स्टीव जॉब्स का निधन हो गया, एक युग का सहसा अन्त हो गया। कम्प्यूटर व मोबाइल के क्षेत्र में आधुनिकतम तकनीकों की समग्र परिकल्पना के वाहकों में उनका नाम अग्रतम है। प्रॉसेसर की चिप डिजाइन, हार्डड्राइव का चयन, वाह्य संरचना, उन्नत धातुतत्वों का प्रयोग, ओएस का स्वरूप, प्रोग्रामों की गुणवत्ता, उपयोगकर्ताओं की सुविधा, सतत क्रमिक उन्नतीकरण, नये उत्पाद का प्रस्तुतीकरण, विपणन नीति, बाजार की समझ, तकनीक की क्षमता, इन सभी क्षेत्रों में समग्रता से नायकत्व को निभाने वाले युगपुरुष थे स्टीव जॉब्स।
किसी की क्षमता उसकी कथनी से नहीं वरन करनी से जानी जाती है। आईफोन, आईपैड, मैकबुक जैसे एप्पल के उत्पाद हों या टॉय स्टोरी जैसी पिक्सार की फिल्में, स्टीव जॉब्स ने सदा ही अपने प्रतिद्वन्दियों को, अनमने ही सही, पर अपना अनुकरण करने को बाध्य कर दिया। यदि उत्पादों की गुणवत्ता न देखी होती तो संभवतः उनके जीवन के बारे में जानने का प्रयास भी न करता। उनके जीवन के बारे में पढ़कर उस प्रखरता को समझना सरल हो गया जो उनकी हर रचना में स्पष्ट रूप से झलकती है।
लगभग छह वर्ष पूर्व, स्टैनफोर्ड में नवस्नातकों को दिये अपने संदेश में स्टीव जॉब्स ने मृत्यु की दार्शनिकता पर आधारित जीवन का सिद्धान्त समझाया था, तर्कसंगत, व्यवहारिक व आनन्ददायी। पश्चिमी सभ्यता व युवावस्था के उन्माद के आवरण में भले ही वह दर्शन छात्रों के हृदय में न उतरा हो पर स्वयं स्टीव जॉब्स का जीवन उस दर्शन का साक्षात प्रमाण रहा है। इतिहास में वह दर्शन परीक्षित के उस निर्णय में भी दिखा था जब शेष बचे सात दिनों को उन्होंने जीवन का सत्य समझने व्यतीत किया पर आधुनिक युग में उसे अभिव्यक्त करने और ढंग से निभाने का श्रेय निसंदेह स्टीव जॉब्स को जायेगा।
मृत्यु जीवन के मौलिक परिवर्तन का एकमेव कारक है। जब एक दिन मृत्यु की लहर सब बहाकर ले जाने वाली है तो भय किसका और किससे? जब भय नहीं तो औरों की मानसिक संरचनाओं में अपना जीवन तिरोहित कर देने की मूढ़ता हम क्यों करें? अपना जीवन अपनी शर्तों पर जीने का आनन्द मृत्यु तक ही है आपके पास, वह भला क्यों गवाँया जाये। वह नित्य दर्पण के सामने खड़े होकर सोचते थे कि यदि आज उनका अन्तिम दिन हो तो वह किन कार्यों को प्राथमिकता देंगे और किन व्यर्थ कार्यों को तिलांजलि। उनका मृत्यु-दर्शन-जनित यह चिन्तन ५-१०-२०११ को सत्य तो हो गया पर उसके पहले उन्होने जीवन अपने अनुसार जिया, पूर्ण जिया, उनके द्वारा किये कर्म और प्राप्त की गयी महानता इसका साक्षात प्रमाण है।
जिस युगपुरुष को हर दिन पूर्ण जीवन जी लेने का भान हो, जिसके निर्णय और कर्म उसके मन की बात सुनते हों, जिसके हृदय में विश्व-तकनीक की दिशा को निर्धारित करते रहने की संतुष्टि हो, जिसका अनुकरण कर पाने का सपना लिये लाखों युवा अपने जीवन की योजना बनाते हों, जिसका धन और यश उसके कर्म की उपलब्धि रही हो, उसके स्वयं के लिये भले ही मृत्यु उतनी पीड़ासित न हो पर परिवार, मित्र, कम्पनी के सहयोगी, प्रशंसक तो सदा ही उनके द्वारा रिक्त स्थान निहारते रहेंगे। ५६ वर्ष का जीवन भले ही युग न कहा जाये पर उनका कृतित्व उन्हें युगपुरुष की श्रेणी में स्थापित करता है।
दो वर्ष पहले मेरा ब्लॉग जगत में आना और दूसरी पोस्ट में ही उनके इस दर्शन के बारे में चर्चा करना एक संयोग मात्र नहीं था। इस संदेश को सुनकर, उस पर बिना मनन किये न रह सका। जीवन की सीमितता में मन को भाने वाली सब चीजों को कर लेने की व्यग्रता से नित्य परिचित होता था, लेखन भी उसमें एक था। जहाँ एक ओर स्टीव जॉब का यह संदेश प्रेरणा था वहीं ज्ञानदत्तजी का उत्साहवर्धन एक दैवीय संकेत। इन सबका सम्मिलित प्रभाव ही था कि अस्पष्ट और छुटपुट लेखन छोड़, लघु स्वरूप में ही सही, पर नियमित लेखन प्रारम्भ किया। हर पोस्ट अपनी अन्तिम पोस्ट मान उस पर अपना प्रयास व सृजन छिड़कना चाहता हूँ। पिछले दो वर्षों में समय की गुणवत्ता और जीवन के सरलीकरण के माध्यम से आये सार्थक बदलावों में जिस लेखनकर्म ने मेरी सहायता की है, उसका श्रेय स्टीव जॉब्स को ही है।
यदि मैकबुक एयर जैसी बनावट की सरलता, सौन्दर्यपूर्ण स्थायित्व, सृजनात्मक कलात्मकता, प्रक्रियागत एकाग्रता व व्यवहारिक उपयोगिता अपने जीवन में सप्रयास उतार पाया तो उसका भी श्रेय स्टीव जॉब्स को ही जायेगा।
यदि मैकबुक एयर जैसी बनावट की सरलता, सौन्दर्यपूर्ण स्थायित्व, सृजनात्मक कलात्मकता, प्रक्रियागत एकाग्रता व व्यवहारिक उपयोगिता अपने जीवन में सप्रयास उतार पाया तो उसका भी श्रेय स्टीव जॉब्स को ही जायेगा।
नमन मैकपुरुष, नमन युगपुरुष।
stay hungry ..stay foolish ....
ReplyDeletethe world will never have another steve !!!
He was the alchemist of our times ......
what a person.....
and see the fate ..
1. born out of wedlock...
2. put up for adoption at birth
3. dropped out of college
............and than changed the world. the coming generations will wonder for such a person ....
may go rest his soul in peace.
thanks praveen ji for this post. I am deeply moved by his departure. I was in his friends list and had an opportunity to talk to him via chat some years back , on the philosophy of Hinduism .
an recently you purchased his product na ?
ReplyDeleteयुगपुरुष स्टीव जॉब को श्रद्धापूर्वक नमन|
ReplyDeleteप्रेरक संदेश जैसा जीवन.
ReplyDeleteमुझे स्टीव जॉब के बारे में पिछले साल पता चला, ज्यादा जानने का मौका मिला था उन्हें..
ReplyDeleteवो विडियो और बाकी बहुत से विडियो उनके देख चूका हूँ!!
ऐसे महान युगपुरुष को विनम्र श्रधांजलि |इनके महान और विलक्षण कार्यों को युग सदैव याद करेगा |
ReplyDeleteऐसे महान युगपुरुष को विनम्र श्रधांजलि |इनके महान और विलक्षण कार्यों को युग सदैव याद करेगा |
ReplyDeleteमृत्यु अटल है, पर इस थोड़े से जीवन में कैसे जिया जाता है और अपने मन की बातें और सपने कैसे पूरे किए जाते हैं, उसका माइकपुरूष ने उदाहरण स्थापित किया है|
ReplyDeleteआई-श्रद्धांजलि !
ReplyDeleteहालाँकि स्टीव जॉब्स के मौत के विचार के पढ़ने के बाद भी कई प्रश्न मन में हैं.....फिर भी कुछ तो था ही उसमे!
ReplyDeleteउम्दा तरीके से आपकी स्वाभाविक अभिव्यक्ति!
इस दुखद प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteहमारा नमन इस महान विज्ञानविद् को!
ऐसे महान युगपुरुष को विनम्र श्रधांजलि|
ReplyDeleteऐसे प्रेरणादायी व्यक्तित्व को चले जाना दुखदायी है। विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteआज के सन्दर्भ में स्टीव जॉब्स के विचार और प्रासंगिक हो गए हैं.जैसा वे सोचते थे,वैसे ही जिए...!
ReplyDeleteवे एक तकनीकी और मशीन-मैन तो गज़ब के थे ही,उनका जीवन-दर्शन भी अनोखा था !जीवन और मृत्यु पर उनके विचार एक दस्तावेज की तरह हैं !
उनकी स्मृति को नमन !
नमन मैकपुरुष, नमन युगपुरुष।
ReplyDeleteश्रद्धापूर्वक नमन |
ReplyDeleteबेहतरीन ||
बहुत बहुत बधाई ||
dcgpthravikar.blogspot.com
जाना तो सबको है ,सबका है .एक शाश्वत प्रक्रिया है लेकिन "मैक पुरुष का प्रयाण "दैहिक "है .प्रोद्योगिक नहीं .हमारे आपके जो दिलों में अपना अंश छोड़ जातें हैं वे जाकर भी कहीं नहीं जातें हैं .अनेकों के दिलों में रहेंगे स्टीव जाब्स .विनम्र श्रृद्धांजलि .
ReplyDeleteयुगपुरुष को विन्रम श्रद्धांजलि....
ReplyDeleteआपने स्टीव जॉब्स के दर्शन को अपने जीवन में उतारा यह सबसे बड़ी श्रद्धांजली है जो कोई भी व्यक्ति उन्हें दे सकता है..मृत्यु कितनी बड़ी शिक्षक है और हम व्यर्थ ही उससे खौफ खाते हैं..
ReplyDeleteयदि अतिशयोक्ति न हो तो, I T क्षेत्र के वेद व्यास का निधन से, इस दिशा में रिक्तता आ चुकी है
ReplyDeleteयुगपुरूष को श्रद्धांजलि ...
ReplyDeleteमेरी विनम्र श्रद्धांजली युग पुरुष को .
ReplyDeleteआपके माध्यम से कुछ और जानने को मिला इस महान आत्मा के बारे में..
ReplyDeleteसच तो यह है कि मैं चार दिन पहले तक स्टीव को ज्यादा नहीं जानता था. ऐसा लगता था कि वो दुनिया के अन्य सफल उद्यमियों में से एक हैं. उनकी देहावसान के बाद मैंने उनसे जुड़ी लगभग दुनिया भर में छपी हर खबर पढ़ी. पढ़कर अत्यंत प्रभावित हुआ. वो सचमुच एक अलग इन्सान थे. सृजनात्मक एवं प्रेरणास्पद.
ReplyDeleteयुग पुरुष को विनम्र श्रद्धांजली!
ReplyDeleteअपने तरीके से अलग सपने देखने की बहादुरी,फिर अपने सपनों से इस दुनिया को बदलने और बेहतर बनाने का मन मे दृढ़ विश्वास रखने का हौसला, और फिर अपने सपने व विश्वास को मूर्त करने का अद्भुत प्रतिभा,इन सभी विशेषताओं व योग्यताओं का प्रतिमूर्ति स्टीव ज़ॉब्स को हार्दिक श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteप्रवीण जी , इस युगपुरुष के बारे में इतनी सुंदर व तकनीकि जानकारी देने हेतु हार्दिक आभार।
sundar rachna.iswar unki aatma ko shanti de.....
ReplyDeleteईश्वर इस महापुरुष की आत्मा को शांति प्रदान कर स्वर्ग मे स्थान दें।
ReplyDeleteसबके हांथों में खिलौना थमा कर चल पडे सर जाब्
एक महान ब्यक्तित्व जिसने जीवन और मृत्यु से संघर्ष करके जतला दिया कि आदमी परिस्थितियों से हथियार नहीं डालता बल्कि जुस्तजू कर अपनी मंज़िल पाता है॥ इश कर्मठ को शत शत नमन॥
ReplyDeleteइस महान व्यक्तित्व ने सिर्फ 'साइन ऑफ' किया है!!
ReplyDeleteगया था पुराने लेखों पर…मृत्यु से डराया जा रहा है कहीं कहीं…वैसे स्टीव के विचार को कई बार पढ़ा है रामकृष्ण वचनामृत में…
ReplyDeleteसही अर्थों में तो आपने ही उनके आदर्शों का अनुसरण किया है और यह पोस्ट उनकी अप्रतिम श्रद्धांजलि है .....
ReplyDeleteमुझे आपकी उस पोस्ट की हल्की स्मृति है पुनः याद ताजा करने जा रहा हूँ ...युग पुरुष युग द्रष्टा स्टीव सरीखे ही होते हैं ....
सेब बोले तो एपल का मानवता से पुराना रिश्ता रहा है, पहला वर्जित था ,दूसरा ज्ञानोंमुख और तीसरा वरदान स्वरूप .....और इतिहास का रुख बदल गया इनसे ....
ISad
वाकई एक युग का अन्त!!!
ReplyDeletebahut kuch seekhne ko hai unke jeewan se...!
ReplyDeletesahi main ek yug ka ant hai yeh
अलविदा स्टीव...
ReplyDeleteयुगों की तपस्या के बाद दुनिया को बदल देते हैं ऐसे एप्पल...
स्टीव के दर्शन के अनुसार ही दुनिया किसी के जाने से रूक नहीं सकती...शो मस्ट गो ऑन...
अगले एप्पल के इंतज़ार में...
जय हिंद...
ये युगपुरुष का अंत नहीं वरन हमारे ह्रदय में पुनर्जन्म है..यादों में सदैव नमन है..
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि और शत शत नमन।
ReplyDeleteविलक्षण व्यक्तित्व एवं अद्भुत सोच थी उनकी ।
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि ।
आई सेड :(
ReplyDeleteऐसे महान युगपुरुष को विनम्र श्रधांजलि !
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि...... उनका जीवन अनगिनत लोगों के लिए प्रेरणादायी है.....
ReplyDeleteअद्भुत, स्टीव जाब्स ने कंप्यूटर के क्षेत्र में क्या उपलब्धियाँ हासिल की, यह तो हम गैर तकनीकी लोग नहीं पहचान सकेंगे लेकिन उन्होंने जो मृत्यु को ग्लोरीफाई किया, वो बेहद महत्वपूर्ण है मृत्यु के बारे में एक बार फिर से विमर्श, परीक्षित से आपने कंपेयर किया। इतनी अच्छी सामग्री देने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteऐसे प्रेरणा दायक युग पुरुष के निधन पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि……इनके बारे में आपका प्रस्तुतिकरण अंतर्मन को जागृत करने वाली……।आभार।
ReplyDeleteमृत्यु भी एक अटल सत्य है चाहे व्यक्ति कितना महान हो. फिर इस नश्वर शरीर का क्या मोह.
ReplyDeleteमहान युगपुरुष को विनम्र श्रधांजलि.
स्टीव जाब्स के चर्चे चरखे फिजाओं में हैं .मर कर और भी मुखर हो गएँ हैं जाब्स .
ReplyDeleteविलक्षण युगपुरुष ....विनम्र श्रद्धांजलि !
ReplyDeleteश्रद्धापूर्वक नमन |
ReplyDeleteनमन मैकपुरुष, नमन युगपुरुष।
ReplyDeleteमैकपुरूष को नमन
ReplyDeleteकिंतु अपने जीवन में चैरिटी के नाम पर कुछ उल्लेखनीय न करने पर आलोचना की संभावना भी छोड़ गए
(संदर्भ: बिल गेट्स का आधी संपत्ति दान करना)
ऐसे महान कर्मशील व्यक्तित्व के लिये विनम्र श्रद्धांजलि ...।
ReplyDeleteऐसे महान युगपुरुष को विनम्र श्रधांजलि !...
ReplyDeleteस्टीव के निधन से तकनीक के क्षेत्र में एक युग का अन्त हो गया। केवल ऍपल के उत्पाद ही नहीं वे विभिन्न दूसरी कम्पनियों के उत्पादों के भी एक 'कारण' थे (प्रतिस्पर्धा के चलते)। मॅक ओऍस से प्रेरित होकर ही माइक्रोसॉफ्ट ने विण्डोज़ को GUI और यूजर मित्र बनाया, काफी हद तक लिनक्स ने भी। आइपॉड ने पोर्टेबल म्यूजिक प्लेयरों का, आइफोन ने टचस्क्रीन स्मार्टफोनों का तथा आइपैड ने टैबलेटों का युग चलाया। वे जीवित होते तो अभी पता नहीं कितने नये आविष्कार करते। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
ReplyDeleteUseful information
ReplyDeleteJObs was a real hero. salutes
ReplyDeleteहां अपने आप में ही बहुत विराट व्यक्तित्व थे जॉब्स.
ReplyDeleteउर्मिला सिंह जी की ईमेल से प्राप्त टिप्पणी
ReplyDeleteमेरी ओर से भी,श्रद्धांजली, युग-प्रवर्तक,श्री स्टीव जाब को.प्रेणनादायक लेख.
He will live forever..His departure is a big loss ,May the great soul rest in peace.
ReplyDeleteआधुनिक युग में जिन जीवन चक्रों को कोट किया जाएगा, स्टीव वाला उन में से एक हैं। सार्थक आलेख।
ReplyDeleteमहान युगपुरुष को विनम्र श्रधांजलि .....
ReplyDeleteदर्द हारी को दर्द की वजहों से क्या लेना भाई साहब !शुक्रिया आपकी जानीपहचानी दस्तक के लिए .
ReplyDeleteकुछ लेख ऐसे होते हैं जिन्हें बार-बार पढने का मन करता है. आपका यह लेख वैसा ही है. इसीलिए इसे कई बार पढने के बाद टिप्पणी दे रहा हूँ.एक तरफ दार्शनिक उंचाई है और दूसरी तरफ जीवन की गहराई.. एक लाजवाब श्रध्दांजलि.
ReplyDeleteवे युगपुरुष ही थे .....
ReplyDeleteआभार इस लेख के लिए !