अभी तक की सर्वाधिक मूल्यवान कम्पनी का स्थान पाने के बाद अपेक्षाओं का जो अंबार एकत्र होता है, उसे समेट कर व्यवस्थित रख पाना उस कम्पनी की अगली चुनौती बन जाती है। शीर्ष पर होने का धर्म उत्सवीय कम और चिन्तनशील अधिक होता है। ऊँचाई पर तनिक बैठ कर सुस्ता लेने में लुढ़क जाने का भय है, सबकी दृष्टि आप पर जो है, प्रतियोगिता गलाकाट जो है। नयी तकनीकों का विस्तार और उनके प्रयोगों का अधिकार, दोनों कार्य उस कम्पनी की क्षमता को सतत तौलते रहते हैं। यह केवल कम्पनियों पर ही लागू नहीं होता है वरन ऊँचाई पर पहुँचे व्यक्तियों, समाजों और सभ्यताओं पर भी सटीक बैठता है।
लगभग वर्ष भर पहले जब स्टीव जॉब्स का निधन हुआ था, उस समय एप्पल से मात्र प्रारम्भिक परिचय हुआ था। तब मैकबुक एयर माह भर पुराना था और आईफोन लिये जाने में दो माह शेष थे। स्टीव जाब्स के व्यक्तित्व ने प्रभावित किया था, बहुत कुछ इसलिये कि सफलता प्रभावित करती है, बहुत कुछ इसलिये भी कि तलहटी तक गिर कर शिखर को छूने वालों की विश्व उपासना करता है, उनका संघर्ष सबको अभिभूत करता है। स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में दिये गये अभिभाषण ने उनके व्यक्तित्व के आधारभूत गुणों से सारे विश्व को अवगत कराया था। मृत्यु को देख कर वापस आने वाले जीवन अपना समय व्यर्थ नहीं करते है, पैन्क्रियाटिक कैंसर से बच कर निकले जो ६ वर्ष उन्होंने व्यतीत किये हैं, वे न केवल एप्पल के लिये मूल्यवान थे वरन विश्व की दिशा नियत करने में सक्षम भी। मेरे लिये इस धारणा के सत्यापन का आधार एप्पल उत्पादों का वर्ष भर किया हुआ उपयोग रहा, मैकबुक एयर और आईफोन का उपयोग रहा।
निश्चय ही एप्पल के उत्पाद मँहगे होते हैं, और उन्हें खरीदने के पहले आपको दो बार सोचना होता है। आर्थिक अवलोकन आवश्यक है पर यह भी सच है कि हम सबसे सस्ती चीज भी नहीं खरीदते हैं। आवश्यकता के अनुसार मापदण्ड निश्चित करने के बाद हम गुणवत्ता का ही आधार लेते हैं, अधिक गुणवत्ता के लिये अधिक धन खर्च करना स्वाभाविक भी है। संभवतः यही हुआ मैकबुक एयर की खरीद में, एक ऐसा लैपटॉप देख रहा था जो हल्का हो, बैटरी पर अधिक समय चलने वाला हो और संरचना में सुदृढ़ हो। इस विषय पर कई दिन अनुसंधान किया पर किसी और उत्पाद को इसके निकट नहीं पाया। वर्षों विण्डो पर कार्य करते बीते थे अतः नये परिवेश में ढलना प्रारम्भ में तनिक कठिन रहा, पर धीरे धीरे कार्य ने गति पकड़ ली। आईफोन का खरीदना और भी रोचक रहा, विण्डो मोबाइल ४ वर्ष का हो चुका था, नोकिया, एलजी और ब्लैकबेरी के हिन्दी टाइप करने वाले तीन और मोबाइल उपयोग में लाया पर संतुष्टि नहीं मिली। उसी समय आईफोन पर हिन्दी पूर्ण रूप में आयी थी, जबकि एण्ड्रॉयड आदि विकासशील स्थिति में थे। आईफोन थोड़ा प्रयोग कर देखा, बहुत अच्छा लगा, खरीद लिया। दोनों में ही धन थोड़ा अधिक लगा था, पर एक वर्ष के उपयोग में पायी संतुष्टि के आधार पर यह कह सकता हूँ कि दोनों ही निर्णय गर्व करने योग्य थे।
आधुनिक डिजिटल जीवन के तीन अंग होते हैं, कम्प्यूटर या लैपटॉप, मोबाइल, इण्टरनेट। अपने अपने क्षेत्रों में इन तीनों का अलग अलग उपयोग भी किया जा सकता है और समन्वय स्थापित करके भी। इनका प्रभावी उपयोग करने वाले जानते हैं कि इनका भी अपना पारितन्त्र है, एक अवयव दूसरे का प्रेरक और पूरक है। कहने को तो मोबाइल न जाने कितने कार्य कर सकता है,फिर भी सुविधा के लिये हमें लैपटॉप का उपयोग करना पड़ता है। इसी प्रकार लैपटॉप भी सारे कार्य करता है पर हर स्थान पर ले नहीं जाया जा सकता है। कई ऐसे कार्य हैं जो हम दोनों में ही करते हैं और कई बार ऐसा भी होता है कि दोनों ही उपस्थित नहीं होते हैं, उस समय इण्टरनेट के माध्यम से हम अपने कार्य तक पहुँचना चाहते हैं। सारी आधुनिक कम्पनियाँ लैपटॉप, मोबाइल और इण्टरनेट सेवाओं के इस पारितन्त्र को स्थापित करने में लगी हैं। ध्यान से देखें तो किसी भी कम्पनी के पास तीनों अवयव उपस्थित नहीं हैं, सिवाय एप्पल के। माइक्रोसाफ्ट के पास मोबाइल का निर्माण नहीं है, इण्टरनेट सेवायें भी कम हैं। गूगल के पास कम्प्यूटर नहीं है, इसी प्रकार किसी भी बड़ी कम्पनी को देखें तो कोई न कोई अवयव अनुपस्थित मिलेगा।
क्या सुदृढ़ पारितन्त्र स्थापित करने के लिये सारे अवयवों का एक कम्पनी के साथ होना आवश्यक है? क्या सॉफ्टवेयर बनाने वाले हार्डवेयर भी बनायें? जी हाँ, यदि एलन के की माने तो, उनके अनुसार यदि कोई अपने सॉफ्टवेयर के प्रति गम्भीर है तो उन्हें अपना हार्डवेयर स्वयं बनाना चाहिये। इस तर्क में बल है और इसे समझना सरल भी। जब हम कोई ऐसा उत्पाद बनाते हैं जिसमें सभी को संतुष्ट कर सकें या जिसमें सभी के लिये संभावनायें हो तो बहुधा एक आम सा उत्पाद बन कर सामने आता है। वह उत्पाद भारी होता है और उसमें कई अनावश्यक चीजें कम की जा सकती हैं। आन्तरिक समन्वय वाह्य समन्वय से कहीं अधिक प्रभावी होता है। एप्पल इन तीनों ही क्षेत्रों में सिद्धहस्त है, और उनके आपसी समन्वय में कोई घर्षण भी नहीं है। मैकबुक एयर, आईपैड, आईफोन, आईक्लाउड और आईट्यून्स आदि अपने क्षेत्रों के उत्कृष्टतम उत्पाद हैं। वर्ष भर के अनुभव में इन सबको ढंग से समझने का अवसर मिला और एप्पल के पारितन्त्र की गुणवत्ता और उत्कृष्टता पर कोई सन्देह नहीं रहा।
स्टीव जाब्स जेन से प्रभावित थे, जेन सरलता को महत्व देता है। सरलता हर क्षेत्र में, जीवन में भी, कार्यक्षेत्र में भी। अनावश्यक को तब तक तजते जाना, जब तक अस्तित्व में पूर्णता न छलकने लगे। पता नहीं क्यों पर मुझे एप्पल के हर उत्पाद जेन के डिजिटल प्रतिरूप लगते हैं। उत्पादों को आकार इतना छोटा कर पाना और इतने कम में इतना अधिक भर पाना तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक अनावश्यक आयतन हटा न दिया गया हो। जब उनके आईपॉड डिजाइनर ने कहा कि उन्होने आईपॉड का न्यूनतम आकार पा लिया है, तो उन्होने आईपॉड को एक एक्वेरियम में डाला दिया और कहा कि जब तक बुलबुले निकलना बन्द न हो जाये तब तक उसका आकार कम करें। उत्पाद डिजाइन में भी दर्शन समाहित किया जा सकता है, यह एप्पल के उत्पादों में देखा जा सकता है। सरलता का यही स्वरूप आईफोन में मात्र एक होम बटन के रूप में भी देखा जा सकता है और मैकबुक एयर की एकल एल्युमुनियम बॉडी में भी। यही सरलता सॉफ्टवेयर और ऑपेरेटिंग तन्त्र में दिखायी पड़ती है, यही कारण है कि एप्पल की ऊर्जा खपत न्यूनतम है और उत्पाद बिना रिचार्ज किये लम्बे चलते हैं।
एप्पल का दूसरा सशक्त पक्ष है कि डिजाइन संबंधी किसी भी तत्व को मूल से देखना। एप्पल के उत्पादों में कुछ भी ऐसा नहीं है जिसे उन्नत बनाने का प्रयास न किया गया हो। चिप, बॉडी, बैटरी, स्क्रीन, कैमरा, स्पीकर, हर वस्तु में हर बार कुछ न कुछ नया किया है। इतने श्रम और शोध ने न केवल एप्पल के उत्पादों को शीर्षतम स्तर पर पहुँचा दिया वरन प्रतियोगियों को भी बाध्य किया कि वे भी सृजन की राह पर बढ़ें। यदि कहा जाये कि एप्पल लगातार इस व्यवसाय के मानक तय कर रही है तो अतिश्योक्ति नहीं होगा।
जब आप सर्वश्रेष्ठ करने की ठान लें तो आप के लिये यह पता करना आवश्यक नहीं कि ग्राहकों को क्या चाहिये। स्टीव जाब्स ने माँग जानने के लिये कभी कोई ग्राहक सर्वेक्षण नहीं कराया। अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ देकर सदा ही ग्राहकों को चकित करने की परम्परा रही है एप्पल में। ग्राहकों ने भी सदा ही उस गहन श्रम और शोध को सर आँखों पर बिठाया और अब स्थिति यह है कि लोग महीनों पहले से एप्पल के नये उत्पाद आने की प्रतीक्षा करते हैं।
एप्पल ने यहाँ तक निर्धारित किया कि उपयोगकर्ता के लिये सर्वश्रेष्ठ उपयोग-विधियाँ क्या हों। स्टाइलस के स्थान पर ऊँगली के उपयोग ने सारे अनुभव को सरल और त्वरित कर दिया। धीरे धीरे एप्पल की उपयोग-विधियाँ मानक हो गयीं और अभी भी वही दिशा बनी हुयी है।
मैकबुक एयर, आईफोन और आईक्लाउड के माध्यम से हमारा प्रशासनिक और साहित्यिक कार्य निर्बाध हो गया है। सरलता और सततता कार्यशैली के मूलमन्त्र बन गये हैं। समय का भरपूर उपयोग और उत्पादकता बढ़ाने में एप्पल ने एक महत योगदान दिया है। मेरे लिये तो एप्पल का मूल्य गहरा है और मापा नहीं जा सकता है, शोधपरक और श्रमशील एप्पल मेरे लिये सदा ही मूल्यवान बनी रहेगी।
निश्चय ही एप्पल के उत्पाद मँहगे होते हैं, और उन्हें खरीदने के पहले आपको दो बार सोचना होता है। आर्थिक अवलोकन आवश्यक है पर यह भी सच है कि हम सबसे सस्ती चीज भी नहीं खरीदते हैं। आवश्यकता के अनुसार मापदण्ड निश्चित करने के बाद हम गुणवत्ता का ही आधार लेते हैं, अधिक गुणवत्ता के लिये अधिक धन खर्च करना स्वाभाविक भी है। संभवतः यही हुआ मैकबुक एयर की खरीद में, एक ऐसा लैपटॉप देख रहा था जो हल्का हो, बैटरी पर अधिक समय चलने वाला हो और संरचना में सुदृढ़ हो। इस विषय पर कई दिन अनुसंधान किया पर किसी और उत्पाद को इसके निकट नहीं पाया। वर्षों विण्डो पर कार्य करते बीते थे अतः नये परिवेश में ढलना प्रारम्भ में तनिक कठिन रहा, पर धीरे धीरे कार्य ने गति पकड़ ली। आईफोन का खरीदना और भी रोचक रहा, विण्डो मोबाइल ४ वर्ष का हो चुका था, नोकिया, एलजी और ब्लैकबेरी के हिन्दी टाइप करने वाले तीन और मोबाइल उपयोग में लाया पर संतुष्टि नहीं मिली। उसी समय आईफोन पर हिन्दी पूर्ण रूप में आयी थी, जबकि एण्ड्रॉयड आदि विकासशील स्थिति में थे। आईफोन थोड़ा प्रयोग कर देखा, बहुत अच्छा लगा, खरीद लिया। दोनों में ही धन थोड़ा अधिक लगा था, पर एक वर्ष के उपयोग में पायी संतुष्टि के आधार पर यह कह सकता हूँ कि दोनों ही निर्णय गर्व करने योग्य थे।
आधुनिक डिजिटल जीवन के तीन अंग होते हैं, कम्प्यूटर या लैपटॉप, मोबाइल, इण्टरनेट। अपने अपने क्षेत्रों में इन तीनों का अलग अलग उपयोग भी किया जा सकता है और समन्वय स्थापित करके भी। इनका प्रभावी उपयोग करने वाले जानते हैं कि इनका भी अपना पारितन्त्र है, एक अवयव दूसरे का प्रेरक और पूरक है। कहने को तो मोबाइल न जाने कितने कार्य कर सकता है,फिर भी सुविधा के लिये हमें लैपटॉप का उपयोग करना पड़ता है। इसी प्रकार लैपटॉप भी सारे कार्य करता है पर हर स्थान पर ले नहीं जाया जा सकता है। कई ऐसे कार्य हैं जो हम दोनों में ही करते हैं और कई बार ऐसा भी होता है कि दोनों ही उपस्थित नहीं होते हैं, उस समय इण्टरनेट के माध्यम से हम अपने कार्य तक पहुँचना चाहते हैं। सारी आधुनिक कम्पनियाँ लैपटॉप, मोबाइल और इण्टरनेट सेवाओं के इस पारितन्त्र को स्थापित करने में लगी हैं। ध्यान से देखें तो किसी भी कम्पनी के पास तीनों अवयव उपस्थित नहीं हैं, सिवाय एप्पल के। माइक्रोसाफ्ट के पास मोबाइल का निर्माण नहीं है, इण्टरनेट सेवायें भी कम हैं। गूगल के पास कम्प्यूटर नहीं है, इसी प्रकार किसी भी बड़ी कम्पनी को देखें तो कोई न कोई अवयव अनुपस्थित मिलेगा।
क्या सुदृढ़ पारितन्त्र स्थापित करने के लिये सारे अवयवों का एक कम्पनी के साथ होना आवश्यक है? क्या सॉफ्टवेयर बनाने वाले हार्डवेयर भी बनायें? जी हाँ, यदि एलन के की माने तो, उनके अनुसार यदि कोई अपने सॉफ्टवेयर के प्रति गम्भीर है तो उन्हें अपना हार्डवेयर स्वयं बनाना चाहिये। इस तर्क में बल है और इसे समझना सरल भी। जब हम कोई ऐसा उत्पाद बनाते हैं जिसमें सभी को संतुष्ट कर सकें या जिसमें सभी के लिये संभावनायें हो तो बहुधा एक आम सा उत्पाद बन कर सामने आता है। वह उत्पाद भारी होता है और उसमें कई अनावश्यक चीजें कम की जा सकती हैं। आन्तरिक समन्वय वाह्य समन्वय से कहीं अधिक प्रभावी होता है। एप्पल इन तीनों ही क्षेत्रों में सिद्धहस्त है, और उनके आपसी समन्वय में कोई घर्षण भी नहीं है। मैकबुक एयर, आईपैड, आईफोन, आईक्लाउड और आईट्यून्स आदि अपने क्षेत्रों के उत्कृष्टतम उत्पाद हैं। वर्ष भर के अनुभव में इन सबको ढंग से समझने का अवसर मिला और एप्पल के पारितन्त्र की गुणवत्ता और उत्कृष्टता पर कोई सन्देह नहीं रहा।
स्टीव जाब्स जेन से प्रभावित थे, जेन सरलता को महत्व देता है। सरलता हर क्षेत्र में, जीवन में भी, कार्यक्षेत्र में भी। अनावश्यक को तब तक तजते जाना, जब तक अस्तित्व में पूर्णता न छलकने लगे। पता नहीं क्यों पर मुझे एप्पल के हर उत्पाद जेन के डिजिटल प्रतिरूप लगते हैं। उत्पादों को आकार इतना छोटा कर पाना और इतने कम में इतना अधिक भर पाना तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक अनावश्यक आयतन हटा न दिया गया हो। जब उनके आईपॉड डिजाइनर ने कहा कि उन्होने आईपॉड का न्यूनतम आकार पा लिया है, तो उन्होने आईपॉड को एक एक्वेरियम में डाला दिया और कहा कि जब तक बुलबुले निकलना बन्द न हो जाये तब तक उसका आकार कम करें। उत्पाद डिजाइन में भी दर्शन समाहित किया जा सकता है, यह एप्पल के उत्पादों में देखा जा सकता है। सरलता का यही स्वरूप आईफोन में मात्र एक होम बटन के रूप में भी देखा जा सकता है और मैकबुक एयर की एकल एल्युमुनियम बॉडी में भी। यही सरलता सॉफ्टवेयर और ऑपेरेटिंग तन्त्र में दिखायी पड़ती है, यही कारण है कि एप्पल की ऊर्जा खपत न्यूनतम है और उत्पाद बिना रिचार्ज किये लम्बे चलते हैं।
एप्पल का दूसरा सशक्त पक्ष है कि डिजाइन संबंधी किसी भी तत्व को मूल से देखना। एप्पल के उत्पादों में कुछ भी ऐसा नहीं है जिसे उन्नत बनाने का प्रयास न किया गया हो। चिप, बॉडी, बैटरी, स्क्रीन, कैमरा, स्पीकर, हर वस्तु में हर बार कुछ न कुछ नया किया है। इतने श्रम और शोध ने न केवल एप्पल के उत्पादों को शीर्षतम स्तर पर पहुँचा दिया वरन प्रतियोगियों को भी बाध्य किया कि वे भी सृजन की राह पर बढ़ें। यदि कहा जाये कि एप्पल लगातार इस व्यवसाय के मानक तय कर रही है तो अतिश्योक्ति नहीं होगा।
जब आप सर्वश्रेष्ठ करने की ठान लें तो आप के लिये यह पता करना आवश्यक नहीं कि ग्राहकों को क्या चाहिये। स्टीव जाब्स ने माँग जानने के लिये कभी कोई ग्राहक सर्वेक्षण नहीं कराया। अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ देकर सदा ही ग्राहकों को चकित करने की परम्परा रही है एप्पल में। ग्राहकों ने भी सदा ही उस गहन श्रम और शोध को सर आँखों पर बिठाया और अब स्थिति यह है कि लोग महीनों पहले से एप्पल के नये उत्पाद आने की प्रतीक्षा करते हैं।
एप्पल ने यहाँ तक निर्धारित किया कि उपयोगकर्ता के लिये सर्वश्रेष्ठ उपयोग-विधियाँ क्या हों। स्टाइलस के स्थान पर ऊँगली के उपयोग ने सारे अनुभव को सरल और त्वरित कर दिया। धीरे धीरे एप्पल की उपयोग-विधियाँ मानक हो गयीं और अभी भी वही दिशा बनी हुयी है।
मैकबुक एयर, आईफोन और आईक्लाउड के माध्यम से हमारा प्रशासनिक और साहित्यिक कार्य निर्बाध हो गया है। सरलता और सततता कार्यशैली के मूलमन्त्र बन गये हैं। समय का भरपूर उपयोग और उत्पादकता बढ़ाने में एप्पल ने एक महत योगदान दिया है। मेरे लिये तो एप्पल का मूल्य गहरा है और मापा नहीं जा सकता है, शोधपरक और श्रमशील एप्पल मेरे लिये सदा ही मूल्यवान बनी रहेगी।
उम्दा लेखन शैली में गहन जानकारी |विश्लेषण प्रभावित करता है |आभार
ReplyDeleteएप्पल के उत्पादों कोअभी भी ललचाई नज़रों से देखा करते हैं :-)
ReplyDeleteस्टीव जोब्स जैसी विभूतियाँ, मानव के लिए,सतत प्रयत्नशील होने के लिए प्रेरणा श्रोत् हैं !
ReplyDeleteवे अमर रहेंगे ...
परसों ही स्टीव जोब्स के बारे में हिस्ट्री चैनल पर एक प्रोग्राम देखा . एपल को खड़ा करना फिर उसमे से निकाल दिया जाना दुबारा उसमे आना फिर उसे नम्बर १ बनाना स्टीव जैसा व्यक्तित्व ही कर सकता था .
ReplyDeleteआई फोन ,अभी भी मेरे लिए एक सपना है .......
आपके हर लेख पर एप्पल को एक शानदार गिफ्ट देना चाहिए। लगता है इस दिशा में एप्पल की पकड़ कमजोर है।:)
ReplyDeleteलेख ने इच्छा बढ़ाई।
सच कहा आपने अनमोल ही लगते हैं ये उत्पाद जिनका उत्पादकता बढ़ाने में बहुत योगदान है......कई सारी जानकारियां भी मिली , आभार
ReplyDeleteachchhi baten batayi hain aapne.aabhar कोई कानूनी विषमता नहीं ३०२ व् ३०४[बी ]आई.पी.सी.में
ReplyDeleteऔलाद की कुर्बानियां न यूँ दी गयी होती .
हम भी देखेंगे आजमा कर.
ReplyDeleteआपका अनुभव हमें नयी राह दिखा रहा है ......!
ReplyDeleteहमने भी कई बार सोचा पर आपकी बात सत्य है कि कम से कम दो बार सोचना पड़ता है, इसलिये अभी पहली बार सोच रहे हैं, अभी तक बिल्कुल नहीं सोचा था। मोबाईल और लेपटॉप दोनों ही बदलने का वक्त आ चला है।
ReplyDeleteगहन जानकारी परवीन जी आपकी लेखन शैली का जवाब नहीं
ReplyDeleteaapke jaankari ka jabab nahi...
ReplyDeleteशीर्ष पर होने का धर्म उत्सवीय कम और चिन्तनशील अधिक होता है। ऊँचाई पर तनिक बैठ कर सुस्ता लेने में लुढ़क जाने का भय है, सबकी दृष्टि आप पर जो है, प्रतियोगिता गलाकाट जो है।
ReplyDelete...जानकारी का पूरा खजाना,सशक्त एवं उत्कृष्ट आलेख ...आभार
आइफोन तो श्रेष्ठ ही है लेकिन लगता है अपनी औकात से बाहर है। हम महिलाओं में क्या है, कि हम मंहगे गहने खरीद सकती हैं लेकिन इलेक्ट्रानिक वस्तुओं पर पैसा खर्च करना विलासिता लगता है और इसके लिए कहने में भी हिचक होती है। इसी मानसिकता से उबरने की सोच रही हूँ।
ReplyDeleteएप्पल न सिर्फ सुविधाजनक है बल्कि ये स्टेटस सिम्बल भी है...सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteनाम तो रईस है
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी
ReplyDeleteएप्पल का अच्छा विश्लेषण किया है प्रवीण जी आप ने..देखना तो होगा ही नया लेपटाँप जो लेना है...
ReplyDeleteआपको एप्पल का ब्रांड एम्बेसडर बना देना चाहिए :)
ReplyDeleteवैसे आपकी बात से पूर्णत: सहमत वाकई एप्पल का जबाब नहीं.
एप्पल का नाम तो बहुत सुना उपयोग करने का मौक़ा नही मिला,,,,आपका आलेख पढकर एप्पल प्रति जिज्ञासा बढ़ गई है,,,,,,
ReplyDeleteRECENT P0ST ,,,,, फिर मिलने का
एप्पल का प्रयोग करने वाले उससे इश्क करने कगते हैं ...
ReplyDeleteऐसे ही नहीं होता ये इश्क ...
Well, I cant write here in Hindi, though it was review but done without any statistical data comparison among products.
ReplyDeleteKeep going.
kuch bhi ho baatto sahi hai Apple ,APPLE hee hai totally agree with you....knowledgeable post
ReplyDeleteशिखर पर पहुचने और वहाँ लंबे समय तक बने रहने की राह आसान हो भी नहीं सकती. एपल ने मेहनत करके ही शिखर पर स्थान बनाया है.
ReplyDeleteपांडे जी ,इतना नीरस विषय को मनोविनोद भरा पुट दे सरस बन दिया है की .. क्या कहने .../ हाँ यहाँ मै कहना चाहूँगा,एप्पल की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं पर आम आदमी से दूर है / प्रद्योगिकी जन -जन तक पहुंचे की कोशिश जरी रहनी चाहिए / बहुत -शुभकामनाएं ....../
ReplyDeleteआदि से अंत तक एप्पल !
ReplyDelete“You buy pony from me, you pay, you ride the way I want you to and I keep the reins.”
ReplyDeleteApple Principle
हम भी ऍप्पल के दीवाने हैं।
ReplyDeleteपर हम एक ही तालाब में फ़ंसे मेंढक नहीं बनना चाहते थे
हम तीनो यंत्रों का प्रयोग करते हैं
लैपटॉप विन्डोस का हैं, टैब्लट ऍप्पल का है और मोबाईल फ़ोन गैलैक्सी नोट है
सोच समझकर यह निर्णय लिया था
इससे हमें विंडोस, iOS और Android, तीनों के गुणों से लाभ प्राप्त हैं
हम काम केवल लैपटॉप पर करते हैं, टैबलट पर अपने फ़ाइलों तक पहुँचते हैं और अपना मनोरंजन करवाते है, और अपने मोबाइल का इस्तेमाल, कंप्यूटर के रूप में केवल quick reference के लिए करते हैं और उसे हमेंशा अपने साथ रखते है। लैपटोप और टैबलेट को साथ नहीं ले जाते।
मेरा बेटा तो ऍप्पल का दीवाना है और किसी और कंपने की तरफ़ आँख भी नहीं उठाता।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
You are igniting me for I-Product...Please do write of new IPhone 5 and smaller IPad...Getting eager to buy one!
ReplyDeleteपर आपने ये नही बताया कि आपने एप्पल का कौन सा उत्पाद लिया और उसकी क्या क्या खूबियां हैं अगर बता सकें तो चलेगा and prize also
ReplyDeleteइस गुणवत्ता का सेब खाने का अपना भी मन है, देखें कब तक यह इच्छा पूरी होती है :)
ReplyDeleteमुझे लगा , अंत में लिखा मिलेगा ' you can skip this ad in 20 seconds 'और उसके बाद आपकी कोई पोस्ट होगी | बहुत खूब |
ReplyDeleteहमलोगों में अच्छी समझ विकसित कर रहे हैं !
ReplyDeleteआपका आलेख तर्क संगत है मैं भी अनुभव का आधार पर कह सकती हूँ पिछले साल ही बेटी को एप्पल का आई फोन और लेपटोप दिया अभी तक तो कोई प्रॉब्लम नहीं आया बहुत बढ़िया आलेख
ReplyDeleteगहन जानकारी
ReplyDeleteसर्वश्रेष्ठ परमसत्य की तरह सार्वभौमिक व चिरंतन होता है, वह सबके लिये स्वाभाविक रूप से स्वाकार्य होता है, न तो उसको अपनाने के लिये किसी विशेष मार्केटिंग की आवश्यकता होती है न तो किसी युद्धस्तरीय एडवरटाइजमेंट की । एपल प्रोटक्ट्स की अपार सफलता का कारण उनका सर्वश्रंष्ठ होना ही है। सुंदर व प्रभावकारी लेख।
ReplyDeleteवाह! हमें भी यह सोच कर नहीं लिखना चाहिये ब्लॉग पर कि पाठक को क्या चाहिये। एप्पल की तरह अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ देकर सदा ही पठकों को चकित करने की परम्परा बनानी चाहिये!
ReplyDeleteGood analysis, simpler products and to survive in the market led to great discoveries. However, we need to have passion like Steve Jobs to excel in creating great products. Hope your Macbook Air is fun. :)
ReplyDeleteतकनीकी जानकारी के लिये धन्यवाद.
ReplyDeleteNew Apple maps app under fire from users
ReplyDeletehttp://www.bbc.co.uk/news/technology-19659736
प्रस्तुत आलेख किसी बिजनेस पत्रिका के एडवर-टोरीयल(Advertorial )से कमतर नहीं है .सभी को ऐसे लोकसंपर्क अधिकारी चाहिए .भारतीय रेल विभाग को आपकी श्रेष्ठ सेवाएं मिल रहीं हैं .बधाई .
ReplyDeleteमैकबुक एयर, आईफोन और आईक्लाउड के माध्यम से हमारा प्रशासनिक और साहित्यिक कार्य निर्बाध हो गया है। सरलता और सततता कार्यशैली के मूलमन्त्र बन गये हैं। समय का भरपूर उपयोग और उत्पादकता बढ़ाने में एप्पल ने एक महत योगदान दिया है। मेरे लिये तो एप्पल का मूल्य गहरा है और मापा नहीं जा सकता है, शोधपरक और श्रमशील एप्पल मेरे लिये सदा ही मूल्यवान बनी रहेगी।
सम्पूर्ण जानकारी ...वैसे भी आज कल एप्पल आई फोन का बाज़ार गर्म है
ReplyDeleteएप्पल की निरंतर शोध करके कुछ नया करने की प्रवृत्ति के तो हम भी कायल हैं. अक्सर दोस्तों कहते सुना है कि इस बार ये आई फोन लेना है, पर हम तो इस मामले में अभी बहुत पीछे हैं. छूना तो दूर, आज तक ठीक से देखा भी नहीं है :) लेकिन आपका ये लेख मुझे बहुत अच्छा लगा. रोचकता और औत्सुक्य को बनाए रखने के साथ ज्ञान की बातें कैसे बतायी जायं, ये कोई आपसे सीखे. साधुवाद के पात्र हैं आप.
ReplyDeleteप्रवीण जी, अधिक गुणवत्ता के लिये अधिक धन खर्च करना स्वाभाविक भी है। आपका कहना सही है मगर महंगाई बढ्ने के कारणो मे ये भी मुख्य कारण है ।
ReplyDeleteआपने बहुत सरलता से उपयोगी जानकारी दी है.
ReplyDeleteआभार,प्रवीण जी.
Valuable information ...!!
ReplyDeleteमुझे भी एप्पल के प्रोडक्ट अच्छे लगते हैं लेकिन थोड़े महंगे हैं... कोई अहिं जल्दी ही हम भी उठाएंगे इसकी सुविधाओं का लाभ...
ReplyDelete************
प्यार एक सफ़र है, और सफ़र चलता रहता है...
बहुत बढ़िया जानकारी युक्त पोस्ट .....
ReplyDeleteहमारे लिए तो अभी दूर की कौड़ी है यह सब|
ReplyDeleteअब तो बच्चों की भी पहली पसंद एप्पल ही है..चाहिए तो बस वही ..
ReplyDeleteउम्दा जानकारी, गुणवत्ता हो तो सब कायल ही हो जाते है !
ReplyDeleteसर जी...सोमवार को आ रहा है मेरा आईफोन ५ ....बस, इन्तजार चल रहा है...फिर...तो आईपैड, आई पॉड और अई फोन...सब क्लॉउड से कनेक्ट करने का इन्तजार है..एक अलग अनुभव होगा..
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो, हम भी प्रतीक्षा में हैं, छूने के बाद ही सोचेंगे कि 4S के स्थान पर उसे लिया जाये कि नहीं।
Deleteएप्पल के उत्पाद होते तो लाजवाब हैं पर उनकी कीमत भी चुकानी पडती है ।
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