पिछला एक माह परिवर्तन का माह रहा है मेरे लिये, स्वनिर्मित आवरणों से बाहर आकर कुछ नया स्वीकार करने का समय। स्थिरता की अकुलाहट परिवर्तन का संकेत है पर बिना चरम पर पहुँचे उस अकुलाहट में वह शक्ति नहीं होती जो परिवर्तन को स्थिर रख सके, अगली अकुलाहट तक। मन संतुष्ट नहीं रहता है, सदा ही परिवर्तनशील, सदा उसकी सुनेगे तो भटक जायेंगे, अकुलाहट तक तो रुकना होगा। विकल्प की उपस्थिति, उसकी आवश्यकता और उसे स्वयं में समाहित कर पाने की क्षमता परिवर्तन के संकेत हैं, यदि वे संकेत मिलने लगें तो आवरण हटा कर बाहर आया जा सकता है।
एक माह पहले मैक पर जाने के बाद से समय बड़ा गतिशील रहा है, पहले मेरे लिये, फिर एप्पल के लिये और अब हिन्दी के लिये। नये परिवेश को समझने के साथ साथ प्रशासनिक व साहित्यिक गतिशीलता बनाये रखना कहीं अधिक ऊर्जा माँगती है। आत्मीयों का प्रयाण, पहले हिमांशुजी, फिर स्टीव जॉब, मन को विचलित और दृष्टि को दार्शनिक रखने वाली घटनायें थीं। नये एप्पल आईफोन के साथ में आईओएस५ और आईक्लाउड का आगमन नयी संभावनाओं से पूर्ण था, पिछला सप्ताह उन संभावनाओं को खोजने और उस पर आधारित कार्यशैली की रूपरेखा बनाने में निकल गया।
ऐसा नहीं है कि एप्पल हर कार्य को सबसे पहले कर लेने हड़बड़ी में रहता हो, यद्यपि कई नयी तकनीकों व उत्पादों का श्रेय उसे जाता है। जिस बात के लिये उसे निश्चयात्मक श्रेय मिलना चाहिये, वह है उसकी अनुकरणीय गुणवत्ता और उत्पादों को सरलतम और गहनतम बना देने का विश्वास। मैकिन्टॉस, आईपॉड, आईफोन, आईपैड, मैकबुकएयर, सब के सब अपने क्षेत्रों के अनुकरणीय मानक हैं। आईओएस५ और आईक्लाउड के माध्यम से वही कार्य क्लॉउड कम्प्यूटिंग के क्षेत्र में भी किया गया है। आईओएस५ में अन्य तत्वों के अतिरिक्त आईक्लाउड ऐसा तत्व है जो क्लॉउड कम्प्यूटिंग के आगामी मानक तय करेगा।
क्लॉउड कम्प्यूटिंग अपनी सूचनाओं और प्रोग्रामों को इण्टरनेट पर रखने व वहीं से सम्पादित करने का नाम है। मूलतः दो लाभ हैं इसके, पहला तो आपकी सूचनायें सुरक्षित रहती हैं, इण्टरनेट पर जो कि आप कहीं से भी देख सकते हैं और साझा कर सकते हैं। दूसरा लाभ उन लोगों के लिये है जो मोबाइल और कम्प्यूटर, दोनों पर सहजता से कार्य करते हैं और उन्हें दोनों के ही बीच एक सततता की आवश्यकता होती है। कई स्थूल विधियाँ हैं, या तो आप याद रखें कि कहाँ पर क्या सहेजा है और उसे हर बार विभक्तता से प्रारम्भ करें, या आप अपना सारा कार्य बस इण्टरनेट पर ही निपटायें, या एक पेन ड्राइव के माध्यम से अपनी सूचनायें स्थानान्तरित करते रहें। उपरोक्त विधियाँ आपका कार्य तो कर देंगी पर अनावश्यक ऊर्जा भी निचोड़ लेंगी।
अब आईक्लाउड की सूक्ष्म प्रक्रिया देखिये, मैं अपने आईपॉड में एक अनुस्मारक लगाता हूँ, वाहन में, कार्यालय आते समय। कार्यालय आकर बैठकों में व्यस्त हो जाता हूँ, आकर लैपटॉप पर देखता हूँ, तो वही अनुस्मारक उपस्थित रहता है उसमें। सायं बैठकर बारिश में कविता की कुछ पंक्तियाँ लिखता हूँ लैपटॉप पर, अगली सुबह एयरपोर्ट जाते समय झमाझम होती बारिश में आधी पंक्तियों को पूरी करने की प्रेरणा मिलती है, आईपॉड पर स्वतः आ चुकी कविता पर लिखना प्रारम्भ कर देता हूँ। जितनी सूक्ष्मता से सततता बनी रहती है, उतनी ही विधि की गुणवत्ता होती है। प्रयोग कर के देखा, एक अनुस्मारक को मोबाइल से लैपटॉप पर पहुँचने में केवल १६ सेकण्ड लगे, अविश्वसनीय!
आईक्लाउड मेरे लिये संभवतः अर्धोपयोगी ही रहता यदि आईओएस५ में हिन्दी न आती। हिन्दी कीबोर्ड, अन्तर्निहित शब्दकोष और आईक्लाउड ने मेरी मैकबुक एयर और मेरे आईपॉड में न केवल प्रेरणात्मक ऊर्जा भर दी वरन उनको सृजनात्मकता से अन्तर्बद्ध कर दिया है। अब न कभी कोई विचार छूट पायेगा कहीं, कोई प्रयास न व्यर्थ जायेगा कहीं, बनी रहेगी उत्पादक सततता सभी अवयवों के बीच। आपने यदि अब तक अनुमान लगा लिया हो कि यह नया आईफोन खरीदने की बौद्धिक प्रस्तावना बनायी जा रही है, तो आप मेधा अब तक गतिशील है।
आईफोन की उमड़ती इच्छाओं के अब चाहें जो भी निष्कर्ष हों, पर हिन्दी लेखन के लिये निसन्देह एक उत्सवीय क्षण आया है, वह भी इतनी प्रतीक्षा के पश्चात, भरपूर प्रसन्न होने के लिये, मुदित हो मगन होने के लिये।
आनन्द मनाओ हिन्दी री..
सर बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ यह भी पता चला कि अब विश्व समुदाय हिन्दी की महत्ता को स्वीकार करने लगा है |भले ही कारण बाज़ार ही क्यों न हो |आपको बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteएप्पल ने हिंदी को लेकर जो पहल की है,निश्चित ही हिंदी के दीवानों के लिए ख़ुशी का सबब है.आई-क्लाउडिंग का कॉन्सेप्ट भी बढ़िया है.देर-सबेर android में भी ये सुधार आ सकते हैं !
ReplyDeleteपर सच्ची में एप्पल को कोई तोड़ नहीं ,जोड़ नहीं !
आपको असीम शुभकामनाएँ !
उपयोगी जानकारी ...
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी दी है आपने!
ReplyDeleteलगता है आप हमें भी मैक और आईफोन की तरफ मोड़ ही देंगे|
ReplyDeleteएक हिन्दी साहित्य सर्जक का तक्नीकी अनुभव हमे जल्दी समझ आता है . क्योकि हिन्दी के अलावा हमे कोइ भाषा समझ आती ही नही
ReplyDeletebahut upyogi jaankari di hai.aapko shubhkamnayen.
ReplyDeleteआप से सीख रहा हूँ .....
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
अच्छी उपलब्धि है।
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक जानकारी दी है आपने प्रवीण जी,उपयोगी आलेख,बधाई!
ReplyDeleteगूगल माइक्रोसॉफ़्ट आज सिखलाते हिन्दी।
ReplyDeleteहिन्दी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना रुतबा हासिल कर लिया है।
तकनीकी ज्ञान के बिना हिंदी लेखन का मज़ा अधूरा ही रह जाता है।
ReplyDeleteवाह! यह तो बहुत बढ़िया है!!!
ReplyDeleteनिश्चित रूप से हिंदी के लिए यह उत्सव मनाने का समय है ......! अपने बहुत उपयोगी और सिलसिलेवार जानकारी देकर बहुत कुछ नया करने की प्रेरणा दी .....!
ReplyDeletebahut kuch janne ko milta hai aapse
ReplyDeleteजब आइफोन के लायक बनेंगे तब आपकी पोस्ट याद आएगी। अभी तो समझ के बाहर है।
ReplyDeleteफिलहाल पढ़कर आनंदित, इस्तेमाल कर फिर आनंदित होंगे.
ReplyDeleteक्लाऊड कम्प्यूटिंग इसीलिये बेहद महत्वपूर्ण होती जा रही है।
ReplyDeleteतकनीकी जानकारी वह भी ऐसी हिंदी में. नमन. मुदित हो मगन होने क लिय अकुलाहट तक तो रुकना ही पड़ेगा.
ReplyDeleteवाह ! बहुत उपयोगी जानकारी बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत की है आपने, आभार !
ReplyDeleteNo wonder they say...Once on Mac you can never go back :D
ReplyDeleteआई फोन खरीदने का मन हम भी बना रहे हैं, और आपकी पोस्ट्स पढ़ कर उस मन का लोजिक भी मिल रहा है.
इतने प्रयोगों के बाद तो चहुँ ओर आनंद ही आनंद !
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा ।
http://tetalaa.blogspot.com/
बढिया है ! एपल के प्रोडक्ट एडिक्टिव होते ही हैं. :)
ReplyDeleteजानकारी देती अच्छी पोस्ट ...
ReplyDeleteआपकी हिन्दी और तकनीक के संगम वाली पोस्टें उत्सुकता जगाती हैं... काफी कुछ जानने को मिल रहा है... हम तो माइक्रोसॉफ्ट एक्सपी से आगे ही नहीं बढ़ पा रहे..
ReplyDeleteआपका ब्लॉग सब्सक्राइब कर रखा है पर इनबॉक्स में फीड देर से आती है... बज से जल्दी पता लग जाता है.. पर सुना है बज की सेवा समाप्त हो रही है
आप के लेख को समझने के लिए तकनीकी ज्ञान जरूरी है जो मेरे पास......:-) कोशिश....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
आप के लेख को समझने के लिए तकनीकी ज्ञान जरूरी है जो मेरे पास......:-) कोशिश....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
एप्पल ने हिंदी को लेकर जो पहल की है,निश्चित ही प्रशंसनीय है..... तकनीकी आलेख को रुचिकर रूप में परोसने के लिए आभार.
ReplyDeleteएप्पल ने बिना किसी गुंजाइश बेहतरीन उत्पाद पेश किये हैं पर आम भारतीयों के लिए अभी भी उसके मूल्य मुट्ठी से बाहर है..
ReplyDeleteएंड्रोयड के काफी फोन कम कीमत पर मिल रहे हैं और मेरे पास एल.जी. का ओप्टीमस १ है और मैं उसपे हिंदी में टाइप "पनिनी" की मदद से आराम से कर पा रहा हूँ..
यहाँ पर विस्तृत जानकारी देख सकते हैं : "www.paninikeypad.com"
आभार
आईफोन की उमड़ती इच्छाओं के अब चाहें जो भी निष्कर्ष हों, पर हिन्दी लेखन के लिये निसन्देह एक उत्सवीय क्षण आया है, वह भी इतनी प्रतीक्षा के पश्चात, भरपूर प्रसन्न होने के लिये, मुदित हो मगन होने के लिये।
ReplyDeleteआनन्द मनाओ हिन्दी री..
इस आनंदातिरेक में हम भी आपके संग है .मुबारक .
आपकी यह ज्ञानवर्धक पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी ..आभार ।
ReplyDeleteकाफी जानकारियां मिल गईं...जय जय हिंदी.
ReplyDeleteबहुत रोचक और उपयोगी जानकारी..
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी एवं उपयोगी जानकारी ..तकनीकि ज्ञान का खजाना है आपके पास तो ..शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत रोचक और उपयोगी जानकारी..
ReplyDeleteइस जानकारी का फायदा मैं तो जरूर उठाऊंगा ... आपने जब बताया यहे तब पूरी तरह समझ नहीं आया था ...
ReplyDeleteहिन्दी का एपल.. या एपल की हिन्दी.. ज्ञान का फल!!
ReplyDeleteक्लाऊड कम्प्यूटिंग की आदत अब डाल ही लेनी चाहिए
ReplyDeleteहम खुद तीन साल से उपयोग कर रहे शनै: शनै:
नि:संदेह, आने वाला समय हिंदी का ही है
अजब देश की इस गजब कहानी में मुझे तों एक ही बात समझ में आई कि यह तकनीक हिन्दी को सहायक है। अच्छी सूचना है।
ReplyDeleteबहुत सरल शब्दो में बहुत ही ज्ञानवर्धक एवं उपयोगी जानकारी दी ..बहुत बढ़िया..आभार..
ReplyDeleteहिन्दी कीबोर्ड,अन्ततः
ReplyDeleteस्टीव जाब्स को कलात्मकता और कम्यूटर प्रविधि के आमेलन की बहुविध कल्पनाशीलता के लिए जाना जाता है
...
आपको वैचारिकता और संचार प्रौद्योगिकी के सम्मिलन के लिए हम याद कर रहे हैं !
बहुत ही सुन्दर आलेख मन आल्हादित हो गया हिंदी के सम्मान और महत्त्व को अब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मानने लगा है ...ये सब हिंदी प्रेमी लेखानकों और पाठकों के सम्मिलित प्रयास का प्रतिफल है....सादर !!!
ReplyDeleteमन के मते न जाइये, मन के मते अनेक :) अकुलाहट होगी ही॥
ReplyDeleteaapke har post se kuch na kuch seekhne ko milta hai!
ReplyDeleteज्ञानवर्धक पोस्ट. नयी तकनीक को जानने का सुअवसर प्रदान किया है. सुंदर.
ReplyDeleteआपका ईश्क परवान चढ़ा और अब प्रेम के वटवृक्ष के रूप मे विस्तारित होकर आपके विचारों व कार्यव्यवहार का अद्भुत व उपयोगी आश्रयस्थल सिद्ध हो रहा है, इसके लिये बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteआधुनिक तकनीक के साथ हिंदी यूँ आगे बढे तो सच आनंद मनाने की ही बात है.......बहुत अच्छी जानकारी समेटे लेख...
ReplyDeleteआनंद ही आनंद .जानकारी प्रद आलेख .
ReplyDeleteएप्पल की कृपा से हिंदी की बल्ले-बल्ले साथ में हम हिंदी वालों की भी..
ReplyDeletesir me jyada technofriendly nahi aur sabse badi baat me abhi apne aawran se bahar aai nahi hu shayd islie technofriendly ban bhi nahi pa rahi.aapki is jankari ke lie dhanyawd.jis din me awran se thoda bahar nikal paungi us din shayad me bhi is tarah ki koi post likh saku.....
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुती...........आभार
ReplyDeletewel-come on
http://vijaypalkurdiya.blogspot.com
आनन्द मनाओ हिन्दी री..
ReplyDeleteदिवाली मुबारक !मंगल कारी होवे ये पर्व आपके परिवार के लिए आपके लिए ,सभी सेहत मंद रहें .
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच-673:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
तकनीक के मामले में मक्खन का फॉलोअर हूं...
ReplyDeleteआपने नम्मा मेट्रो की सवारी का आनंद लिया या नहीं...
जय हिंद...
आईफोनके बारे में बहुत काम की उम्दा जानकारी दी है ...आभार
ReplyDeleteअब तो मेट्रो भी आ गई बेंगलुरु में मुबारक .ब्लोगिया दस्तक के लिए आभार आपका .
ReplyDeleteआनन्द मनाओ हिन्दी री.. सार्थक उपयोगी
ReplyDeleteजानकारी के लिए बहुत बहुत बधाई प्रवीन जी !
हिन्दी की प्रगति ऐसे ही होती जाती है...अच्छी जानकारी दी आपने.
ReplyDeleteशुक्रिया इस जानकारी के लिए...
ReplyDeleteAapke dwara di gayee jaankari bahut achchhee hai, par apna takneequee gyan thoda kam hai.
ReplyDeleteबढ रहा है हिंदी का महत्व .. हम मानेंगे तो दुनिया मानेगी ही !!
ReplyDeleteअपनी हिंदी के लिए एक और गौरवशाली लम्हा
ReplyDeletepls see my blog-- www.aclickbysumeet.blogspot.com and post your comments, how you feel to see it?
ReplyDeletei like it...achhi jankaari di...
ReplyDeleteएपल का कोई जोड नही पर इसकी कीमतें इसके जैसे ही यंत्रों के मुकाबले कहीं ज्यादा है । अभी बेटे के पास ४जी वाला आयफोन देखा तो उसमें सीरी देख कर मजा आ गया आप कुछ भी बोलो (टाइप नही )और चीज ( इनफ़ॉरमेशन ) हाजिर, न गूगल पर जाने की झंझट न ढूंढने की ।
ReplyDeleteहिंदी की सुविधा देकर तो एपल नें अपना बाज़ार बढा ही लिया समझिये ।
आप के सारे लेक तकनीकी जानकारी से भरपूर होते हैं अब किसकी समझ में कितना आता है ये तो व्यक्ति पर निर्भर है ।
पांडे जी नमस्कार मैं आप का ब्लॉग लगभग एक साल से पढ़ रहा हूँ सूचना तकनीकी में हिन्दी के प्रयोग से संबंधित हैं, जो मेरा प्रिय विषय है, हिन्दी टाइपिंग में मैं INSRIPT कीबोर्ड का प्रयोग बहुत ही आसानी से करता हूँ, यह हिन्दी टाइपिंग की त्रुटि रहित कीबोर्ड है।
ReplyDeleteमुझे अपने iPOD touch के लिए iOS5 का बेसब्री से इंतजार था(हिन्दी कीबोर्ड के लिए), जिस दिन (६-७ अक्टूबर)को अपग्रेड के लिए आया उसी दिन मैंने अपग्रेड किया,मेरे जीवन का यह रोमांचक पल था अपनी भाषा में कीबोर्ड को देख कर, ठीक है यूजर इंटरफेस हिन्दी में न सही मगर जाते-जाते स्टीव जॉब्स महोदय नें हम भारतियों को एक महान उपहार दे दिया.... हम भारतियों की तरफ से उनको यह सच्ची श्रद्धांजली है।
अब बारी एंडरॉयड की है, अभी हाल ही में मैंने पढ़ा कि SAMSUNG GALAXY हिन्दी टाइपिंग और यूजर इंटरफेस लेकर आ रहे हैं....