पिछली पोस्ट में मैकबुक एयर की विस्तृत समीक्षा नहीं कर पाया था, कारण था उसकी कार्यप्रणाली को समझने में लगने वाला समय। अपनी आवश्यकतानुसार सही लैपटॉप पा जाने के बाद उस पर कार्य करना अभी शेष था। दो विकल्प थे, पहला पुराने लैपटॉप पर कार्य करते करते नये के बारे में धीरे धीरे ज्ञान बढ़ाना, दूसरा था सारा कार्य नये में स्थानान्तरित कर पूर्णरूपेण कार्य प्रारम्भ कर देना। यद्यपि मुझे मैकबुक में विण्डो चलाने की तीन विधियाँ ज्ञात थीं पर मैक पर बिना प्रयास करे उसे छोड़ देना मुझे स्वीकार नहीं था। एक शुभचिन्तक ने भी कम से कम एक माह मैक उपयोग करने के पश्चात ही कोई निर्णय लेने को कहा था। मैने मैकपूर्ण अनुभव का एक माह जीने का निश्चय किया।
सर्वप्रथम कार्य था, अपने सारे सम्पर्क, बैठक, कार्य व नोट का मोबाइल व मैक के बीच समन्वय करना। ब्लैकबेरी के डेक्सटॉप मैनेजर के माध्यम से वह कार्य कुछ ही मिनटों में हो गया। विण्डो के आउटलुक के स्थान पर मैक में तीन प्रोग्राम होते हैं, मेल, एड्रेस बुक व आईकैल। मेरा मोबाइल अब दो लैपटॉपों के बीच का समन्वय सूत्र भी है।
दूसरा था ब्रॉउज़र का चुनाव, सफारी में थोड़ा कार्य कर के देखा, क्रोम जितना सहज नहीं लगा। अन्ततः क्रोम डाउनलोड कर लिया, सारे बुकमार्क्स आदि के सहित। देवनागरी इन्स्क्रिप्ट लेआउट मैक में है, कीबोर्ड पर दो कारणों से स्टीकर नहीं लगाये, पहला अभ्यास और दूसरा कीबोर्ड का बैकलिट होना। मैं पिछले कई दिनों से आपके ब्लॉग पर टिप्पणियाँ मेरे मैक से ही बरस रही हैं, उसमें से अधिकांशतः बच्चों के सोने के बाद रात के अँधेरे में बैकलिट कीबोर्ड के माध्यम से टाइप की गयी हैं।
तीसरा था अपने समस्त लेखन को वननोट के समकक्ष किसी प्रोग्राम में सहेजना। इण्टरनेट पर चार सम्भावितों में ग्राउलीनोट्स लगभग वननोट जैसा ही था। वननोट से सभी लेखों को वर्ड्स में बदल कर मैक पर ले गया। नये रूप में उन्हें व्यवस्थित करने का कार्य लगभग आधा दिन खा गया। पिछली चार पोस्टें ग्राउलीनोट्स में ही लिखी गयी हैं। यद्यपि ऑफिस सूट का अधिक उपयोग नहीं करता हूँ पर किसी संभावित आवश्यकता के लिये ओपेन ऑफिस डाउनलोड कर लिया है।
एक टैबलेट पैड का उपयोग पुराने लैपटॉप के साथ करता था, मुक्त हाथ से लिखने व चित्रों पर आड़ी तिरछी रेखायें बनाने के लिये। अपने भावों को शब्दों के अतिरिक्त रेखाओं से व्यक्त करने के लिये वह मैक में अनिवार्य था मेरे लिये। निर्माता की साइट पर गया, उस मॉडल से सम्बद्ध मैक पर चलने वाला ड्राइवर डाउनलोड किया और इन्स्टॉल कर दिया। ६x८ इंच का पैड मैकबुक की स्क्रीन के ही आकार का है। टैबलेट पैड दोनों बच्चों को बहुत सुहाता है, बहुधा ही चित्र बनाने के लिये उसका अधिग्रहण होता रहता है, किसी प्रकार मैने भी आवारगी में बह रहे विचारों को मुक्त हस्त से व्यक्त कर दिया।
११.६ इंच की स्क्रीन में शब्द मोती से स्पष्ट दिखते हैं, फोन्ट का आकार बढ़ाना, पृष्ठों पर तीव्र भ्रमण व अन्य स्थान पर पहुँचने का कार्य उन्नत ट्रैकपैड की सहायता से आशातीत सहज हो जाता है। ४ जीबी रैम व १२८ जीबी सॉलिड स्टेट हार्डड्राईव में फाइलें व प्रोग्राम पलक झपकते ही प्रस्तुत हो जाते हैं। १ किलो के सर्वाधिक पतले लैपटॉप को कहीं भी रखकर ले जाने व कहीं भी खोलकर उस पर लिखने की सुविधा किसी सुखद अनुभव का स्थायी हो जाना है।
बैटरी एक सुखद आश्चर्य रही मेरे लिये। जब लेखन करता हूँ तो वाई फाई बन्द कर देता हूँ। विशुद्ध लेखन में ६ घंटे व विशुद्ध इण्टरनेटीय भ्रमण में ४ः३० घंटे का समय उत्पाद पर दी गयी समय सीमा से कहीं अधिक था। बैटरी को पुनः पूरा चार्ज करने में मात्र १ः३० घंटे का ही समय लगता है। इस उत्कर्ष मानक को पाने के लिये मैक ने कई महत्वपूर्ण सफल प्रयोग किये हैं जिसका शोध एक अलग पोस्ट में लिखूँगा। यह शोध भविष्य में एक अवरोध रूप में खड़ा रहेगा, विण्डो में वापस लौटने के विचारों के सम्मुख।
अभी तक की यात्रा तो संतुष्टिपूर्ण है, पूरे निष्कर्षों पर पहुँचने तक अनुप्रयोग होते रहेंगे, मैकपूर्ण अनुभव का माह प्रवाहमय बना रहेगा।
अधुनातन तकनीक और ज्ञानवर्धक जानकारी सुरुचिपूर्ण ढंग से लेख के माध्यम से हम तक पहुँचाने के लिए आभार
ReplyDeleteअधुनातन तकनीक और ज्ञानवर्धक जानकारी सुरुचिपूर्ण ढंग से लेख के माध्यम से हम तक पहुँचाने के लिए आभार
ReplyDeleteकभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है कि जैसे......
ReplyDeleteशायद कभी मैं भी मैक इस्तेमाल करुँ....मगर हाल फिलहाल तो विन्डोज पर ही ठीक चल रहे हैं. :)
अनेक शुभकामनायें...
तकनीक और लेखन का मणि कांचन संयोग
ReplyDeleteMacbook is really a sexy product.
ReplyDeleteमैक प्रयोक्ता होने के कारण मै यह विश्वास से कह सकता हूं कि विन्डोज पर लौटना मुश्किल है।
ReplyDeleteमेरी माउस तक की आदत छूट गयी है।
समीक्षा के साथ यह जानकारी बहुत उपयोगी रही!
ReplyDeleteवाह!बढ़िया ज्ञानवर्धक समीक्षा|
ReplyDeleteटैबलेट पैड का उपयोग क्या हम सीधा ब्लोगर के टेक्स्ट एडिटर में कर सकते है?
बेहद उपयोगी और आवश्यक लेख के लिए आभार प्रवीण भाई !
ReplyDeleteस्टीव जोब्स की यह देन गज़ब का आकर्षण देती है और विशिष्ट तो है ही ! यह टिप्स देते रहना जिससे आपकी मेहनत का फायदा हम आसानी से उठा सकें !
शुभकामनायें !
बढ़िया ज्ञानवर्धक समीक्षा| धन्यवाद|
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteहमारी बधाई स्वीकारें ||
sir these are good and useful information in future to me .thanks
ReplyDeletemujhe to aayega hi nahi...
ReplyDeleteअच्छी जानकारी देता बेहतरीन लेख ..... प्रवाह बना रहे ..... शुभकामनायें
ReplyDeletebaap re.....aapkaa anubhav aur aapke kaary sachmuch atyant prerit kar rahen hain mujhe....
ReplyDeleteप्रयोगशाला वाला काम पूरा कर लें आप, बाद में दोस्त लोग तो हैं ही फॉलो करने के लिए। लेकिन बंधु, अव्वल तो इतनी जब्बर्दस्त मेहनत और फिर उसे यूं सिलसिलेवार साझा करने की ज़हमत। इम्प्रेस्ड।
ReplyDeleteशायद हम भी कभी मैक पर काम करेंगे।
ReplyDelete--------
कल 13/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
काहे को हमरा दिल जलाय रहे हो ? जब भी एप्पल के स्टोर के आस-पास से गुजरता हूँ,एक जादुई अहसास कर लेता हूँ,क़सक सी रह गई है मन में ! अभी तक एप्पल के उत्पाद मेरी ज़द में ना आ पाए !पिछले दिनों में ही नया डेस्कटॉप लिया था,उसी से समझौता किये बैठे हैं.
ReplyDeleteआप अनुभव करते रहें,हम बस टापते ही रह जायेंगे !
बहुत सुरुचि पूर्ण, लाभदायक जानकारी भरा लेख. ये किसी अरण्यमें पथ खोजने से कम नहीं .
ReplyDeleteसरल भाषा में कड़े अनुभव का उन्मुक्त शब्द चित्रण
ReplyDeletehmmm... my eagerness in increasing day by day to buy one... :(
ReplyDeletethank you so much for details... the day will buy, will come to you only, if got stuck anywhere... :)
the best part is tablet pad... :)
मुझे मैक का स्निप टूल सबसे अच्छा लगता है. तसवीरें कॉपी करने के लिए या डिजाईन के लिए बेहद सुविधाजनक है.
ReplyDeleteपिंच टू ज़ूम ११ इंच मोनिटर पर भी पढ़ना आसान कर देता है, और मैक स्क्रीन क्लारिटी तो लैपटॉप में सबसे बेहतरीन है.
आपके अनुभव से लग रहा है मैक इस्तेमाल करना उतना मुश्किल नहीं है जितना लगता है.
बहुत ही अच्छी जानकारी ...।
ReplyDeleteहम तो सेल फ़ोन से भी अभी अभ्यस्त नहीं हो पाये, हम ब्लैकबेरी और गूज़बेरी का अंतर भी नहीं जानते :)
ReplyDeleteचलिए हो गया सब काम...हमारी समझ में कम आया पर आपने बहुत ही अच्छी तरह समझाया. आभार.
ReplyDeleteअच्छी और उपयोगी जानकारी..धन्यवाद|
ReplyDeleteआप सब ब्लागर साथियों से कुछ कुछ तकनीकी जानकारी मिल जाती है तो हमारा भी ज्ञान बढ़ता रहता है।
ReplyDeleteमैकदा छोडकर कहाँ जाएँ!!
ReplyDeleteinn sab ko dekh k lagta hai ki hum wakahe bht aage aa gye hai duniya main
ReplyDeleteमैक कई वर्षों से लुभाता रहा है परंतु पूरी मशीन अलग होना और उसका किसी और ऑपरेटिंग सिस्टम को समर्थन न करने के कारण, कभी जा ही नहीं पाये। हालांकि लाईनिक्स और जितने भी ऑपरेटिंग सिस्टम जो कि विन्डोज के हार्डवेयर पर चल जाते हैं, सबका अनुभव ले चुके हैं। यहाँ तक कि एक समय था जब हमारी मशीन पर ४-५ ऑपरेटिंग सिस्टम होते थे।
ReplyDeleteवैसे मैक पर जाना शायद बहुत ही कटु अनुभव होगा जैसे विन्डोज से लाईनिक्स पर जाने का अनुभव था। अभी तो विन्डोज से कहीं जाने का इरादा नहीं है। आपके अनुभवों से आगे जरूर सहायता होगी।
संजय @ मो सम कौन ? ने आपकी पोस्ट " मैकपूर्ण अनुभव का एक माह " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
ReplyDeleteकाहे को जी जलाया जाये जी, रूखी सूखी खायके ठंडा पानी पी रहे है
बहुत अच्छी सूचना देने के लिये आभार। मैक एयर से आपका इश्क अब गम्भीर संबन्ध में परिवर्तित हो रहा है, बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeletepooraa istemaal kar lijiye fir batayiyega hame bhi lena
ReplyDeleteतकनीक पर इतना सहज आलेख... अद्भुद...
ReplyDeleteकोई महीना/सवा महीना से ब्लॉग नहीं पढ पाया हूँ। लगता है, आपकी इस पोस्ट की भूमिकावाली पोस्ट मेरे मेल बॉक्स में मेरी प्रतीक्षा कर रही है।
ReplyDeleteसब कुछ अत्यधिक तकनीकी मामला है। मेरी समझ से पूरी तरह से बाहर। मैं अज्ञान के सुख भोग रहा हूँ।
अच्छी जानकारी मिली।
ReplyDeletegyaanvar dhak prastuti par badhaayee
ReplyDeleteआदरणीय प्रवीण जी ....मैक की समीक्षा करके आपने हमारा ज्ञानवर्धन किया है और शब्दों का तारतम्य ऐसा कि जैसे अपने पसंद की कोई ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ ....आपकी प्रवाहपूर्ण भाषा का कोई जबाब नहीं .....!
ReplyDeleteBahut hin upyogi jankari.
ReplyDeletekafi achhi jankaari di Praveen ji aapne....aapki pichli post Steve Jobs ke nidhan ke baare mein ,....is mahaan aatma ke liye ek shradhanjali hai.
ReplyDeleteमैं तो अचम्भित हूँ। इतनी तकनीकी खुरपेंच में खुद को उलझा नहीं सकता। अनाड़ी जो ठहरा।
ReplyDeleteआपकी बात ही कुछ और है...!
Good post sir .
ReplyDeleteछोटी-छोटी बातों की सिसिलेवार जानकारी देने का अंदाज़ पसंद आया.
ReplyDeleteविस्तृत जानकारी दी है भाई साहब आपने "मैक "के विषय में आहिस्ता आहिस्ता हम भी वाकिफ हो जायेंगे कम्प्यूटरी भाषा से .
ReplyDeleteक्लिष्ट तकनीकि ... सरल शब्दों में समझाने का प्रयास ... पर अभी समझने की हालत नहीं है :)
ReplyDeleteलेकिन बहुत लोगों को इस जानकारी से लाभ मिलेगा .
बहुत उपयोगी जानकारी...
ReplyDeleteहमने इन्डेन्ट लगा दिया है . दिवाली पर मैक की डेलिवरी होनी है . फिर हम आपके अनुभव इस्तेमाल में लायेंगे .
ReplyDeleteमहंगा है इसीसे सब लोगों के पहुँच के बाहर । पर आसान है और तेज भी ।
ReplyDeleteआप का पैड अच्छा लगा ।
कमी समझाने वाले की नहीं समझनेवाले की है -क्या किया जाय जब सब सिर के ऊपर से निकलता चला जाय !
ReplyDeleteआपकी सफलता कई और धर्म-परिवर्तन करायेगी, ऐसा लगता है।
ReplyDeleteकाफी महत्वपूर्ण तकनीकी जानकारी उपलब्ध करने के लिए आभार .
ReplyDeleteबढ़िया ज्ञानवर्धक जानकारी,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
हम भी धर्म परिवर्तन को ललच रहे हैं :)
ReplyDeleteई पता नहीं क्या क्या आप लिख गए और पता नहीं क्या क्या कर दिए, मुझे समझ में ही नहीं आया। मैं तो इस मामले में तो इतना कमजोर हूं कि कई दिनों से कंप्यूटर खुल रहा था, लेकिन उसके स्क्रीन पर कुछ नजर नहीं आ रहा था। पहले तो उसके प्लग वगैरह हिला डुला कर देखा, लेकिन मुझे लगा कि कोई भयंकर गड़बड़ी है, जो नियंत्रण से बाहर की चीज है। फिर मैने एक इंजीनियर भाई को फोन किया। वह ३०० रुपये फीस पर आने को तैयार हुआ। आने के बाद उसने सीपीयू में से एक तार, जो नट बोल्ट से कसकर बंधा होता है, उसे निकाला, फिर उसे वहीं लगाकर कस दिया। कंप्यूटर चलने लगा और अभी भी चल रहा है। इंजीनियर साब ३०० रुपये लेकर चले गए। मेरे एक मित्र ने कहा कि अब अगर कोई गड़बड़ी हो तो पहले सभी तार खींचकर और उसको फिर से घुसेड़कर देख लीजिएगा, फिर किसी को बुलाइयेगा :(
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण अपडेट !शुक्रिया ब्लॉग पर दस्तक का .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लैपटॉप है ! हमें तो मम्मी का लैपटॉप से खेलने को नहीं मिलता है ... :(
ReplyDeleteaccha hai aapke sath hum bhi seekhte ja rahe hain....
ReplyDeleteमेरा अगला नोटबुक मैक ही होगा!
ReplyDeleteऐसा नहीं की आपकी ये पोस्ट पढ़ने के बाद मैं ऐसा कह रहा हूँ, बल्कि मुझे खुद खरीदने का दिल है बहुत दिन से :)
प्रवीण जी,
ReplyDeleteiOS5 पर अपने आई पैड को अपग्रेड कर लिजिये, हिन्दी इन्स्क्रिप्ट की बोर्ड आ गया है। हिन्दी आटो सजेस्ट और स्पेल चेकर भी है :)
मैने कल ही अपग्रेड कीया। और अपग्रेड से पहले बैक अप ले लिजियेगा!
ये सच है की बेटरी का आनंद लेना है तो मेक ... वैसे और भी कई लिखाज़ से ये एक अच्छा कम्पूटर है इसमें कोई दो राय नहीं है ...
ReplyDeleteतो मैक के साथ आपका प्यार परवान चढ़ रहा है। मैक प्रयोग करने वाले हमारे पुराने मित्रों में आलोक जी, आशीष जी आदि शामिल हैं। उनसे तकनीकी मार्गदर्शन ले सकते हैं।
ReplyDeleteतो आप अपने फोटो में जो कैप्शन लगाते हैं वो इस पैड का कमाल है। पर आप इस पर इतनी सफाई से कैसे लिख लेते हैं, अक्सर टचस्क्रीन पर लिखने में कागज पर पैन की तरह सही तरीके से नहीं लिखा जाता?