नया मार्ग प्रस्तुत करना या निहित दोष बतलाना है,
कर्म-पुञ्ज से पथ प्रशस्त या बुद्धि-विलास सिखाना है,
नूतनता में उद्बोधित या वही पुराना चिंतन हो,
निश्चय कर लो तुम, अमिय मिले या सुरा-कलश का मंथन हो ।।१।।
बढ़कर सूर्य-प्रकाश पकड़ना या निशीथ दोहराना है,
इंगित कर दिशा दिखाना या चुभते आक्षेप लगाना है,
नये राग जीवन भर दें या पूर्व सुरों का वन्दन हो,
हो सुख नवीन, अभिव्यक्ति मिले या वही दुखों का क्रन्दन हो ।।२।।
नव-भविष्य रचते जाना या भूत-महत्ता गाना है,
दर्शन बन राह बताना या फिर तर्कों में जल जाना है,
पा तुम्हे प्रेरणा खिल जाती या पग पग पर भयदायक हो,
यह तुम पर निर्भर करता है, तुम नायक या निर्णायक हो ।।३।।
कर्म-पुञ्ज से पथ प्रशस्त या बुद्धि-विलास सिखाना है,
नूतनता में उद्बोधित या वही पुराना चिंतन हो,
निश्चय कर लो तुम, अमिय मिले या सुरा-कलश का मंथन हो ।।१।।
बढ़कर सूर्य-प्रकाश पकड़ना या निशीथ दोहराना है,
इंगित कर दिशा दिखाना या चुभते आक्षेप लगाना है,
नये राग जीवन भर दें या पूर्व सुरों का वन्दन हो,
हो सुख नवीन, अभिव्यक्ति मिले या वही दुखों का क्रन्दन हो ।।२।।
नव-भविष्य रचते जाना या भूत-महत्ता गाना है,
दर्शन बन राह बताना या फिर तर्कों में जल जाना है,
पा तुम्हे प्रेरणा खिल जाती या पग पग पर भयदायक हो,
यह तुम पर निर्भर करता है, तुम नायक या निर्णायक हो ।।३।।
मन को, जीवन को उत्साह और प्रेरणा देते अद्भुत विचार ......
ReplyDeleteनिश्चित ही जीवन वीणा पर नया गीत-संगीत बजे.
ReplyDeleteआपके कविता में उठे प्रश्न सभी के जीवन में उठें.कविता में प्रश्न हैं जो जवाब तक ले जाते है.
निश्चित ही जीवन वीणा पर नया गीत-संगीत बजे.
ReplyDeleteआपके कविता में उठे प्रश्न सभी के जीवन में उठें.कविता में प्रश्न हैं जो जवाब तक ले जाते है.
यह तुम पर निर्भर करता है तुम नायक या निर्णायक हो |बहुत ही उम्दा कविता |
ReplyDeleteपा तुम्हे प्रेरणा खिल जाती या पग पग पर भयदायक हो,
ReplyDeleteयह तुम पर निर्भर करता है, तुम नायक या निर्णायक हो !!
उत्साह का संचार करता प्रेरक काव्य!
आभार !
नव-भविष्य रचते जाना या भूत-महत्ता गाना है,
ReplyDeleteदर्शन बन राह बताना या फिर तर्कों में जल जाना है,
मुखर प्रवाह प्राधिकृत करते उन तमाम विचारशील उदगमों को जो अनिर्णय की स्थिति में हैं ,बहना होगा संचय की नहीं सम्प्रेषण की सुचिता के साथ ......भावभीनी काव्याभिव्यक्ति , शुभकामनायें पांडे जी /
'-भविष्य रचते जाना या भूत-महत्ता गाना है,
ReplyDeleteदर्शन बन राह बताना या फिर तर्कों में जल जाना है,'
- आज का मूलभूत प्रश्न यही है,और इसी के उत्तर पर हमारे आगत का निर्णय होना है -ठोस काम हो या कोरा वाणी-विलास !
बधाई प्रवीण जी ।
ReplyDeleteअद्भुत --
दूजे पर निर्णय दे देना, निर्णायक का है सहज कर्म ।
समझा खुद के कुछ सही गलत, या निभा रहा वो मात्र धर्म ।
नायक इंगित कुछ किये बिना, चुपचाप दिखाता राह चला -
आदर्श करे इ'स्थापित वो, अनुसरण करे जग समझ मर्म ।।
नायक या निर्णायक कैसे तय किया जायेगा भाई! सिक्का उछाला जाये?
ReplyDeleteजय गुरुदेव....
Deleteमगर आपका सिक्का पहले पंचों को दिखाया जाए ...
पंच कैसे तय किये जायेंगे? सिक्का उछालकर!
Deletereformation or revolution ....?
ReplyDeleteपा तुम्हे प्रेरणा खिल जाती या पग पग पर भयदायक हो,
यह तुम पर निर्भर करता है, तुम नायक या निर्णायक हो ।।३।।
नायक हो या निर्णायक हो ....अगर सकारात्मक हो तो जीवन सफल है ....
अच्छे प्रेरणादायक विचार ...अच्छी कविता ...
बधाई एवं शुभकामनायें ....!!
प्रेरणास्पद विचारों के गुच्छे . उत्कृष्ट
ReplyDeleteइतिहास से ले प्रेरणा नव-हौसले बुलंद हो
ReplyDelete--सही कहा सुग्य जी...
Delete----पूर्व स्वरों के वन्दन बिन कब नये राग बन पाते हैं।
बिना पुराने के चिन्तन कब नव-उद्बोधित हो पाये।
पूर्वा पर भी चिन्तन-वन्दन श्याम’ सर्वदा आवश्यक,
किन्तु सिर्फ़ गाते रहना, औ बुद्धि-विलास न रह जाये॥
dhara-pravah aur utsahit karne waali kavita
ReplyDeleteबढ़कर सूर्य-प्रकाश पकड़ना या निशीथ दोहराना है,
ReplyDeleteइंगित कर दिशा दिखाना या चुभते आक्षेप लगाना है,
नये राग जीवन भर दें या पूर्व सुरों का वन्दन हो,
हो सुख नवीन, अभिव्यक्ति मिले या वही दुखों का क्रन्दन हो
प्रवीण जी ,चिंतन परक पोस्ट मानसिक धुंध को साफ़ करती वाष्पित करती उजाले में लाती भटके मन को .जीवन की रह को राह पे लाती .
नव-भविष्य रचते जाना या भूत-महत्ता गाना है,
ReplyDeleteदर्शन बन राह बताना या फिर तर्कों में जल जाना है,
आनंद आ गया , आपकी कृतियों में यह गीत हमेशा जगमगाता रहेगा !
आभार आपका !
प्रेरणात्मक विचारों का संगम ...आभार ।
ReplyDeleteउत्कृष्ट कविता!
ReplyDeleteसादर!
अपने-अपने नायकों के यहाँ अलग-अलग प्रतिमान हैं,आखिरी निर्णायक यहाँ कौन बनेगा ?
ReplyDeleteनिश्चय कर लो तुम, अमिय मिले या सुरा-कलश का मंथन हो ।।१।। सर जी सार्थक सिद्धि , उपयोगी मंथन !
ReplyDeleteपा तुम्हे प्रेरणा खिल जाती या पग पग पर भयदायक हो,
ReplyDeleteयह तुम पर निर्भर करता है, तुम नायक या निर्णायक हो
जीवन को सही दिशा दिखाती सुंदर रचना
नव-भविष्य रचते जाना या भूत-महत्ता गाना है,
ReplyDeleteदर्शन बन राह बताना या फिर तर्कों में जल जाना है,
पा तुम्हे प्रेरणा खिल जाती या पग पग पर भयदायक हो,
यह तुम पर निर्भर करता है, तुम नायक या निर्णायक हो
बहुत सार्थक संदेशपरक उत्कृष्ट रचना है यह.
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें...
आपकी कविता पढ़ना यानि ...सुबह बन गई..
ReplyDeleteवाह क्या बात है,बहुत ही बढ़िया संदेशपरक रचना है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteप्रेरणादायक पंक्तियाँ! आभार !
ReplyDeleteअद्भुत !!!
ReplyDeleteदार्शनिक सोच के साथ इस मनोरम प्रस्तुती में अज्ञात की जिज्ञासा, चित्रण की सूक्ष्मता और रूढ़ियों से मुक्ति की अकांक्षा परिलक्षित होती है।
ReplyDeleteऔर उसी पर काल निर्णय
ReplyDeleteयह तुम पर निर्भर करता है,
ReplyDeleteतुम नायक या निर्णायक हो
निर्णय तो करना ही होगा
पा तुम्हे प्रेरणा खिल जाती या पग पग पर भयदायक हो,
ReplyDeleteयह तुम पर निर्भर करता है, तुम नायक या निर्णायक हो ।।३।।
सत्य वचन …………सुन्दर संदेश देती प्रस्तुति।
अति प्रेरित करती सुंदर प्रस्तुति । जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना ।
ReplyDeleteअच्छी कविता। दीर्घावधि के बाद 'निशीथ' शब्द देखा/पढा।
ReplyDeleteसरित प्रवाह सी!!
ReplyDeleteकविता की आपकी हथौटी दुरुस्त है ,सिद्धहस्तता है इसमें ..आनद आ गया पढ़कर !
ReplyDeleteBeautiful heart touching lines!
ReplyDeleteपा तुम्हे प्रेरणा खिल जाती या पग पग पर भयदायक हो,
ReplyDeleteयह तुम पर निर्भर करता है, तुम नायक या निर्णायक हो
बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,रचना बहुत अच्छी लगी,..प्रवीण जी,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
प्रवाहमय संदेश देती कविता..अच्छी लगी
ReplyDeleteआपको पढ़ना हमेशा सुखद होता है..हिंदी की प्रभावशाली शैली में आजकल कम ही दिखती है।
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 19 -04-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....ये पगडंडियों का ज़माना है .
सुंदर विचार.....सुविचार !
ReplyDeleteone should always lead from the front.
ReplyDeleteसुन्दर शब्द,सुन्दर भाव,सुन्दर कृति |
नव-भविष्य रचते जाना या भूत-महत्ता गाना है,
ReplyDeleteदर्शन बन राह बताना या फिर तर्कों में जल जाना है,...
ये तो इंसान कों खुद ही तय करना होता है .. और वही राह उसका भविष्य बनाती है ...
Bahut sundar vichar sundar rachana....
ReplyDeletejivan lakshy ko parilakshit karna hi uddeshya hona chahiye.
ReplyDeleteशुक्रवारीय चर्चा-मंच पर
ReplyDeleteआप की उत्कृष्ट प्रस्तुति ।
charchamanch.blogspot.com
tum nayak ya nirnayak ho...sach hai sab insaan par nirbhar karta hai...prernadayak lagi ye panktiyan...
ReplyDeleteपा तुम्हे प्रेरणा खिल जाती या पग पग पर भयदायक हो,
ReplyDeleteयह तुम पर निर्भर करता है, तुम नायक या निर्णायक हो
....बिलकुल सच...बहुत सारगर्भित और प्रेरक अभिव्यक्ति...
aap ka post padhne me bahut achha lagta hai, kripya nirantarta banaye rakhiye.
ReplyDeleteआपका गद्य अधिक अच्छा होता है या पद्य, बड़ा धर्मसंकट खड़ा हो जाता है.
ReplyDeleteगद्य व पद्य दोनों में ही सिद्धहस्त होना चाहि ये..एक साहित्यकार को..
Deleteओहो..इतनी सुन्दर कविता...
ReplyDeleteओहो.. इतनी सुन्दर कविता...
ReplyDeleteनया मार्ग प्रस्तुत करना या निहित दोष बतलाना है,
ReplyDeleteकर्म-पुञ्ज से पथ प्रशस्त या बुद्धि-विलास सिखाना है,
नूतनता में उद्बोधित या वही पुराना चिंतन हो,
निश्चय कर लो तुम, अमिय मिले या सुरा-कलश का मंथन हो ।।१।।
wah pandey ji bahut hi gambhir rachana apne paros di hai .....hardik badhai ke sath sadar abhar bhi.
बड़े भैय्या,
ReplyDeleteनमस्ते!
अच्छी ही लिखी होगी.
हमारी औकात से बाहर है!
आशीष
--
द नेम इज़ शंख, ढ़पोरशंख !!!
नायक भी और निर्णायक भी। खूबसूरत प्रस्तुति। पढ़ते पढ़ते अनायास ही अविनाश के ब्लॉग पर ध्यान जा रहा है।
ReplyDelete"पा तुम्हे प्रेरणा खिल जाती या पग पग पर भयदायक हो,
ReplyDeleteयह तुम पर निर्भर करता है, तुम नायक या निर्णायक हो ।...."
---नायक व निर्णायक अलग-अलग होते हैं...
"नये राग जीवन भर दें या पूर्व सुरों का वन्दन हो,
नूतनता में उद्बोधित या वही पुराना चिंतन हो,...."
----पूर्व स्वरों के वन्दन बिन कब नये राग बन पाते हैं।
बिना पुराने के चिन्तन कब नव-उद्बोधित हो पाये।
पूर्वा पर भी चिन्तन-वन्दन श्याम’ सर्वदा आवश्यक,
किन्तु सिर्फ़ गाते रहना, औ बुद्धि-विलास न रह जाये॥
प्रेरक । सच में हम पर ही है कि हम नायक बनें या निर्णायक ।
ReplyDeletesuperb !!
ReplyDeletefantastic lines दर्शन बन राह बताना या फिर तर्कों में जल जाना है.. !!