पिछले चार महीनों में जितनी भी बार सामान खरीदने मॉल जाता था, प्रदत्त सूची निपटाने के बाद आधे घंटे के लिये सरक लेता था, एक मोबाइल की दुकान में, यूनीवर सेल के शो रूम में। यहाँ पर यह सुविधा है कि आप किसी भी मॉडल को विधिवत चलाकर देख सकते हैं। यहीं आकर ही मेरी मोबाइल सम्बन्धी अभिरुचि को एक प्रायोगिक आधार मिलता रहा है। हर नये मोबाइल की विशेषताओं को भलीभाँति समझने का अवसर यहाँ मिल जाता है। प्रायोगिक ज्ञान सदा ही इण्टरनेटीय सूचनाओं से अधिक पैना होता है।
यहीं पर ही मुझे एक मोबाइल दिखा, नोकिया का C3 मॉडल। आकर्षण था हिन्दी का कीबोर्ड और वह भी भौतिक। अंग्रेजी के अक्षरों के साथ ही हिन्दी के अक्षर उसमें व्यवस्थित थे, लगभग इन्सक्रिप्ट ले आउट में। हाथ में लेकर जब उसमें लिखना प्रारम्भ किया तो और भी रुचिकर लगा। अभी तक मेरे पास जो दो मोबाइल थे, उनमें स्क्रीन वाला ही कीबोर्ड था अतः यह अनुभव सर्वथा नया था। लैपटॉप में इन्सक्रिप्ट में टाइप करते करते अक्षरों का स्थान समझने में कठिनाई नहीं हुयी। मन अटक गया उसमें।
मेरे सामने अपने दोनों मोबाइलों के साथ इसकी तुलना करने का मार्ग नहीं सूझ रहा था। मेरे पीछे कई और ग्राहक प्रतीक्षा कर रहे थे, उस मोबाइल पर अपने अपने हाथ चलाने के लिये। मेरी दुविधा को भाँप कर सेल्समानव बोले कि सर सप्ताहान्त में भीड़ रहती है, कार्यदिवस में आपको समुचित समय मिलेगा। अब कार्यालय से आने के बाद और बैडमिन्टन खेलने के पहले एक घंटे का समय मिलता है परिवार के साथ बैठने का, उसे इस कार्य के लिये दे देना संभव नहीं था मेरे लिये। सेल्समानव ने तब सलाह दी कि सप्ताहन्त में सुबह ही आ जाये तो लगभग 2 घंटे का समय मिल जायेगा, भीड़ बढ़ने के पहले।
मिलन का दिन नियत हुआ, सामान की सूची को प्रतीक्षा में रखा गया, हाथ में तीन मोबाइल और मैं शो रूम में अकेला। डोपोड डी600, एलजी जीएस290 और नोकिया C3 के बीच मुझे उनकी हिन्दी सम्बन्धित विशेषताओं का निर्णय लेना था।
सर्वप्रथम टाइपिंग की गति पर तुलना की। नोकिया मे टाइपिंग की गति बहुत अधिक थी और कारण था भौतिक कीबोर्ड, यद्यपि पहले थोड़ा अटपटा लगा पर 5 मिनट में ही टाइपिंग ने गति पकड़ ली। एलजी में बड़ा स्क्रीन कीबोर्ड होने से गति तो ठीक आयी पर त्रुटियों की संभावना बनी रही, कीबोर्ड की चौड़ाई अधिक होने से अंगूठों को प्रयास अधिक करना पड़ा। एलजी में गति नोकिया की तुलना में लगभग 60% ही रही। विण्डो मोबाइल में स्टाइलस के कारण टाइपिंग बहुत धीरे हुयी क्योंकि बहुत ध्यान से टाइप करना पड़ा। केवल एक बिन्दु से टाइप करने के कारण संयुक्ताक्षरों में अधिक कठिनाई हुयी। नोकिया की तुलना में गति 40% ही रही।
विण्डो मोबाइल में कीबोर्ड का आकार सबसे छोटा था, लिखने का स्थान कहीं अधिक था। एलजी में कीबोर्ड बहुत बड़ा था, लिखने का स्थान छोटा था। नोकिया में कीबोर्ड स्क्रीन पर न होने के कारण कोई अन्तर नहीं पड़ा। कीबोर्ड, स्क्रीन और फोन्ट का आकार सबसे अच्छा नोकिया में मिला।
चलती हुयी गाड़ी में व बाहर के प्रकाश में नोकिया से ही टाइपिंग की जा सकती थी, अन्य दो से यह करना संभव ही नहीं था।
एलजी में 1000 अक्षरों की, नोकिया में 3000 अक्षरों की व विण्डो मोबाइल में कोई भी सीमा नहीं थी।
बैटरी जीवन नोकिया का सर्वोत्तम मिला, लगभग तीन दिन तक। विण्डो मोबाइल को एक दिन के बाद ही चार्ज करना पड़ा।
नोकिया में वाई फाई की सुविधा थी, अन्य दोनों में जीपीआरएस के माध्यम से ही इण्टरनेट देखा जा सकता था।
लैपटॉप से समन्वय में विण्डो मोबाइल सबसे अच्छा था पर नोकिया को ओवी सूट के माध्यम से जोड़कर समन्वय करना सम्भव पाया। एलजी में समन्वय सम्बन्धी कई समस्यायें आयीं।
ऑफिस डॉकूमेन्ट्स विण्डो मोबाइल में पढ़े और सम्पादित किये जा सकते थे। नोकिया व एलजी में यह सुविधा नहीं थी।
मेसैज भेजने, फोन करने आदि आवश्यक मोबाइल कार्यों के लिये नोकिया सबसे अच्छा पाया। शेष दोनों में इन्हीं कार्यों के लिये बहुत अधिक प्रयास करना पड़ा।
इस समय विण्डो मोबाइल रु 10000 का, एलजी रु 6000 का व नोकिया रु 5700 का है।
तुलनात्मक अध्ययन के पश्चात नोकिया C3 ने बहुत प्रभावित किया और अन्ततः एक और हिन्दी कीबोर्ड वाला मोबाइल मैंने खरीद लिया।
पिछले 20 दिनों से नोकिया उपयोग में ला रहा हूँ और पिछली दो पोस्टें उस पर ही लिखी हैं, वह भी घर से बाहर, लैपटॉप से दूर। अब लगता है कि भौतिक कीबोर्ड में रम गये हैं और स्क्रीन कीबोर्ड में पुनः टाइप करने में उतनी गति न आ पाये। विण्डो फोन के प्रति प्रेम व निष्ठा अभी भी उतनी ही है जितनी कि सम्प्रति हिन्दी के प्रति है। अब प्रतीक्षा और बढ़ गयी है नोकिया और विण्डो फोन के उस मोबाइल की जिसमें नोकिया C3 की तरह ही इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड हो, बड़ा हो तो और भी अच्छा।
मेरी यही सलाह है कि इस समय नोकिया C3 ही सर्वोत्तम हिन्दी मोबाइल है, हम ब्लॉगरों के लिये।