विकल्प की अधिकता भ्रम उत्पन्न करती है, भ्रम स्पष्ट दिशा ढाँक देता है, भ्रम सोचने पर विवश करता है, भ्रम निर्णय लेने को उकसाता है, भ्रम का धुंध छटने का अधैर्य एक अतिरिक्त भार की तरह साथ में लगा रहता है। कितना ही अच्छा होता कि विश्व एक मार्गी होता, एक विमीय, बढ़ते रहिये, कोई चौराहे नहीं, कोई विकल्प नहीं। पर क्या यह मानव मस्तिष्क को स्वीकार है, नहीं और जिस दिन यह स्वीकार होगा, उस दिन विकास का शब्द धरा से विदा ले लेगा। किसी कार्य को श्रेष्ठतर और उन्नत विधि से करने की ललक विकास का बीजरूप है। यह बीजरूप इस जगत में बहुतायत से फैला है। अतः जब तक विकास रहेगा, विकल्प रहेगा, भ्रम रहेगा, धुंध रहेगा। धुंध के पीछे का सूरज देखने की कला तो विकसित करनी होगी, धुंध छाटते रहना विकासीय मानव का नियत कर्म है।
ऐसा ही कुछ धुंध, इण्टरनेट में क्लाउड ने कर रखा है। क्लाउड का शाब्दिक अर्थ बादल है, प्रतीक पानी बरसाने का, संभवतः ध्येय भी वही है, सूचना के क्षेत्र में। यही भविष्य माना जा रहा है क्योंकि अपने उत्पाद बेचने के लिये और अपनी बेब साइटों पर आवागमन बनाये रखने के लिये क्लॉउड को विशेष उत्प्रेरक माना जा रहा है। पहले कितना अच्छा था कि एक हार्डडिस्क या पेन ड्राइव लिये हम लोग घूमते रहते थे, कभी कार्यालय के कम्प्यूटर से, कभी घर के कम्प्यूटर से, कभी मोबाइल से, कभी इण्टरनेट से, सूचनायें निकालते और भेजते रहते थे। एक कीड़ा काटा किसी को, कि काश यह सब अपने आप हो जाता, लीजिये प्रारम्भ हो गयी क्लाउड यात्रा।
इसके तीन अंग हैं, पहली वह सूचना जो आप इण्टरनेट पर संरक्षित रखना चाहते हैं, दूसरे वे यन्त्र जिन्हे आप उपयोग ला रहे हैं और तीसरे वह एप्पलीकेशन व माध्यम जो इस प्रक्रिया में सहायक बनते हैं। इन तीनों अंगों को दो कार्य निभाने होते हैं, पहला स्वतः सूचना संरक्षित करने का और दूसरा आपके यन्त्रों के बीच सूचनाओं की सततता बनाये रखने का। जो लोग यह मान कर चलते हैं कि इण्टरनेट की उपलब्धता अनवरत बनी रहेगी और उसके अनुसार इन सेवाओं का प्रारूप बनाते हैं, वे प्रारम्भ से ही उन स्थानों को इन सेवाओं से बाहर कर देते हैं जहाँ इंटरनेट अपने पाँव पसारने का प्रयास कर रहा है। इसके विस्तृत उपयोग के लिये यह आवश्यक है कि इन सेवाओं को, इंटरनेट की उपलब्धता और अनुपलब्धता, दोनों ही दशाओं में सुचारु चलने के लिये बनाया जाये।
तीन सिद्धान्त हैं जिनके आधार पर आप किसी भी क्लाउड सेवा की गुणवत्ता माप सकते हैं।
१. मोबाइल, लैपटॉप और इण्टरनेट पर एक ही प्रोग्राम हो। यह हो सकता है कि प्रोग्राम अपने पूर्णावतार में लैपटॉप पर हो, मोबाइल व इंटरनेट पर अर्धावतार में आ पाये, पर सूचनाओं के संपादन की सुविधा तीनों में होना आवश्यक है। इस प्रकार किसी भी माध्यम में कार्य करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। यदि प्रोग्राम केवल इंटरनेट पर ही होगा तो आप इंटरनेट के लुप्त होते ही अपंग हो जायेंगे।
२. ऑफलाइन संपादन बहुत आवश्यक है, इस प्रकार आप उस सेवा का उपयोग कभी भी कर सकते हैं। पिछले समन्वय के बाद हुये परिवर्तनों को एकत्र करने और उसे इंटरनेट के उपलब्ध होते ही क्लाउड पर भेज देने से समन्वय का एक नया बिन्दु बन जाता है। यही क्रम चलता रहता है, हर बार, जब भी ऑफलाइन संपादन होता है। हुये बदलाव को किस प्रकार कम से कम डाटा में परिवर्तित कर क्लाउड में भेजा जाता है, यह एक अत्यन्त तकनीकी विषय है।
३. एक बार क्लाउड में परिवर्तन हो जाता है, उसके बाद किस प्रकार वह सूचना अन्य यन्त्रों पर पहुँच कर संपादित होती है, इस पर क्लाउड सेवा की गुणवत्ता का स्पष्ट निर्धारण होता है। यदि आपको उस प्रोग्राम में जाकर सूचना को अद्यतन करने के लिये अपने हाथों समन्वय करना पड़े तो वह सेवा आदर्श नहीं है। प्रोग्राम खोलते ही समन्वय स्वतः होना चाहिये। यह भी हो सकता है कि किसी एक ही लेख पर आपने मोबाइल और लैपटॉप पर आपने अलग अलग ऑफलाइन संपादन किया, बाद में इंटरनेट आने पर उन दोनों संपादनों को किस प्रकार क्लाउड सेवा सुलझायेगी और सहेजेगी, यह क्लाउड सेवा की गुणवत्ता का उन्नत अंग है।
कई कम्पनियाँ क्लाउड सेवाओं में 'कई लोगों के द्वारा संपादन की सुविधा' को जोड़कर उसे और व्यापक बना रही हैं। इसमें एक फाइल पर एक समय में कई लोग कार्य कर सकते हैं। बड़े लेखकीय प्रकल्पों पर एक साथ कार्य कर रहे कई व्यक्तियों के लिये इससे उत्कृष्ट और स्पष्ट साधन नहीं हो सकता है।
आजकल मैं अपने लेखन में इस सेवा का भरपूर उपयोग कर रहा हूँ, यह पोस्ट आधी आईफोन पर, आधी मैकबुक पर, एक चौथाई ब्रॉडबैंड के समय, एक चौथाई जीपीआरएस के समय और आधी इंटरनेट की अनुपलब्धता के समय लिखी है। एक जगह किया संपादन स्वतः ही दूसरी जगह पहुँचता रहा और अन्ततः पोस्ट आप तक।
इस समय कई क्लाउड सेवायें सक्रिय हैं, जो भी चुनें उन्हें उपरोक्त सिद्धान्तों की कसौटी पर ही चुनें, आपका जीवन सरल हो जायेगा। यदि क्लाउड सेवा में इतनी सुविधायें नहीं है तो अच्छा है कि पेन ड्राइव से ही काम चलाया जाये।
इसके तीन अंग हैं, पहली वह सूचना जो आप इण्टरनेट पर संरक्षित रखना चाहते हैं, दूसरे वे यन्त्र जिन्हे आप उपयोग ला रहे हैं और तीसरे वह एप्पलीकेशन व माध्यम जो इस प्रक्रिया में सहायक बनते हैं। इन तीनों अंगों को दो कार्य निभाने होते हैं, पहला स्वतः सूचना संरक्षित करने का और दूसरा आपके यन्त्रों के बीच सूचनाओं की सततता बनाये रखने का। जो लोग यह मान कर चलते हैं कि इण्टरनेट की उपलब्धता अनवरत बनी रहेगी और उसके अनुसार इन सेवाओं का प्रारूप बनाते हैं, वे प्रारम्भ से ही उन स्थानों को इन सेवाओं से बाहर कर देते हैं जहाँ इंटरनेट अपने पाँव पसारने का प्रयास कर रहा है। इसके विस्तृत उपयोग के लिये यह आवश्यक है कि इन सेवाओं को, इंटरनेट की उपलब्धता और अनुपलब्धता, दोनों ही दशाओं में सुचारु चलने के लिये बनाया जाये।
तीन सिद्धान्त हैं जिनके आधार पर आप किसी भी क्लाउड सेवा की गुणवत्ता माप सकते हैं।
१. मोबाइल, लैपटॉप और इण्टरनेट पर एक ही प्रोग्राम हो। यह हो सकता है कि प्रोग्राम अपने पूर्णावतार में लैपटॉप पर हो, मोबाइल व इंटरनेट पर अर्धावतार में आ पाये, पर सूचनाओं के संपादन की सुविधा तीनों में होना आवश्यक है। इस प्रकार किसी भी माध्यम में कार्य करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। यदि प्रोग्राम केवल इंटरनेट पर ही होगा तो आप इंटरनेट के लुप्त होते ही अपंग हो जायेंगे।
२. ऑफलाइन संपादन बहुत आवश्यक है, इस प्रकार आप उस सेवा का उपयोग कभी भी कर सकते हैं। पिछले समन्वय के बाद हुये परिवर्तनों को एकत्र करने और उसे इंटरनेट के उपलब्ध होते ही क्लाउड पर भेज देने से समन्वय का एक नया बिन्दु बन जाता है। यही क्रम चलता रहता है, हर बार, जब भी ऑफलाइन संपादन होता है। हुये बदलाव को किस प्रकार कम से कम डाटा में परिवर्तित कर क्लाउड में भेजा जाता है, यह एक अत्यन्त तकनीकी विषय है।
३. एक बार क्लाउड में परिवर्तन हो जाता है, उसके बाद किस प्रकार वह सूचना अन्य यन्त्रों पर पहुँच कर संपादित होती है, इस पर क्लाउड सेवा की गुणवत्ता का स्पष्ट निर्धारण होता है। यदि आपको उस प्रोग्राम में जाकर सूचना को अद्यतन करने के लिये अपने हाथों समन्वय करना पड़े तो वह सेवा आदर्श नहीं है। प्रोग्राम खोलते ही समन्वय स्वतः होना चाहिये। यह भी हो सकता है कि किसी एक ही लेख पर आपने मोबाइल और लैपटॉप पर आपने अलग अलग ऑफलाइन संपादन किया, बाद में इंटरनेट आने पर उन दोनों संपादनों को किस प्रकार क्लाउड सेवा सुलझायेगी और सहेजेगी, यह क्लाउड सेवा की गुणवत्ता का उन्नत अंग है।
कई कम्पनियाँ क्लाउड सेवाओं में 'कई लोगों के द्वारा संपादन की सुविधा' को जोड़कर उसे और व्यापक बना रही हैं। इसमें एक फाइल पर एक समय में कई लोग कार्य कर सकते हैं। बड़े लेखकीय प्रकल्पों पर एक साथ कार्य कर रहे कई व्यक्तियों के लिये इससे उत्कृष्ट और स्पष्ट साधन नहीं हो सकता है।
आजकल मैं अपने लेखन में इस सेवा का भरपूर उपयोग कर रहा हूँ, यह पोस्ट आधी आईफोन पर, आधी मैकबुक पर, एक चौथाई ब्रॉडबैंड के समय, एक चौथाई जीपीआरएस के समय और आधी इंटरनेट की अनुपलब्धता के समय लिखी है। एक जगह किया संपादन स्वतः ही दूसरी जगह पहुँचता रहा और अन्ततः पोस्ट आप तक।
इस समय कई क्लाउड सेवायें सक्रिय हैं, जो भी चुनें उन्हें उपरोक्त सिद्धान्तों की कसौटी पर ही चुनें, आपका जीवन सरल हो जायेगा। यदि क्लाउड सेवा में इतनी सुविधायें नहीं है तो अच्छा है कि पेन ड्राइव से ही काम चलाया जाये।
हम तो अभी भी पेन और पेन ड्राइव युग में हैं, लेकिन उपयोगी और रोचक जानकारी मिली क्लाउड की.
ReplyDeleteआज आपकी पोस्ट की चर्चा नई-पुरानी हलचल पर भी है |कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार दें ......!!
ReplyDeleteक्लाउड मैं भी प्रयोग करता हूं पर अपनी लोकल ड्राइव पर बैकअप रखे बिना नहीं. न जाने किस क्लाउड कंपनी की कहीं भी शाम हो जाए ☺
ReplyDeleteमस्त रिमिक्स काजल भाई:)
Deleteहमारा इतना काम ही नहीं है कि 'क्लाउडिंग' की ज़रूरत पड़े,फिर भी बेहतर तो यह होगा कि इस तरह की सेवा का लाभ 'ऑफलाइन' भी लिया जा सके !
ReplyDeleteथोड़ा-बहुत जो कभी लिखना हुआ तो या तो 'मेल' के ड्राफ्ट में या 'नोट' में लिखकर सेव कर लेते हैं.जिस तरह कोई भी टेलीफोन नंबर अपने मोबाइल में गूगल-खाते में सेव करके 'फोन' के बदलने या गम होने पर कोई फर्क नहीं पड़ता,ऐसा ही दूसरी चीज़ों की 'क्लाउड-स्टोरिंग' में होना चाहिए !
क्लाउड तकनीक का प्रयोग सुगमता बढा रही है आपके व्यस्त जीवन में .
ReplyDeleteजानकारी रोचक है। विज्ञान ने हमारे लिए कई विकल्प दिए हैं और राहें आसान कर दी है।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी है इस पोस्ट में!
ReplyDeleterochak jankari... aane wala samay klaud ka hi hai...
ReplyDeleteअच्छी जानकारी मिली ...... अभी तक तो इस तकनीक का कभी उपयोग नहीं किया ...
ReplyDeleteस्पष्ट जानकारी ...
ReplyDeleteअच्छी जानकारी, ट्राई में हर्ज क्या ?
ReplyDeleteA very informational post, as usual!
ReplyDeleteकहाँ आता है इतना!हम तो, लगता है,कंप्यूटर के आदिम-युग में हैं ,ये सब पढ़ कर चकित-विस्मित!
ReplyDeleteअच्छी जानकारी......
ReplyDeleteक्लाउड से रु-ब-रु करा दिया आपने ...मेरे लिए इतनी ही जानकारी बहुत है !
ReplyDeleteआभार आपका !
नयी जानकारी मिली... मुझे तो समझने मेन ही वक़्त लग जाएगा ।
ReplyDeleteनयी जानकारी मिली ... बहुत वक़्त लगेगा इसे जानने और सीखने में । आभार ॰
ReplyDeleteयह hotmail.com में स्काइड्राइव के नाम से पहले से ही सम्मिलित है. box.com पर 5 gb तक मुफ़्त है. एकदम सिंपल है बस ड्रैग-डॉप...
Deleteकुछ असहजता महसूस करने लगा हूँ, अपने आपको इस उम्र में अद्यतन रखने के लिए. बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियाँ हैं. कल रात ही घुघूती जी ने दो मोबाईल रखने की सलाह दी है और लम्बे समय तक उसकी पैरवी की थी. अब आपका अनुसरण करने के लिए इक्विप होना पड़ेगा. आभार.
ReplyDeleteई बादल तो न देखा न जाना। कहां पाया जाता है?
ReplyDeleteजानकारी लाभदायक है ( मेरी कविता भी प्रतीक्षा में है आपकी )
ReplyDeleteई बादल वाह वाह ..आपको तो ई गुरु करार दे देना चाहिए.
ReplyDeleteसब क्लाउडमय हो रहा है। ड्रॉपबॉक्स और आइक्लाउड के बाद गूगल बाबा भी अपना गूगल ड्राइव लेकर आ रहे हैं। अधिकतर ब्राउजर यूजर डाटा को क्लाउड पर सिंक करने की सुविधा देते हैं। लोकप्रिय लिनक्स वितरण उबुंटू में उबुंटू वन है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर की जाएगी!
सूचनार्थ!
Bahut badhiya jaankaaree dee hai aapne!
ReplyDeleteयह बहुत अच्छी सुविधा है. एक चीन की मोबाईल कम्पनी ने भी इसकी शुरुआत कर दी है.
ReplyDeleteविश्वनाथजी की ईमेल से प्राप्त टिप्पणी...
ReplyDeleteहम पिछले ढाई साल से Dropbox का प्रयोग कर रहे हैं।
मेरी जरूरतें इससे पूरी हो जाती हैं।
इसे मेरे लैप्टॉप पर, मेरे Ipad पर और हाल ही में खरीदे हुए Samsung Galaxy Note पर भी install कर लिया।
२ GB का free खाता था जिसे हमने अपने दोस्तों / रिश्तेदारों को शामिल करके ५ GB बना लिया।
और सदस्यों से खाता खुलवाने से अपना free खाता ८ GB तक ले जा सकता हूँ।
मेरी राय में एक औसत प्रयोगकर्ता के लिए इतना काफ़ी है।
पैसे खर्च करके इसे १०० GB तक भी ले जा सकते हैं
मेरे काम के फ़ाइलें हमेंशा synchronised रहते हैं
यदि मेरे पास अप्ना laptop, या Ipad या Galaxy Note नहीं भी है, फ़िर भी किसी Cyber Cafe पर जाकर, या किसी और का कंप्यूटर पर (जो internet से connected हो) dropbox.com पर जाकर, अपना user name और password के प्रयोग करके मेरे सभी फ़ाइलों तक पहुँच सकता हूँ और उनपर काम करके फ़िर से save कर सकता हूँ।
बाद में वही फ़ाईल, laptop, Ipad और Samsung Galaxy Note पर अपने आप update हो जाते हैं।
इससे अधिक जानकारी के लिए, Dropbox.com पर जाइए। यह एक free service है।
आजकल pen drive का प्रयोग बहुत कम हो गया है और उसे केवल अपने photo album को back up करने के लिए इस्तेमाल करता हूँ। हाँ, इन चित्रों को भी Dropbox पर रख सकता हूँ पर storage space बचाने के लिए, इन्हें अलग pen drive पर रखता हूँ।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
नयी जानकारी मिली..
ReplyDeleteकाश हम भी आपकी तरह कंप्यूटर माहिर गीक होते और आपके द्वारा नित नै जानकारी परोसे जाने का भरपूर फायदा उठाते .बहरसूरत आप नवीनतर ला रहें हैं उसे जी रहें हैं .हर पोस्ट एक दर्शन लिए होती है एक दिशा और बहुत कुछ ...
ReplyDeleteसुन तो रखा था मगर विस्तार से आपसे जाना…………आभार्।
ReplyDeleteनई और उपयोगी जानकारी मिली..पर मुझे शायद ठीक से समझने में समय लगेगा..आभार...
ReplyDeleteआज ही मैने ड्रॉपबॉक्स इंस्टाल किया है।
ReplyDeleteबाकी, अचानक मेगाअपलोड.कॉम के बैठा दिये जाने पर कराहते लोग देखे हैं! :-)
aapki post jaankaariyo ka bhandaar saabit hoti hai,kai-kai baar....
ReplyDeleteतभी तो ‘कौन बनेगा करोडपति’ में केवल चार चॉय्ज़ दिए जाते हैं :)
ReplyDeleteक्या बात है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteहाल ही में परिचय हुआ इस सुविधा से। है तो उपयोगी।
ReplyDeleteइस उपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद...
ReplyDeleteDropbox का इस्तेमाल तो चल ही रहा है...अनेकों संभावनायें लिए भविष्य खड़ा नजर आता है.
ReplyDeleteउत्तम जानकारीपूर्ण आलेख.
इन बदलियों के छाने से काफी सुविधा..अच्छी जानकारी ...
ReplyDeleteक्लाउड से आगे जहां और भी है ....
ReplyDeleteक्लाउड सेवा के बारे में जानकारी बढ़िया लगी. लेकिन कुछ कनफुजिया भी गयी हूँ ओफ लाइन ओर ऑनलाइन एडिटिंग अलग अलग मशीन से. मुझे ऐसा लगता है कि आपका मतलब यह होगा कि जिस मशीन से एडिटिंग कर रहे हैं वहाँ पहले ऑफ लाइन मैटर को क्लाउड से अपडेट करे फिर एडिट करें और फिर उसे क्लाउड में सेव करें.
ReplyDeleteरोचक और नई जानकारी...
ReplyDeleteसादर.
Behad upyogi post laga Pandey ji ap ke judakar dheere master bn jaunga....sadar abhar.
ReplyDeleteबादल भी छाये, जानकारियों की बरसात भी हुई.
ReplyDeleteIt seems I will have to take some classes on computer from you!
ReplyDeleteनई और उपयोगी जानकारी मिली| धन्यवाद|
ReplyDeleteज्यादा विकल्प होने पर स्थितियां बिगड़ भी जाती हैं। सूचना जरूरी है लेकिन उनकी बाढ़ में बहना और ज्यादा घातक। इसलिये जहां तक हो सके अपने तक बैकअप आदि लेकर ही आगे की ओर रूख किया जाय तो बेहतर होगा । क्लाउड सुविधा उपयोगी तो है ही।
ReplyDeleteज्ञानवर्धक जानकारी ...आभार ।
ReplyDeleteजानकारी पूर्ण आलेख!!!
ReplyDeleteआपने तो काफी अच्छी जानकारी दी..
ReplyDelete_____________
'पाखी की दुनिया' में जरुर मिलिएगा 'अपूर्वा' से..
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति । मेरे पोस्ट पर आकर मुझे प्रोत्साहित करें । धन्यवाद ।
ReplyDeleteaarambh bahut shandar hai ,aage ki jaankaari bhi faydemand hai ,sundar .
ReplyDeleteकाफी ज्ञानवर्धन हुआ...इन जानकारियों के लिए आभार.
ReplyDeleteउम्दा जानकारी सम्प्रेषण..
ReplyDeleteउपयोगी और ज्ञानवर्धक जानकारी प्रस्तुति के लिए आभार....
ReplyDeleteसही उपयोग कर रहे हैं अप क्लाउड का ... :)...
ReplyDeleteमोबाइल व कंप्यूटर से जुड़ी तकनीक की उपयोगी जानकारी।
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