या विचार छूट न जाये और एक भी पल व्यर्थ न जाये, मोबाइल इन दोनों स्थितियों में उत्पादकता बनाये रखता है। आईक्लाउड के माध्यम से प्रयासों में सततता भी बनी रहती है।
अनुभव और तकनीक के आधार पर मैकबुक एयर और आईफोन की जोड़ी मेरे लिये पर्याप्त है और उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही है। अब इन दो उपकरणों के आधार पर कार्यशैली और जीवनशैली किस प्रकार विकसित हो रही, यह अगली पोस्ट का विषय रहेगा।
टैबलेट के बारे में मेरा तजुर्बा अच्छा नहीं रहा. अल्ट्राबुक एक अच्छा विकल्प है.
ReplyDeleteमैं भी एक अतिरिक्त टैबलेट लेने की सोच रहा था, पर लगता है कि यह विचार पूरी तरह से त्यागना पड़ेगा.
Deleteयदि टैबलेट ले रहें है तो मोबाइल २००० वाला ही लें, नहीं तो दोनों के कार्य एक से हो जायेंगे।
Deleteचलिए आपके अनुभव इस दिशा में मार्गदर्शक बन रहे हैं!
ReplyDeleteनिर्णयों और अनुभवों से कुछ लाभ मिल सके तो लेना चाहिये, हम भी लेते रहते हैं।
Deleteतकनीक सस्ती भी होनी चाहिये तभी उपयोगी हो पायेगी,हमारी सबसे बड़ी समस्या हमारे धूर्त राजनेताओँ ने खड़ी कर दी है अगर 1947 मेँ एक डालर=एक रुपया था तो आज क्योँ और कैसे पचास रुपये हो गया?जिम्मेदार केवल जवाहर लाल नेहरु है उसकी गलत नीतियोँ के ही कारण देश भारत से इन्डिया हो गया और इस रास्ते पर चला कि आम आदमी के लिये आज भी शौचालय बनवा लेना ही बहुत बड़ी तकनीकी सफलता है,जब तक एक डालर बराबर एक रुपया नहीँ होगा तब तक आम आदमी तकनीक के लिये तरसता ही रहेगा
ReplyDelete-----लैपटॉप आधारित उपकरणों पर जीवन बीतने से टैबलेट थोड़ा सकुचाया सा दिखता है...
ReplyDelete----पर मेरे लिये लैपटॉप से अधिक उपयोगी कुछ भी नहीं है। मैकबुक एयर के रूप में सर्वश्रेष्ठ लैपटॉप का अनुभव अत्यन्त संतुष्टिपूर्ण रहा है।
----यह मानकर चलता हूँ कि कोई याद आयी पंक्ति या विचार छूट न जाये और एक भी पल व्यर्थ न जाये, मोबाइल इन दोनों स्थितियों में उत्पादकता बनाये रखता है----
--- सटीक विश्लेषण ..... ब्लोगर्स के लिए शायद लैपटॉप ही उपयोगी रहेगा ....
एक और अच्छी जानकारी मिली ...
ReplyDeleteआभार आपका !
बढ़िया जानकारी दी..... टेबलेट पर लिखने का काम तो मुझे भी सहज नहीं लगा .....
ReplyDeleteसंग्रहणीय श्रंखला है यह....आप अब तकनीकी के मास्टर हो गए हैं ।
ReplyDelete...विजयादशमी की शुभकामनाएं ।
हम भी तकनीक सीख रहे हैं, अनुभव बांटने से किसी का लाभ हो जाये तो अच्छा लगेगा।
Deleteउत्तम जानकारी !
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी ...
ReplyDeleteविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
विजयादशमी की शुभकामनाएं |
ReplyDeleteसादर --
मूवी देखने या गेम खेलने जैसे कामों के लिए उचित है मगर लेखन कार्य उतनी सहजता से नहीं किया जाता जितना आप पीसी की-बोर्ड या लैपटाप मे कर सकते हैं। सफर के दौरान ईमेल चेक करने या ऐसे ही कामों के लिए उचित है ।
ReplyDeleteविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
मैक एयर का कौन सा वर्जन यूज कर रहे हैं आप? स्टोरेज एसएसडी है या नोर्मल वाला? मैकबुक एयर और प्रो के बारे में क्या सोचते हैं आप?
ReplyDelete११.६ इंच, ४ जीबी रैम, १२८ जीबी एसएसडी स्टोरेज। प्रो थोड़ा भारी है, पर संगणना प्रधान कार्यक्रमों के लिये बहुत अच्छा है। लेखन के लिये एयर का कोई जोड़ नहीं।
Deleteधन्यवाद...
Deleteसमझने की कोशिश कर रहे हैं.
ReplyDeletewhenever and where ever dimensions have been compromised it has always been done at the cost of some features . tablet can never be better than laptop.
ReplyDeleteजो लैपटॉप और मोबाइल, दोनों का ही मध्यम उपयोग करते हैं, उनके लिये टैबलेट काफी हद तक लाभदायक हो सकता है।
Deleteबहुत अच्छी जानकारी है...पूरी तरह समझने में अभी समय लगेगा..
ReplyDeleteमाइक्रोसॉफ़्ट सरफ़ेस एक क्रांतिकारी पहल है
ReplyDeleteआपका अनुभव मेरे लिए उपयोगी है क्योंकि आईफोन और मैकबुक कभी ट्राई नहीं किया है.
ReplyDeleteआप आगे-आगे टॉर्च जलाते रहिये, हम भी अन्हारे में आपके सहारे बढ़ रहे हैं.
क्रांतिकारी पहल,लेकिन पसंद और वजट अपना अपना,,,,,,
ReplyDeleteविजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
RECENT POST...: विजयादशमी,,,
बड़ी मुश्किल से तो लैपटाप हर हाथ साफ हुआ ही फिर ई नई तकनीक आ गई!:( टैबलेट का प्रयोग करें तब न जाने कि कौन अच्छा है! हम लैंग्वेज बार से हिंदी में टाइप करने के आदी हो चुके हैं। क्या टैबलेट में भी लैंग्वेज बार मिलेगा?
ReplyDeleteआपके विचार व प्रयोग सदैव सार्थक व सहयोगी होते हैं। इतनी सुंदर व सार्थक चर्चा हेतु आभार।
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी दी.
ReplyDeleteडेस्कटॉप अब सूना सूना सा हो गया है . लैपटॉप गोद में रहता है. इससे ज्यादा प्यारा रिश्ता और कोई नहीं . :)
ReplyDeleteलैपटॉप ही सुविधाजनक है । आयपैड जानकारी पाने के लिये बढिया है .
ReplyDeleteapne liye to abhi dilli dor hai
ReplyDeleteयह मानकर चलता हूँ कि कोई याद आयी पंक्ति या विचार छूट न जाये और एक भी पल व्यर्थ न जाये, मोबाइल इन दोनों स्थितियों में उत्पादकता बनाये
ReplyDeleteरखता है। आईक्लाउड के माध्यम से प्रयासों में सततता भी बनी रहती है।
कंप्यूटर की विकास यात्रा के कई पड़ाव आपने तय करवा दिए कहाँ एक पूरा कमरा घेर लेता था पहली पीढ़ी का यह उत्पाद और कहाँ अब ओवर कोट की
जेब में घुसने को उतावला है .
हर पल को निचोड़ रहें हैं आप और सहयोगी बन रही है आपकी जिजीविषा महत्व कांक्षा ,हाँ कोई पल रीता न रह जाए इस ललक को बनाये रखने में आज प्रोद्योगिकी आदमी से लिविंग टुगेदर सा सम्बन्ध बनाए है
.जहां दोनों का सह -वर्धन है ..प्रोद्योगिकी आदमी की नस नस से वाकिफ हो रही है .और आदमी प्रोद्योगिकी की .
यह मानकर चलता हूँ कि कोई याद आयी पंक्ति या विचार छूट न जाये और एक भी पल व्यर्थ न जाये, मोबाइल इन दोनों स्थितियों में उत्पादकता बनाये
ReplyDeleteरखता है। आईक्लाउड के माध्यम से प्रयासों में सततता भी बनी रहती है।
कंप्यूटर की विकास यात्रा के कई पड़ाव आपने तय करवा दिए कहाँ एक पूरा कमरा घेर लेता था पहली पीढ़ी का यह उत्पाद और कहाँ अब ओवर कोट की
जेब में घुसने को उतावला है .
हर पल को निचोड़ रहें हैं आप और सहयोगी बन रही है आपकी जिजीविषा महत्व कांक्षा ,हाँ कोई पल रीता न रह जाए इस ललक को बनाये रखने में आज
प्रोद्योगिकी आदमी से लिविंग टुगेदर सा सम्बन्ध बनाए है
.जहां दोनों का सह -वर्धन है ..प्रोद्योगिकी आदमी की नस नस से वाकिफ हो रही है .और आदमी प्रोद्योगिकी की .
आपकी यह विकास यात्रा प्रोद्योगिकी के साथ चले .शुभकामनाएं .बधाई .
आओ फिर दिल बहलाएँ ... आज फिर रावण जलाएं - ब्लॉग बुलेटिन पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को दशहरा और विजयादशमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें ! आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDelete.
ReplyDeleteअभी हमारी आवश्यकताएं इतनी नहीं बढ़ी …
चल जाता है अपना काम
उपयोगी लेख है…
भविष्य में आपकी पोस्ट्स फिर देखनी ज़रूर पड़ेगी…
:)
ஜ▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~विजयदशमी की हार्दिक बधाई~*~♥
ஜ▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
अभी हाल ही मे एक 7" का टैब लिया है ... बहुत ज्यादा उपयोग तो नहीं कर पाया हूँ उसका पर हाँ अच्छा लगता है किसी भी नए गैजेट के बारे मे जानना !
ReplyDeleteआप सब को दशहरा और विजयादशमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
Technology is simplifying things for us and good to know that Mac and iPhone are working wonders for you. :)
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteAdd Happy Diwali Greetings to your blog - मित्रों को शुभ दीपावली बधाइयाँ दीजिए
सहज़ सरल शब्दों में ज्ञानवर्धक पोस्ट ...
ReplyDeleteसादर
दोनों ही की अपनी अपनी उपयोगिता है...वैसे अभी तक टैबलेट से तो पाला नहीं पड़ा है पर लैपटॉप काफी सुविधापुर्ण और उपयोगी साबित हुआ है ज़िंदगी में...सुंदर प्रस्तुति।।।
ReplyDeleteHmmmm sochna hoga! Bahut achhee jankaaree!
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
जानकारी पूर्ण आलेख... यह टचस्क्रीन मैं अभी तक नहीं साध पाया किसी भी उपकरण की... जिस बटन को दबाता हूँ वह कभी नहीं दबता, उसके बगल वाले बटन एक्टिव हो जाते हैं... इसलिये कीबोर्ड वाला लैपटॉप अपनी तो मजबूरी है... :(
...
बड़े काम की जानकारी !
ReplyDelete
ReplyDelete24.10.12
लैपटॉप या टैबलेट - तकनीकी पक्ष
लैप टॉप हो या टैबलेट सारा जादू रफ्तार का है इसीलिए तो आपका ये हाल है -जहां मैं जाती हूँ वहीँ चले आते हो ,टिपण्णी छोड़ तभी उड़ जाते हो ,ये
तो न पूछो की तुम लैप टॉप हो या हो के टैबलेट .
शुक्रिया आपकी द्रुत गामिनी टिप्पणियों का .
बहुत सुन्दर तकनीकी जानकारी...
ReplyDeleteअभी डेस्कटाप की आदत है, लैपटाप पर ऊगलियां चलाना अटपटा लगता है।
ReplyDeleteइस श्रृंखला की तीनो ही कड़ियों में लैपटॉप व टेबलेट पर आपने विस्तार से प्रकाश डाला है. इससे दोनों में अंतर स्पष्ट हुआ है.
ReplyDeleteटेबलेट बस गेम खेलने के लिए बढ़िया है..
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