28.9.11

हे विधाता !

सुबह परिचालन के मानक सुदृढ़ थे, आवश्यक जानकारी प्राप्त कर व समुचित दिशा निर्देश देकर जब कार्यालय पहुँचा तो मन बड़ा ही हल्का था, मंडल भी हल्का था और गतिमय भी। तभी एक परिचित वरिष्ठ अधिकारी का फोन आया और जो समाचार मिला, उसे सुनने के बाद पूरा शरीर शिथिल पड़ गया, ऐसा लगा कि कान में खौलता लौह उड़ेल दिया गया। पल भर पहले का हल्कापन जड़ता में परिवर्तित हो गया, पैरों में बँधा विधि का पाथर पूरे अस्तित्व को विषाद की गहराई में खींच ले गया, बस एक आह ही निकल पायी, हे विधाता!

हिमांशु मोहनजी के असामयिक देहावसान का समाचार विधि के अन्याय के प्रति इतना क्षोभ उत्पन्न कर गया कि ज्ञान, निस्सारता, तर्क आदि शब्द असह्य से प्रतीत होने लगे। जीवन है, नहीं तो सब घटाटोप, अंधमय, शून्य, रिक्त, लुप्त। सुख-दुख का द्वन्द्व तो सहन हो जाता है, पर जीवन-मरण का द्वन्द्व तो छल है ईश्वर का, सहसा सब निर्द्वन्द्व, सब निस्तेज, सब निष्प्रयोज्य, सब निरर्थ।

जिसने कभी किसी के हृदय को पीड़ा न दी हो, जिसका हृदय शान्त और स्थिर हो, जिसका सानिध्य आपका हृदय उल्लास से भर दे, उसे हृदयाघात? कहाँ का न्याय है यह, हे भगवन्? क्या दूसरे की पीड़ा हल्का करने का दण्ड दे गये उन्हें। यही न, कि क्या अधिकार था उन्हें कलियुग में सतयुगी स्वांग रचाने का, सदाशयता फैलाने का, क्या उन सबकी सम्मिलित पीड़ा दे दी उन्हें, हृदय में?   

स्तब्ध हूँ, दुखी हूँ और बहुत खिन्न भी। जब से पता चला है, किसी कार्य में मन नहीं लग रहा है। जिस चेहरे पर छिटकी प्रसन्नता सारे अवसाद वाष्पित कर उड़ा देती थी, विश्वास ही नहीं हो रहा है कि वह चेहरा शान्त हो गया है। अब क्या वह स्मित मुस्कान फिर न दिखेगी जो मेरी इलाहाबाद की असहज यात्राओं में एक आस रेख बन चमकती रहती थी? अब इलाहाबाद की यात्रा के हर उन दो घंटों में कौन सी रिक्तता ढोये घूमूँगा जिसमें कभी उन्मुक्त हँसी, नीबू की चाय, छोटे समोसे और ढेर सा स्नेह भरा रहता था।

९ वर्ष अग्रज होने का तथ्य, उनके सहज और मित्रवत स्नेह के सम्मुख भयवश कभी नहीं आया। जब भी मिला, लगा कि सब कुछ छोड़ बस मेरी ही राह तक रहे हैं, मेरी समस्याओं से पहले से ही अवगत हैं और उसी के निवारण के लिये आज कार्यालय भी आये हैं। इतनी आत्मीयता कि अविश्वसनीय लगे, मेरे लिये ही नहीं, सबके साथ। जब सब परिचित यही विचार संचारित करने लगें तो संभवतः ईश्वर को भी अधिक कठिनाई नहीं हुयी हो, हिमांशुजी को अपना आत्मीय सहचर बनाने में। तब पहले ही आगाह कर देना था कि अधिक प्रेम घातक है।  

सहृदय की साहित्य में रुचि स्वाभाविक है। गज़ल से अप्रतिम प्रेम, प्रकृति का स्फूर्त सानिध्य, इतिहास अवलोकन का सारल्य, कलात्मक सृजनीयता, तकनीक प्रदत्त नवीनता, शब्दों और अर्थों की लुकाछिपी सुलझाती बौद्धिकता और उस पर से व्यक्तित्व की तरलता। भैया, स्वयं को धरा के योग्य बनाये रखना था, ईश्वर को भी बहाना न मिलता, हमारा स्वार्थ भी रह जाता।

दुख आज विशेष रूप लेकर आया है, मन के भाव छिपाने के लिये चेहरे पर गाढ़ी कालिमा पोत कर आया है, उसे आज कुछ भी नहीं दीखता है, अम्मा की पीड़ा भी नहीं, परिवार की स्तब्धता भी नहीं, मित्रों की पुकार भी नहीं। प्रकृति खड़ी संग में निर्दय स्वर बाँच रही है।

आपने गज़ल में रुचि जगायी थी, मार्गदर्शन किया था, आपकी पोस्ट पर की टिप्पणी स्मृति-स्वरूप अर्पित है।   

आपने तो चादरें फ़ाका-ए-मस्ती ओढ़ ली,
हमसे बोले ढूढ़ लाओ कुछ लकीरें आग की।

68 comments:

  1. हिमांशु जी जैसे व्यक्तियों का अचानक साथ छोड़ जाना निर्वात उत्पन्न करता है। जो शायद कभी नहीं भरता।

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  2. ललित शर्मा जी से यह खबर पा कर पहली बार हिमांशु जी के ब्‍लाग पर गया, देखते ही समझ में आया कि वे ब्‍लागर से कई गुना बेहतर इंसान थे, हार्दिक श्रद्धांजलि.

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  3. :(

    ईश्वर हिमांशु मोहनजी की आत्मा को शांति दे और परिजनों व मित्रों को इस दुखद घड़ी से उबरने की ताकत दे|

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  4. हे राम !!

    हिमांशु जी को हार्दिक श्रद्धांजलि !

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  5. दुखद!सच में हे विधाता के अलावा निशब्द..
    विनम्र श्रद्धांजली !

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  6. हिमांशु जी से मेरा कोई ख़ास परिचय तो नहीं था मगर एक क्षीण सी स्मृति है कि अंतर्जाल-ब्लागजगत में उनसे कुछ संवाद हुआ था ...वे एक गुणी और चिंतनशील व्यक्ति थे ....उनकी बातें गहरी सोच से युक्त थीं -अभिव्यक्ति भी परिमार्जित थी ...
    मैं भी उनके इस तरह असमय चले जाने से स्तब्ध हूँ .....विनम्र श्रद्धांजलि!

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  7. .

    प्रवीण जी ,
    आज सुबह सुबह यह पोस्ट देखकर मन बहुत दुखी है। हिमांशु जी का निधन सुनकर विश्वास करने को मन नहीं कर रहा। हिमांशु जी जैसे विद्वान् और सुन्दर मन वाले व्यक्ति, विरले ही होते हैं। जिसे कभी देखा ही नहीं , उससे ब्लौग के माध्यम से परिचय होना एक सौभाग्य ही मानूंगी। हिमांशु जी बहुत अच्छी गजलें भी लिखते थे। मुझे हिंदी के ज्यादातर शब्द हिमांशु जी ने ही सिखाये हैं। जो भी क्लिष्ट शब्द पूछती थी वे बहुत धैर्य केसाथ समझाते थे। एक बार उन्होंने "सुखनवर" शब्द का अर्थ बहुत गहनता से समझाया था। उस मेल को ढूढूंगी , मिलने पर यहाँ ज़रूर पोस्ट करुँगी ताकि सभी को सुखनवर का इतना detailed अर्थ मालूम पड़ सके। अब 'सुखनवर' शब्द कहीं भी पढ़ती हूँ तो हिमांशु जी का नाम दिमाग में flash करता है।

    हिमांशु जी मेरे साथ , मेरे हिंदी लेखन के प्रारम्भ से जुड़े और इस यात्रा में बड़े भाई हिमांशु से जितना सीखा उसके लिए ह्रदय में कृतज्ञता के भाव है। मुझे नेट का प्रयोग करना , गूगल buzz और facebook use करना उन्हीं ने सिखाया है। उनमें धैर्य बहुत था। उनके आलेखों पर उनके साथ हुए discussions से बहुत कुछ सीखा है। ऐसे विद्वान् व्यक्ति का हमारे मध्य से चले जाना बहुत बड़ी क्षति है।

    बहुत उदास हूँ। मन करता है , सिर्फ भैया की चर्चा ही करती रहूँ। जितनी तारीफ़ करूँ, कम ही करूँ। मेरा और उनका संपर्क मात्र डेढ़ वर्षों का ही रहा। इस दौरान उन्होंने मुझे कभी नहीं बिसराया। हर ख़ास मौकों पर मुझे अपना स्नेह और आशीर्वाद दिया। इतना स्नेह बहुत कम लोगों से ही मिलता है और बहुत सौभाग्यशाली होने पर ही मिलता है।

    ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे और परिवार के सदस्यों को इस दुःख को सहने की ताकत प्रदान करे। भैया की स्मृतियाँ ही शेष हैं अब। लेकिन वो हमारे मन में अमर रहेंगे। कभी भुलाए नहीं जा सकेंगे।

    बड़े भाई हिमांशु को विनम्र श्रद्धांजलि।

    .

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  8. स्तब्ध रह गया यह सुनकर ...उनके परिवार को धीरज मिले यही कामना है ...

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  9. .

    आज उनका एक स्नेहयुक्त मेल उनकी याद में यहाँ पोस्ट कर रही हूँ। जो हम सभी के लिए प्रेरणादायी होगा।


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    HIMANSHU MOHAN himanshu27@gmail.com to me

    show details 6/20/10

    प्रिय दिव्या ,आप का सीधा निष्कपट व्यवहार जो ब्लॉग टिप्पणियों में झलकता है - वही आपका वास्तविक स्वभाव है।
    मगर ख़ुश रहना ज़रूरी है।
    यह दुनिया के हाथ में है कि वह हमारे साथ क्या करे - मगर यह हमारे हाथ में है कि हम उस पर कैसे रिएक्ट करते हैं। ख़ुश रहना बहुत आसान है - बस ज़रा सा विश्वास होना चाहिए - जो आप में है - कि जो कुछ होता है वह परमपिता की इच्छा से होता है, उसके ख़िलाफ़ कोई कुछ कर नहीं सकता।
    और परमपिता तो जो भी करेगा - अच्छा ही करेगा न?
    तो ख़ुश रहना अपने हाथ में है, इस विकल्प का बटन प्रेस कीजिए - बस्स।
    आई डी बहुत अच्छा चुना है आपने - चाहे और कुछ हो न हो - हौसला या उत्साह ज़रूर रहना चाहिए।
    और हिन्दी लिखने के लिए तीन रास्ते हैं - गूगल आई एम ई - जो कम्प्यूटर के हार्डवेयर को सबसे कम बोझिल करता है - मगर अभी पूरी तरह परिपक्व नहीं है। दूसरा बारहा आई एम ई - जो बहुत बढ़िया टूल है - सभी भारतीय भाषाओं में लिखने-ट्रांसलिटरेट करने के लिए - मगर मैं स्वयं इसमें अभ्यस्त नहीं हूँ अभी।
    मैं तीसरा विकल्प इस्तेमाल करता हूँ - हिन्दी-राइटर जिसका डाउनलोड लिंक यह है -
    http://download.cnet.com/HindiWriter/3000-2279_4-10451513.html
    इसकी सबसे अच्छी बात इसकी सहजता और बोधगम्यता है - इण्ट्यूटिव तरीक़ा है प्रयोग का। आप इसे डाउनलोड करके देखें तो सही - मज़ा आ जाएगा। मैं भी हिन्दीसेवा के बिगुलियों में से नहीं हूँ - मगर हिन्दी से लगाव ज़रूर है। कभी फिर इस बारे में बताऊँगा ब्लॉग पर ही लिख कर कि -
    "लोग क्या जानें किस रफ़्तार तलक हम पहुँचे
    जहाँ पे थे - वहीं पे हैं - किसी पहिए की तरह"
    मगर हिन्दी को देवनागरी में न भी लिखा जाए - तो भी मज़ा आता ही है अपनी मातृभाषा में। और कोई ज़रूरत नहीं किसी गुटबन्दी से प्रभावित होने की - आप तो शुद्ध टिप्पणीकार हैं - बीच में थोड़ा कभी लिख भी लें तो शौक़ में इज़ाफ़ा और मज़े का मुनाफ़ा ही होगा - घाटा तो होना नहीं।
    फिर ख़ुश रहिए - कि लोग आप पर पोस्ट लिख रहे हैं, न लिखें तो ख़ुश रहिए - कि इग्नोर करने में कुछ तो उलझन हुई ही होगी - और न इग्नोर करें - तो क्या? आप को तो अपनी मौज में रहना है - बिना किसी का दिल दुखाए।
    शुभकामनाएँ। आप के ब्लॉग-यात्रा की शुरूआत में साथ बना है - रहेगा दूर तक।

    शुभेच्छु - सादर-सस्नेह,
    हिमान्शु मोहन

    .

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  10. हिमांशु जी के देहावसान का समाचार पढ़कर मन उद्वेलित हो गया है!
    --
    मगर विधि के विधान के आगे सब मजबूर हो जाते हैं!
    --
    परमपिता परमातमा उनकी आत्मा को सदगति दें और शोकाकुल परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति दें।
    उनको मैं अपनी भानभीनी श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ!

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  11. जाने वाले को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि.... ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे....

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  12. मुझे ज्ञानदत्त जी से यह समाचार फ़ेसबुक पर मिला, थोड़ी देर तो स्तब्ध रह गया। ये अचानक क्या हो गया। समझ में ही नहीं आया। हिमांशु जी मेरे पसंदीदा ब्लॉगर थे। प्रत्यक्ष मुलाकात तो उनसे नहीं हो पाई बस नेट पर ही रुबरु होते थे।

    ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और परिजनों को दारुण दु:ख सहने असीम शक्ति। विनम्र श्रद्धांजलि

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  13. उस निर्मल ह्रदय को नमन. विनम्र श्रद्धांजलि.

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  14. बड़े भाई प्रवीण पांडे जी मैं भी स्तब्ध हूँ |हिमांशु जी से मेरी कभी मुलाकात तो नहीं हुई लेकिन इ-मेल से एकाध बार बात हुई और फेसबुक पर हमारे मित्र थे |आपके ब्लॉग पर यह जानकारी मिली काश कभी मिल लिया होता |यह दुःख हमेशा रहेगा |विनम्र श्रद्धांजली |ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे

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  15. बड़े भाई प्रवीण पांडे जी मैं भी स्तब्ध हूँ |हिमांशु जी से मेरी कभी मुलाकात तो नहीं हुई लेकिन इ-मेल से एकाध बार बात हुई और फेसबुक पर हमारे मित्र थे |आपके ब्लॉग पर यह जानकारी मिली काश कभी मिल लिया होता |यह दुःख हमेशा रहेगा |विनम्र श्रद्धांजली |ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे

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  16. यकीन तो अब भी नहीं हो रहा...इतना हँसता- मुस्कुराता चेहरा यूँ खामोश हो गया.

    इ-मेल के आदान-प्रदान से ही संपर्क था पर ऐसा लग रहा है ,कोई बहुत करीबी चला गया.
    मेरी एक लम्बी कहानी पर उनकी समीक्षात्मक टिप्पणियाँ याद आती हैं....उन्होंने तो उस पर एक फिल्म की रूप-रेखा...कैमरे का एंगल तक तय कर दिया था..बहुत ही ध्यान से किसी आलेख/कहानी को पढ़ते थे और बड़ी उत्साहवर्द्धक टिप्पणियाँ करते थे.

    ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे.
    विनम्र श्रद्धांजली !

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  17. विनम्र श्रद्धांजलि।

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  18. हिमांशु जी को हार्दिक श्रद्धांजलि ||

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  19. हिमाशु मोहन जी के आकस्मिक निधन की खबर वास्तव में ह्रदय विदारक है . उन्हें अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि और उनके शोक-संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं .

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  20. मैं हिमांशु जी को नहीं जानती पर वो आपके प्रियजन थे और भले इंसान भी थे एसे अचानक से चले गए जानकार दुःख हुआ .इश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे....

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  21. हिमांशु जी को विनम्र श्रद्धांजलि

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  22. ओह बेहद दुखद समाचार है... ईश्वर हिमाशु मोहन जी के परिवार को इस दुःख को झेलने की शक्ति दे.

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  23. हिमांशु जी से व्यक्तिगत मुलाकात थी . वो एक प्रेरणाप्रद और सौहाद्र प्रिय व्यक्ति थे . उनके असामयिक निधन पर स्तब्ध हूँ . विनम्र श्रद्धांजलि .

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  24. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और परिजनों को दारुण दु:ख सहने असीम शक्ति। विनम्र श्रद्धांजलि

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  25. आपकी इस पोस्‍ट को पढ़ा तो जान सकी हिमांशु जी का व्‍यक्तित्‍व और उनके बारे में ... उसके साथ ही यह दुखद पल जो सिर्फ नि:शब्‍द कर गये ..उन्‍हें विनम्र श्रद्धांजलि ... ।

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  26. कितना निर्मोही होता है यह जीव ,
    यह आत्मा, ये जीवात्मा ;
    चल देता है तोडकर ,
    एक ही पल में ,
    सारे बंधन रिश्ते नाते ;
    उन्मुक्त आकाश की ओर ,
    निर्द्वन्द्व, निर्वाध , स्वतंत्र, मोहमुक्त |

    पर क्या यह जीव वस्तुतः,
    मुक्त होजाता है संसार से ?
    कैद रहता है वह सदा ,मन में -
    आत्मीयों के याद रूपी बंधन में ,और-
    होजाता है अमर |

    अतः मुक्त होकर इस जगत से, बंधन से;
    विश्व में ही अमरता के बंधन में,
    जीव बन्ध जाता है,सिर्फ-
    उसका आयाम बदलजाताहै|| ----डा श्याम गुप्त

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  27. हिमांशु जी को हार्दिक श्रद्धांजलि !

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  28. हार्दिक श्रद्धांजलि हिमांशु जी को |

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  29. हिमांशु जी को हार्दिक श्रधांजलि , एवं शोक संतप्त परिजनों को ईश्वर शक्ति प्रदान करे, प्रार्थनीय है

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  30. विनम्र श्रद्धांजलि।ईश्वर हिमांशु मोहनजी की आत्मा को शांति दे .

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  31. निश्चित ही दुखद खबर है।
    विनम्र श्रद्धांजलि

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  32. परमात्मा दिवंगत आत्मा को शान्ति और शोक-संतप्त परिवार को यह महा दुख सहने की शक्ति प्रदान करे!
    श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ .

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  33. ह्रदय विदारक है उन जैसे इंसान का यूँ असमय चले जाना.यकीन नहीं हो रहा.
    हे भगवान ! उनके परिजनों को हौसला देना.

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  34. हिमांशु जी को विनम्र श्रद्धांजलि

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  35. बेहद दुखद समाचार है| ईश्वर हिमाशु मोहन जी के परिवार को इस दुःख को झेलने की शक्ति दे| हार्दिक श्रद्धांजलि|

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  36. ईश्वर हिमांशु मोहनजी की आत्मा को शांति दे और परिजनों व मित्रों को इस दुखद घड़ी से उबरने की ताकत दे..
    हिमांशु जी को हार्दिक श्रद्धांजलि !

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  37. हिमांशु जी को विनम्र श्रद्धांजलि।

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  38. हिमांशुजी को विनम्र श्रधांजलि ...

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  39. विनम्र श्रद्धांजलि...

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  40. मन फूला फूला फिरे ,जगत में झूठा नाता रे ,
    जब तक जीवे माता रोवे ,बहन रोये दस मासा रे ,
    तेरह दिन तक ,तिरिया रोवे फेर करे घर वासा रे .
    माली आवत देख के कलियाँ करें पुकार ,
    फूली फूली चुन लै कल हमारी बार .
    भाव भीनी श्रृद्धांजलि .अच्छे लोग जल्दी चले जातें हैं .आपके व्यक्तिगत नुकसान में हम भी शरीक हैं प्रवीण जी .एक आत्मीय ब्लोगर का यूं जाना ,मायूसी का दरिया ही छोड़ेगा .

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  41. Bahut dukh ho raha hai.Hardik shraddhanjali.

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  42. हार्दिक श्रद्धांजलि

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  43. बहुत ही सुन्दर भाव भर दिए हैं पोस्ट में........शानदार| नवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं

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  44. sundar prastuti par badhaayee.

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  45. हिमांशु जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित

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  46. हिमांशु जी को विनम्र श्रद्धांजलि

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  47. प्रवीण त्रिवेदी जी के फ़ेस बुक से यह दुखद समाचार मिला था दो दिन पूर्व। हार्दिक श्रद्धांजलि॥

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  48. हिंमांशु जी को विनम्र श्रद्धांजली एवम शोक संतप्त परिजनों को ईश्वर धैर्य धारण करने की शक्ति दे.

    रामराम.

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  49. हिमांशु जी को हार्दिक श्रद्धांजलि

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  50. कहने के लिये कुछ शब्द ही नहीं मिलता। जिस व्यक्ति को आप कॉले़ज युनिवरसीटी के दिनों से जानते हों, फिर एक ही विभाग मे एक ही स्य़ान पर काम करते हों, जिसके पड़ोस मे आप चार साल रहे हो और आपका परिवार और बच्चे आपस मे घुल-मिल गये हों, जिसके साथ सुबह शाम का मिलना हो, हँसी-मजाक हो,क्लब में पार्टियों मे साथ-साथ खूब मस्ती की हो, आप दोनों की पसंद मिलती हो,आप दोनो साथसाथ अपने पसंदीदा गायक गुलाम अली की गजल गुनगनाते हों, दोनो एक दूसरे से होड़ करके मधुशाला व आंसू की पंक्तियाँ यार-दोस्तों को सुनाते हों, उसके चले जाने पर आप क्या व्यक्त कर सकते हैं, शिवाय आप स्तब्ध होकर बस मन को यही यकीन दिलोने की झूठी कोशिश करते रहते हैं कि नही यह सब झूठ है, सब मजाक कर कहे हैं,हिमाँशु सर यही कहीं होगे और अचानक पीछे से आकर मेरे कंधे पर हाथ रखते बोलेगे- यार डीडी चल बाहर लॉन मे चलते हैं,यहाँ हॉल में अंदर बहुत गरमा और उमस सी है,चल कुछ गपशप हो जाय।
    आप तो मुस्कराते निकल लिये पर भाई साहब हमें बहुत उदास कर गये। कभी आप के साथ अंत्याक्षरी में गाने की यह पंक्तियाँ जो साथ-साथ गाये थे, वह आज आप याद दिला रहे है-
    दिल के टुकड़े टुकड़े कर के, मुस्कुरा के चल दिये। जाते-जाते ये तो बता जा, हम जियेंगे किसके लिये.

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  51. अत्यंत दुखद...

    विनम्र श्रद्धांजलि !!!!

    कहते हैं अच्छे लोगों को भगवान् जल्दी से जल्दी अपने पास बुला साथ रखना चाहते हैं...

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  52. हिमांशु जी को हार्दिक श्रद्धांजलि.

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  53. भाई प्रवीनी जी मैं नहीं जानता कि वे कौन थे लेकिन आपने जिस स्नेह से उनके बारे में लिखा है, कह सकता हूँ कि हमारे बीच से एक सज्जन, सुह्रिदयी , सृजनधर्मा व्यक्ति उठ गया है. इश्वर उनकी आत्मा को शांति और परिजनों, मित्रों को यह दुःख सहन करने कि शक्ति दें.

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  54. विनम्र श्रद्धांजलि!

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  55. बहुत बड़ा आघात पहुंचा है इस पोस्ट को देख कर …
    बहुत दुःखी हूं
    … … …



    वे गुणी रचनाकार थे इस नाते मेरा उनके प्रति विशिष्ट रिश्ता बना हुआ था …

    # मात्र 10 दिन पहले 19 सितंबर को प्राप्त हिमांशुजी की मेल

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    from HIMANSHU MOHAN himanshu27@gmail.com
    reply-to himanshu27@gmail.com
    to Rajendra Swarnkar
    date Mon, Sep 19, 2011 at 10:13 AM
    subject Re: आशा है , सपरिवार स्वस्थ-सानन्द होंगे ।
    mailed-by gmail.com
    signed-by gmail.com
    Important mainly because you often read messages with this label.
    hide details Sep 19 (10 days ago)
    प्रिय राजेन्द्र जी,
    नमस्कार। आपकी आत्मीयता के लिये आभारी हूँ। कुछ व्यस्तताएँ इस क़दर रहीं, और मन उचाट रहा तो ब्लॉगजगत से दूर ही रहा। अभी 8 अगस्त से फ़ेसबुक पर लौटा हूँ, इसका तो एकाउण्ट ही डि-एक्टिवेट कर दिया था।
    ईश्वर ने चाहा तो जल्दी ही फिर सक्रिय होता हूँ।
    सादर-सस्नेह आपका,
    हिमान्शु मोहन

    - Show quoted text -
    --
    हिमान्शु मोहन || Himanshu Mohan
    http://sukhanvar.blogspot.com
    http://sangam-teere.blogspot.com

    ¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤


    हिमांशु मोहन जी को अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि !
    ईश्वर उनके शोक-संतप्त परिवार को यह अपूरणीय क्षति और असहनीय दुःख सहने की सामर्थ्य दे………

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  56. हिमांशु जी को विनम्र श्रद्धांजलि !

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  57. हिमांशु जी को हार्दिक श्रद्धांजलि !

    ReplyDelete
  58. प्रभु हिमांशु जी की आत्मा को शान्ति और परिवार को दुःख सहने की हिम्मत दे ...

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  59. हिमांशु जी जहां रहें सानंद रहें .पुष्पांजलि अर्पण वीरुभाई का .

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  60. विश्वास ही नहीं होता अब भी, की अब हम कभी भी , उनको देख नहीं पाएँगे . वो चिरपरिचित मुस्कान खो गयी सदा के लिए. ऐसा लगता है जैसे किसी कार्यवश कहीं बाहर गए होंगे और जल्दी ही लौट आएँगे. मन मानने को तैयार ही नहीं की हिमांशु भैया नहीं रहे.

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  61. बेहद ही दुखद ..हिमांशु जी के आकस्मिक देहावसान से उत्पन्न रिक्तता ..बेहद ही अपूरणीय ..हिमांशु जी को अश्रु पूरित श्रद्धा सुमन अर्पित....परमेश्वर उन्हें अलौकिक शान्ति प्रदान करें.........हे राम !

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  62. जब सब परिचित यही विचार संचारित करने लगें तो संभवतः ईश्वर को भी अधिक कठिनाई नहीं हुयी हो, हिमांशुजी को अपना आत्मीय सहचर बनाने में। तब पहले ही आगाह कर देना था कि अधिक प्रेम घातक है। प्रवीण जी बच्चा जब प्रसवित होता है रोता है .मृत्यु की पीड़ा का यह बोध उसे जन्म लेते वक्त ही हो जाता है .कबीर दास कहतें हैं -तिफली के रोने का भेद खुला है भेद बादे मार्ग ,आगाज़ में ही रोये थे अंजाम के लिए .यहाँ बादे मर्ग(मौत के बाद )और तिफली (जीव आत्मा यानी नवजात के लिए प्रयुक्त हुआ है .

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  63. हिमांशु जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  64. GN Shaw ji की प्राप्त टिप्पणी

    सर बहुत ही दुखद घटना ! भगवान हिमांशु मोहनजी के आत्मा को शांति दे ! विनम्र श्रद्धांजलि

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  65. विनम्र श्रद्धांजलि (

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  66. हिमांशु जी हम लोगों के सीनियर थे.. एक बार तो वाह्य परीक्षक के रूप में भी आये थे. जे के इंस्टीट्यूट में...
    उस समय तक मुझे इनके बार में ज्यादा जानकारी नही थी कि ये ब्लॉग जगत में भी सक्रिय हैं.
    उस दिन पहली बार इनका मेल आया तब से इनसे जुड़ने का मौका मिला.
    अभी कुछ दिन पहले सम्पन्न हुए एक मिलन समारोह में उन्होंने अपने शब्दों से सबके चेहरे पर मुस्कान बिखेरी थी.

    :(

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  67. आज भी विश्वास नहीं होता...सतत ईमेल से संपर्क रहा...फोन पर बातचीत रही..पिछले दिनों एक गज़ल पर कुछ सुधार करने की सलाह के साथ उन्होंने भेजा था...और कहा था कि सुधार कर वापस उन्हें नया स्वरुप दिखा दूँ...ड्राफ्ट में सलाहानुसार सुधारा वर्जन पड़ा है भेजने की राह तकता....शायद ही कभी उसे डिलीट कर पाऊँगा जानते हुए भी कि अब वो भेजी नहीं जा सकती....


    ईश्वर हिमांशु मोहनजी की आत्मा को शांति दे ...

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  68. पढकर अच्‍छा नहीं लगा। पीडा हुई। अपने दुख में मुझे भी साथ समझें। ईश्‍वर हिमांषुजी की आत्‍मा को स्‍वयम् में लीन करें। आप हिम्‍मत रखिएगा।

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