अरुण मन्त्र गाता, निशा गीत गाती,
सन्ध्या बिखेरे छटा लालिमा की ।
रहे खिलखिलाती वो, चुलबुल दुपहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।१।।
हृदय में उमंगें उमड़तीं, मचलतीं,
जहाजों की पंछी बनी साथ चलतीं ।
कभी गुदगुदाती हैं यादें रुपहली,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।२।।
जीवन के सब पथ स्वयं नापने थे,
बँधे हाथ, नियमों के शासन घने थे ।
आशा की बूँदों की बरसात पहली,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।३।।
प्रश्नों का निर्वाण, अब उत्तरों का,
स्वच्छन्दता से भरे उत्सवों का ।
मचता है उत्पात, सोते हैं प्रहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।४।।
चले चन्द्र मंथर, निडर यामिनी है,
वसन बन के फैली, प्रखर चाँदनी है ।
अमावस की रातें, जो सहना था, सह लीं,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।५।।
कभी मुस्कराती, कभी गुनगुनाती,
उतरती गगन-पथ, परी कल्पना की ।
सुखद आस बनकर विचारों में ठहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।६।।
पहले अर्चना चावजी का स्वर, फिर मेरा अनुसरण
वाह जीवन की लहरी, अद्भुत
ReplyDeleteकभी मुस्कराती, कभी गुनगुनाती,
ReplyDeleteउतरती गगन-पथ, परी कल्पना की ।
सुखद आस बनकर विचारों में ठहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।६।।
बहुत सुंदर ....विचारों की ताजगी लिए सकारात्मक रचना .....
'कभी मुस्कराती, कभी गुनगुनाती,
ReplyDeleteउतरती गगन-पथ, परी कल्पना की ।'
वाह प्रवीण जी ,कल्पना की परी ने जीवन की लहरी को पूरे उछाह से अपने में समा लिया . बड़ी प्रसन्न कविता है .बहुत अच्छा लगा .
"मगन होके बहती है, जीवन की लहरी " बहुत ही सुन्दर पंक्ति लिखी है आपने. यही एक अभिलाषा है कि जीवन मगन हो कर व्यतीत हो.
ReplyDeleteसुबह सवेरे उमंग उत्साह से लबरेज कविता और इतना सुन्दर चित्र , मन प्रसन्न हो गया !
ReplyDeleteअब तो गाना ही होगा.....अरूण मन्त्र...
ReplyDeleteजरा इसकी पॉडकास्ट भी करो, मन कर रहा है गुनगुनाते सुनने का....
ReplyDeleteयूं ही बहती रहे जीवन लहरी।
ReplyDeleteसुबह खुशगवार हो गई।
प्रश्नों का निर्वाण, अब उत्तरों का,
ReplyDeleteस्वच्छन्दता से भरे उत्सवों का ।
मचता है उत्पात, सोते हैं प्रहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।
• आपकी आवाज़ संघर्ष की जमीन से फूटती आवाज़ है। सपनों को देखने वाली आंखों की चमक और तपिश भी बनी हुई है। क्रूर और आततायी समय में आपके सच्चे मन की आवाज़ है यह कविता।
चले चन्द्र मंथर, निडर यामिनी है,
वसन बन के फैली, प्रखर चाँदनी है ।
अमावस की रातें, जो सहना था, सह लीं,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।
.
ReplyDeleteरहे खिलखिलाती वो, चुलबुल दुपहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी...
सबसे पहले तो इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई। हर पंक्ति ने गुनगुनाने को मजबूर कर दिया । मज़ा आ गया ।
चित्र बहुत ही सुन्दर है ।
.
कभी मुस्कराती, कभी गुनगुनाती,
ReplyDeleteउतरती गगन-पथ, परी कल्पना की ।
सुखद आस बनकर विचारों में ठहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।
भावपूर्ण अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर ,बधाई
हमें तो मज़ा आ गया प्रवीण भाई ! खूबसूरत रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteजीवन दर्शन के साथ सकारात्मक उर्जा वाली कविता ने सुबह सुबह जीवन लहरी को उत्प्रेरित किया . साधुवाद .
ReplyDeleteवाह कितनी सुन्दर कविता ....इठलाती मदमाती ये जीवन की लहरी !
ReplyDeleteवाह जीवन की लहरी,
ReplyDeleteइस बेहतरीन रचना के लिए बधाई ।
@सुखद आस बनकर विचारों में ठहरी,
ReplyDeleteमगन होके बहती है,जीवन की लहरी।
माटी की गागरिया जैसे ही भाव दिखे
सुंदर कविता के लिए
आभार
रंग-बिरंगी फागुनी जीवन-लहरी.
ReplyDeleteहाँ इसमें कोई संदेह नहीं की जीवन की लहरी मगन होके ही बहती है......अपने मदमस्त लहर चाल से......
ReplyDeleteआपका धन्यवाद और आभार मनमोहक तस्वीर के लिए.....और उत्साह से भरे शब्दों की माला के लिए....
चले चन्द्र मंथर, निडर यामिनी है,
ReplyDeleteवसन बन के फैली, प्रखर चाँदनी है ।
अमावस की रातें, जो सहना था, सह लीं,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।५।।
...... अद्भुद रचना...
प्रश्नों का निर्वाण, अब उत्तरों का,
ReplyDeleteस्वच्छन्दता से भरे उत्सवों का ।
मचता है उत्पात, सोते हैं प्रहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी
बहुत सुंदर !
wah...waah...waaah...
ReplyDeletebahut hi khoobsurat kavita...
badhai swikaren..
sadhuwad.
क्या बात है आपके जीवन लहरी की बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteकभी मुस्कराती, कभी गुनगुनाती,
उतरती गगन-पथ, परी कल्पना की ।
सुखद आस बनकर विचारों में ठहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।६।।
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी.
ReplyDeleteसरित प्रवाह बना रहे...
चले चन्द्र मंथर, निडर यामिनी है,
ReplyDeleteवसन बन के फैली, प्रखर चाँदनी है ।
बहुत ही सुन्दर ...।
जीवन की मौज से भरी कविता. आनंद आ गया पढ़ने में.
ReplyDeleteचले चन्द्र मंथर, निडर यामिनी है,
ReplyDeleteवसन बन के फैली, प्रखर चाँदनी है ।
अमावस की रातें, जो सहना था, सह लीं,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी
वाह! बहुत सुन्दर कविता। यह प्रसन्नता बनी रहे।
सर ! सुन्दर और भावुक ..धन्यवाद.
ReplyDeleteजीवन की अनुभूतियों की सुंदर अभिव्यंजना , यों ही जीवन लहरियां चलती रहें
ReplyDeleteजीवन की लहरी... बहुत ही सुंदर लगी सतरंगी रंगो मे रंगी, धन्यवाद
ReplyDeleteचले चन्द्र मंथर, निडर यामिनी है,
ReplyDeleteवसन बन के फैली, प्रखर चाँदनी है ।
अमावस की रातें, जो सहना था, सह लीं,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।५।।
बहुत खूब! बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..शब्दों, भावों और लय का अप्रतिम संयोजन..बहुत सुन्दर
कभी मुस्कराती, कभी गुनगुनाती,
ReplyDeleteउतरती गगन-पथ, परी कल्पना की ।
सुखद आस बनकर विचारों में ठहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।६।।
sach me jitne sundar aur tajgeee ki kushboo dete sabd hain, utnee hi khubsurat fulo ka khet bhi aapne laga diya...:)
lyrics full of all positivities....
ReplyDeleteआशा का संचार करती जीवन लहरी |
ReplyDeleteबहुत खूब! बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना|धन्यवाद|
ReplyDeleteचले चन्द्र मंथर, निडर यामिनी है,
ReplyDeleteवसन बन के फैली, प्रखर चाँदनी है ।
अमावस की रातें, जो सहना था, सह लीं,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।
मंथर चन्द्र, निडर यामिनी, चांदनी का वसन, अमावस की रातें...
जीवन के विविध दृश्यों का जीवंत चित्रण...
सुंदर गीत।
behtareen Post Pandey jee, chhaya yug kee yaad dila dee is kavita ne........ saath hee aapke blog par follower ban gaya hoon........
ReplyDeleteमन को प्रफ़ुल्लित कर गई यह रचना, बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
वाह ये जीवन की लहरी...
ReplyDeleteकितने रंगों से सजी...
कभी मुस्कराती, कभी गुनगुनाती,
ReplyDeleteउतरती गगन-पथ, परी कल्पना की ।
सुखद आस बनकर विचारों में ठहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।६।।
आशा का संचार करती सुन्दर प्रस्तुति।
जीवन के सब पथ स्वयं नापने थे,
ReplyDeleteबँधे हाथ, नियमों के शासन घने थे ।
आशा की बूँदों की बरसात पहली,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी
काव्य में जीवन दर्शन
भाई आप तो कमाल का लिखते हैं
उत्कृष्ट हिंदी शब्दों का का बहुत ही सुन्दर प्रयोग किया है
हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएं
amaavas ki raaten.......si sahi maayne me jeevan-lahari ko sambhalti hain! sundar bhaav!
ReplyDeleteकभी मुस्कराती, कभी गुनगुनाती,
ReplyDeleteउतरती गगन-पथ, परी कल्पना की ।
सुखद आस बनकर विचारों में ठहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी
मन उद्वेलित करती रचना ...!!
मजा आ गया पढ़ने मे ..
ReplyDeleteबेहतरीन और सशक्त अभिव्यक्ति
ReplyDeleteक्या भाषा है, क्या रस है, क्या प्रवाह.
ReplyDeleteसब उपमा कवि रहे जुठारी, केहिं पट तरों विदेह कुमारी.
अति सुन्दर, सुभाव व सुगेय रचना हेतु साधुवाद व बधाई ।
ReplyDeletewah wah...kya baat hai...kya rachna hai...maan gaye ustad...
ReplyDeleteवाह! बहुत सुंदर रचना!
ReplyDeleteअरुण मन्त्र गाता, निशा गीत गाती,
ReplyDeleteसन्ध्या बिखेरे छटा लालिमा की ।
रहे खिलखिलाती वो, चुलबुल दुपहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।
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बहुत सुन्दर रचना!
पढ़ने और गाने में आनन्द आया!
कभी मुस्कराती, कभी गुनगुनाती,
ReplyDeleteउतरती गगन-पथ, परी कल्पना की ।
सुखद आस बनकर विचारों में ठहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।६।।
हर्ष प्रस्फुटित करती अनुपम रचना -
उतनी ही आस्था से आपने गाया भी है -
संगीत और लेखन में आपकी रूचि सदा बनी रहे यही शुभकामना है .
जीवन से संतुष्ट रहना विरलों को ही आता है उससे भी महत्व पूर्ण है अपने जीवन में खुश होकर जीना !
ReplyDeleteआपकी इस कविता में जीवन का मधुर रस को महसूस करने की मस्ती है जो कि दुर्लभ है !
हार्दिक शुभकामनायें !!
सुंदर नवगीत।
ReplyDeleteअर्चना जी को सुनने के बाद आपको सुनने में मजा नहीं आया।
बहुत मोहक कविता प्रस्तुती...
ReplyDeleteपांचवां पद मुझे सबसे अच्छा लगा...
अद्भुत, मन प्रसन्न हो गया.
ReplyDeleteसकारात्मक विचारो से भरी हँसती खिलखिलाती सी कविता...
ReplyDeleteआपकी आवाज में सुन कर आनंद आ गया,
लेकिन शायद अर्चना जी की आवाज इस कविता को ज्यादा सूट होती है :)
जीवन के कई रण्ग दिखा गयी आपकी रचना । बेहद भावपूर्ण
ReplyDeleteitni sundar kavita ko padh kar bhala koi magan hue bina rah sakta hai.
ReplyDeletebahut hi bhauose bhari umango ko jagati aapki rachna ki har pankti behatar sebehtar hai.
sabse achhi ye panktiyan lagin---
चले चन्द्र मंथर, निडर यामिनी है,
वसन बन के फैली, प्रखर चाँदनी है ।
अमावस की रातें, जो सहना था, सह लीं,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी
bahut hiyasateek avam yatharth purn prastuti.
bahut hi kabile tarrif
poonam ।
वाह!!! पान्डे जी...क्याबात है....अति सुन्दर जीवन लहरी....
ReplyDeleteजीवन के सब पथ स्वयं नापने थे,
ReplyDeleteबँधे हाथ, नियमों के शासन घने थे ।
आशा की बूँदों की बरसात पहली,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ...
इतना मनमोहक गीत है ... मज़ा आ गया ... आप गीत बहुत कमाल का लिखते हैं ... कुछ ज्यादा ज्यादा लिखा करें ...
वह गाता, पर किसी वेग से
ReplyDeleteफूल रहा इसका अंतर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है? [दिनकर]
@ Vivek Rastogi
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ डॉ॰ मोनिका शर्मा
उत्साह और आनन्द की रचना मुझे भी बहुत भाती है।
@ प्रतिभा सक्सेना
कल्पना की परी जब उत्साह से आये तो ऐसी कविता बह निकलती है।
@ Pooja
इसी उमंग में जीवन बीत जाये।
@ वाणी गीत
जब जीवन सुबह से सायं तक उत्साहित रहता है, ऐसी कविता बह निकलती है।
@ Archana
ReplyDeleteआपकी धुन पर देखिये गा दिया।
@ Udan Tashtari
आपकी बात रख ली, गा दिया।
@ संजय @ मो सम कौन ?
यही आस है कि उत्साह का क्रम बना रहे।
@ मनोज कुमार
मन की स्थिति दिखाने का प्रयत्न रहता है बस, मन में उत्साह उठा तो व्यक्त कर दिया।
@ ZEAL
काश, आप यह गुनगुनाती रहें और पूर्ण उत्साह में रहें।
@ Sunil Kumar
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ सतीश सक्सेना
उत्साह के परिवेश में लिखी रचना का प्रभाव जो चाहा था, प्राप्त हो गया।
@ ashish
जीवन बाधाओं से परे जब दौड़ने लगती है तो उत्साह छा जाता है।
@ Arvind Mishra
रहे खिलखिलाती वह चुलबुल दुपहरी..
@ OM KASHYAP
बही चले इसी मगन में।
@ ललित शर्मा
ReplyDeleteइसी आस में कल्पना की परी बनी रहे मन में।
@ Rahul Singh
रंगों के उत्साह से भरी, जीवन की लहरी।
@ honesty project democracy
छोटी छोटी बाधाओं को इसी उत्साह से जीत लिया जाये।
@ पद्म सिंह
बहुत धन्यवाद आपका।
@ पी.सी.गोदियाल "परचेत"
बहुत धन्यवाद आपका।
@ योगेन्द्र मौदगिल
ReplyDeleteआपने आशीर्वाद दे दिया, लिखना सफल हो गया।
@ Mrs. Asha Joglekar
जब जीवन प्रवाहमय होता है तो संभवतः यही भाव निकलते हैं।
@ सुशील बाकलीवाल
सरित प्रवाह यथावत रखने का प्रयास रहेगा।
@ सदा
बहुत धन्यवाद आपका।
@ सोमेश सक्सेना
जब जीवन में यह मौज आती है, समय भागने लगता है।
@ Avinash Chandra
ReplyDeleteजीवन का उत्साह उठता है तो प्रसन्नता भी उछाह में आ जाती है।
@ G.N.SHAW
बहुत धन्यवाद आपका।
@ गिरधारी खंकरियाल
आशायें यही हैं कि लहरियों में जल उछाह लेता रहेगा।
@ राज भाटिय़ा
बहुत धन्यवाद आपका।
@ Kailash C Sharma
गाने का प्रयास भी किया है, ठीक आया है।
@ Mukesh Kumar Sinha
ReplyDeleteउत्साह की महक सब महकों को और भी महका देती है।
@ amit-nivedita
यह सकारात्मकता सबके जीवन में बनी रहे।
@ नरेश सिह राठौड़
आशाओं का सकारात्मक संचार बना रहे सबके जीवन में।
@ Patali-The-Village
बहुत धन्यवाद आपका।
@ mahendra verma
प्रकृति के विभिन्न दृश्य जीवन की परिस्थितियों में सटीक बैठते हैं।
@ सुबीर रावत
ReplyDeleteयह मन की छाया प्रक्षेपित हो गयी कविता में।
@ ताऊ रामपुरिया
आपका मन प्रफुल्लित रहे, हम लिखते रहेंगे।
@ POOJA...
जीवन में उत्साह के हर रंग से सजी है यह मन की अभिव्यक्ति।
@ वन्दना
आशाओं की तंरग उठती रहें, सतत, यूँ ही।
@ क्रिएटिव मंच-Creative Manch
मन स्थिति को व्यक्त किया है, कभी कभी मन स्थिति में दर्शन के दर्शन हो जाते हैं।
@ संतोष त्रिवेदी
ReplyDeleteअमावस की रातों के बाद ही जीवन का उजियारा दिखता है।
@ हरकीरत ' हीर'
मन के उत्साह से निकली कविता मन उद्वेलित करे, यही कामना है।
@ भारतीय नागरिक - Indian Citizen
आपका आनन्द बना रहे।
@ nivedita
बहुत धन्यवाद आपका।
@ संतोष पाण्डेय
इतना न चढ़ायें, यद्यपि प्रयास रहेगा यही स्तर बनाये रखने का।
@ देवेन्द्र
ReplyDeleteआपने गाने हेतु चाहा, तो गा दिया।
@ Gopal Mishra
ऐसा ही स्नेह बनाये रखें।
@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
बहुत धन्यवाद आपका।
@ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
अर्चना चावजी की आज्ञा मानकर हमने गा भी दिया है।
@ anupama's sukrity !
गायन में रुचि है, प्रयास भी किया है, भगवान करे कि यह प्रवाह बना रहे। लेखन का स्तर भी बढ़ाने का सतत प्रयास रहेगा।
@ सतीश सक्सेना
ReplyDeleteउत्साहजनित प्रसन्नता को अनुभव करना और व्यक्त कर उसे बनाये रखने का क्रम बना रहे, यही ईश्वर से प्रार्थना है।
@ देवेन्द्र पाण्डेय
मैंने केवल अनुसरण किया है, अर्चनाजी का स्वर निश्चय ही सुमधुर है।
@ Rajesh Kumar 'Nachiketa'
मुझे भी बड़ा मोह है पाँचवें पद से।
@ रचना दीक्षित
आपकी प्रसन्नता बनी रहे।
@ शुभम जैन
अर्चनाजी की वाणी में कविता वाला उत्साह है, मेरे स्वर में गाम्भीर्य आ गया है।
@ "पलाश"
ReplyDeleteउत्साह के रंग सतरंगी हैं।
@ JHAROKHA
आपका यह उत्साहवर्धन भविष्य में और अच्छा लिखने को प्रेरित करेगा।
बहुत धन्यवाद आपका।
@ Dr. shyam gupta
बहुत धन्यवाद आपका।
@ दिगम्बर नासवा
मन बहुत करता है अधिक कविता लिखने का और प्रयास भी करूँगा लिखने का।
बहुत धन्यवाद आपका।
@ cmpershad
मन के प्रवाह जैसे भी निकलें, यथावत, वही सुन्दर है।
जीवन के सब पथ स्वयं नापने थे,
ReplyDeleteबँधे हाथ, नियमों के शासन घने थे ।
आशा की बूँदों की बरसात पहली,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी
भावपूर्ण अभिव्यक्ति ,बधाई
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी
ReplyDeleteहम भी मगन हो लिए आपकी रचना के साथ.
...svar me aur bhi sundar
ReplyDelete"चले चन्द्र मंथर, निडर यामिनी है,
ReplyDeleteवसन बन के फैली, प्रखर चाँदनी है ।
अमावस की रातें, जो सहना था, सह लीं,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।"
जीवन के प्रति सकारात्मक विचार को दर्शाती हुई कविता...
सुन्दर शब्द,अच्छी प्रस्तुति.....!!
अरुण के मंत्र और निशा के गीत हों, तो जीवन की लहरी का मगन होके बहना स्वयंसिद्ध है.
ReplyDeleteबधाई,बंधु.
आप का समग्र व्यक्तित्व मुझे बेहद प्रभावित करता है। आपसे पहला परिचय ज्ञान्दुत्त पण्डे जी के ब्लॉग से हुआ था। आपकी कविता\ गीत बहुत सुन्दर है। अर्चना जी ने बहुत सुन्दरता से गाया है । सुनके विद्यालय के दिन याद आ गए जब सस्वर कविता पाठ हुआ करता था- अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता में। ऐसी ही धुन पर एक कविता गयी जाती थी -
ReplyDelete"समय कि शिला पर मधुर चित्र कितने किसी ने बनाये किसी ने मिटाए।
किसी ने लिखी आंसुओं से कहानी किसी ने पढ़ा किन्तु दो बूँद पानी।"
रचनाकार का नाम याद नहीं आ रहा।आपकी kavita से ऐसा लगता है कि आपने भी अपने हिस्से का संघर्ष जिया और किया है , मगर उसकी कडुआहटआपके व्यक्तित्व और रचना में नहीं दीखता है।
धन्यवाद.
जीवन के सब पथ स्वयं नापने थे,
ReplyDeleteबँधे हाथ, नियमों के शासन घने थे ।
आशा की बूँदों की बरसात पहली,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।३।....
बहुत सुंदर गीत. आशा और हर्ष की लहरी. शुभकामना
बहुत ही ताज़गी लिए रचना...
ReplyDeleteअच्छे गीत को जब मिले,सुर ,सरगम और साज,
ReplyDeleteशब्द, भाव में गूँथ दें ,एक नया अंदाज़ !
अर्चना जी का सुन्दर गीत उनकी सुमधुर आवाज़ में सुनवाने के लिए धन्यवाद !
धुन की गरिमा का पूर्ण निर्वाह करती आपकी आवाज़ सुनकर लग रहा है कि आपने निश्चय ही संगीत की शिक्षा ली है !
आभार !
"अरुण मन्त्र गाता, निशा गीत गाती,सन्ध्या बिखेरे छटा लालिमा की ।रहे खिलखिलाती वो, चुलबुल दुपहरी,मगन होके बहती है, जीवन की लहरी "
ReplyDeleteमगन कर दिया,मस्त कर दिया ,अब क्या कहें प्रवीण जी,आपने तो पस्त कर दिया .
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना है प्रवीन जी ... धन्यवाद हम तक पहुँचने के लिए ...
@ कुश्वंश
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ Manoj K
आप मगन रहें, आनन्दित रहें, ईश्वर से प्रार्थना है।
@ पारुल "पुखराज"
स्वर का बस प्रयास ही किया है, बस यही लगा कि कहीं मेरे स्वर में भाव भटक न जायें।
@ ***Punam***
जीवन की सकारात्मकता से ही उत्पन्न होता है यह उत्साह।
@ ऋषभ Rishabha
पर कभी कभी दुपहरी का खिलखिलाना भी आवश्यक है।
@ rakesh ravi
ReplyDeleteबिना पीड़ा की गहराई झेले उत्साह का हल्कापन अनुभव भी नहीं किया जा सकता है। यूँ ही शब्द आलोड़ित रहें, ईश्वर से प्रार्थना है।
@ मेरे भाव
बहुत धन्यवाद आपका।
@ rashmi ravija
उत्साह में सदा ही नयापन आता है।
@ ज्ञानचंद मर्मज्ञ
संगीत की कोई शिक्षा नहीं ली है, बस सुन सुन कर सीखा है।
@ Rakesh Kumar
मगन रहें, आनन्दित रहें,
मधुर स्वरों से प्लावित रहें।
@ क्षितिजा ....
ReplyDeleteकाश इस प्रवाह में सब आनन्दित हों।
कभी मुस्कराती, कभी गुनगुनाती,
ReplyDeleteउतरती गगन-पथ, परी कल्पना की ।
सुखद आस बनकर विचारों में ठहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।६।।
bahut sunder!
ऑडियो फ़ाइल नहीं प्ले हो रहा मेरे लैपटॉप पे...खैर सुबह देखूंगा...फ़िलहाल तो इतनी जबरदस्त कविता आप कैसे लिख लेते हैं हिंदी में :)
ReplyDelete@ Anjana (Gudia)
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ abhi
मन बह जाता है, कविता बन जाती है।
बात रख लेना का कोटि कोटि आभार....गजब भाई गजब!! आनन्द आ गया..
ReplyDeleteबहुत दिनों के बाद इधर का रुख किया है...
ReplyDeleteआने पर बहुत ही सुन्दर कविता पढने को मिली...
धन्यवाद... :))
bahut sundar geet
ReplyDeleteअभी फिर से आया, कविता सुनने...सुबह बन गयी सर :)
ReplyDeleteबेहतरीन रचना .....
ReplyDeleteजीवन कि लहरी ..... बहुत खूब
@ Udan Tashtari
ReplyDeleteआपकी बात तो रख ली पर सुर नहीं रख पाया।
@ shekhar suman
बहुत धन्यवाद आपके आगमन का।
@ Khare A
बहुत धन्यवाद आपका।
@ abhi
काश ऐसै ही उमंग में आपका जीवन कटे।
@ Coral
जीवन की लहरी यूँ ही बहती रहे।
बँधे हाथ, नियमों के शासन घने थे
ReplyDeleteप्रश्नों का निर्वाण, अब उत्तरों का,
मचता है उत्पात, सोते हैं प्रहरी
वाह क्या कहन है प्रवीण भाई, आप को बहुत बहुत बधाई
छन्द को निर्वासित करने में जुटे इस समय में आपकी यह रचना निराशा के कुहासे को चीरती है, भरोसा दिलाती है।
ReplyDeleteशुक्रिया।
@ Manpreet Kaur
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ Navin C. Chaturvedi
बहुत धन्यवाद आपका, यूँ ही जीवन लहरी बहती रहे।
@ विष्णु बैरागी
उत्साह में उमंग की लय,
कविता में छंद की लय।
प्रश्नों का निर्वाण, अब उत्तरों का,
ReplyDeleteस्वच्छन्दता से भरे उत्सवों का ।
मचता है उत्पात, सोते हैं प्रहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।... बहुत सुन्दर गीत.
अमावस की रातों के बाद ही जीवन का उजियारा दिखता है।
ReplyDeleteप्रवीण जी, अभी हाल ही में ऐसा अनुभव किया. बस जीवन संघर्ष का आनंद ले रहा हूँ.
कभी मुस्कराती, कभी गुनगुनाती,
ReplyDeleteउतरती गगन-पथ, परी कल्पना की ।
सुखद आस बनकर विचारों में ठहरी,
मगन होके बहती है, जीवन की लहरी ।।६।।
adbhut rachna ,aanand ki anubhati hui .
@ सुलभ
ReplyDeleteजितनी गहरी अमावस आती है जीवन में, चाँदनी की प्रखरता उतनी ही स्पष्ट दिखती है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ ज्योति सिंह
आपका आनन्द यूँ ही प्रफुल्लित बना रहे।
प्रिय बंधुवर प्रवीण पाण्डेय जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
अरुण मन्त्र गाता, निशा गीत गाती,
सन्ध्या बिखेरे छटा लालिमा की
सुंदर , श्लील शब्दावली !
अनुपम अद्वितीय भाव !
बहुत सुंदर गीत है …
हार्दिक बधाई !
मंगलकामनाएं !!
♥होली की अग्रिम शुभकामनाएं !!!♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
@ Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका, इस उत्साहवर्धन के लिये।
बढ़िया गीत
ReplyDelete@ नीरज बसलियाल
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
जीवन के प्रति सकारात्मक विचार को दर्शाती हुई अच्छी प्रस्तुति
ReplyDelete@ संजय भास्कर
ReplyDeleteयही सकारात्मकता हमारी ऊर्जा को बढ़ा जाती है।
हम भी मगन हो गए आपकी काव्य लहरी में.
ReplyDelete@ shikha varshney
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका।