कहते हैं कि उत्तर प्रश्न से उत्पन्न होते हैं, यदि प्रश्न न हों तो उत्तर किसके? किन्तु जब उत्तर ही प्रश्न उत्पन्न करने लगें तो मान लीजिये कि विषय में गजब की ऊँचाई है, गजब की ढलान है, ऐसी ढलान जिसके एक टिके टिकाये उत्तर को हटाने से प्रश्नों का लुढ़कना प्रारम्भ हो जाता है, वह भी अनियन्त्रित, किसी पहाड़ के बड़े बड़े पत्थरों की तरह, भरभरा कर। अनुभवी लोग ऐसे विषयों और उत्तरों को छूते ही नहीं, उसके चारों ओर से घूमकर निकल जाते हैं। हमारा अनुभव इतना परिपक्व नहीं हुआ था कि यह पेंच हम समझ पाते। एक उत्तर देने पर प्रश्नों की ऐसी झमाझम बारिश हो जायेगी, यह देखना शेष था अभी।
बिग बैंग के ठहाके लगाने के बाद, अब बारी थी उसके अर्थ को समझाने की। पूछने वाले पृथु थे जो थोड़ी देर पहले तक उन्हीं ठहाकों में आकण्ठ डूबे थे। प्रश्न बड़ा सरल था कि यह 'बिग बैंग थ्योरी' क्या है?
पहले तो सोचा कि प्रचलित परिभाषायें देकर निकल लिया जाये कि सारा ब्रह्माण्ड पहले एक छोटे से बिन्दु में सिकुड़ा था। वह किसी बम के विस्फोट की तरह फटा और चारों ओर फैलने लगा और अब तक फैलता जा रहा है, विस्फोट के छोटे छोटे टुकड़े भिन्न भिन्न आकाशगंगाओं, तारों और अन्ततः ग्रहों में बट गये। अरबों वर्ष निकल गये, रासायनिक प्रक्रियायें हुयीं, जीवन की उत्पत्ति हुयी, मानव बना, बुद्धि विकसित हुयी, इतनी कि अपनी उत्पत्ति के बारे में सोच सके। जीवन उत्पत्ति का यह घटनाक्रम विज्ञान का एक संस्करण है पर एक असिद्ध कहानी सा। विज्ञान का इस कहानी में विश्वास या अविश्वास उतना ही वैकल्पिक और काल्पनिक है जितना विभिन्न धर्मों द्वारा प्रस्तुत ईश्वर की अवधारणा में।
श्रेयस्कर यह लगा कि पृथु को केवल वह तथ्य बताये जायें जिनके आधार पर वैज्ञानिक बिग बैंग की अवधारणा पर पहुँचे होंगे, साथ में यह भी बताया जाये कि इस सिद्धान्त में कौन से प्रश्न अब तक अनुत्तरित हैं। बिग बैंग के क्षण से जीवन उत्पत्ति की अब तक यात्रा कैसी रही होगी, यह आने वाले समय और मस्तिष्कों के लिये छोड़ दिया जाये, जब भी वे इसके उत्तर ढूढ़ पायें।
शक्तिशाली दूरबीनों से किये गये आकाशीय अवलोकन में यह पाया गया कि जो तारे आपसे जितना अधिक दूर हैं, उनकी गति आपकी तुलना में उतनी ही अधिक है। किन्ही भी दो तारों के बीच की दूरी बढ़ती ही जा रही है, अर्थ यह कि विश्व फैल रहा है। इस स्थिति से जब समय की उल्टी दिशा में चला जाये तो हम एक ऐसे स्थान पर पहुँचेंगे जब ब्रह्माण्ड एक बिन्दु पर केन्द्रित था। इस बिन्दु पर सबकी गति शून्य थी, समय की भी, इस क्षण को ही बिग बैंग के नाम से जाना गया।
प्रश्न यह कि ब्रह्माण्ड एक बिन्दु में समाया कैसे होगा, ठोस द्रव्य में यह संभव ही नहीं है। अथाह ऊर्जा और उच्चतम तापमानों का संयोग ही ऐसी स्थिति उत्पन्न कर सकता है, ऊर्जा जो प्रस्फुटित हुयी, फैलती गयी, धीरे धीरे ठंडी होती ग्रहों में बदलती गयी। इस प्रारम्भिक विशिष्ट स्थिति को परिभाषित करना विज्ञान के लिये एक चुनौती है। यह कार्य कठिन अवश्य है पर इसे समझने के तीन संकेत इस सदी के तीक्ष्णतम मस्तिष्कों ने ही सुलझाये हैं।
पहला संकेत है, ऊर्जा और द्रव्य का पारस्परिक संबंध, किस तरह ऊर्जा द्रव्य में और द्रव्य ऊर्जा में बदलता है, परमाणु बम में उत्पन्न ऊर्जा इस संबंध को सिद्ध भी करती है। दूसरा संकेत है, ब्लैक होल की उपस्थिति, इनमें इतना गुरुत्वाकर्षण होता है कि वह किसी को भी निगल जाते है, प्रकाश को भी, सदा के लिये। किसी वस्तु से प्रकाश न निकल पाने की स्थिति में वह काला ही दिखेगा, यही उनके नामकरण का कारण भी है। यह इतने घने होते हैं कि सुई की नोंक के बराबर ब्लैकहोल का भार चन्द्रमा के भार के बराबर होता है। तीसरा संकेत है, समय का सिकुड़ना और फैलना, समय की सापेक्षता का सिद्धान्त। यदि आपकी गति प्रकाश की गति के समकक्ष है तो आपका एक वर्ष कम गति से चलने वाले के कई वर्षों के बराबर हो सकता है, अर्थात कम गति से चलने वाला अधिक गति से बूढ़ा होगा।
यदि उपर्युक्त अवलोकनों को एक साथ रख कर देखा जाये तो बिगबैंग की स्थिति संभव लगती है। उस स्थिति का कोई गणितीय आकार न बन पाने का कारण है, सूत्रों का शून्य से विभाजित हो जाना, सब अनन्त हो जाता है तब। जैसे ही विज्ञान अनन्त को परिभाषित कर लेगा, बिग बैंग के सारे प्रश्न स्वतः ही सुलझ जायेंगे। कुछ तो कहते हैं कि ब्लैकहोलों की उपस्थिति इस फैलते विश्व को पुनः सिकोड़ देंगीं, एक बिन्दु में, जो अगले बिग बैंग के लिये फिर से तैयार हो जायेगा, अनन्त का अनन्त चक्र।
आप विश्वास माने न माने, पर विश्व और समय के सिकुड़ने और फैलने की रोचकता इतनी अधिक है कि पृथु सब मुँह बाये सुनते रहे, समय की विमा और समय में घूमने के आनन्द की कल्पना अद्भुत है। उनके चेहरे की संतुष्टि देख कर लगा कि इस विषय में हमारी रुचि और श्रम यूँ ही व्यर्थ नहीं गया।
यहाँ तक तो सब ठीक था, जो आता था वह बता भी दिया। अगले प्रश्न के लिये पर मैं भी तैयार नहीं था, क्योंकि इस प्रश्न पर अभी तक निष्कर्ष तो कम, शब्दों की तलवारें अधिक निकली हैं। आप ही जो बतायेंगे, हम वही पृथु को बता देंगे। पर याद रहे, इसका उत्तर उन सब पत्थरों को भरभरा कर गिरा सकता है, जो अभी तक आप और हम बनाते आये हैं, सदियों से।
पृथु पूछते हैं कि बिग बैंग किसने कराया, ईश्वर ने या विज्ञान ने?
बिग बैंग के ठहाके लगाने के बाद, अब बारी थी उसके अर्थ को समझाने की। पूछने वाले पृथु थे जो थोड़ी देर पहले तक उन्हीं ठहाकों में आकण्ठ डूबे थे। प्रश्न बड़ा सरल था कि यह 'बिग बैंग थ्योरी' क्या है?
श्रेयस्कर यह लगा कि पृथु को केवल वह तथ्य बताये जायें जिनके आधार पर वैज्ञानिक बिग बैंग की अवधारणा पर पहुँचे होंगे, साथ में यह भी बताया जाये कि इस सिद्धान्त में कौन से प्रश्न अब तक अनुत्तरित हैं। बिग बैंग के क्षण से जीवन उत्पत्ति की अब तक यात्रा कैसी रही होगी, यह आने वाले समय और मस्तिष्कों के लिये छोड़ दिया जाये, जब भी वे इसके उत्तर ढूढ़ पायें।
शक्तिशाली दूरबीनों से किये गये आकाशीय अवलोकन में यह पाया गया कि जो तारे आपसे जितना अधिक दूर हैं, उनकी गति आपकी तुलना में उतनी ही अधिक है। किन्ही भी दो तारों के बीच की दूरी बढ़ती ही जा रही है, अर्थ यह कि विश्व फैल रहा है। इस स्थिति से जब समय की उल्टी दिशा में चला जाये तो हम एक ऐसे स्थान पर पहुँचेंगे जब ब्रह्माण्ड एक बिन्दु पर केन्द्रित था। इस बिन्दु पर सबकी गति शून्य थी, समय की भी, इस क्षण को ही बिग बैंग के नाम से जाना गया।
प्रश्न यह कि ब्रह्माण्ड एक बिन्दु में समाया कैसे होगा, ठोस द्रव्य में यह संभव ही नहीं है। अथाह ऊर्जा और उच्चतम तापमानों का संयोग ही ऐसी स्थिति उत्पन्न कर सकता है, ऊर्जा जो प्रस्फुटित हुयी, फैलती गयी, धीरे धीरे ठंडी होती ग्रहों में बदलती गयी। इस प्रारम्भिक विशिष्ट स्थिति को परिभाषित करना विज्ञान के लिये एक चुनौती है। यह कार्य कठिन अवश्य है पर इसे समझने के तीन संकेत इस सदी के तीक्ष्णतम मस्तिष्कों ने ही सुलझाये हैं।
आप विश्वास माने न माने, पर विश्व और समय के सिकुड़ने और फैलने की रोचकता इतनी अधिक है कि पृथु सब मुँह बाये सुनते रहे, समय की विमा और समय में घूमने के आनन्द की कल्पना अद्भुत है। उनके चेहरे की संतुष्टि देख कर लगा कि इस विषय में हमारी रुचि और श्रम यूँ ही व्यर्थ नहीं गया।
यहाँ तक तो सब ठीक था, जो आता था वह बता भी दिया। अगले प्रश्न के लिये पर मैं भी तैयार नहीं था, क्योंकि इस प्रश्न पर अभी तक निष्कर्ष तो कम, शब्दों की तलवारें अधिक निकली हैं। आप ही जो बतायेंगे, हम वही पृथु को बता देंगे। पर याद रहे, इसका उत्तर उन सब पत्थरों को भरभरा कर गिरा सकता है, जो अभी तक आप और हम बनाते आये हैं, सदियों से।
पृथु पूछते हैं कि बिग बैंग किसने कराया, ईश्वर ने या विज्ञान ने?
प्रवीण जी,
ReplyDeleteहिस्टरी चैनल पर एक सीरीज आती है द युनीवर्ष इसका सीजन १,२,३ मील जाए तो डाउनलोड कर लीजीये, ना मीले तो इसकी DVD ले लीजिये, बेहतरीन सीरीयल है, पृथु के लिए सबसे बेहतर.
शुभकामनाएं आपको |
ReplyDeleteपृथु की जिज्ञासा शांत कर पाने की शक्ति बनी रहे --
पृथु को आशीष ||
सार्थक अभिव्यक्ति //पृथु को आशीष शुभकामनाए //
ReplyDeleteMY RECENT POST .....फुहार....: प्रिया तुम चली आना.....
हमारी समझ में अब ये विज्ञान के गूढ़ रहस्य नहीं आते तो भला हम बताएँगे क्या ? अभी कुछ दिन पहले ही वैज्ञानिक 'बिग-बैंग' को लेकर प्रयोग कर रहे थे.
ReplyDeleteमेरे ज्ञानी मित्र ,निःसंदेह ईश्वर ने..... पृथू का प्रश्न नैशर्गिक है ,कुतूहल वस नहीं जिज्ञासा वस ,और पृथु की जिज्ञासा हमारी सफलता है .....अलबर्ट आइन्सटीन साहब का शिखर प्रयास अबतक का उच्चतम प्रयास रहा है ......अभी तक हम अपनी उत्पत्ति का उद्दगम तलाश रहे हैं जितना पाए हैं संतुष्टि के लिए सवांश है ....बिग बैंग की थ्योरी प्रमाणिकता के आधार पर ही ग्राह्य होगी ......हमारी साधना ,हमारा मानस किस अवस्था में है कहना जल्दबाजी होगी ....../आदि गुरु नानक देव जी ने अपनी पवित्र वाणी में फरमाया है---
ReplyDelete" पाताला पाताल लख,आगासा आगास....."
पृथु का यक्ष प्रश्न अनुत्तरित नहीं होगा ऐसा विश्वास है........../ वैज्ञानिक व्यावहारिक उन्नत आलेख ......बहुत -२ शुभकामनायें आपकी लेखनी व आप दोनों को......./
थैंक्स पृथु ... तुम्हारी वजह से आधा इंची ज्ञान हमको भी मिला ... अब ये मत पूछना कि क्या आंटी
ReplyDeleteमेरा फिर से रीविजन हो गया।
ReplyDeleteआप अनवरत की इन पोस्टों को देखें। संभवतः इस से संबंधित कुछ और भी मिले।
http://anvarat.blogspot.in/search/label/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%96%E0%A5%8D%E0%A4%AF
Deleteआपकी पोस्टें सांख्य योग पर आधारित जीवन उत्पत्ति का एक संग्रहणीय गुच्छ हैं, निश्चय ही बिग बैंग के सृजनात्मक विचार इसी ज्ञान से छिटक कर गिरे हैं। सांख्य संक्रमण को समझाता है, बिग बैंग को अभी वह सिद्ध करना है।
Deleteसच में पढना शुरू किया तो लगा कि किसी और ही दुनिया का चक्कर लगा रहा हूं। बहुत सुंदर और संग्रहणीय प्रस्तुति
ReplyDeleteहम तो थ्योरी में ही अटक गए ... समझने की कोशिश कर रहे हैं ...
ReplyDeleteपृथु की जिज्ञासा का शमन आवश्यक है जो वो खुद ही करेगा बड़ा होकर , हम तो अभी पत्थरों के भरभरा कर गिरने से बचने के जुगाड़ में है .
ReplyDeleteमान लिया ! कि विषय में गजब की ऊँचाई है,
ReplyDeleteऔर इसी में हमारी भलाई है ,हे ज्ञानी मनुष्य ....!:-)))
ज्ञानदायी पोस्ट,
ReplyDeleteसाधुवाद.
किसी और दुनिया की सैर कर आए हम आपके साथ ...
ReplyDeleteबढ़िया ज्ञान मिला ... जय हो !
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - ज़िंदा रहना है तो चलते फिरते नज़र आओ - ब्लॉग बुलेटिन
विज्ञान का इस कहानी में विश्वास या अविश्वास उतना ही वैकल्पिक और काल्पनिक है जितना विभिन्न धर्मों द्वारा प्रस्तुत ईश्वर की अवधारणा में।
ReplyDelete(1)'विज्ञान का इस कहानी में विश्वास या अविश्वास उतना ही वैकल्पिक और काल्पनिक है जितना विभिन्न धर्मों द्वारा प्रस्तुत ईश्वर की अवधारणा में।'
(3)पृथु पूछते हैं कि बिग बैंग किसने कराया, ईश्वर ने या विज्ञान ने?
(2)यदि आपकी गति प्रकाश की गति के समकक्ष है तो आपका एक वर्ष कम गति से चलने वाले के कई वर्षों के बराबर हो सकता है, अर्थात कम गति से चलने वाला अधिक गति से बूढ़ा होगा।
(1)एक के बारे में इतना ही बिग बेंग के पर्याप्त प्रमाण जुटाए जा चुके ,मसलन यह सृष्टि ३ केल्विन तापमान वाली दूधिया रोशनियों में नहाई हुई है .कोस्मिक बेक ग्राउंड रेडियेशन की मौजूदगी इसकी पुष्टि करती है .बिग बेंग विस्तार शील सृष्टि का समर्थन करता है प्रमाण अधिकाँश तारों की स्पेक्ट्रम पत्ती में रेखाओं का अधिक लाल होना है ,लाल की और खिसकाव है ,जिसे रेड शिफ्ट कहा जाता है .सृष्टि में व्यापक स्तर पर अन्धेरा है इसीस खिसकाव की वजह से दृश्य प्रकाश अदृश्य की और जा रहा है .
(२)प्रकाश की गति इख्तियार करने वाले यात्री के लिए समय का प्रवाह रुक जाएगा .वह जवान बना रहेगा .पृथ्वी पर तब तक कई पीढियां गुज़र चुकीं होंगी .
(३)बिग बेंग आवधिक घटना है स्वत :स्फूर्त .सृष्टि बनती है बिगडती है .ऊर्जा -द्रव्यमान ,मॉस -एनर्जी का द्वैत माया है एक तत्व की ही प्रधानता कहो इसे जड़ या चेतन .द्रव्यमान -ऊर्जा एक ही भौतिक राशि का नाम है अलबत्ता इसका परस्पर रूप बदलता रहता है .घनीभूत ऊर्जा द्रव्यमान यानी पदार्थ में तबदील हो जाती है विर्लिकृत ऊर्जा रूप में अदृश्य बनी रहती है .उसके प्रभाव ही दृष्टि गोचर होतें हैं .
आपकी इस शानदार पोस्ट के लिए बधाई .चर्चा जारी है .कृपया यहाँ भी पधारें -
शनिवार, 5 मई 2012
चिकित्सा में विकल्प की आधारभूत आवश्यकता : भाग - १
बड़ा जटिल प्रश्न है।
ReplyDeleteमुश्किल लग रहा है हिंदी में विज्ञान समझना ......
ReplyDeleteकुछ कुछ तो समझ में आया पर हिंदी में ज्यादा समय लगेगा समझने में ...
मुश्किल काम है ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteलिंक आपका है यहीं, मगर आपको खोजना पड़ेगा!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
सारा विज्ञान सापेक्षता के स्पर्श से आलोकित हो पा रहा है। सापेक्षता के परे भी कुछ होना चाहिये ...जो होना चाहिये वह सूक्ष्मतम की ओर संकेत करता है। सांख्य दर्शन से मार्गदर्शन मिल सकता है। फ़िलहाल यह स्वीकार करने में कोई हर्ज़ नहीं है कि "पूर्ण" से अपूर्ण की उत्पत्ति हुई है ..और अपूर्ण का अंतिम विलय "पूर्ण" में ही होता है। यह "पूर्ण" हमारे य़ूनीवर्स का वह सत्य है जो दिक, काल, ऊर्जा और पिण्ड का एकमात्र स्रोत है। पाण्डॆय जी! कई बार लगता हैकि विज्ञान के आंशिक सत्य से हम सम्मोहित हो गये हैं और पूर्ण सत्य के ज्ञान से वंचित हो रहे हैं। पृथु को सांख्य दर्शन के समीप ले जाने का प्रयास उसकी जिज्ञासा के समाधान का कारण हो सकता है।
ReplyDeleteप्रिय प्रथु के साथ हम भी उत्सुक हो कर इस कक्षा में आ बैठे हैं !
ReplyDeleteजानकारीपरक पोस्ट ...निश्चय ही बच्चों के मन ऐसे प्रश्न आयेंगें ही ....पर उत्तर तो उतना ही जटिल है जितना पूरी सृष्टि को समझना ...... विषय एकदम नया है और आपकी की गयी व्याख्या बहुत प्रभावी बन पड़ी है .....
ReplyDeletejaankaripark post magar abhi poori tarah samjh nahi aaya uske liye duraa aana hoga aapki post par filhaal hajiri lagakar jaa rahai hain...:)
ReplyDeleteपिता पुत्र पुत्र संवाद का यह ज्ञान कांड अच्छा लगा ०बिग बैंग को अच्छा समझाया आपने पृथु को -लगता है स्टीफें हाकिंग की ब्रीफ हिस्ट्री आफ टाईम पढी है आपने !
ReplyDeleteबिग बैंग के अलावा भी ब्रह्माण्ड के उद्भव की कई धारणाएं है जैसे स्टीडी स्टेट थियरी ..मतलब न आदि न अंत ..रोचक बात है कि ब्रह्माण्ड के उद्भव के कई आधुनिक विचार हमारे शास्त्रों के परम ब्रह्म के स्वरूप वर्णन से मिलते हैं ...नहीं तुम आदि मध्य अवसाना !
जिज्ञासा शमन से ही तो ज्ञानवर्धन होता है
ReplyDeleteइस बहाने हम भी ज्ञानवर्धित हुए
बच्चों के द्वारा पूछे गये प्रश्न हमारे ज्ञान में भी वृद्धि करते हैं !
ReplyDeleteसूचनार्थ: ब्लॉग4वार्ता के पाठकों के लिए खुशखबरी है कि वार्ता का प्रकाशन नित्य प्रिंट मीडिया में भी किया जा रहा है, जिससे चिट्ठाकारों को अधिक पाठक उपलब्ध हो सकें।
ReplyDeleteबहुत कड़ी कड़ी बातें लिख दीं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर वर्णन...
ReplyDelete----और अधिक विवेचनात्मक वर्णन व प्रश्नोत्तर हेतु...मेरे ब्लोग --विजानाति-विजानाति-विग्यान..व .ई पत्रिका..कल्किओन-हिन्दी पर "श्रिष्टि व ब्रह्मांड"... श्रन्खला ...एवं प्रिन्ट मीडिया में..मेरे महाकाव्य ...’श्रिष्टि--ईशत इच्छा या बिगबेन्ग- एक अनुत्तरित उत्तर” ..को. ”भारतीय ब्लोग लेखक मन्च’ के ब्लोग पर पढें..
इसमें जरूर विदेशी ताकतों का हाथ होगा... भगवान और विज्ञानं की तार्किक कसौटी पर इसकी जांच कौन करे.
ReplyDeleteविस्तारपूर्वक व्याख्या ने ज्ञानवर्द्धन किया. अब इस प्रश्न का उत्तर भी आप ही दीजिये.
ReplyDeleteसहज प्रश्न .. और आस्था और विज्ञान की अलग कसौटी पर उत्तर भी..
ReplyDeleteindeed a very good article. aise vishyon par samjh badhaane ke liye dhanyawaad.
ReplyDeleteज्ञानवर्धक पोस्ट बहुत कुछ जानने को मिला बहुत - बहुत शुक्रिया बहुत सुन्दर |
ReplyDelete//कई चीजें-बातें करने-कराने के अलावा ''हैं/होती हैं'' भी होती हैं.
ReplyDelete//मामला ''मुर्गी-अंडा-मुर्गी'' के करीब का हो सकता है.
रोचक पोस्ट है। एकबार फिर पढनी पडेगी।
ReplyDeletemain is lekh ko apne bete ko preshit kar raha hun 12 th ka chhatra hai shayad use kuchh kam aa jaye
ReplyDeleteएक अकल्पित अद्भुत शक्ति ने करवाया होगा बिग बैंग... अब इसे तर्क बुद्धि के आधार पर विज्ञान का चमत्कार कह लें या श्रद्धा इसे प्रभु की लीला मान ले...!
ReplyDeleteकुछ प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाते है... पर यात्रा है तो उत्तर की तलाश भी पूरी होगी!
पृथु को ढ़ेर सारी शुभकामनाएं!
बहुत खूब ! सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteडॉ अरविन्द मिश्र जिस सिद्धांत स्टडी स्टेट थियरी की बात कर रहें हैं उसके अनुसार यह सृष्टि अनादि काल से एक साम्य अवस्था में चली आ रही है .सितारे आते हैं चले जातें हैं .उनकी राख से फिर फिर के सृजन होता है .सृष्टि का औसत घनत्व सम अवस्था में बना रहता है .एक और भी सिद्धांत है पल्सेटिंग यूनिवर्स यानी सृष्टि एक आवधिक चक्र के तहत बनती बिगडती रहती है .
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति हर माने में अव्वल .
सोमवार, 7 मई 2012
भारत में ऐसा क्यों होता है ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/
तथा यहाँ भीं सर जी -
चोली जो लगातार बतलायेगी आपके दिल की सेहत का हाल
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_07.html
भाई साहब पहले चेतन्य आया पदार्थ बाद में पैदा हुआ .बिग बेंग का कारण वही पर्मात्व है जो प्रकृति की लीला को निरपेक्ष भाव से तटस्थ होके देखता है .नेति नेति नेति सिद्धांत में छिपा है इन प्रश्नों का उत्तर ..कि आखिर बिग बेंग क्यों हुआ किसने कराया ?संख्या योग इसकी व्याख्या करता है .
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें -
भाई साहब पहले चेतन्य आया पदार्थ बाद में पैदा हुआ .बिग बेंग का कारण वही पर्मात्व है जो प्रकृति की लीला को निरपेक्ष भाव से तटस्थ होके देखता है .नेति नेति नेति सिद्धांत में छिपा है इन प्रश्नों का उत्तर ..कि आखिर बिग बेंग क्यों हुआ किसने कराया ?संख्या योग इसकी व्याख्या करता है .
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.in/
मंगलवार, 8 मई 2012
गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस
गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस
brhamand me adbhud rahasy hain jinhe paribhashit karane me abhi bahut si sadiyana lagegi ....fil hal behad prabhavshali post .....abhar ke sath badhai bhi Pandey ji .
ReplyDeleteपृथु ही नहीं हम भी इस अलौकिक ज्ञानवर्धक प्रस्तुति के आगे नतमस्तक हैं ...
ReplyDeleteबहुत खूब ! सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteप्रिय पृथु
ReplyDeleteमैं तुमसे एक ही बात कहता हूँ, अप्प दीपो भव - अपने दीये स्वयं बनो ।
जिज्ञासा बलवती हो गई है| ज्ञानवर्धन के लिए धन्यवाद |
ReplyDeletehttp://www.gyanipandit.com/ बहुत खूब ! एकबार फिर पढनी पडेगी।
ReplyDeleteवाकई आज दुनिया को अध्यात्म या यु कहे ईश्वर के बारे में जाने की जो उत्सुकता है उसको शायद ये बिग बैंग थ्योरी कुछ हद तक समझने में सक्षम हो पर आप जैसे सद्जनो के कारन हम जैसे अविज्ञानी जीव को सुविधा होती रहेगी ये विज्ञानं समझने मे, साधुवाद
ReplyDeleteइस सवाल का कोई अंत नहीं की बिग बैंग किसने कराया .. और इसपे हर एक की अलग अलग राय और अपनी राय को समर्थन देने वाले तर्क हो सकते है .. मेरा मजबूती से मानना है की बिग बैंग इश्वर ने कराया. अब आप उसे और भी नाम दे सकते है जैसे की प्रकृति.
ReplyDeletehttps://zindagiwow.com/ बहुत ही ज्ञानवर्धक और जिज्ञासा पूर्ण प्रस्तुति है... लेखन के लिए आभार !
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