अब आप बोल उठेंगे कि गाना गायेगा। कैसा विचित्र संयोग है कि पहला कवि तो वियोगी था, कविता लिख गया, अब उस कविता को गाने के लिये वही आगे आयेगा, जो प्यार करेगा। प्रकृति में यह नियम कूट कूट के घुला है कि हर प्रभाव अपने स्रोत के विरोध की दिशा में होता है।
प्रकृति की गति तो अकल्पनीय है पर संगम के राजकपूर के बारे में एक अपनापन सा लगता है, लहराता हुआ उसका एकांगी प्यार, उस प्यार का निश्छल उछाह, उसका उन्मुक्त प्रकटन, अधिकारजनित, नकार दिये जाने के संशय व भय से कोसों दूर, रुदन-युगल के ऊपर बादल सा बरसता और अपनी बात कहता, हर दिल जो प्यार करेगा, वह गाना गायेगा।
राजकपूर की अधिकारपूर्ण प्रेमाभिव्यक्ति इसी गीत के माध्यम से होती है। निश्चय ही हर दिल जो प्यार में डूबता है वह गाना गुगुनाने लगता है। अब दो और प्रश्न उठते हैं। पहला, क्या हर प्यार करने वाला निश्चय ही गाना गाता है? दूसरा, क्या हर गाना गाने वाला प्यार करता है? मुझे तो दोनों ही प्रश्नों के उत्तर नकारात्मक लगते हैं। बहुत लोग तो ऐसे प्यार करते हैं कि उसको भी नहीं पता चलता है, जिससे वे प्यार कर बैठते हैं, बड़ा चुपचाप सा प्यार होता है वह, गाना तो कभी नहीं गाया जाता है। दूसरी ओर बहुत लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी गाते रहते हैं, अपने मन की बताते रहते हैं, पर प्यार के उपहार से कोसों दूर रहते हैं। मुझे तो इन दोनों प्रश्नों के उत्तर सकारात्मक नहीं मिले जिस पर आधारित गणितीय प्रमेय के आधार पर प्रेम और गाने को एकरूप समझा जा सकता हो।
पारिवारिक परिवेश में सत्य कितना भी स्पष्ट हो पर श्रीमतीजी की सहमति पाने तक त्रिशंकु सा लटका रहता है। श्रीमती जी को राजकपूर के गाने पर चौतरफा विश्वास है और उन्हें यहाँ तक लगता है कि बिना गाना गाये मन में प्यार उत्पन्न ही नहीं हो सकता है। पर यही कारण नहीं है कि मेरी गीत गाने में बहुत रुचि है, बचपन से धुन है गुनगुनाने की। जब रौ में होता हूँ तो कहीं भी गुनगुनाने लगता हूँ। जब तक पता लगता कि कहाँ पर खड़ा होकर गा रहा हूँ तब तक दो तीन पंक्तियाँ सुर में ढलकर निकल भागती हैं। बचपन की लयात्मक लहरियाँ अभी भी जीवित हैं, अभी भी घर में सहसा ही गा उठता हूँ, वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया, सबकी आँखों का तारा।
पिछले कई दिनों से घर में सुरों के उद्गार नहीं उठ रहे थे, कारण मेरी व्यस्तता का था, बंगलोर में ही वाणिज्य के स्थान पर परिचालन का नया दायित्व सम्हालने के कारण भारी भरकम ट्रेनों और इंजनों से आत्मीयता बढ़ गयी थी। घर में टेलीफोन पर पूर्णनिमग्ना हो घंटे भर बतियाने के बाद कण्ठ गाने योग्य बचता ही नहीं है। गाना कम हो गया, घर के वातावरण में स्वर गूँजने कम हो गये, श्रीमतीजी को लगने लगा कि प्यार कम हो गया। आप कितना भी समझा लें कि न गाने से प्यार कम नहीं होता है, कण्ठ भले ही न कुछ कहे पर मन गुनगुनाता रहता है। श्रीमतीजी तो मानती ही नहीं, अब राजकपूर ने जो इतना जोर जोर से गा दिया है, बिल्कुल स्पष्ट, हर दिल जो प्यार करेगा, वो गाना गायेगा।
हमारे तर्क धरे के धरे रह गये, गाना तो गाना ही पड़ेगा। स्वयं नहीं गायेंगे तो गवाया जायेगा। इसी बीच हमारा जन्म दिवस आया। हम तो जीवन को ही उपहार मानते हैं अतः उपहार माँगते नहीं। सहसा सामने एक बड़ा सा उपहार देखकर आश्चर्य हुआ। उत्सुकतावश खोला तो एक करोओके उपकरण निकला। टीवी स्क्रीन से जोड़ा, मनपसन्द गाना चुना और गाने लगा, आनन्द आ गया, एक के बाद 4 गाने गाये।
श्रीमतीजी के चेहरे पर मुस्कान थी। पति गा रहे हैं, अब राजकपूरजी के अनुसार प्यार भी जागेगा।
हर दिल जो प्यार करेगा, वह गाना गायेगा,
गाना रूखे सूखे दिल में प्यार जगायेगा।
बचपन से धुन है गुनगुनाने की। जब रौ में होता हूँ तो कहीं भी गुनगुनाने लगता हूँ। जब तक पता लगता कि कहाँ पर खड़ा होकर गा रहा हूँ तब तक दो तीन पंक्तियाँ सुर में ढलकर निकल भागती हैं।
ReplyDeleteआपके व्यक्तित्व का यह पक्ष जानकर बहुत अच्छा लगा..... पोस्ट बड़ी प्यारी है :)
जन्मदिन की शुभकामनायें स्वीकारें ....
फिल्मी गीतों में एक एक्सीलेटर वाला प्यार भी होता है- 'धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है...' और अपनी जवानी साबित करने के लिए कहानी गढ़नी होती है, बतर्ज- 'वो जवानी जवानी नहीं, जिसकी कोई कहानी नहीं.'
ReplyDeleteजन्म दिवस की बधाई लिजिये, मिठाई और पार्टी प्रामिस करिये.
ReplyDeleteऔर हाँ जी....उपहार जो मिला है वो ऐंवें ही नहीं..गाकर रिकार्ड करके पॉडकास्ट करिये जनाब...क्या आप ब्लॉगर्स से प्यार नहीं करते??? करते हैं न...तो फिर गाईये..एक पंत दो काज वाली बात होगी..गायेंगे तो घर में ही न!! श्रीमति जी भी प्रसन्न हो जायेंगी-उन्हें थोड़ी न पता चलेगा कि यह ब्लॉगर प्रेम में गाया जा रहा है :)
बहुत बधाई और शुभकामनाएँ.
लेकिन हमसे का कहता हुई कि हमें इस गाने के श्रवण सुख से वंचित किया गया ....अभी भी ऑडियो क्लिप लगा दें !
ReplyDeleteनयी जिम्मेदारी पर पर हमारी बहुत शुभकामनाएं !
न दैन्यं न पलायनम्
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत शुभकामनायें ...
ReplyDeleteगीत गाने वाले हर हाल में गुनगुनाते ही हैं !
गाना गाये या न गाये पर हर दिल प्यार जरूर करता है.
ReplyDeleteप्यार के अभिव्यक्ति का माध्यम अगर 'गाना' हो तो अवश्य गाइए, पर शायद प्यार इतना सूक्ष्म है कि उसे अभिव्यक्त होने के लिये किसी गाने-वाने की जरूरत ही नहीं है.
क्या प्रवीण जी,जन्मदिन की बात तो आपने बिना मिठाई विठाई के यूँ ही बता दी है.चलिए अब गाना तो आपको सुना देना ही चाहिये अपने प्यार के खातिर.
ReplyDeleteआपको जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाएँ.
जन्मदिन की बधाई ... कराओके है, गाते जाइये
ReplyDeleteगाने वाला मौन हो जाएगा तो शंका तो होगी ही ना। चलिए श्रीमती जी ने आपसे गाना गवा ही लिया। जन्मदिन की आपको बधाई।
ReplyDelete"कराओके" के माध्यम से आपकी मधुर आवाज़ में आपके अभी तक अव्यक्त प्यार को जन्मदिन के शुभ अवसर पर बडी चतुराई से "ओके करा" लिया गया ।
ReplyDeleteबहुत खूब । बहुत बहुत बधाईयां आपको एवं आपके परिवार को आपके उपहार स्वरूप "जीवन" के जन्म के अवसर पे ।
बहुत बढ़िया! :D गाते रहिये, गुनगुनाते रहिये, और जीवन को सुखमय बनाते रहिये|
ReplyDelete.
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शिल्पा
जन्मदिन की बहुत शुभकामनायें ...
ReplyDeleteहँसते रहिये, गाते रहिये
प्रेम के गीत गुनगुनाते रहिये
अगर करावके से आपको प्यार है तो माईवे आईपीटीवी कनेक्शन ले लें. उसमें एक उम्दा करावके चैनल है जिसमें आप पसंदीदा हजारों गानों में से चुनकर साथ साथ गा सकते हैं.
ReplyDeleteजन्म दिन की हार्दिक शुभकामना... अपने स्वर में एक गीत पोस्ट पर भी लगा देते तो अच्छा रहता...
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteसुरेन्दर शर्मा से उनकी पत्नी भी कभी पिक्चर देखकर ये बोली थी कि देखो वो हीरो कैसे चिपक-चिपक के अपनो प्यार जता रियो है तुम क्यों नी जताओ । तो सुरेन्दर शर्मा बोल्यो के भाग्यवान उके तो यो चिपक-चिपक के प्यार जताने का लाखों रुपया मिल रिया है म्हारे कंई मिलनो है ।
अब करिओके लिया तो गाना पड़ेगा . आप तो गा लेते है मै तो बिस्वास करता हूँ की गाने आये या ना आये गाना चाहिए . जन्म दिन की शुभकामनाये .
ReplyDeleteपांडे जी कभी हमें भी सुना दीजिए |
ReplyDeleteदर-असल गाने क सीधा सम्बन्ध आपकी मानसिकता से है,यदि आप बिलकुल बिंदास-सा महसूस करेंगे,अंदर कोई तनाव नहीं होगा,तो गाना चल पड़ता है.
ReplyDeleteजब भी बस की खिडकी पर बैठो,सुरीली हवा चल रही हो या साइकल चलाते हुए या गाँव की पगडंडियों में घूमते हुए अचानक दिल से आवाज निकलती है.प्यार तो वहीँ है जहाँ से ये आवाज़ आती है.
अब इसीलिये शहरों में हमारे अंदर से आवाज़ नहीं निकलती क्योंकि वैसी परिस्थितियां नहीं हैं यहाँ पर !
--सुन्दर पोस्ट...
ReplyDeleteदर असल....कवि होना और सिर्फ़ गायक होना अलग अलग बातें है.... सामाजिक-अर्थार्थ में कवि वियोगी धुन ही लिखता-गाता है.....पर अकथ कहानी प्रेम की... हर दिल जो प्यार करेगा वह गाना अवश्य गायेगा.... हां हर दिल जो गाना गाये वो .प्यार या वियोगी कुछ भी हो सकता है...
---तू गाता चल ए यार कोई कायदा न देख....
गाना आये या न आये गाना पड़ेगा जन्म दिन शुभकामनाये
ReplyDeleteबधाई...जन्मदिन की...गाने की...और एक बात ये जो नीचे लगा रखे हैं न -"अर्चना चावजी के पॉडकास्ट" उसे हटा कर(या चाहें तो उसके साथ) लगाईये-"प्रवीण पाण्डेय जी के पॉडकास्ट"...
ReplyDeleteअच्छा लगेगा...
बहुत बढ़िया| गाते रहिये|
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत बधाई और शुभकामनाएँ|
अब तो गाना सुनाना ही पड़ेगा...
ReplyDeleteअब तो गाना सुनाना ही पड़ेगा...
ReplyDeleteजन्म दिवस की बधाई, और आप सच में खुशनसीब हैं कि आपके गाने को पसंद करने वाली पत्नी मिली हैं।
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जन्मदिन पर तो पत्नी के साथ रहिए,,, छोडिये ये ट्रेन-इंजन से प्रेम... खुल कर गायिए और खाइये बड्डे केक :)
ReplyDeleteजन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएँ...इंतज़ार है कब आप अपना गीत सुनाते हैं...
ReplyDelete"पारिवारिक परिवेश में सत्य कितना भी स्पष्ट हो पर श्रीमतीजी की सहमति पाने तक त्रिशंकु सा लटका रहता है।"
ReplyDeleteलगता है आज कल आप को सच बोलने की बीमारी कुछ ज्यादा ही हो गई है| हा हा हा हा हा
जन्म दिन की बहुत बहुत शुभ कामनाएँ
बहुत बढिया.
ReplyDeleteमुबारक हो जन्मदिन
वृंदावन का कृष्ण कन्हैया, सब की आंखों का तारा...
ReplyDeleteये गाना अब बदल कर ऐसे हो गया है...
बैंगलूरू का प्रवीण पण्डैया, ब्लॉगिंग की दुनिया का दुलारा...
जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
दीदी के 'बंगाल का दादा' बनने की भी बधाई...
जय हिंद...
बधाई बन्धुवर - देर से सही!
ReplyDeleteजन्मदिन की बधाई और शुभकामनायें ...
ReplyDeleteप्यार जताना है तो गाना तो पड़ेगा ...
इंतज़ार है पोडकास्ट का ..
व्यक्तित्व का एक और पहलू उजागर किया ...बधाई !
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई...
ReplyDeleteगुनगुनाने वाला दिल हमेशा खुश रहता है...सो प्यार हो या ना हो...गीत गाता चल....
अब तो गाना सुनवा ही दीजिए....
बहुत अच्छा लगा आपके व्यक्तित्व के इस पक्ष को जानकर।
ReplyDeleteअब तो यही कहूंगा कि सिर्फ़ बतियाते नहीं कुछ सुनते-सुनाते भी।
गाते रहिए।
ReplyDeleteहैप्पी बर्थ डे टू यू......
ReplyDeletepraveen ji
ReplyDeletebahut hi badhiya post .
sangeet hi to sabse bada madhyam hai jovan me hansne -hansane ke liye .
log kahte hai ki jab kabhi aapka man ashant ya na ho to bhi gaana gane v sunne se bada aur koi udaharan nahi hai jo man ko bilkul hi laybaddh kar deta hai aur thodi der ke liye insaan sabkuchh bhul jaata hai.jaruri to nahi ki har gaana gane wala hi pyaar karta hai .
koi moun rah kar bhi apne pyaar ko prkat nahi karta.kyon ki uski abhivykti muk hi hothai jo har dil nahi samajh sakta
chaliye ab fatafat apne gaane ki aawaz bhi ham tak pahunchayen .aapke janam din ki subh kamna dete hue aapse ham bhi yahi uphaar mangte hain
aur han!jivan ke path par aap yun hi agrasar hote rahen isi shubh -kamnao ke saath
hardik badhai
poonam
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें....
ReplyDeleteगुनगुनाते रहिये खुशिया आती रहेगी
हैप्पी बर्थडे अंकल
ReplyDeleteआप और आपके श्रीमती जी के चेहरे की मुस्कान हमेशा कायम रहे....आप निश्चय ही एक मेहनती रेल अधिकारी और संवेदनशील इंसान हैं....
ReplyDeleteबड़ा प्यारा गाना याद दिला दिया ...फिलहाल इसी को सुन रहे हैं शुभकामनायें प्रवीण भाई !!
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें! गाना आये न आये, प्यार करना ज़रूर आना चाहिए..
ReplyDeletejanmdin ki hardik shubhkamnayen. is avasar par to gana gane na aaye to bhi ga lena chahiye........... shrimati ji agle sal bhar na tokengi.
ReplyDeleteसर्वप्रथम, जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteपोस्ट पढ़ते हुए हमें लगा.....अंत में जरूर किसी गीत का ऑडियो डाला होगा आपने...
अब ये तो नाइंसाफी है, गीत गुनगुनाने का जिक्र.... पर गीत नदारद
यह गाना आपका मनपसंद है, जानते थे। जन्मदिन की बधाईयां स्वीकार करें।
ReplyDeleteप्यार और गाने का बहुत गहरा सम्बन्ध है इसमें कोई शक नहीं .....!!
ReplyDeleteगाना आपके अन्दर बहुत स्वाभाविक है ये समझ में आ रहा है ...फिर तो आपके लिए गाने से अच्छी कोई और चीज़ है ही नहीं |अब तो करिओके है खूब गाइए |
जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनायें ...!!!
बचपन की लयात्मक लहरियाँ अभी भी जीवित हैं, अभी भी घर में सहसा ही गा उठता हूँ, वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया, सबकी आँखों का तारा।
ReplyDeletepravin ji aesi aadat to hamme bhi hai bina sangeet ke kaam me ruchi utpann nahi hoti isliye gungunaye baigar raha hi nahi jaata hai ,maja aa gaya padhkar .janm din ki dhero badhai aapko .
आप को जन्म दिवस की बधाई शुभकामनायें ...
ReplyDeleteगीत बहुत अच्छा लगा, धन्यवाद
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई ......
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा ...
बहुत खूब...लगे रहो...
ReplyDeleteAre aap gana bhee gate hain, har samvedan sheel wyakti gata nahee to gungunata awashy hai pyar ka nahee maloom. humare jamane men to pyar ka arth thoda bahut samazte na samazte byah ho jata tha . Par janm din par aapne geet gaya aur shrimatijee ko ashwast kiya. Badhaee, janmdin kee pyar laut aane ki bhee.
ReplyDeleteBelated Happy B day Praveen bhai....Gungunate rahiye!!!
ReplyDeleteअच्छा लगा पढ़कर.
ReplyDelete'संगम' के राजकपूर साहब का खिलंदड़ापन पता नहीं क्यों बचपन में अच्छा नहीं लगा कभी. लगता रहा जैसे कोई आत्म-मुग्ध चरित्र सामने है जो सच को बर्दाश्त करने की ताकत नहीं रखता, या आँखों आगे के सच को भी नहीं देखता, या फिर अपने अलावा किसी की भी भावनाओं को समझना नहीं चाहता. खैर ,जाने दीजिए मेरी इस अप्रासंगिक टिप्पणी को.
प्रासंगिक है आपका जन्मदिन और उपहार.
प्रसन्न रहें! प्रफुल्ल रहें!!
बेहतरीन भावपूर्ण अभिव्यक्ति ....आभार
ReplyDeleteसाथ ही जन्मदिन पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं /....
ReplyDeletebehatareen post Praveen Ji..behad khubsoorat blog hai apka..
ReplyDeletePrem aur sangeet to ek doosre ke poorak hain..koi pyaar karne vaala gana gaye ya na gaye..sangeet ke taar hamesha hi uske dil-o-dimaag mai bajte rahte hain.. :)
Aapkee gift to hum jaise besuro ko gaa sakte hai bhramit karne ke liye hai jee.......
ReplyDeleteaap to sur wale hai .
Belated happy birthday .
:)
Janm Din ka hardik Shubkamnaye!
ReplyDeleteaur bhaiye "Life is a Song, sing it"
ab chahe filmy ho ya julmy , bas gate rahiye, aur apne padosion ko dhoke me rakhe rahiye!, shandar prastuti! ke liye bhi badhai!
जन्म-दिवस पर हार्दिक संगल-कामनाएँ स्वीकारें !
ReplyDeleteजब जानती हैं वे कि आप अच्छा गाते हैं तो सुनने का चाव तो स्वाभाविक है.
उनका बनाया अच्छा-अच्छा खाते रहें ,
मगन मन हो गाते रहें !
जो प्यार करता है उसके दिल में सितार तो गींजता है ... मन से तो वो भी गाता है ... फिर अभिव्यक्ति किसी न किसी माध्यम से तो हो ही जाती है ... उस अभिव्यक्ति को श्रीमती जी को समझाना होता है बस ...
ReplyDeleteजन्म दिवस की बधाई ...
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं .... मधुर गीतों के साथ यह गुनगुनाहट हमेशा बनी रहे .. इस बेहतरीन प्रस्तुति का आभार ।
ReplyDeleteसर .. देर से ही सही जन्म दिन की शुभकामनाये स्वीकार करें ! ब्यस्त था ! नए उत्तरदायित्व के साथ ..अब नए गाने गाने पड़ेंगे !
ReplyDeleteगीत गाता हूँ मैं, गुनगुनाता हूँ मैं!!
ReplyDeletejab se aai ho tum her cheez pyara lagne laga hai. her chiz ko pyar karne ko jee chahta hai. pyar vo cheez hai. ati sunder
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत शुभकामनायें
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आपने हमारे पारिवारिक ब्लाग्स में पधार कर हमारा उत्साहवर्धन किया है,धन्यवाद.इसी तरह आते-जाते रहिएगा.आपकी कलम से शब्द बहुत ही सधे हुए निकलते हैं.आपकी हर पोस्ट लाजवाब होती है.राजकपूर जी की फिल्मों का हर गीत जीवन से जुड़ा हुआ होता था.गीत के एक वाक्यांश पर आपने बड़ी ही सुन्दर पोस्ट लिखी है.
ReplyDeleteहर दिल जो प्यार करेगा ...इस गीत के फिल्मांकन में राजकपूर जी की आँखों के भावों का मैं कायल हूँ.आँखों में नैसर्गिक अभिनय ,कोई मामूली बात नहीं है.मैं तो सोचता था कि इस गीत की इस गहराई को सिर्फ मैंने ही महसूस किया है .contd....
ReplyDeleteमैं अक्सर अपने दोस्तों के बीच हिंदी फिल्म के दो गानों में नायक की आँखों के अभिनय के बारे में जरूर चर्चा करते रहता हूँ.एक तो 'हर दिल जो प्यार करेगा "...में कहानी की सिचुएशन के अनुसार राज कपूर साहब की आँखों की और दूसरा गीत है राजेश खन्ना जी का .....वो शाम कुछ अजीब थी (ख़ामोशी) इस गीत में राजेश खन्ना की आँखों और मुस्कराहट में जो बात है वो कुछ खास है.फिल्म संगीत की बारीकियों का प्रेमी हूँ,आपने अपनी पोस्ट से मेरे दिल को छेड़ दिया है.बेहतरीन पोस्ट ..
ReplyDeleteजी हाँ, दिल जब प्यार से आपूरित हो जाता है तो होठों पर गीत आ जाते हैं, पांव थिरकने लगते हैं लेकिन इसे ही कसौटी मानना उचित नहीं. प्यार बेशर्त होता है, किसी सीमा, किसी तर्क में नहीं बंधता.यदि गीत ही प्यार की कसौटी बन गए तो ख़ामोशी निर्थक हो जाएगी. कांपते होठों पर तडपती अनकही बातों का क्या होगा? सच तो यह है कि प्यार यदि होता है तो प्रमाण क़ी आवश्यकता नहीं होती. जैसे दिन है तो किसी मुनादी क़ी जरूरत कहाँ पड़ती है. इसलिए जरूरी नहीं कि हर दिल जो प्यार करे वह गाना गए ही. देर से सही, जन्मदिन की बधाई
ReplyDeletevery nice article you write this article in the meaningful way thanks for sharing this.
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