एक बार
लिख लेने के बाद सूचना को व्यवस्थित रखना और समय आने पर उसको ढूढ़ निकालना, इन दो कार्यों के लिये वननोट और आउटलुक का
प्रयोग बड़ा ही उपयोगी रहा है मेरे लिये। प्रोग्रामों की भीड़ में अन्ततः इन दोनों
पर आकर स्थिर होना, मेरे लिये
प्रयोगों और सरलीकरण के कई वर्षों का निष्कर्ष रहा है। 1985
में बालसुलभ उत्सुकता से प्रारम्भ कर आज तक की नियमित
आवश्यकता तक का मार्ग देखा है मेरे कम्प्यूटरों ने, न जाने कहाँ और कब यह साथ दार्शनिक हो गया, पता ही नहीं चला।
हर
व्यक्ति के पास मोबाइल, दूर
प्रदेशों और विदेशों में जाकर पढ़ते सम्बन्धी, विद्यालय, आईआईटी और नौकरी
में बढ़ती मित्रों की संख्या, धीरे
धीरे संपर्कों की संख्या डायरी के बूते के बाहर की बात हो गयी। प्रारम्भिक
सिमकार्डों और मोबाइलों की भी एक सीमा थी, समय 2001 के पास का था।
संपर्क, उनकी जन्मतिथियाँ, वैवाहिक वर्षगाठें, बैठकें, कार्यसूची आदि की
बढ़ती संख्या और आवश्यकता थी एक ऐसे प्रोग्राम की जिस पर सब डाल कर निश्चिन्त बैठा
जा सके। माइक्रोसॉफ्ट के ऑफिस आउटलुक में मुझे वह सब मिल गया और आज दस वर्ष होने
पर भी वह सूचना का सर्वाधिक प्रभावी अंग है मेरे लिये। न जाने कितने मोबाइल बदले, नोकिया, सोनी, ब्लैकबेरी, विन्डोज, हर एक के साथ आउटलुक का समन्वय निर्बाध रहा। अनुस्मारक लगा देने के बाद
कम्प्यूटर एक सधे हुये सहयोगी की तरह साथ निभाता रहा। यही नहीं, कई खातों के ईमेल और एसएमएस स्वतः आउटलुक के
माध्यम से फीड में आते रहे, आवश्यक
कार्य व बैठक में परिवर्तित होते रहे।
2007
तक अपनी सारी फाइलों को अलग अलग फोल्डरों में विषयानुसार
रखने का अभ्यास हो चुका था। मुख्यतः वर्ड्स, एक्सेल, पॉवर-प्वाइण्ट, पीडीएफ, एचटीएमएल। यह बात
अलग है कि हर बार किसी फाइल को खोलने और बन्द करने में ही इतना समय लग जाता था कि
विचारों का तारतम्य टूटता रहता था। माइक्रोसॉफ्ट के ऑफिस वननोट की अवधारणा संभवतः
यही देखकर की गयी होगी। वननोट का ढाँचा देखें तो आपको इसका स्वरूप किसी पुस्तकालय से
मिलता जुलता लगता है, उसकी तुलना
में अन्य प्रोग्राम कागज के अलग अलग फर्रों जैसे दिखते हैं। संग्रहण के कई स्तर
हैं इसमें, प्रथम-स्तर वर्कबुक कहलाता है,
आप जितनी चाहें वर्कबुक बना सकते हैं, विभिन्न क्षेत्रों के लिये जैसे व्यक्तिगत, प्रशासनिक, लेखन, पठन, तकनीक, मोबाइल समन्वय आदि। हर वर्कबुक में आप कई सेक्शन्स रख सकते हैं जैसे लेखन
के अन्दर ब्लॉग, कविता, कहानी, पुस्तकें, संस्मरण, डायरी, टिप्पणी इत्यादि, यही नहीं
आप कई सेक्शन्स को समूह में रखकर एक सेक्शन-समूह बना सकते हैं। हर सेक्शन में आप कितने ही पृष्ठ रख सकते, एक तरह के विषयों से सम्बन्धित उपपृष्ठ भी।
हर
पृष्ठ पर आप कितने ही बॉक्स बनाकर अपनी जानकारी रख सकते हैं, उन बाक्सों के कहीं पर भी रखा जा सकता है। शब्द, टेबल, चित्र, ऑडियो, कुछ भी उनमें सहेजा जा सकता है। आप स्क्रीन पर
आये किसी भी भाग को चित्र के रूप में सहेज सकते हैं, किसी भी सेक्शन को पासवर्ड से लॉक कर सकते हैं। मेरी सारी सूचनायें इस समय
वननोट में ही स्थित हैं।
अब
संक्षिप्त में इसके लाभ गिना देता हूँ। इसमें बार बार सेव करने की आवश्यकता नहीं
पड़ती है, स्वयं ही होता रहता है।
मैंने अपनी कई वर्कबुकों को इण्टरनेट में विण्डोलाइव से जोड़ रखा है, कहीं पर कुछ भी बदलाव करने से स्वतः समन्वय हो
जाता है। एक वर्कबुक मेरे विण्डो मोबाइल से भी सम्बद्ध है,
मोबाइल पर लिखा इसमें स्वतः आ जाता है। यदि कभी किसी बैठक
में किसी आलेख की आवश्यकता पड़ती है तो उसे मोबाइल की वर्कबुक में डाल देता हूँ, वह मोबाइल में स्वतः पहुँच जाती है। सूचना का
तीनों अवयवों में निर्बाध विचरण।
आउटलुक
में ईमेल, ब्लॉग फीड या अन्य अवयवों
को सहेज कर पढ़ना चाहें तो 'सेण्ड
टु वननोट' का बटन दबाते ही सूचना
वननोट में संग्रहित हो जाती है। इसी प्रकार कोई भी वेब पृष्ठ स्वतः ही वननोट में
सहेज लेता हूँ। यदि उसे मोबाइल में पढ़ना है तो उसे मोबाइल की वर्कबुक में भेज
देता हूँ।
आप किसी
भी वाक्य को कार्य में बदल सकते हैं, वह स्वतः ही आउटलुक में पहुँच जायेगा और वननोट के उस पृष्ठ से सम्बद्ध
रहेगा। किसी भी वाक्य या शब्द में टैग लगाने की सुविधा होने के कारण आप जब भी सार
देखेंगे तो सारे टैगयुक्त वाक्य एक पृष्ठ में आ जायेंगे। मैं उसी पृष्ठ को उस दिन की कार्यसूची के रूप में नित्य सुबह मोबाइल में सहेज लेता हूँ।
लगभग
तीन वर्षों से मैं कागज और पेन लेकर नहीं चला हूँ। बैठकों में अपने मोबाइल पर ही
टाइप कर लेता हूँ और यदि समय कम हो तो हाथ से भी लिख लेता हूँ। एक सूचना को कभी
दुबारा डालने की आवश्यकता अभी तक नहीं पड़ी है। दो वर्ष पहले किसी विषय पर आये
विचार अब तक संदर्भ सहित संग्रहित हैं। किसी भी शब्द को डालने भर से वह किन किन
पृष्ठों पर है, स्वतः सामने
प्रस्तुत हो जाता है।
हाथ से
लिखा बहुत ही ढंग से रखता है वननोट, आने वाले समय में हाथ से लिखी हिन्दी को भी यूनीकोड में बदलेगा कम्प्यूटर
तब हम अपने बचपन के दिनों में वापस चले जायेंगे और सब कुछ स्लेट पर ही उतारा
करेंगे।
लाभ अभी
और भी हैं, आपकी उत्सुकता जगा दी है, शेष भ्रमण आपको करना है। या कहें कि दो
इक्के आपको दे दिये हैं, तीसरा
आपको अपना फिट करना है, सोच समझ कर
कीजियेगा।
बढ़िया प्रस्तुति... रक्षाबंधन के पुनीत पर्व पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteआउट लुक वन नोट और पञ्च प्यारों की प्यार भरी टिप्स के लिए आभार!
ReplyDeleteआप तो पूरे कम्प्यूटर गीक निकले!
बहुत सुन्दर सारगर्भित, आभार
ReplyDeleteरक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.
Nice post .
ReplyDeleteआउट लुक वन नोट और पञ्च प्यारों की प्यार भरी टिप्स के लिए आभार!
आप तो पूरे कम्प्यूटर गीक निकले!
रक्षाबंधन के पुनीत पर्व पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं...
देखिये
हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा और राखी का मर्म
अच्छी जानकारी बहुत काम की ......
ReplyDeleteआज आपकी पोस्ट की चर्चा हलचल पर है ...कृपया अवश्य पधारें.
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति है!
ReplyDeleteरक्षाबन्धन के पुनीत पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
bahut kaam ki baat batayi. mauka milte hi try kiya jayega.
ReplyDeletebahut kaam ki baat batayi. mauka milte hi try kiya jayega.
ReplyDeleteरक्षाबंधन की आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी!
ReplyDeleteकापी ही कर ली है। त्यौहार की बधाई।
ReplyDeleteवननोट और आउटलुक को बेहद प्रभावी ढंग से अभिव्यक्त किया है आपने ...इस संग्रहणीय जानकारी के लिए आपका आभार
ReplyDeleteइसका प्रयोग तब शुरू किया था जब MS office 2010 install किया. गजब की चीज है.
ReplyDeleteonenote kamaal kaa he..
ReplyDeleteअब बुढापे में काहे को पढा रहे हो, काम चलता रहे बस इतना ही है।
ReplyDeleteमास्साब ने इसे बज़ पर शेयर किया तो मैंने पढ़ा. जानकारी मेरे लिए बहुत उपयोगी रही. मुझे एक्सेल पर तो काम करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती है. वर्ड से ही काम चल जाता है,इसलिए कभी वननोट का प्रयोग नहीं किया. पर आपके बताए अनुसार मेरा ध्यान इसकी कुछ नयी विशेषताओं की और गया, विशेषतः हस्तलेखन की सुविधा की ओर. धन्यवाद !
ReplyDeletemain bhi prayog kar dekhta hoon..
ReplyDeleteArey wah, yeh to bade kaam ki jaankaari di aapne....
ReplyDeleteरक्षाबंधन की आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !
ReplyDeleteदोनों इक्के जोरदार काम के हैं अब इनको आजमाते हैं, तब तक तीसरा इक्का तो आप खोल ही देंगे, रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
अच्छी पोस्ट
ReplyDeleteरक्षा बंधन पर्व की बधाइयाँ
कमाल की जानकारी दी है आपने।
ReplyDeleteये तो बहुत काम की जानकारी है…………आभार्।
ReplyDeleteरक्षाबंधन की आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !
VERY HI-TECH POST !..WOW !
ReplyDeleteबाप रे...! सब कुछ कितना तिलस्मी लग रहा है !! कर पाऊँ तो क्या मजा हो !!! अभी तो ब्लॉगर डैशबोर्ड में नया पोस्ट डालने में भी असुविध होती है। गूगल क्रोम की मदद से डैशबोर्ड खोला नई पोस्ट डाली तो पता चला 24 घंटे बीत गये किसी ने देखा तक नहीं। न जाने क्या हुआ कि पोस्ट किसी के पास तक नहीं पहुंची।
ReplyDeleteजानकारी पूर्ण आलेख... धीरे धीरे काम करना और भी आसान हो जायेगा...
ReplyDeleteजानकारी तो बहुत बढ़िया है ..आउटलुक को प्रयोग करना ही नहीं आया .. अब देखते हैं क्या कर सकते हैं
ReplyDeleteवन नोट के बारे मे विशेष ज्ञानवर्धन हुआ आपकी पोस्ट से।
ReplyDeleteरक्षाबंधन की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
सादर
अच्छी श्रृंखला . आउट लुक और वन नोट का प्रयोग करते रहते है
ReplyDeletePraveen ji,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, शानदार और भावपूर्ण रचना! उम्दा प्रस्तुती!
आज तो वन नोट और आउट लुक का पूरा ट्यूटोरियल मिल गया सर जी...
ReplyDeleteफाइल सिस्टम की महत्ता पर जितना भी कार्य किया जाये, हमेशा उपयोगी ही साबित होगा.
आपका आभार!!! बहुत उपयोगी.
अच्छी जानकारी पर हमारे लिए नहीं जिनके पास नोट करने के लिए कुछ है ही नहीं :)
ReplyDeleteबढिया जानकारी.
ReplyDeleteवननोट तो आजमाया नहीं अभी तक, लेकिन उपयोगी और इस्तेमाल में आसान होगा, लगता है.
ReplyDeleteप्रवाहपूर्ण आलेख ,उपयोगी जानकारी आभार
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी..
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति ... रक्षाबंधन के पुनीत पर्व पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteव्यवस्थित जीवन की एक मिसाल बन चुकें हैं आप और अब इसकी दीक्षा अपने लेखन की मार्फ़त दे रहें हैं .हम तो जी भी किश्तों में रहें हैं ऐसेमें व्यवस्था कहाँ से लायें .आपकी एनोत्रोपी न्यूनतम है हमारी सर्वाधिक .हमारे पास अ -अव्यवस्थित होने के अनेक तरीकें हैं .आपके पास व्यवस्थित होने का एक और केवल एक ही तरीका है .
ReplyDeleteहाथ से लिखा बहुत ही ढंग से रखता है वननोट, आने वाले समय में हाथ से लिखी हिन्दी को भी यूनीकोड में बदलेगा कम्प्यूटर तब हम अपने बचपन के दिनों में वापस चले जायेंगे और सब कुछ स्लेट पर ही उतारा करेंगे।
http://www.blogger.com/post-edit.g?blogID=232721397822804248&postID=५९१०७८२०२६८३८३४०६२१
HypnoBirthing: Relax while giving birth?
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
व्हाई स्मोकिंग इज स्पेशियली बेड इफ यु हेव डायबिटीज़ ?
gyan to achha diya , try kerke dekhna hoga
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी जानकारी शेयर की आपने...... सभी के काम आएगी.... पूरी कोशिश रहेगी की अच्छे से समझ सकूं.... बहुत उपयोगी पोस्ट.. आभार
ReplyDeleteआप तो हैं I I T से I T के छात्र . विशेषज्ञता तो सहज है बहुत उपयोगी जानकारी . रक्षा बंधन की शुभकामनाएं
ReplyDeleteयह तो कमाल की जानकारी दी आपने ...लगता हूँ इसे सीखने के लिए !
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
ब्राउज़र की दुनिया में जब एक्सप्लोरर का लगभग एकाधिकार था तो इसने बहुत दुश्मन बना लिए थे जिसके चलते आउटलुक अंकांउट आए दिन हैक तो होते ही रहते थे आउटलुक इ-मेल से वायरस ग्रहण करने का भी एक बहुत ही उदार ग्राहक रहा है. यही कारण था कि मैंने उन दिनों एक्सप्लोरर की जगह नेवीगेटर का प्रयोग किया बाद में फ़यरफ़ोक्स. अब यदा-कदा क्रोम भी प्रयोग कर लेता हूं पर आउटलुक के प्रयोग की कभी हिम्मत नहीं हुई.
ReplyDeleteवननोट की सबसे अच्छी बात इसका हाथ से लिखा सेव करना व autosave & autosync फ़ीचर लगे जिनका मैं चाहते हुए भी प्रयोग नहीं कर सकता. [ यह निश्चय ही मेरा दुराग्रह है :-) ]
वाह प्रवीण जी,
ReplyDeleteसोच रहा हूं कोई इतना व्यवस्थित कैसे हो सकता है...मुझ जैसा बेतरतीब आदमी तो सात जन्म में भी ये सब न कर सके...
जय हिंद...
Seriously, I am also fed up of 2-3 diaries, hell lots of nopepad n word document, mails...Tasks are scattered here n there..
ReplyDeleteWe definitely need to prioritize our work n info...And technology comes handy..I am waiting for my IPad..
Keep posting, Praveen bhai..I am amazed to how regularly you are blogging..Hats of to your endless energy..
रोचक जानकारी !
ReplyDeleteवन नोट और आउट लुक का सुंदर इस्तेमाल बताया प्रवीण जी. आउट लुक तो इस्तेमाल करते है परन्तु सीमित और वन नोट तो कभी इस्तेमाल कर के देखा ही नहीं. अब ट्राई कर के देखते है. काम की चीज़ लग रही है आपके विवरण से.
ReplyDeleteरक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें.
वननोट का कभी इस्तेमाल नहीं किया। कभी जरूरत नहीं पड़ी पर उसकी उपयोगिता के बारे में पढ़कर कुछ जानकारी बढ़ी। आउटलुक से मोबाइल के address शिफ्ट करने का पता तो है पर अभी तक इतने मोबाइल ही नहीं बदले। पर अब शायद उसकी जरूरत पड़े।
ReplyDeleteयह तो बहुत ही अच्छी जानकारी है.
ReplyDeleteआज तक वननोट की उपयोगिता नहीं जानी थी .आभार इस उपयोगी जानकारी के लिए .
मेरे पल्ले तो कुछ भी नहीं पढा। पूरी पोस्ट पढ कर यही अनुभव हुआ कि यह औजार मेरे लिए भी अत्यधिक उपयोगी हो सकता है। कभी आपसे 'अपाइण्टमेण्ट' लेकर मिलकर सब कुछ समझूँगा।
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी है ,सँभाल कर रख ली है जब MS office 2010 install करवा लूँगी तब प्रयोग कर पाऊँगी.अभी तो वर्डपैड पर काम करती हूँ -फ़ोल्डर और फ़ाइल बना कर .
ReplyDeleteधन्यवाद,प्रवीण जी !
आउटलुक बहुत पुरानी चीज है, डायलअप कनैक्शन के जमाने में हमने कुछ समय आउटलुक से बेहतर विकल्प मोजिला थंडरबर्ड का इस्तेमाल किया फिर ब्रॉडबैंड लगवाने के बाद जीमेल के वेब इंटरफेस से ही काम चलता है। अब ईमेल क्लाइंटों पर काम करने का मन नहीं करता।
ReplyDeleteवननोट के बारे में सुना तो है पर कभी आजमाया नहीं। आपके बताने पर उत्सुकता हुयी है तो ट्राइ करेंगे।
ये बतायें कि वननोट में ये हाथ से लिखने का क्या फंडा है, क्या किसी टचस्क्रीन डिवाइस से लिखा है, यदि हाँ तो इतनी अच्छी तरह कैसे लिखा गया?
आपका हस्तलेखन बहुत सुन्दर है।
आपकी यह रचना देखी जा रही है ब्लॉगर्स मीट वीकली में .
ReplyDeleteहमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
बेहतर है कि ब्लॉगर्स मीट ब्लॉग पर आयोजित हुआ करे ताकि सारी दुनिया के कोने कोने से ब्लॉगर्स एक मंच पर जमा हो सकें और विश्व को सही दिशा देने के लिए अपने विचार आपस में साझा कर सकें।
कोई कैसे इतना व्यवस्थित हो सकता है, आप तो वाकई कमाल है । पर जानकारी बढिया है । वन नोट देखना पडेगा । एक्सप्लोरर तो हमने इस्तेमाल करना बंद कर दिया है । मोज़िला अच्छा लगता है ।
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति...
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
सार्थक लेख.....
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
high tech-post :)
ReplyDeleteI use both... undoubtedly they r very effective !!
Happy independence day
बिल्कुल सही कहा आपने आउट्लुक मेल मैनेज्मेन्ट और सिंक सर्विस का जवाब नहीं। २००५ से जब से अपना पर्सनल कम्प्यूटर लिया तब से कितने ही कम्प्यूटर और मोबाइल बदले लेकिन कभी कोई चीज खोई नही।
ReplyDeleteथन्डर्बर्ड तो, आउट लुक के मुकाबले कहीं नही ठहरता। आउटलुक की एक बहुत काम की चीज है Delay Delivery का ऑप्शन जिसका कि मैं बखूबी प्रयोग करता हूँ।
स्वाधीनता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।
ReplyDeleteअकल की बात है...थोड़ी देर में समझ आती है हमारे...इसे दो चार बार और पढेंगे...बहुत जानकारी भरी बात जो है...
ReplyDeleteनीरज
सर बहुत ही उपयुक्त सूचना ! स्वतंत्रता दिवस की बधाई !
ReplyDeleteकंप्यूटर के इस तकनीकी पक्ष से बहुत अपरिचित हूँ या कहिये आउटलुक,वन नोट और माइक्रोसोफ्ट ऑफिस से अपना ज़्यादा साबका पड़ा ही नहीं !
ReplyDeleteआपने इतनी बढ़िया जानकारी दी है तो ज़रूर सीखने की कोशिश करूँगा !
is kshetra me mahir hai aap ,kitne vistaarpoorvak samjhaya wo bhi schitr
ReplyDelete,swatranta divas ki dhero badhai aapko .
is kshetra me mahir hai aap ,kitne vistaarpoorvak samjhaya wo bhi schitr
ReplyDelete,swatranta divas ki dhero badhai aapko .
प्रवीण पाण्डेय जी बहुत सुन्दर जानकारी और सार्थक प्रस्तुति अभी इसे बार बार पढ़ कर शोध करना ही होगा ...धन्यवाद
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं
भ्रमर ५
ज्ञानवर्धक प्रस्तुति. आभार. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
इतनी उपयोगी जानकारी के लिए आभार...पढ़ पढ़ कर उपयोग में लाना होगा ..!
ReplyDeleteI admire ur patience...!
स्वतंत्रता दिवस 2011 की आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
ReplyDeleteSuperb write up you have shared here and really great for me to read this here.
ReplyDeleteकुछ कुछ पल्ले पड़ीं आपकी बातें ....
ReplyDeleteबेहद ज्ञानवर्धक प्रस्तुति ...आभार ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी है पाण्डेय जी स्वतंत्रता दिवस की बधाई !
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति है!
अच्छी जानकारी डी है अओने प्रवीण जी ... उपयोग करना पढ़ेगा ...
ReplyDeleteReally very useful info bhaiya.
ReplyDeleteRegards,
Abhishek