मेरी बिटिया 8 साल की है, सप्ताह में दो दिन चित्रकला सीखने जाती है, रंगों के अद्भुत संसार में बहुत रमता है उसका मन, पढ़ाई से भले ही कभी जी चुरा ले पर चित्रकला के प्रति उसकी उत्सुकता देखते ही बनती है। पहले तो लगता था कि मौलिक रंगों के परे नहीं होगी उसकी समझ पर जब चित्रों की गूढ़ता में उसे उतरते देखा तो अपना विचार बदलना पड़ा।
यदि आप बंगलोर सिटी स्टेशन के निकास द्वार को ध्यान से देखें तो उसमें गांधीजी का ट्रेन में चढ़ते हुये का दृश्य है, यह चित्र सफर के पहले पड़ाव की देन है। आपका यदि मंडल कार्यालय आना हो तो सीढ़ी से चढ़ते समय आपको 6 उत्कृष्ट चित्र दिखायी पड़ेंगे, वे भी सफर के पहले पड़ाव की देन हैं। कला का प्रचार-प्रसार उसे लोगों के मनस-पटल पर एक स्थायी स्वरूप देता है। आगन्तुकों से प्राप्त सराहनाओं ने जब यह पूर्ण रूप से स्पष्ट कर दिया कि आमजनों में कला की भूख प्रचुर मात्रा में है, सफर के दूसरे पड़ाव की तैयारियाँ प्रारम्भ हो गयीं।
पता नहीं चित्रों में ऐसा क्या होता है कि सबको अपने अपने मन के रंगों का समरूप मिल जाता है। हर व्यक्ति उस चित्र में कुछ न कुछ अलग देखता है, एक ही आकृति न जाने कितने विचार प्रवाहों को जन्म देती हो। निःशब्द चित्र न जाने कितना अनुनाद करता होगा मन में, क्या पता? बिटिया जब वह चित्र देखती होगी तो सोचती होगी कि कैसे बनाया जाये इतना सुन्दर चित्र, किसी वयस्क को रंगों का चटखपन भाता होगा, एक जानकार को ब्रशों का प्रयोग सुन्दर लगता होगा, विशेषज्ञ को रंगों का संयोजन सराहनीय लगता होगा।
मैं कोई चित्र देखता हूँ तो उसमें उपस्थित पात्रों के मनोभावों को रंगों में निहित भावों से जोड़ने लगता हूँ। मन मुदित हो तो पीला रंग, क्रोध में लाल रंग, संतुष्टि में छिपे हरे रंग के रेशे, दुःख में स्याह घुप्प आवरण। हो सकता है आपके लिये इन रंगों का सम्बन्ध अलग भावों से हो।
कई चित्रकारों से अनौपचारिक बातचीत हुयी, सबकी अपनी विशिष्ट शैली। सबने सीखना प्रारम्भ एक सा किया होगा, परिवेश, विचार, संस्कार, घटनायें, समाज, संवेदनशीलता और न जाने क्या क्या मिलता गया होगा, उनको सृजन पथ में। हर अनुभव एक नये रंग का, हर व्यक्तित्व एक नया गहरापन लिये, सुख-दुःख का गाढ़ापन हर बार अलग मात्रा में, न जाने कितना कुछ संचित। जब वह चित्रकार सामने पाता है एक सपाट कैनवास, हाथों में ब्रश और छिटकाने के लिये रंग, पहला भाव क्या आता होगा, स्फूर्त तरंग सा होता होगा या होता होगा सतत चिन्तन का एक स्थूल निष्कर्ष। हम शब्द उतारते हैं तो जानते हैं कि क्या कह रहे हैं, चित्रकार तो आकृतियों और रंगों से अपना संवाद स्थापित कर लेता है।
जब बिटिया को चित्र समझते देख रहा था तो उन दोनों को देखकर मन में नये भाव आकार ले रहे थे, अब मेरे द्वारा व्यक्त भावों को पढ़ आप भी कुछ नया सोच रहे होंगे। चित्रों की संवाद-लहर यूँ ही बढ़ती जाती है।
रंग, आकृति, अभिनय, न जाने कितने माध्यम उपस्थित हैं हमारे बीच, संवाद की स्थिति शब्दों से कहीं ऊपर स्थित है, भाषा से कहीं ऊपर स्थित है। हमारे जीवन का सफर न जाने कितनी ऐसी मनःस्थितियाँ जान पायेगा। सफर का तीसरा पड़ाव कहीं बैठा हमारी प्रतीक्षा कर रहा होगा।
सफर जारी आहे।
मनुष्य की सृजनशीलता के विविध आयाम हैं जिनमें आर्टिस्ट की कूचियाँ किसिम किसिम के रंग भरती चलती रहती हैं -रंगों और रंग बिरंगी आकृतियों के प्रति मनुष्य का आकर्षण नैसर्गिक है ....मैं तो कहता हूँ यह मनुष्यता की पहचान है और मनुष्य की सम्पूर्ण होने की चाहत भी !
ReplyDeleteबिटिया रानी को बहुत बहुत शुभकामनाएं !
Good work ..promoted by the D.R.M.,organised by W.W.O. and the best part is people taking so much of interest ...!!Human mind is endowed with immense qualities....!!Paronage and recognition is what is most required .At times I feel so proud that the WWOs r doing some genuine work...!
ReplyDeleteBest wishes to "BITIYA RANI ".
कुछ समय पहले मैंने किसी ब्लाग पर ही पढ़ा था कि भारतीय रेल ने एक चित्रकला प्रदर्शनी रेल चलाई थी. पढ़ कर अच्छा लगा था. रंगों का संसार है ही अद्भुत.
ReplyDeleteजीवन चलने का नाम।
ReplyDeleteइसी बहाने इतने अच्छे कलाकार से भी परिचय हो गया। आभार।
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चोंच में आकाश समा लेने की जिद..
इब्ने सफी के मायाजाल से कोई नहीं बच पाया।
Rango Ke mohpaash se bach paana to kisi ke bhi bas ka nahi hota.... Bitiya ko bhavishy ke liye bahut bahut Shubhkamnaaen!
ReplyDeleteआकार लेते कल्पना के रंग.
ReplyDeleteबच्ची को कभी मना नहीं करना, उसकी प्रतिभा सामने आनी ही चाहिए
ReplyDeletechitrkala manav ki aantrik abhivyakti hai,uski aatma ka darpan bhi kah sakte hain.rangon ka chunaav bhi aapki mansik avastha aapke taste ko darshata hai.itni kam umra me itni lagan,ek safal unnat marg ki aur ishara karta hai.is pyaari bachchi ko shubhkamnaayen.uska honsla badhate rahiye.achche kalakaaron se avgat karaya.aabhar aapka.
ReplyDeleteचित्रों के रंग बच्चों की कल्पना शक्ति को जागृत कर देते हैं और वे तुरत रचना करने की ओर प्रवृत्त हो जाते हैं. जीवन के आखिरी दौर में रवींद्रनाथ टैगोर भी चित्रकला की ओर आ गए थे. कई बार शब्दों से वह बात नहीं कही जा सकती जो रंगों और रेखाओं से कह जा सकती है.
ReplyDeleteसुंदर पोस्ट.
एक लम्बी टिपण्णी लिखी थी वह पता नहीं कैसे मेमोरी से मिट गयी.
ReplyDeleteबिटिया रंगों से परिचित हों और खूब सुन्दर रंग भरें इस संसार में. शुभाशीष.
pandey ji
ReplyDeleteबिटिया के लिए बहुत सारा आशीर्वाद , बहुत सारी शुभकामनाएं भेज रहा हूँ , बहुत प्यारी बेटी है ,मेरा प्यार भी देना
रुचियाँ सभी की अलग-अलग होती हैं!
ReplyDeleteआप जिस बात को कहने के लिए शब्दों के अम्बार को लगा देते हैं! उसी भाव को प्रकट करने के लिए एक चित्रकार जरी सी रंगों को झाँई से सहज ही प्रकट कर देता है!
आपकी बिटिया का क्या नाम है जी!
बहुत प्यारी बिटिया है आपकी!
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मेरी ओर से बहुत-बहुत आशीर्वाद!
मुझे रंगों की आप सरीखी समझ नहीं है पर कामना है कि बच्चों की कला प्रतिभा निखरे!
ReplyDeleteरंगों पर लिखी यह पोस्ट अद्भुत है ...बिटिया के जीवन में रंग हमेशा भरे रहेंगे...शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteललित कलाएं और उन से जुड़े व्यक्तियों से भेंट सौभाग्य की निशानी है
ReplyDeleteआप के बच्चों के लिए शुभकामनायें
सफर जारी आहे.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
"रंग" तो कुदरत का नायाब तोहफ़ा है , और रंगों के माध्यम से भावों को प्रदर्शित करने की क्षमता भी बिरले लोगों को ही नसीब होती है । आपकी बिटिया को बहुत बहुत स्नेहिल आशीर्वाद ।
ReplyDeleteबंगलोर कभी गयी नहीं ..कभी गए तो सिटी स्टेशन के पास इन चित्रों को अवश्य देखेंगे.कला के प्रसार प्रचार का अच्छा प्रयास है.
ReplyDeleteकहते हैं न कभी कभी एक चित्र कई शब्दों पर भारी पड़ जाता है.यही जादू है चित्रकारी का.
रंगों का अद्भुत संसार है ही ऐसा जो शायद ही किसी को आकर्षित न करता हो.
हाँ रंग बोलतें हैं रेखाएं संवाद करतीं हैं .मानसिक कुहाँसा इन्हीं रंगों में अभिवयक्ति पाता है .ललित कलाएं जीवन को भी ललित बनाए रहतीं हैं .बिटिया को उत्प्रेरित करतें रहें बच्चों के अन्दर ज्यादा उमंग और उसी अनुपात में रंग hoten हैं .जीवन की आपा धापी रंगों को बदरंग कर देती है .neeras और ek ras .
ReplyDeleteChitron me bhare rangon ke prati mujhe bhee behad aakarshan hai!
ReplyDeleteBitiya ko anek shubh kamnayen!
Worthy daughter of a worthy father !
ReplyDeleteMy best wishes to her .
यदि बिटिया में रंगों के पहचान की विशिष्ठ क्षमता है तो उसे विकसित होना ही चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को उनके नैसर्गिक क्षमता के अनकूल प्रोत्साहन मिलना चाहिए
ReplyDeletekapna ke rang........par bachche use jayda khusbooyon ke saath bikher paate hain..........bas aakar nahi le pata :)
ReplyDeleteकल्पनाओं की उडान आदमी की सोच से कहीं अधिक ऊँची होती है। उनके रंग जीवन को नई दिशा देते हैं बिटिया को बहुत बहुत आशीर्वाद।
ReplyDeleteबिटिया को चित्रकार बनने की शुभकामनाएँ.अमूमन हर बच्चा चित्रकारी पसंद करता है पर कोई-कोई ही उसको मिले मौकों का लाभ उठाकर आगे भी अपना सफ़र जारी रखता है.बेंगलुरु कभी आना हुआ तो ज़रूर आपके बताये चित्रों से मिलूँगा !
ReplyDeleteबिटिया के रंग प्रेम के बारे में पढ़ कर अच्छा लगा...ये दुनिया इसीलिए खूबसूरत है क्यूँ की इसमें रंग हैं...बिना रंगों के जीवन निर्थक है...एम्. ऍफ़. हुसैन ने रंगों का खूबसूरत प्रयोग अपनी फिल्म मीनाक्षी में किया था उसका एक गीत " रंग है..." अगर नहीं देखा/ सुना हो तो जरूर देखेंसुनें लिंक दे रहा हूँ:-...http://youtu.be/l_UQ0VclaiQ
ReplyDeleteनीरज
चित्रकला को रेलवे का ये योगदान याद रहेगा . बिटिया रानी को शुभाशीष .
ReplyDeletepure safar me dua rahi ki bitiya ek khaas rangon ka mukaam paye
ReplyDeleteबिटिया रानी को बहुत बहुत शुभकामनाएं ......
ReplyDeleteकल्पनाओं की उड़ान बहुत ऊँचाई तक ले जाती है.
ReplyDeleteबिटिया रानी को बहुत बहुत शुभकामनाएं !
ReplyDeletekhubsurat safar jaari rahe...
ReplyDeletedua hai ..aapki beti bahut achchhi chitrkar bane...
ReplyDeleteबिटिया को हार्दिक शुभकामनाये !
ReplyDeleteबिटिया को शुभकामना ...
ReplyDeleteबटिया रानी को ढेर सारा दुलार..
ReplyDeleteकहते हैं ना पूत के पांव पालने में ही.. मुझे तो कुछ ऐसा ही आभास हो रहा है।
बहुत बहुत शुभकामनाएं
इन पलों के साथ बिटिया के लिये शुभकामनाएं ...यूं ही उनका भविष्य उज्जवल रहे ...आभार के साथ बधाई ।
ReplyDeleteचित्रकारी की यही तो विचित्रता है... हर कोई अपने अपने हिसाब से समझता है। शायद हर क्ला में यही होता है। कविता की लोग अलग अलग व्याख्या करते हैं। इस लेख की भी अलग अलग व्याख्या होगी। हम तो कहेंगे- भई वाह!!!
ReplyDeleteचित्र बनाना तो नहीं आता पर हां मुझे लोगों के बनाए चित्र अच्छे लगते हैं।
ReplyDeleteभारतीय रेल ने जब वैशाली एक्स्प्रेस मुज़फ़्फ़रपुर से दिल्ली के लिए चली थी और तब उसका नाम जयंती जनता एक्स्प्रेस हुआ करता था तो उसके हरेक डिब्बे में मधुबनी पेटिंग लगाकर एक अभिनव प्रयोग किया था। न जाने इस प्रयोग को क्यों छोड़ दिया गया?
beautiful post
ReplyDeleteसफर का तीसरा पड़ाव कहीं बैठा हमारी प्रतीक्षा कर रहा होगा।
ReplyDeleteबिटिया रानी को ढेर आशीष-अनेक शुभकामनाएँ...
अगली बार जब हम भारत आयें तो प्लेट फार्म पर इन्तजार करते यात्रियों के लिए प्लेटफार्म पर ही कवि सम्मेलन रखवाईये...एक नया प्रयोग भी हो जायेगा....:)
निःशब्द चित्र न जाने कितना कितना कुछ कह जाते है.इस दुनिया में रंग ना होता तो क्या होता.....बिटिया कला प्रेमी है जान कर अच्छा लगा .उसे आगे बढ़ने देना ..मेरी उसे शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteपोस्ट अति सुन्दर है..ये लिखना अब आपके लिए Repeatitive लगने लगा है....:) हमेशा ही अति सुन्दर क्यूँ लिखते हैं आप?
ReplyDeleteरंगों का सफर और सफर के रंग.. अद्भुत!!
ReplyDeleteबहुत प्यारी टिप्पणियां दी हैं लोगों ने बिटिया की कला प्रियता पर! सुन्दर।
ReplyDeleteचित्रकला कि भाषा रंगों से ही पहचानी जाती है .. बहुत सटीक लिखा है ..बिटिया का मन रंगों में रमता है ..उसको बहुत बहुत शुभकामनायें ..
ReplyDeleteरंग, आकृति, अभिनय, न जाने कितने माध्यम उपस्थित हैं हमारे बीच, संवाद की स्थिति शब्दों से कहीं ऊपर स्थित है, भाषा से कहीं ऊपर स्थित है।
ReplyDeleteपांडेय जी, आप अंतर्मन को किस तरह शब्दों में पिरो देते हैं? आपकी पोस्ट पढते समय मेरे मन में सदा यही आश्चर्य विद्यमान रहता है, आप जैसे शब्दों के चितेरे हैं, उसी स्तर की बिटिया चित्रकला में पारंगत हो, यही शुभकामनाएं हैं. उसकी नैसर्गिक प्रतिभा का आप पालक जन सम्मान कर रहे हैं, यह जानकर और भी सुखद लगा.
रामराम.
प्रशासकीय नीरसता और फीकेपन को दूर करने के लिए और कला-संरक्षण हेतु अपने पद का सदुपयोग करने के लिए आप जैसे कलाप्रेमियों का प्रशासन में होना कितना आवश्यक होता है, यह बात इस पोस्टब् से अनुभव होती है।
ReplyDeleteJust think what this life would be...had there been no colors.
ReplyDeleteआपकी कला की समझ काबिले तारीफ है और कला को प्रोत्साहन देने का प्रयास भी....आपकी बिटिया भी बरी प्यारी है क्योकि एक बार उससे मिलने का मौका मिला है ...भगवान आप जैसे सच्चे इंसान के बच्ची को एक सच्चे व नेक इंसान में पाए जाने वाले गुणों से सदा परिपूर्ण रखे...
ReplyDeleteफिर जीवन दर्शन के कुछ रंग और एक कलाकार का परिचय बहुत बढ़िया ......रंगों के अद्भुत संसार में रूचि रचने वाली बिटिया को शुभकामनायें ....
ReplyDeleteजीवन चलने का नाम।
ReplyDeleteकाबिनी का मनोहारी यात्रा वृत्तांत चित्र मय साथ में आपका पुर सूकून परिवार देख भाल कर अच्छा लगा .विदेश भैया हम तो अपनों से मिलने जातें हैं घूमना घुमाना हमारे लिए बोनस सा सिद्ध होता है बच्चों का प्रेम जहां ले जाए चले जातें हैं .केरल तो धरती मैया का सबसे हरा बिछौना है .कोचीन हमने भी देखा है .उधर चेन्नई ,बंगलुरु ,पोंडिचेरी ,तिरुपति -तिरुमाला ,एला गिरी आदि भी मनोरम स्थल हैं ,खूब देखा है जी भर के इन जगहों को .आई आई टी चेन्नई तो पक्षी विहार के प्रांगन में ही अवस्थित है .Thanks for visiting my Ram Ram bhai .
ReplyDeleteआपका सौन्दर्यबोध उत्तम है, आपको पढ़ना आनन्ददायक है।
ReplyDeleteमहा-स्वयंवर रचनाओं का, सजा है चर्चा-मंच |
ReplyDeleteनेह-निमंत्रण प्रियवर आओ, कर लेखों को टंच ||
http://charchamanch.blogspot.com/
सुंदर प्रस्तुति. बिटिया रानी को बहुत बहुत शुभकामनाएं !
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteआपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
मै बेटियों को प्यार करती हु
उन्हें उत्साह करे ....
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
aapki kalam me jadu hai sir
ReplyDeleteबिटिया को स्नेहाशीष। स्वस्थ प्रसन्न रह कर खूब आगे बढे।
ReplyDelete'संवाद की स्थिति शब्दों से कहीं ऊपर स्थित है,भाषा से कहीं ऊपर स्थित है '
ReplyDeleteसुन्दर लेख ......चित्रों की भाषा पर ,उनसे संवाद पर
बच्चों का मन मष्तिष्क बहुत ही संवेदनशील होता है ....बिटिया को पूरे मन से चित्र बनाने दें
शुक्रिया भाई साहब .
ReplyDeleteशुक्रिया भाई साहब .
ReplyDeleteबिटिया को बहुत बहुत आशीर्वाद|
ReplyDeleteआपकी बच्ची का पेंटिंग की तरफ रूझान देखकर बहुत अच्छा लगा, अगर बच्चों को शुरू से प्रोत्साहन मिले तो कोई दोराय नहीं कि कितने ही चेखव, पिकासो और बिथोवन हमारे देश का भी नाम रोशन करेंगे
ReplyDelete
ReplyDeletehi,Last week I have been visited to bandipur resorts and kgudi resorts njoyed
this summer with my kids a lot,planed to visit next summer holidays too.