19.2.11

फिर भी जीवन में कुछ तो है

जीवन को पूरा समझ पाना, एक सतत प्रयत्न है, एक अन्तहीन निष्कर्ष भी। पक्ष खुलते हैं, प्रश्न उठते हैं, समस्या आती है, समाधान मिलते हैं। प्रकृति एक कुशल प्रशिक्षक बन आपको एक नये खिलाड़ी की तरह सिखाती रखती है, व्यस्त भी रखती है, जिससे आने वाले खेलों में आप अच्छा प्रदर्शन कर सकें। कोई शब्द नहीं, कोई संप्रेषण नहीं, कोई योजना नहीं, कोई नियम नहीं, बस चाल चल दी जाती है, पाँसे फेक दिये जाते हैं, अब आप निर्धारित कर लें कि आपको क्या करना है? रहस्य है, दर्शन से समझा जा सकता है, पर इमामबाड़े के रास्तों से भी अधिक कठिन हो जाता है बाहर आना। जो घटनायें बाद में बड़ी सरल सी दिखती हैं और उन पर लिये निर्णयों पर टीका टिप्पणी कर हम स्वयं को वेत्ता समझने लगते है, वस्तुतः वे घटनायें अपने वर्तमान में विशेष जटिलतायें लिये हुये होती हैं। अनुभव की शिक्षा जहाँ एक ओर ज्ञान का अग्रिम आनन्द देती है, वहीं भविष्य में कुछ कर सकने का आत्मविश्वास भी बढ़ा देती है।

जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं। जो आनन्द अनुभव से समझने का है, वह संभवतः दर्शन में मिल ही न पाये। ज्ञानार्जन में औपचारिक शिक्षा तो मात्र 15 प्रतिशत योगदान ही देती है, शेष सब समाज से पाते हैं हम, अनुभव के मार्ग से। तब तो अनुभव से पूर्ण जीवन और भी महत्वपूर्ण हो चला।

कहते हैं कि यदि ईश्वर को हँसाना हो तो उसे अपने भविष्य की योजनायें बता दीजिये। कभी कभी हम अपना भविष्य निश्चित कर लेते हैं, मन ही मन, और प्रतीक्षा करते हैं कि जीवन उसी राह चलेगा। बहुधा नहीं चलता है, क्या करें सबकी इच्छायें पूरी होना संभव ही नहीं है। मन यह मान बैठता है कि अन्याय हो रहा है हमारे साथ, मन विक्षुब्ध हो जाता है, विषाद बढ़ जाता है, सारा दोष ईश्वर को दे बैठते हैं हम।

वह छोटी सी घटना जिसके लिये हम ईश्वर को अन्यायी की संज्ञा दे देते हैं, पूरे जीवन में कितना मूल्य रखती है? यह समझने के लिये बस 10 वर्ष पूर्व की कोई भी ऐसी ही घटना उठा लीजिये। सर्वप्रथम तो उसका कोई मूल्य नहीं लगेगा आपको, संभव है कि आपको स्वयं पर हँसी आये, संभव है कि उसमें आप ईश्वर की दैवीय योजना देखें जो आपको लाभ पहुँचाने के लिये बनायी गयी थी, संभव है आप ईश्वर को धन्यवाद दें उसके लिये। ऐसी ही घटनाओं के बिन्दु मिलाते चलें आपको कोई सार्थक आकृति उभरती दिख जायेगी।

मैं न सुधरने वाला आशावादी हूँ, आस लगाये बैठा रहता हूँ और बहुतों को सुधरते देखा भी है। भाग्यवादी नहीं हूँ पर इतना भी हठ नहीं है कि दुनिया का संचालन मेरे अनुसार हो। जीवन स्वयं में प्रकाशवान है, राह दिखाता रहता है, भविष्य के महल बना ऊर्जा क्यों व्यर्थ करना? वर्तमान पूरी शक्ति से निभाना है, यह मानकर कि भगवान की सहायता बस पहुँचती ही होगी। एक कृपण की तरह ऊर्जा बचा बचा कर किये गये अर्धप्रयास तो कहीं भी नहीं ले जायेंगे, गिन गिन कर पग बढ़ाने से गिनती ही याद रह पायेगी, जीवन खो जायेगा।

कुछ वर्ष पहले ये पंक्तियाँ लिखकर भेजी थी, अपने अनुज अरविन्द को, उसकी पहली असफलता पर। संग्राम उसने हृदयगत किया, जूझा और उत्तर प्रदेश में आठवाँ स्थान ले आया,  प्रादेशिक सिविल सेवा में। आज भाव हिलोरें ले रहे हैं, नयन सुखार्द्र हैं, कल उसका विवाह है।   

फिर भी जीवन में कुछ तो है, हम थकने से रह जाते हैं,
भावनायें बहती, हृद धड़के, स्वप्न दिशा दे जाते हैं,
नहीं विजय यदि प्राप्त, हृदय में नीरवता सी छाये क्यों,
संग्रामों में हारे क्षण भी, हौले से थपकाते हैं।

94 comments:

  1. बढ़िया. आखिर में भाव बदल से गए... अरविंदजी को ढेर सारी शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  2. बिल्कुल सहमत..अनुभव ही आधार है, जीवन नित नया कुछ सिखलाता है..बहुत उम्दा आलेख.

    अरविन्द को विवाह की बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  3. @ जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं। जो आनन्द अनुभव से समझने का है, वह संभवतः दर्शन में मिल ही न पाये।

    well said....बहुत प्रेरक पोस्ट है।

    पिछले दिनों कहीं पढ़ा था कि आप भोपाल में हैं अब समझा कि क्या कारण है :)

    वर-वधू को मेरी शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  4. अनुज अरविन्द कों विवाह की शुभकामनायें ।

    ReplyDelete
  5. हमेशा की तरह जीवन के दर्शन पर एक नजर डालती पोस्ट।
    आपके परिवार को इस शुभ अवसर पर बधाई।

    ReplyDelete
  6. आधा खाली गिलास को आधा भरा बताने वाला ही जीवन का रहस्य सम्झा सकता है
    अरविन्द जी को विवाह की हार्दिक शुभकामनाये

    ReplyDelete
  7. जीवन में हर तरह के क्षण आते हैं,हम घबड़ाते हैं,जश्न मनाते हैं,रोते हैं,हँसते हैं.....लेकिन जीते जाते हैं !

    अरविन्द ही नहीं आप कइयों के प्रेरणा-स्रोत बने हुए हैं,फ़िलहाल आपको सपरिवार बधाई !

    ReplyDelete
  8. जीवन में सफलता-असफलता का संयोजन होता है,जो इसे समझ गया वह आगे बढ़ गया.

    अरविन्द को उसकी सफलता के लिए और नए जीवन में प्रवेश की बधाई !

    ReplyDelete
  9. वह छोटी सी घटना जिसके लिये हम ईश्वर को अन्यायी की संज्ञा दे देते हैं, पूरे जीवन में कितना मूल्य रखती है? यह समझने के लिये बस 10 वर्ष पूर्व की कोई भी ऐसी ही घटना उठा लीजिये। सर्वप्रथम तो उसका कोई मूल्य नहीं लगेगा आपको, संभव है कि आपको स्वयं पर हँसी आये, संभव है कि उसमें आप ईश्वर की दैवीय योजना देखें जो आपको लाभ पहुँचाने के लिये बनायी गयी थी, संभव है आप ईश्वर को धन्यवाद दें उसके लिये।... bahut sahi kaha hai , bhai ko shubhkamnayen

    ReplyDelete
  10. आपको बधाई और अरविन्द को शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  11. अरविन्द जी को विवाह की हार्दिक बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.
    इस पोस्ट के प्रारंभ में लग रहा था कि किसी दर्शन के विषय पर चर्चा की जा रही है लेकिन निष्कर्ष कुछ और ही निकल आये ...सार्थक पोस्ट

    ReplyDelete
  12. कर्मण्ये वाधिकारस्ते माँ फलेषु कदाचन.... अरविंद जी को ढेर सारी शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  13. बस नज़रिये की बात है जिस भी रंग के चश्मे से देख लीजिए...

    ReplyDelete
  14. अरविंद जी को हार्दिक बधाईयां. जीवन के नित नये आयाम होते हैं जो पग पग पर नूतन अनुभुति दे जाता है. शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  15. अरविंद जी को मेरी तरफ से बधाई।

    ReplyDelete
  16. बहुत ही प्रेरक जीवन दर्शन है आपकी पोस्ट मे। अर्विन्द जी को हार्दिक शुभकामनायें, बधाई।

    ReplyDelete
  17. अनुभव ही आनंद है और शिक्षक भी अनुभव ही है। चलो अपना नाम बदल अनुभव रख लेते हैं।

    ReplyDelete
  18. अनुभव से बड़ा कोई शिक्षक नहीं। अनुभव से श्रेष्ठ कोई पुस्तक नहीं।

    प्रेरणा का एक वाक्य जीवन की दशा और दिशा संवार सकता है।

    अनुज-विाह के अवसर पर आपको सपरिवार बधाई एवं शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  19. अनुज के विवाह पर शुभ-कामनाएँ ,और उचित परामर्श दे कर अग्रज का स्नेहमय दायित्व निभाया आपने ,शाबासी मिलनी चाहिये !

    ReplyDelete
  20. असफलताओ से अच्छा शिक्षक कोई नहीं होता . अरविन्द जी को शुभकामनाये . आप कानपुर में हो क्या? .

    ReplyDelete
  21. दार्शनिकता से उद्वेलित, समाज से सीखने की प्रेरणा दायी ललक से भरपूर आलेख . अनुज अरविन्द विवाह की शुभकामनाये

    ReplyDelete
  22. फिर भी जीवन में कुछ तो है, हम थकने से रह जाते हैं,
    भावनायें बहती, हृद धड़के, स्वप्न दिशा दे जाते हैं,
    नहीं विजय यदि प्राप्त, हृदय में नीरवता सी छाये क्यों,
    संग्रामों में हारे क्षण भी, हौले से थपकाते हैं

    बहुत प्रेरक पंक्तियाँ ...असफलताएं भी ज़िंदगी को कुछ न कुछ सिखाती हैं ...
    अरविन्द जी को बधाई और विवाह के लिए शुभकामनायें

    ReplyDelete
  23. सर्वप्रथम इस पोस्ट के लिये धन्यवाद
    बहुत पसन्द आयी जी
    आपने सही कहा अनुभव में आनन्द है।
    समझना और जानना दोनों में फर्क है जी
    कुछ घटनाओं पर कभी दुखी होते हैं, पर समय बीतने पर पता चलता है कि सही हुआ था।

    अरविन्द जी को विवाह की शुभकामनायें

    प्रणाम

    ReplyDelete
  24. अनुभव से सीखा गया ज्ञान बहुत उच्च स्थति में ले जाता है |

    ReplyDelete
  25. आपको क्या करना है? रहस्य है, दर्शन से समझा जा सकता है, पर इमामबाड़े के रास्तों से भी अधिक कठिन हो जाता है बाहर आना।

    ye pankti achchhi lagi..:)
    aapke anuj ko bahut bahut badhai aur shubhkamnayen...:)

    ReplyDelete
  26. अरविन्द को विवाह की बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.

    ये बात तो बिल्कुल सही है जो कल गलत लगता था आज सही दिखता है शायद इसीलिये ईश्वर की सत्ता पर विश्वास करता है इंसान क्योंकि वो हमारे लिये सबसे अच्छा क्या है वो ही करता है मगर हम आज मे जीते है भविष्य का पता नही होता और उसे दोष देने लगते हैं जबकि कुछ सालो बाद पता चलती है हकीकत तो हम ही कहते है कि ईश्वर ने जो किया अच्छा ही किया मगर भूल जाते है उस वक्त दोष भी उसी को दे रहे थे ………शायद तभी कहा गया है मन का हो तो अच्छा और ना हो तो और भी अच्छा क्योकि उसमे उसकी रज़ा छुपी होती है।

    ReplyDelete
  27. वर-वधू को मेरी शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  28. Anubhav se mile gyaan ko hee to pragya kaha gaya hai!Anubhav se badhke,sach me koyi guru nahi!
    Arvindji ko dher saaaree shubhkamnayen!
    Aapka aalekh padh,bahut aanand aaya!

    ReplyDelete
  29. जीवन एक संघर्ष है, इससे कौन बच सकता है. अनुज और आपके पूरे परिवार को इस अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ.

    मनोज

    ReplyDelete
  30. शुभकामनाएं ही शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  31. अनुज के विवाह पर शुभ-कामनाएँ बहुत ही प्रेरणात्‍मक विचार रखे हैं आपने इस प्रस्‍तुति में बहुत-बहुत बधाई ।

    ReplyDelete
  32. नुक्कड ने सही कहा----ग्यानार्जन व दर्शन--- दूसरों के...महान लोगों अनुभव होते हैं जो उनकी सफ़लता-असफ़लताओं के बाद बने,...वे अन्धेरे में प्रथम दीपक होते है..
    .....अपने प्रत्यक्ष अनुभव उस ग्यान व दर्शन को प्रयोगात्मकता की कसौटी पर रखकर स्वयं की नवीन राहें...उन्नत राहे खोजना होता है..ताकि समष्टि व व्यष्टि प्रगति सोपान पर चलती जाये ..अतः दीपक तो अत्यावश्यक हैं ही....

    ReplyDelete
  33. आपके चिंतन के तो हम कायल हैं। इस मांगलिक अवसर पर आपको एवं आपके अनुज को शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  34. प्रेरणा का एक वाक्य जीवन की दशा और दिशा संवार सकता है।
    वर-वधू को मेरी शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  35. मेरी ओर से भी वर वधु को हार्दिक शुभकामनाएं।

    ---------
    ब्‍लॉगवाणी: ब्‍लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।

    ReplyDelete
  36. हमारा जितना वश है वह अपने कर्म पर ही है, वही करते रहें, भाग्‍य को अपना काम करने दें फिर देर-सवेर हासिल होता ही है. शुभकामनाओं सहित.

    ReplyDelete
  37. बहुत ही सुंदर और प्रेरक बातें।

    ReplyDelete
  38. अरविन्द जी को विवाह की हार्दिक बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!!!

    ReplyDelete
  39. bilkul sahee!! ek pal main kabhi sadiyon ka anubhav mil jatta hai, theek usse tarah jis tarah, kisi insan ko jaanne main kabhi toh ek lamha he kafi hota hai, aur kabhi ek umar bhi kaam padh jate hai

    ReplyDelete
  40. आयुष्मान अरविन्द को मेरी बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं -
    हाँ ,कर्मण्येवाधिकारस्ते .....कर्म में ही तो अधिकार है हमारा ...

    ReplyDelete
  41. मैं इस बात से पुर्णतः सहमत हूँ अपने जीवन के अनुभव के आधार पर की आप अगर एहसान फरामोश नहीं हैं ,अपने कर्म को ईमानदारी से करने का पुरजोड़ प्रयास करते हैं तथा एक परम शक्ति में आस्था रखते हैं तो निश्चय ही जीवन के हर दुःख की दरिया को आप पार कर लेते हैं और इसमें इंसान के रूप में कई लोग भगवान की तरह आपकी किसी न किसी रूप में सहायता करते हैं...... ये सुखद है की आपके अनुज के रूप में इस देश की व्यवस्था को आपकी ही तरह एक और इमानदार सच्चा इंसान मिल गया.....आपके अनुज अरविन्द जी को विवाह के सांसारिक तथा सामाजिक आधार जैसे महत्वपूर्ण बंधन में बंधने के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनायें......

    ReplyDelete
  42. वर-वधू को हार्दिक शुभकामनाएँ...

    ReplyDelete
  43. सबसे बड़ी चीज जिजीविषा!

    ReplyDelete
  44. `जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं'

    तभी तो कहते हैं कि कहावतें जीवन का निचोड़ होती हैं:)

    ReplyDelete
  45. अनुभव ही जिंदगी का आधार है.
    अरविन्द जी को बहुत शुभकामनाये.

    ReplyDelete
  46. अनुभव ही जिंदगी का आधार है.
    अरविन्द जी को बहुत शुभकामनाये.

    ReplyDelete
  47. hearty congos to you and your brother...may god bless newly wedded couple.

    ReplyDelete
  48. Anubhav bhi to ek padhai hai, jo hum apni man aur buddhi ke dwara hi arjit karte hai.Ek hi paristhiti
    me har ek ka anubhav alag alag ho sakta hai.Ab ye man aur buddhi ki
    sakaara-atmakta hi hai ki hum kitna
    gyan sampaadan kare aur kitne aanand ki sthiti me rahen.

    ReplyDelete
  49. जीवन की जिजीविषा के विषय में बहुत सुंदर सकारात्मक तरीके से बाते आपने..... प्रेरणादायी पोस्ट....सच में जीवन कुछ तो है....

    ReplyDelete
  50. गिरते हैं शहसवार ही मैदानेजंग में...
    अरविंद जी के लिये वैवाहिक जीवन की मंगलकामनाएँ!!

    ReplyDelete
  51. रचनात्मक चिंतन से जीवन में बहुत बार बाज़ी पलटती है, इसे जीकर ही जाना जाता है.

    ReplyDelete
  52. जीवन की पाठशाला से बड़ा कोई शिक्षक नहीं ...

    अरविन्दजी और आपके परिवार को विवाह की बहुत शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  53. जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं। जो आनन्द अनुभव से समझने का है, वह संभवतः दर्शन में मिल ही न पाये

    बिलकुल ठीक बात है -
    अनुभव ही हमें हारकर जीतना सिखाता है -
    कर्म करने की प्रेरणा भी दे रही है आपकी रचना -
    शुभकार्य पर बधाई एवं शुभकामनायें .

    ReplyDelete
  54. जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं
    wah sir ji

    ReplyDelete
  55. जीवन से बड़ी कोई किताब नहीं...ये जी ना सिखाये कम है....
    हर समय हर पल हर दिन कुछ न कुछ सिखाती है जिन्दगी.....बस सीखने वाले receptor होने चाहिए इन्हें पकड़ने के लिए.

    ReplyDelete
  56. जीवन की कई उलझनों को सुलझाने में यह आलेख मदद करता है. मन ही तो है जिसे समन्वित होना है.

    ReplyDelete
  57. bahut badhita sir........... aap ka lekh aur kavita dono prerak hain

    ReplyDelete
  58. isi liye kahate hai...sir...old is gold.....arvind ko shadi ki shubh kamanaye...

    ReplyDelete
  59. प्रेरक पंक्तियों और जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर लेख के लिए बधाई।

    भाई अरविन्द जी को विवाह की बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  60. बधाई हो. अरविन्द जी को और आपको शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  61. फिर भी जीवन में कुछ तो है, हम थकने से रह जाते हैं,
    भावनायें बहती, हृद धड़के, स्वप्न दिशा दे जाते हैं,
    नहीं विजय यदि प्राप्त, हृदय में नीरवता सी छाये क्यों,
    संग्रामों में हारे क्षण भी, हौले से थपकाते हैं।

    सहमत - सहमत हूँ आपसे, बढ़िया विश्लेषण

    ReplyDelete
  62. आपको बधाई और अरविन्द को शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  63. Badhaeeyan
    aur
    Anubhav kee mahima ke saath saath
    Astha ke prerak lekh ke liye dhanyawaad.

    ReplyDelete
  64. Parivaar mein mangal utsav
    ke liye badhaeeyan

    Anubhav kee mahima sikhane wale prerak lekh ke liye dhanywaad

    ReplyDelete
  65. बहुत उम्दा आलेख.अनुज अरविन्द कों विवाह की शुभकामनायें ।

    ReplyDelete
  66. अरविन्द जी को विवाह की हार्दिक बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ....
    सच है ... जीवन के उतार चडाव बहुत कुछ सिखलाते हैं ... वैसे भी अतीत की बातें हमेशा सरल लगती हैं ...

    ReplyDelete
  67. अरविन्द जी और आपके समस्त परिवार को ढेरों शुभकामनाएँ।
    उचित परामर्श देने का तो आपका व्यक्तित्व ही है। उसके लिए ढेरों बधाइयाँ।

    ReplyDelete
  68. क्या बात, क्या बात, क्या बात. अनुज के विवाह की बधाइयाँ.

    ReplyDelete
  69. मैं न सुधरने वाला आशावादी हूँ,
    संयोग है कि आपकी उम्र तक मैं भी अपने आप को इसी वाक्य से परिभाषित करता था|

    अरविन्द को बधाई और वर-वधु को शुभकामनायें|

    ReplyDelete
  70. सबसे पहले अरविन्द जी को विवाह की बधाई एवं शुभ्कामनायें ......
    प्रवीण जी ,आपने बहुत ही प्रेरक लेख लिखा है । आज ,वास्तव में ,कुछ वर्षों पूर्व की अपनी सोच और कुछ आक्रोश भी बेवजह लगती है , शायद इस को ही अनुभव कहते हैं ...

    ReplyDelete
  71. अनुज के विवाह पर शुभ-कामनाएँ बहुत ही प्रेरणात्‍मक विचार ... बहुत-बहुत बधाई ।

    ReplyDelete
  72. प्रेरक जीवन दर्शन है| आपकी पोस्ट मे। अर्विन्द जी को हार्दिक शुभकामनायें, बधाई।

    ReplyDelete
  73. जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं। जो आनन्द अनुभव से समझने का है, वह संभवतः दर्शन में मिल ही न पाये।
    @ सही कहा आपने ! पशु पक्षी कोनसा दर्शन शास्त्र पढ़ते है ,अपने अनुभव के आधार पर वे अपना ही जीवन जीतें है |

    ReplyDelete
  74. जिन्‍दगी के मदरसे में अनुभवों के सबक ही जिन्‍दगी को जिन्‍दगी बनाते हैं और दूसरों को समझने में मदद करते हैं।

    'मैं न सुधरनेवाला आशावादी हूँ।' यह रोचक संयोग ही है कि मैं इस वाक्‍य को मुहावरे की तरह अपनी रोजमर्रा की बातों में प्रयुक्‍त करता हूँ।

    प्रिय अरविन्‍द और उनकी जीवनसंगिनी को अकूत शुभ-कामनाऍं और आशीष।

    ReplyDelete
  75. @ Abhishek Ojha
    जीवन में कुछ तो है जो आशायें संचारित हो जाती हैं। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Udan Tashtari
    अनुभव का विकल्प नहीं, अनुभव में उतरने में हिचकिचाना नहीं चाहिये। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ सतीश पंचम
    भोपाल से निकल रहा था, सोचा भेंट हो जायेगी। अनुभवों ने बहुत कुछ सिखाया है, अनुभवों में उतरने को सदा उत्सुक रहता हूँ। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ ZEAL
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ संजय @ मो सम कौन ?
    यह जीवन नैराश्य में डूबने से बचाने के लिये हर एक के लिये कुछ न कुछ रखे रहता है, यही उसकी विशेषता है। बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  76. @ dhiru singh {धीरू सिंह}
    जीवन कितना कुछ दे जाता है औऱ हम सदैव कृतघ्न की तरह और माँग करते रहते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ संतोष त्रिवेदी
    जीवन के रहस्य बहुत गूढ़ भी हैं और बड़े सरल भी, तथ्यों को गलत या सही समझने की देर भर है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ रश्मि प्रभा...
    घटनाओं का सही मूल्य उसके बाहर आने पर ही पता चलता है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ सतीश सक्सेना
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ : केवल राम :
    जीवन में जूझते रहने से अधिक प्रिय दर्शनीय विषय क्या होगा भला मेरे लिये? बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  77. @ पी.सी.गोदियाल "परचेत"
    कर्म में जुटे हैं और यही संतुष्टि है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Kajal Kumar 
    पर जो सच है उसे न देख पाना कितने अधिक दुखों का कारण है, बस यही एक तथ्य समझना होगा हम सबको। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ ताऊ रामपुरिया
    यही नये नये आयाम रोचकता बनाये रखते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ उन्मुक्त 
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ निर्मला कपिला
    जीवन ही प्रेरक है जो निराशाओं के बीच जूझने की प्रेरणा देता रहता है। बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  78. @ नुक्‍कड़
    अनुभव ही सब कुछ है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ mahendra verma
    अनुभव कितना कुछ सिखा जाता है हमें। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ प्रतिभा सक्सेना
    अनुज की प्रसन्नता ही मेरे लिये शाबासी है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ ashish
    यदि हम सीखने को तैयार हों तो बहुत कुछ सीख जाते हैं असफलताओं से। कानपुर नहीं आ पाया, गृहनगर के पास ही विवाह था। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ गिरधारी खंकरियाल
    अनुभव सिखाते है तो सीखना अनवरत ही हुआ। बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  79. @ संगीता स्वरुप ( गीत )
    स्वयं की लिखी पंक्तियाँ मुझे भी प्रेरित करती रही हैं। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ अन्तर सोहिल
    एक विचित्र अनुभव ही कहा जायेगा, जिन घटनाओं ने सर्वाधिक दुख दिया, भविष्य में जाकर वही ही सर्वाधिक आनन्दमयी लगीं। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ नरेश सिह राठौड़
    अनुभव से सीखा ज्ञान बहुत सच्चा होता है।

    @ Mukesh Kumar Sinha
    दर्शन की भूलभुलैया व्यग्र करती है अनुभव की सीख थपकाती है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ वन्दना
    यदि भविष्य को ईश्वर के हाथ छोड़कर वर्तान में पूर्णप्रयास करें तो ईश्वर सहायता भेजता रहता है। बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  80. @ Deepak Saini
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ kshama
    प्रज्ञा तब तो ज्ञान का उत्कर्ष है। अनुभव ही सच ज्ञान देता है तो वही गुरु भी हुआ। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Manoj K
    जीवन को यदि संघर्ष मान लिया जाये और जूझते रहने को जीवन शैली तो सुख दुख के अरथ और भी स्पष्ट हो जाते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ राजेश उत्‍साही
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ सदा
    बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  81. @ Dr. shyam gupta
    इन दीपकों का सच्चा मूल्य समझना होगा हम सबको। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ सोमेश सक्सेना
    जीवन थकने से रोकता है और मन चलने से रोकता है। जीवन मन से अधिक हितैषी है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Patali-The-Village
    यही कारण है कि हम थकने से रह जाते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Rahul Singh
    कर्मनिरत रहें जो देने वाला है, देर सबेर देता ही रहता है। बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  82. @ मनोज कुमार
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ भारतीय नागरिक - Indian Citizen
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ rashmi ravija
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ SEPO
    बहुत ही दमदार उदाहरण दिया आपने। अनुभव से सीखने को तैयार रहना चाहिये हम सबको।

    @ Arvind Mishra
    जिस पर अधिकार है, वही करते रहते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  83. @ honesty project democracy
    ईश्वर सहायता अवश्य करता है, कर्म भी प्रार्थना का स्वरूप लिये हो सकते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ सुशील बाकलीवाल
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ sidheshwer
    जिजीविषा ही जीवन की भेंट है हम सबको। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ cmpershad
    कहावतों में अनुभव का निचोड़ होता है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ shikha varshney
    सच कहा आपने, अनुभव ही जिंदगी का आधार है। बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  84. @ amit-nivedita
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Rakesh Kumar
    अनुभव की पढ़ाई बहुत सिखाती है, हमें बस सीखते रहना होगा। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ डॉ॰ मोनिका शर्मा
    जिजीविषा के अतिरिक्त कितना उत्साह देता रहता है जीवन। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ चला बिहारी ब्लॉगर बनने
    मैदान में जाने वाले ही सीख पाते हैं जीवन का महत्व। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ ऋषभ Rishabha
    रचनात्मकता ही जीवन को नये मार्ग दिखाती रहती है, उसे तो बनाये रखना होगा। बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  85. @ वाणी गीत
    जीवन स्वयं में ही शिक्षक है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ anupama's sukrity !
    अनुभव में जीत से अधिक हार सिखा जाती है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ OM KASHYAP
    अनुभव ही सर्वोपरि है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Rajesh Kumar 'Nachiketa'
    हर पल सीखने के लिये होता है बस यही ध्यान रखना होगा हम सबको। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Bhushan
    जीवन को जितना शीघ्र सुलझाना प्रारम्भ कर दें, उतना ही अच्छा। बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  86. @ sumeet "satya"
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ G.N.SHAW
    पुरातन में अनुभव का आधिक्य है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Dr (Miss) Sharad Singh
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ वन्दना अवस्थी दुबे
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Mithilesh dubey
    बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  87. @ santosh pandey
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Ashok Vyas
    आस्था और अनुभव साथ साथ चलते हैं यदि हम उसे स्वीकार करें तो। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ शिवकुमार ( शिवा)
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ दिगम्बर नासवा
    अतीत सरल लगता है, घटनाओं का सही मूल्य पता चलता है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Avinash Chandra
    अपने अनुभवों को ही उड़ेलने का प्रयास करता हूँ। बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  88. @ रचना दीक्षित
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
    धार कम न करने का विचार है, आगे भविष्य जाने। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ nivedita
    बहुत हँसी आती है कुछ घटनाओं पर। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ रजनी मल्होत्रा नैय्यर
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Sunil Kumar
    बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  89. @ Ratan Singh Shekhawat
    प्रकृति हमें भी बहुत कुछ सिखाती है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ विष्णु बैरागी
    आपका रोजमर्रा का वाक्य मेरे जीवन का दिशा निर्देशक है। बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  90. फिर भी जीवन में कुछ तो है, हम थकने से रह जाते हैं,
    भावनायें बहती, हृद धड़के, स्वप्न दिशा दे जाते हैं,
    नहीं विजय यदि प्राप्त, हृदय में नीरवता सी छाये क्यों,
    संग्रामों में हारे क्षण भी, हौले से थपकाते हैं।

    सुन्दर, गहरे अर्थों को अपने भीतर समेटे भावपूर्ण आलेख। शुभकामनाएँ।

    प्रमोद ताम्बट
    भोपाल
    http://vyangya.blog.co.in/
    http://www.vyangyalok.blogspot.com/
    http://www.facebook.com/profile.php?id=1102162444

    ReplyDelete
  91. जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं।..वाह!
    ..कबीर ने भी कहा है पोथी पढ़ने से नहीं ढाई आखर प्रेम का महसूस करने मात्र से ही आदमी पंडित हो सकता है।
    ..ओशो ने भई वर्तमान में जीने की सलाह दी है।
    ..सुंदर पोस्ट। भाई अरविंद को ढेरों शुभकामनायें। आप जैसा बड़ा भाई सभी को मिले।

    ReplyDelete
  92. संग्रामों में हारे क्षण भी, हौले से थपकाते हैं


    जीवन के हर कठिन समय को सहजता से स्वीकारने से बेहतर कोई उपाय नहीं और अपने अनुज को जीवन पथ में आने वाली हर कठिनाई से जीतने के लिए इससे बेहतर कोई मूलमंत्र नहीं दे सकते अग्रज . अनुज की सफलता और शुभ विवाह के लिए बहुत बहुत बधाई आपको :)

    ReplyDelete
  93. @ प्रमोद ताम्बट
    बहुत धन्यवाद आपका। जीवन गहरा मान लिया जाये तभी जीवन का आनन्द।

    @ देवेन्द्र पाण्डेय
    यही ढाई आखर प्रेम का और तीन आखर जीवन का, शेष सब तो स्वतः आ जाता है। बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Lata R. Ojha
    जीवन की कठिनाई को सहजता से ही लेना पड़ेगा, तभी जीवन हमसे सहज हो पायेगा।

    ReplyDelete