इस विषय में कोई संशय नहीं कि लिखित साहित्य ने पूरे विश्व की मानसिक चेतना का स्तर ऊपर उठाने में एक महत योगदान दिया है। सुनकर याद रखने के क्रम की परिणति कालान्तर में भ्रामक हो जाती है और बहुत कुछ परम्परा के वाहक पर भी निर्भर करती है। व्यासजी ने भी यह तथ्य समझा और स्मृति-ज्ञान को लिखित साहित्य बनाने के लिये गणेशजी को आमन्त्रित किया। व्यासजी के विचारों की गति गणेशजी के द्रुतलेखन की गति से कहीं अधिक थी अतः प्रथम लेखन का यह कार्य बिना व्यवधान सम्पन्न हुआ।
व्यासजी और गणेशजी का सम्मिलित प्रयत्न हम सब नित्य करते हैं, विचार करते हैं और लिखते हैं। जब तक टाइप मशीनों व छापाखानों का निर्माण नहीं हुआ था, हस्तलिखित प्रतियाँ ही बटती थीं। कुछ वर्ष पहले तक न्यायालयों में निर्णयों की लिखित-प्रति देने का गणेशीय कर्म नकलबाबू ही करते रहे। अब हाथ का लिखा, प्रशासनिक आदेशों, परीक्षा पुस्तिकाओं, प्रेमपत्रों और शिक्षा माध्यमों तक ही रह गया है, कम्प्यूटर और आई टी हस्तलेखन लीलने को तत्पर बैठे हैं।
ज्ञान-क्रांति ने पुस्तकों का बड़ा अम्बार खड़ा कर दिया है, जिसको जैसा विषय मिला, पुस्तक लिख डाली गयी। इस महायज्ञ में पेड़ों की आहुतियाँ डालते रहने से पर्यावरण पर भय के बादल उमड़ने लगे हैं। अब समय आ गया है कि हमें अपनी व्यवस्थायें बदलनी होंगी, कागज के स्थान पर कम्प्यूटर का प्रयोग करना होगा।
भ्रष्टाचार के दलदल में आकण्ठ डूबी सरकारी फाइलों का कम्प्यूटरीकरण करने में निहित स्वार्थों का विरोध तो झेलना ही पड़ेगा, साथ ही साथ एक और समस्या आयेगी, लिखें या टाइप करें। यही समस्या विद्यालयों में भी आयेगी जब हम बच्चों को एक लैपटॉप देने का प्रयास करेंगे, लिखें या टाइप करें। बहुधा कई संवादों को तुरन्त ही लिखना होगा, तब भी समस्या आयेगी, लिखें या टाइप करें। यदि हमें भविष्य की ओर बढ़ने का सार्थक प्रयास करना है तो इस प्रश्न को सुलझाना होगा, लिखें या टाइप करें।
हस्तलेखन प्राकृतिक है, टाइप करने के लिये बड़े उपक्रम जुटाने होते हैं। एक कलम हाथ में हो तो आप लिखना प्रारम्भ कर सकते हैं कभी भी, टाइपिंग के लिये एक कीबोर्ड हो उस भाषा का, उस पर अभ्यास हो जिससे गति बन सके। सबकी शिक्षा हाथ में कलम लेकर प्रारम्भ हुयी है और इतना कुछ कम्प्यूटर पर टाइप कर लेने के बाद भी सुविधा लेखन में ही होती है। हर दृष्टि से लेखन टाइपिंग से अधिक सरल और सहज है। तब क्या हम सब पुराने युग में लौट चलें? नहीं, अपितु भविष्य को अपने अनुकूल बनायें। हस्तलेखन और आधुनिक तकनीक का संमिश्रण करें तो ही आगत भविष्य की राह सहज हो पायेगी।
टैबलेट कम्प्यूटरों का पदार्पण एक संकेत है। धीरे धीरे भौतिक कीबोर्ड और माउस का स्थान आभासी कीबोर्ड ले रहा है। ऊँगलियों और डिजिटल पेन के माध्यम से आप स्क्रीन पर ही अपना कार्य कर सकते हैं। इसमें लगायी जाने वाली गोरिल्ला स्क्रीन अन्य स्क्रीनों से अधिक सुदृढ़ होती है और बार बार उपयोग में लाये जाने पर भी अपनी कार्य-क्षमता नहीं खोती है। कम्प्यूटर पर अपने हाथ से लिखा पढ़ने का आनन्द ही कुछ और है। कुछ दिन पहले ही एक टचपैड के माध्यम से कुछ चित्र बनायें है और हाथ से लिखा भी है।
ऐसा नहीं है कि आपका हस्तलेखन कम्प्यूटर पहचान नहीं सकता है। अंग्रेजी सहित कई भाषाओं में यह तकनीक विकसित कर ली गयी है और आशा है कि हिन्दी के लिये भी यह तकनीक शीघ्र ही आ जायेगी। ऐसा होने पर आप जो भी लिखेंगे, जिस भाषा में लिखेंगे, वह यूनीकोड में परिवर्तित हो जायेगा। अब आप जब चाहें उसे उपयोग में ला सकते हैं, ब्लॉग के लिये, ईमेल के लिये, छापने के लिये, संग्रह के लिये।
जब स्लेट की आकार की टैबलेट हर हाथों में होंगे और साथ में होंगे लिखने के लिये डिजिटल पेन, जब इन माध्यमों से हम अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक कार्य निष्पादित कर सकेंगे, तब कहीं आधुनिकतम तकनीक और प्राचीनतम विधा का मेल हो पायेगा, तब कहीं हमें प्राकृतिक वातावरण मिल पायेगा, अपने ज्ञान के विस्तार का। बचपन में जिस तरह लिखना सीखा था, वही अभिव्यक्ति का माध्यम बना रहेगा, जीवनपर्यन्त।
विचारोत्तेजक ,मनुष्य और कम्यूटर का बुद्धि संयोग कैसे कैसे दिन दिखायेगा -बस देखते जाईये ....
ReplyDeleteमुझे तो लिखाई बहुत मुश्किल लगती है... और फिर स्पेल चेक भी नहीं होता.. :)
ReplyDeleteजानकारी बढ़ाने वाला आलेख. जहाँ तक हाथ से लिखने का प्रश्न है एक बात निश्चित है कि जब हम हाथ से लिखते हैं तो विचारों का समायोजन और काँट-छाँट बेहतर तरीके से होती है क्योंकि लिखने की प्रक्रिया में उसके लिए पर्याप्त समय मिल जाता है.
ReplyDeleteसुलेख सीखते सीखते हिन्सा का शिकार हो चुकी हमारी पीढी आगे वाली पीढी को इस आधुनिक स्लॆट पर कार्य करते हुये राहत तो मह्सूस करेगी .
ReplyDeleteटाइप करने से अच्छा तो लिखना ही होता है
हस्तलेख जारी रखा जाये। राइटिंग अच्छी ही है। लिखते रहें गाहे-बगाये और उसे पोस्ट करते रहें। :)
ReplyDeleteसब कुछ अभ्यास पर निर्भर करता है। मुझे हाथ से लिखने और की-बोर्ड से टाइप करने दोनों में आनंद आता है। बस की-बोर्ड से टाइप करना बहुत आसान है। बस उंगली का एक दबाव जब किसी अक्षर, मात्रा की आकृति बनाता है तो देखते ही बनता है। अभ्यास हो जाए तो की-बोर्ड आने के बाद लिखने की गति बढ़ जाती है। काटना, छांटना भी आसान।
ReplyDeleteहस्तलिपि को स्लेटीय आकृति पर देखना रुचिकर होगा. प्रकृति का दोहन भी कम और लिखने कि क्षमता भी बनी रहेगी.
ReplyDeleteझुमका के बाद एक और नई तकनीक की उपयोगी और ज्ञानवर्धक जानकारी मिली.अब कागजों का प्रयोग कम ही होना चाहिए.इससे वृक्षों की कटाई पर भी अंकुश लगेगा.उत्तम आलेख.मैं कल्पना कर रहा था यदि हस्त-लेखन पूर्णत:"की बोर्ड" लेखन में परिवर्तित हो जायेगा तब गीत भी शायद इस तरह के बनेंगे
ReplyDelete(१) टाइप किये जो मेल तुम्हें ,वो तेरी याद में ,हजारों रंग के नज़ारे बन गए.......
(२) मेल टाइप करदे सांवरिया के नाम बाबू ,कोरे "इन बाक्स" पे टाइप कर दे सलाम बाबू ,वो जान जायेंगे ,पहचान जायेंगे...
मगर ये गीत कैसे बनेगा ? लिखा है तेरी आँखों में , दिल का फ़साना,अगर इसे समझ सको ,मुझे भी समझाना (अगर इसे समझ सको ,मुझे भी समझाना)
कम्प्यूटर में कांट-छांट करना सरल है। मैने कवियों को बोरे भर-भर कर त्रुटिपूर्ण आलेख गंगा में प्रवाहित करते देखा है। कम्प्यूटर में हस्तलेखन सरल हो जाय तो और भी अच्छा।
ReplyDeleteare waah...
ReplyDelete@ हस्तलेखन प्राकृतिक है, टाइप करने के लिये बड़े उपक्रम जुटाने होते हैं।
ReplyDeleteलिखना-पढना कभी भी प्राकृतिक नहीं थे, बोलना-सुनना प्राकृतिक है और उसकी क्षमता नैसर्गिक है।
सबसे बड़ी समस्या सुरक्षित रखने की है. बैक-अप कहां कहां और किस मोड़ में रखेंगे. सीडी अक्सर खराब हो जाती है, पेन ड्राईव करप्ट और हार्ड ड्राइव के क्रैश होने का खतरा बराबर मंडराता रहता है.
ReplyDeleteकुछ दिन पूर्व पाम-टोप आये थे उसमें हाथ से लिखने की सुविधा थी।
ReplyDeleteकहीं विकास होता है तो कहीं नुकसान दिखने लगता है। लेखन जारी रहना चाहिए।
ReplyDeleteलगता है आपने हस्तलिखित डिजिटल लेखन शुरू कर दिया है.....शुभकामनायें व बधाई ...क्योकि हस्लेखन को डिजिटल स्वरुप में देखना वास्तव में आनंद दायक है.....आप ब्लोगर ही नहीं डीजीटाइजेसन के नए प्रयोग करने में एक IT कंपनी से कम नहीं....
ReplyDeleteआज भी कलम हाथ में न हो तो कुछ नहीं लिख पाती..... हस्तलेखन एक अलग ही संतुष्टि देता है..... आम जीवन से जुड़ा खास विवेचन लिए पोस्ट.....
ReplyDeleteबहुत सही बात कही है आपने
ReplyDeleteज्ञान-वर्धक आलेख .
ReplyDeleteधन्यवाद!
आधुनिक टेक्नोलोजी से यह सब संभव है ! सोचना यह है कि क्या हमारे पास लिखने का विकल्प बचेगा ?
ReplyDeleteअभी तो कलम और की-बोर्ड दोनों ही माध्यम अपने-अपने स्थान पर बने हुए हैं । सम्भव है टेबलेट पी. सी. की क्रांति आने वाले कल को पूरी तरह से परिवर्तित कर सके । भविष्य के आपके सुखद नजरिये के प्रति शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteहजारों सदियों में विकसित हुई हस्तलेखन की कला के ऊपर इस सदी में आसन्न मृत्यु के खतरे को कम करती लगती है यह पोस्ट।
ReplyDeleteकम्प्यूटर और की-बोर्ड के बढ़ते प्रयोग से अब हाथ से लिखने की जरूरत बहुत कम होती जा रही है। नये जमाने के बच्चे अब हाथ से डिजिटल पेन व पेन्ट ब्रश का प्रयोग कर कुछ चित्रकारी भले ही कर लें लेकिन लम्बे-लम्बे आलेख लिखने की जहमत उठाना बड़ा मुश्किल होता जा रहा है। सुन्दर राइटिंग में लिखने का गौरव अब कम ही लोगों को मिलने वाला है।
हाथ की लिखाई का मज़ा ही कुछ और होता है जो टाइप करने से प्राप्त नहीं हो सकता. जो मज़ा चिठ्ठी लिखने में है वो ई-मेल में कहाँ. हाथ से लिखी रचना या सन्देश आपकी अपनी पहचान लिए हुए होता है...सबसे अलग. पढने वाले के सामने आप शब्दों के रूप में स्वयं उपस्थित हो जाते हैं. अब तख्तियों पर लिखने का ज़माना तो गया इसलिए समय के साथ कदम ताल मिलाते हुए जो नए गेजेट्स आ रहे हैं उनका उपयोग अनिवार्य हो गया है. मेरा विचार है हम लिखें भी टाइप भी करें.'
ReplyDeleteनीरज
वैसे तो मुझे हाथ से लिखना बहुत अच्छा लगता है, पर एक तरह से देखें तो कंप्यूटर पर टाइप करने से कागज़ की बचत होगी सो पेड़ भी काटने कुछ कम होंगे| बाकी डिजिटल पेन भी अच्छा विकल्प है |
ReplyDeleteशिल्पा
why do you moderate comments? If the reason is spam, then you can enable word verification, it keeps the bots away. But still, to each its own. :)
ReplyDeleteअच्छी जानकारी देती पोस्ट .. लेकिन मुझे तो हाथ से लिखना ही पसंद आता है ..लेकिन नयी तकनीकि का प्रयोग भी करना ज़रूरी है ..
ReplyDelete-----निश्चय ही हाथ से लिखने में विचारों का संयोजन अच्छा होता है क्योंकि हठ से लिखने में कीबोर्ड व कम्प्युटर स्क्रीन दोनों और ध्यान नहीं देना होता, अपितु कभी कभी बिना देखे भी लिखा जाता है...स्पेलिंग भी भूलने की प्रवित्ति डेवलप नहीं होती ...दोनों का सामंजस्य कम्प्यूटराइज्ड स्लेट से होगा...मैं तो हाथ से लिख कर उसे ब्लॉग या इमेल या प्रिंट करने के लिए स्क्रीन पर लिखता हूँ ...... सुन्दर आलेख ...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर लेख है। हाथ से लिखना मुझे तो आज भी बहुत अच्छा लगता है। पर कंप्यूटर ने सब पर ब्रेक लगा दिया। विश्वविद्यालय में पढाई के दौरान घर से आए कुछ पत्र आज भी सुरक्षित हैं।
ReplyDeleteअर्थात पुनः स्लेट पर लिखने का युग आ रहा है
ReplyDeleteअब तो उसी का इंतज़ार है जब दोनो काम हो सकेंगे……………रोचक आलेख्।
ReplyDeleteआपका आलेख बहुत प्रभावी है ... दो शब्द लिखने से खुद को रोक नहीं पा रहा...! बड़ों से सुना था वृक्षों कि छाल पे लिखा जाता था कभी... अब बिजली चालित आभासी यंत्रों से लेखन और प्रकाशन हो रहा है... तख्ती पर कलम और कोयले से लिखना सीखा ... पेन्सिल और कागज़ भी खूब कम में लिए ...इंक पेन और रजिस्टर का ज़माना भी दौड़ रहा था कि बाल पेन डायरी आ गई... इनसे जितना लगाव है उतना अब युवा पीढ़ी का सिल्वर स्क्रीन पर चमकते अक्षरों से प्रेम दिखाई देता है... बदलाव अछा होता है न...!!
ReplyDeleteसही कहा आपने....
ReplyDeleteविकास यात्रा समग्र रूप में कल्याण की भावना समेटे हुए हो तभी तो सुफल होती है...
आज कल तो की बोर्ड खटकाते अभ्यास ऐसा हो गया है कि कलम हाथ में आ जाए तो पहले के मुकाबले चौथाई स्पीड से भी आगे नहीं घिसकती...लेकिन फिर भी अपने अक्षर में लिखा पढने को मिले तो बड़ा सुख मिलेगा...
बचपन में जिस तरह लिखना सीखा था, वही अभिव्यक्ति का माध्यम बना रहेगा, जीवनपर्यन्त।
ReplyDelete-सत्य वचन...टैबलेट तब आया ही था...और शाय्द बहुत
शरुवती दोर से जुड़ा....लेकिन उस पर वो मजा नहीं आया जो टाईपिंग या कागज पर लिखने में है....वही अभ्यास वाली बात है बचपन से.
शुरू में की बोर्ड का उपयोग किया था तब पहले हाथ से लिखकर फिर टाइप करती थी. की बोर्ड पर टाइप करते हुए ख़याल ही नहीं आते थे :).पर अब कंप्यूटर ही ज्यादा सुविधाजनक लगता है.और पढ़ने वाले के लिए भी आसान.
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही अच्छा लिखा है आपने .. बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteहस्तलिपि को स्लेटीय आकृति पर देखना रुचिकर होगा| जानकारी बढ़ाने वाला आलेख|
ReplyDeletepraveen ji
ReplyDeletebahut hi achhi jankari di hai aapne .isse kak se kam seedhe hi likhna padega aur samay ki bhi bachat hogi.type jo nahi karna padega-----;)
dhanyvaad
poonam
हाथ से लिखने की आदत तो अब लोगो की रही नहीं....और ना शुद्ध लिखने का अभ्यास...
ReplyDeleteलेख में ..किताबों का अविष्कार की कहानी पढते पढते टेबलेट तक पहुंचे.. अच्छी जानकारी दी है आप ने .
ReplyDeleteयह हमारे पास भी है बच्चे प्रयोग करते हैं स्केच बनाने के लिए ..मैं ने कभी आजमाया नहीं ..आप के लेख को पढ़कर मैं भी उस पर लिखने की कोशिश करूँगी.
लगता है "सुलेख" और "श्रुतिलेख" के दिन वापस आने वाले हैं ।
ReplyDeleteकहाँ भर्रू से लिखा करते थे अब टंकण पर आश्रित हैं. सोचता हूँ कब तक इन आँखों का भरोसा रहेगा.
ReplyDeleteबचपन की आदत बनी रहती है. लेकिन किन्डल और टैबलेट के जमाने में आने वाले समय में हस्तलेखन का क्या होगा ये तो समय ही बतायेगा.
ReplyDeleteअभी कहीं एक आलेख पढ़ा था कि कैसे नए बच्चे जिन्होंने टच वाली चीजें ही इस्तेमाल की थी असहज महसूस करते हैं टेलीविजन रिमोट तक देखकर. ऐसी पीढी धरती पर आ चुकी है :)
नहीं, अपितु भविष्य को अपने अनुकूल बनायें। हस्तलेखन और आधुनिक तकनीक का संमिश्रण करें तो ही आगत भविष्य की राह सहज हो पायेगी।
ReplyDeleteबिलकुल ठीक बात है ..!!
तकनीकी का लाभ तो लेना ही चाहिए ..
जानकारी देती हुई सार्थक पोस्ट .
इस आसन्न क्रांति का रोमांच महसूस हो रहा है.
ReplyDeleteअब तो गणेश जी की कलम [की बोर्ड] और चूहा [मौज़] दोनों हाथ में है... तो डर काहे का :)
ReplyDeleteयुग के साथ चलने की प्रेरणा मिली , बधाई !
ReplyDeleteकल और आज का ,कल आज और कल का मेल कराता आलेख .चित्र सहित विचारणीय आ-पोस्ट ,सुन्दर मनोहर ,अनुकरणीय .
ReplyDeleteअच्छी जानकारी. और मन की चित्रकारी क्या गज़ब की है- मैरिज, कैट, श्रद्धा. शब्दों पर मत जाइएगा.
ReplyDeleteसही कहा अपने हाथ का लिखा बहुत अच्छा लगता है परन्तु वह दूसरों कि समझ में आ जाये यह जरुरी नहीं. कम्यूटर में प्रगति होती ही रहनी है, हो सकता है कुछ समय में लिखने और टाइप किसी की भी जरुरत ना पड़े. दिमाग में चल रहे सारे विचार शब्दों के रूप में खुद व् खुद कम्यूटर पर दिखने लगे.
ReplyDeleteकम्यपुटर पर टाईप करने की लत पड़ने से लिखावट पर खतरा है। मैने इस पर एक पोस्ट लिखी थी और इस समस्या से जुझ भी रहा हूँ।
ReplyDeleteब्लॉग4वार्ता-नए कलेवर में
कागज जैसा लिखना यदि कंप्यूटर में भी संभव हो जाये तो काफी-कुछ सहजता आ जायेगी.निश्चित ही धीरे-धीरे तकनीक रास्ता निकाल लेगी !
ReplyDeleteअपनी च्वॉय्स टाईपिंग।
ReplyDeleteलिखाई पहचान लिये जाने का डर नहीं:)
हस्तलेख का विकल्प नहीं .. पर परिवर्तन हो रहे हैं.
ReplyDeleteमैं अब कागज़ पर कम की बोर्ड पर ज्यादा ऊँगलिया दौड़ाने की आदत का शिकार होता जा रहा हूँ
Hindi to Unicode is not very far... its in process and I am sure very soon we'll be using it.
ReplyDeletedigitization is a good sign and I am in favor of it. But a copy and a pen has its own perks which can never be ignored.
It was a nice read.
दोनो का अपना अपना महत्व है ... परिवर्तन के दौर में परिवर्तन के साथ तो चलना पढ़ेगा ...
ReplyDeleteसर यह दिन दूर नहीं अन्य देशो में प्रचलित है !
ReplyDeleteबड़ी उपयोगी जानकारी ।
ReplyDeleteमार्कण्ड दवे।
http://mktvfilms.blogspot.com
अच्छा लगा विषय .... मुझे तो लिखना बेहतर विकल्प लगता है ....टाइप करना या कहूँ कम्पयुटर पर अधिक काम करना तो अपनी पीठ की समस्या को बढ़ाना हो जाता है और फ़िर कुछ दिनों के लिये पढ़ना भी बन्द हो जाता है .... कल भी इसी वजह से सिर्फ़ पढ़ कर ही चली गयी थी .... आपकी मन की चित्रकारी बहुत अच्छी लगी ....
ReplyDeleteSoftware jaldi aaye aur is roman se chhutkara dilaye
ReplyDeleteअब तो हाथ से लिखने की आदत छूट चली है....
ReplyDeleteआपके विचारों से सहमत हूँ।
ReplyDeleteएक पीढ़ी और उसके बाद Pen और पेंसिल केवल म्यूजियम में ही मिलेंगें,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
ज्ञान-क्रांति ने पुस्तकों का बड़ा अम्बार खड़ा कर दिया है, जिसको जैसा विषय मिला, पुस्तक लिख डाली गयी। इस महायज्ञ में पेड़ों की आहुतियाँ डालते रहने से पर्यावरण पर भय के बादल उमड़ने लगे हैं। अब समय आ गया है कि हमें अपनी व्यवस्थायें बदलनी होंगी, कागज के स्थान पर कम्प्यूटर का प्रयोग करना होगा।
ReplyDeletesahee kaha...
waise is disha me sansthayen green initiatives le bhi rahi hain....
ha, kahe kahee retiring logo ka virodh jarur badha banta hai.....
IT industry mein hote hue bhi mujhe aadhunik gadgets ke baare mein aap jitni jaankaari nahi rehti...
ReplyDeleteThanks for sharing all this.
सौ कि एक बात कि लेखन का भविष्य नवीनता और प्राचीनता के संगम से ही होगा |
ReplyDeleteअपनी तो कंप्यूटर की आदत पड गयी है। कहानी, कविता कुछ भी लिखना हो, सीधे कीबोर्ड पर उंगलियां पडती हैं।
ReplyDelete---------
ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
आई साइबोर्ग, नैतिकता की धज्जियाँ...
आपकी यह उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी है!
ReplyDeleteप्रवीण जी, क्या हाथ/पैंसिल से इस तरह लिखने योग्य मॉडम मार्कीट में उपलब्ध हो चुके हैं. यदि हो चुके हैं तो उनके ब्रैंड नाम दे सकें तो कृपा होगी.
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