जीवन को पूरा समझ पाना, एक सतत प्रयत्न है, एक अन्तहीन निष्कर्ष भी। पक्ष खुलते हैं, प्रश्न उठते हैं, समस्या आती है, समाधान मिलते हैं। प्रकृति एक कुशल प्रशिक्षक बन आपको एक नये खिलाड़ी की तरह सिखाती रखती है, व्यस्त भी रखती है, जिससे आने वाले खेलों में आप अच्छा प्रदर्शन कर सकें। कोई शब्द नहीं, कोई संप्रेषण नहीं, कोई योजना नहीं, कोई नियम नहीं, बस चाल चल दी जाती है, पाँसे फेक दिये जाते हैं, अब आप निर्धारित कर लें कि आपको क्या करना है? रहस्य है, दर्शन से समझा जा सकता है, पर इमामबाड़े के रास्तों से भी अधिक कठिन हो जाता है बाहर आना। जो घटनायें बाद में बड़ी सरल सी दिखती हैं और उन पर लिये निर्णयों पर टीका टिप्पणी कर हम स्वयं को वेत्ता समझने लगते है, वस्तुतः वे घटनायें अपने वर्तमान में विशेष जटिलतायें लिये हुये होती हैं। अनुभव की शिक्षा जहाँ एक ओर ज्ञान का अग्रिम आनन्द देती है, वहीं भविष्य में कुछ कर सकने का आत्मविश्वास भी बढ़ा देती है।
जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं। जो आनन्द अनुभव से समझने का है, वह संभवतः दर्शन में मिल ही न पाये। ज्ञानार्जन में औपचारिक शिक्षा तो मात्र 15 प्रतिशत योगदान ही देती है, शेष सब समाज से पाते हैं हम, अनुभव के मार्ग से। तब तो अनुभव से पूर्ण जीवन और भी महत्वपूर्ण हो चला।
कहते हैं कि यदि ईश्वर को हँसाना हो तो उसे अपने भविष्य की योजनायें बता दीजिये। कभी कभी हम अपना भविष्य निश्चित कर लेते हैं, मन ही मन, और प्रतीक्षा करते हैं कि जीवन उसी राह चलेगा। बहुधा नहीं चलता है, क्या करें सबकी इच्छायें पूरी होना संभव ही नहीं है। मन यह मान बैठता है कि अन्याय हो रहा है हमारे साथ, मन विक्षुब्ध हो जाता है, विषाद बढ़ जाता है, सारा दोष ईश्वर को दे बैठते हैं हम।
वह छोटी सी घटना जिसके लिये हम ईश्वर को अन्यायी की संज्ञा दे देते हैं, पूरे जीवन में कितना मूल्य रखती है? यह समझने के लिये बस 10 वर्ष पूर्व की कोई भी ऐसी ही घटना उठा लीजिये। सर्वप्रथम तो उसका कोई मूल्य नहीं लगेगा आपको, संभव है कि आपको स्वयं पर हँसी आये, संभव है कि उसमें आप ईश्वर की दैवीय योजना देखें जो आपको लाभ पहुँचाने के लिये बनायी गयी थी, संभव है आप ईश्वर को धन्यवाद दें उसके लिये। ऐसी ही घटनाओं के बिन्दु मिलाते चलें आपको कोई सार्थक आकृति उभरती दिख जायेगी।
कुछ वर्ष पहले ये पंक्तियाँ लिखकर भेजी थी, अपने अनुज अरविन्द को, उसकी पहली असफलता पर। संग्राम उसने हृदयगत किया, जूझा और उत्तर प्रदेश में आठवाँ स्थान ले आया, प्रादेशिक सिविल सेवा में। आज भाव हिलोरें ले रहे हैं, नयन सुखार्द्र हैं, कल उसका विवाह है।
फिर भी जीवन में कुछ तो है, हम थकने से रह जाते हैं,
भावनायें बहती, हृद धड़के, स्वप्न दिशा दे जाते हैं,
नहीं विजय यदि प्राप्त, हृदय में नीरवता सी छाये क्यों,
संग्रामों में हारे क्षण भी, हौले से थपकाते हैं।
बढ़िया. आखिर में भाव बदल से गए... अरविंदजी को ढेर सारी शुभकामनाएं.
ReplyDeleteबिल्कुल सहमत..अनुभव ही आधार है, जीवन नित नया कुछ सिखलाता है..बहुत उम्दा आलेख.
ReplyDeleteअरविन्द को विवाह की बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.
@ जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं। जो आनन्द अनुभव से समझने का है, वह संभवतः दर्शन में मिल ही न पाये।
ReplyDeletewell said....बहुत प्रेरक पोस्ट है।
पिछले दिनों कहीं पढ़ा था कि आप भोपाल में हैं अब समझा कि क्या कारण है :)
वर-वधू को मेरी शुभकामनायें।
अनुज अरविन्द कों विवाह की शुभकामनायें ।
ReplyDeleteहमेशा की तरह जीवन के दर्शन पर एक नजर डालती पोस्ट।
ReplyDeleteआपके परिवार को इस शुभ अवसर पर बधाई।
आधा खाली गिलास को आधा भरा बताने वाला ही जीवन का रहस्य सम्झा सकता है
ReplyDeleteअरविन्द जी को विवाह की हार्दिक शुभकामनाये
जीवन में हर तरह के क्षण आते हैं,हम घबड़ाते हैं,जश्न मनाते हैं,रोते हैं,हँसते हैं.....लेकिन जीते जाते हैं !
ReplyDeleteअरविन्द ही नहीं आप कइयों के प्रेरणा-स्रोत बने हुए हैं,फ़िलहाल आपको सपरिवार बधाई !
जीवन में सफलता-असफलता का संयोजन होता है,जो इसे समझ गया वह आगे बढ़ गया.
ReplyDeleteअरविन्द को उसकी सफलता के लिए और नए जीवन में प्रवेश की बधाई !
वह छोटी सी घटना जिसके लिये हम ईश्वर को अन्यायी की संज्ञा दे देते हैं, पूरे जीवन में कितना मूल्य रखती है? यह समझने के लिये बस 10 वर्ष पूर्व की कोई भी ऐसी ही घटना उठा लीजिये। सर्वप्रथम तो उसका कोई मूल्य नहीं लगेगा आपको, संभव है कि आपको स्वयं पर हँसी आये, संभव है कि उसमें आप ईश्वर की दैवीय योजना देखें जो आपको लाभ पहुँचाने के लिये बनायी गयी थी, संभव है आप ईश्वर को धन्यवाद दें उसके लिये।... bahut sahi kaha hai , bhai ko shubhkamnayen
ReplyDeleteआपको बधाई और अरविन्द को शुभकामनायें !
ReplyDeleteअरविन्द जी को विवाह की हार्दिक बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteइस पोस्ट के प्रारंभ में लग रहा था कि किसी दर्शन के विषय पर चर्चा की जा रही है लेकिन निष्कर्ष कुछ और ही निकल आये ...सार्थक पोस्ट
कर्मण्ये वाधिकारस्ते माँ फलेषु कदाचन.... अरविंद जी को ढेर सारी शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबस नज़रिये की बात है जिस भी रंग के चश्मे से देख लीजिए...
ReplyDeleteअरविंद जी को हार्दिक बधाईयां. जीवन के नित नये आयाम होते हैं जो पग पग पर नूतन अनुभुति दे जाता है. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
अरविंद जी को मेरी तरफ से बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरक जीवन दर्शन है आपकी पोस्ट मे। अर्विन्द जी को हार्दिक शुभकामनायें, बधाई।
ReplyDeleteअनुभव ही आनंद है और शिक्षक भी अनुभव ही है। चलो अपना नाम बदल अनुभव रख लेते हैं।
ReplyDeleteअनुभव से बड़ा कोई शिक्षक नहीं। अनुभव से श्रेष्ठ कोई पुस्तक नहीं।
ReplyDeleteप्रेरणा का एक वाक्य जीवन की दशा और दिशा संवार सकता है।
अनुज-विाह के अवसर पर आपको सपरिवार बधाई एवं शुभकामनाएं।
अनुज के विवाह पर शुभ-कामनाएँ ,और उचित परामर्श दे कर अग्रज का स्नेहमय दायित्व निभाया आपने ,शाबासी मिलनी चाहिये !
ReplyDeleteअसफलताओ से अच्छा शिक्षक कोई नहीं होता . अरविन्द जी को शुभकामनाये . आप कानपुर में हो क्या? .
ReplyDeleteदार्शनिकता से उद्वेलित, समाज से सीखने की प्रेरणा दायी ललक से भरपूर आलेख . अनुज अरविन्द विवाह की शुभकामनाये
ReplyDeleteफिर भी जीवन में कुछ तो है, हम थकने से रह जाते हैं,
ReplyDeleteभावनायें बहती, हृद धड़के, स्वप्न दिशा दे जाते हैं,
नहीं विजय यदि प्राप्त, हृदय में नीरवता सी छाये क्यों,
संग्रामों में हारे क्षण भी, हौले से थपकाते हैं
बहुत प्रेरक पंक्तियाँ ...असफलताएं भी ज़िंदगी को कुछ न कुछ सिखाती हैं ...
अरविन्द जी को बधाई और विवाह के लिए शुभकामनायें
सर्वप्रथम इस पोस्ट के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत पसन्द आयी जी
आपने सही कहा अनुभव में आनन्द है।
समझना और जानना दोनों में फर्क है जी
कुछ घटनाओं पर कभी दुखी होते हैं, पर समय बीतने पर पता चलता है कि सही हुआ था।
अरविन्द जी को विवाह की शुभकामनायें
प्रणाम
अनुभव से सीखा गया ज्ञान बहुत उच्च स्थति में ले जाता है |
ReplyDeleteआपको क्या करना है? रहस्य है, दर्शन से समझा जा सकता है, पर इमामबाड़े के रास्तों से भी अधिक कठिन हो जाता है बाहर आना।
ReplyDeleteye pankti achchhi lagi..:)
aapke anuj ko bahut bahut badhai aur shubhkamnayen...:)
अरविन्द को विवाह की बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteये बात तो बिल्कुल सही है जो कल गलत लगता था आज सही दिखता है शायद इसीलिये ईश्वर की सत्ता पर विश्वास करता है इंसान क्योंकि वो हमारे लिये सबसे अच्छा क्या है वो ही करता है मगर हम आज मे जीते है भविष्य का पता नही होता और उसे दोष देने लगते हैं जबकि कुछ सालो बाद पता चलती है हकीकत तो हम ही कहते है कि ईश्वर ने जो किया अच्छा ही किया मगर भूल जाते है उस वक्त दोष भी उसी को दे रहे थे ………शायद तभी कहा गया है मन का हो तो अच्छा और ना हो तो और भी अच्छा क्योकि उसमे उसकी रज़ा छुपी होती है।
वर-वधू को मेरी शुभकामनायें।
ReplyDeleteAnubhav se mile gyaan ko hee to pragya kaha gaya hai!Anubhav se badhke,sach me koyi guru nahi!
ReplyDeleteArvindji ko dher saaaree shubhkamnayen!
Aapka aalekh padh,bahut aanand aaya!
जीवन एक संघर्ष है, इससे कौन बच सकता है. अनुज और आपके पूरे परिवार को इस अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteमनोज
शुभकामनाएं ही शुभकामनाएं
ReplyDeleteअनुज के विवाह पर शुभ-कामनाएँ बहुत ही प्रेरणात्मक विचार रखे हैं आपने इस प्रस्तुति में बहुत-बहुत बधाई ।
ReplyDeleteनुक्कड ने सही कहा----ग्यानार्जन व दर्शन--- दूसरों के...महान लोगों अनुभव होते हैं जो उनकी सफ़लता-असफ़लताओं के बाद बने,...वे अन्धेरे में प्रथम दीपक होते है..
ReplyDelete.....अपने प्रत्यक्ष अनुभव उस ग्यान व दर्शन को प्रयोगात्मकता की कसौटी पर रखकर स्वयं की नवीन राहें...उन्नत राहे खोजना होता है..ताकि समष्टि व व्यष्टि प्रगति सोपान पर चलती जाये ..अतः दीपक तो अत्यावश्यक हैं ही....
आपके चिंतन के तो हम कायल हैं। इस मांगलिक अवसर पर आपको एवं आपके अनुज को शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteप्रेरणा का एक वाक्य जीवन की दशा और दिशा संवार सकता है।
ReplyDeleteवर-वधू को मेरी शुभकामनायें।
मेरी ओर से भी वर वधु को हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
हमारा जितना वश है वह अपने कर्म पर ही है, वही करते रहें, भाग्य को अपना काम करने दें फिर देर-सवेर हासिल होता ही है. शुभकामनाओं सहित.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और प्रेरक बातें।
ReplyDeleteबधाई हो आपको..
ReplyDeleteअरविन्द जी को विवाह की हार्दिक बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!!!
ReplyDeletebilkul sahee!! ek pal main kabhi sadiyon ka anubhav mil jatta hai, theek usse tarah jis tarah, kisi insan ko jaanne main kabhi toh ek lamha he kafi hota hai, aur kabhi ek umar bhi kaam padh jate hai
ReplyDeleteआयुष्मान अरविन्द को मेरी बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं -
ReplyDeleteहाँ ,कर्मण्येवाधिकारस्ते .....कर्म में ही तो अधिकार है हमारा ...
मैं इस बात से पुर्णतः सहमत हूँ अपने जीवन के अनुभव के आधार पर की आप अगर एहसान फरामोश नहीं हैं ,अपने कर्म को ईमानदारी से करने का पुरजोड़ प्रयास करते हैं तथा एक परम शक्ति में आस्था रखते हैं तो निश्चय ही जीवन के हर दुःख की दरिया को आप पार कर लेते हैं और इसमें इंसान के रूप में कई लोग भगवान की तरह आपकी किसी न किसी रूप में सहायता करते हैं...... ये सुखद है की आपके अनुज के रूप में इस देश की व्यवस्था को आपकी ही तरह एक और इमानदार सच्चा इंसान मिल गया.....आपके अनुज अरविन्द जी को विवाह के सांसारिक तथा सामाजिक आधार जैसे महत्वपूर्ण बंधन में बंधने के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनायें......
ReplyDeleteवर-वधू को हार्दिक शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteसबसे बड़ी चीज जिजीविषा!
ReplyDelete`जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं'
ReplyDeleteतभी तो कहते हैं कि कहावतें जीवन का निचोड़ होती हैं:)
अनुभव ही जिंदगी का आधार है.
ReplyDeleteअरविन्द जी को बहुत शुभकामनाये.
अनुभव ही जिंदगी का आधार है.
ReplyDeleteअरविन्द जी को बहुत शुभकामनाये.
hearty congos to you and your brother...may god bless newly wedded couple.
ReplyDeleteAnubhav bhi to ek padhai hai, jo hum apni man aur buddhi ke dwara hi arjit karte hai.Ek hi paristhiti
ReplyDeleteme har ek ka anubhav alag alag ho sakta hai.Ab ye man aur buddhi ki
sakaara-atmakta hi hai ki hum kitna
gyan sampaadan kare aur kitne aanand ki sthiti me rahen.
जीवन की जिजीविषा के विषय में बहुत सुंदर सकारात्मक तरीके से बाते आपने..... प्रेरणादायी पोस्ट....सच में जीवन कुछ तो है....
ReplyDeleteगिरते हैं शहसवार ही मैदानेजंग में...
ReplyDeleteअरविंद जी के लिये वैवाहिक जीवन की मंगलकामनाएँ!!
रचनात्मक चिंतन से जीवन में बहुत बार बाज़ी पलटती है, इसे जीकर ही जाना जाता है.
ReplyDeleteजीवन की पाठशाला से बड़ा कोई शिक्षक नहीं ...
ReplyDeleteअरविन्दजी और आपके परिवार को विवाह की बहुत शुभकामनायें !
जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं। जो आनन्द अनुभव से समझने का है, वह संभवतः दर्शन में मिल ही न पाये
ReplyDeleteबिलकुल ठीक बात है -
अनुभव ही हमें हारकर जीतना सिखाता है -
कर्म करने की प्रेरणा भी दे रही है आपकी रचना -
शुभकार्य पर बधाई एवं शुभकामनायें .
जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं
ReplyDeletewah sir ji
जीवन से बड़ी कोई किताब नहीं...ये जी ना सिखाये कम है....
ReplyDeleteहर समय हर पल हर दिन कुछ न कुछ सिखाती है जिन्दगी.....बस सीखने वाले receptor होने चाहिए इन्हें पकड़ने के लिए.
जीवन की कई उलझनों को सुलझाने में यह आलेख मदद करता है. मन ही तो है जिसे समन्वित होना है.
ReplyDeletebahut badhita sir........... aap ka lekh aur kavita dono prerak hain
ReplyDeleteisi liye kahate hai...sir...old is gold.....arvind ko shadi ki shubh kamanaye...
ReplyDeleteप्रेरक पंक्तियों और जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर लेख के लिए बधाई।
ReplyDeleteभाई अरविन्द जी को विवाह की बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.
बधाई हो. अरविन्द जी को और आपको शुभकामनाएं.
ReplyDeleteफिर भी जीवन में कुछ तो है, हम थकने से रह जाते हैं,
ReplyDeleteभावनायें बहती, हृद धड़के, स्वप्न दिशा दे जाते हैं,
नहीं विजय यदि प्राप्त, हृदय में नीरवता सी छाये क्यों,
संग्रामों में हारे क्षण भी, हौले से थपकाते हैं।
सहमत - सहमत हूँ आपसे, बढ़िया विश्लेषण
आपको बधाई और अरविन्द को शुभकामनायें !
ReplyDeleteBadhaeeyan
ReplyDeleteaur
Anubhav kee mahima ke saath saath
Astha ke prerak lekh ke liye dhanyawaad.
Parivaar mein mangal utsav
ReplyDeleteke liye badhaeeyan
Anubhav kee mahima sikhane wale prerak lekh ke liye dhanywaad
बहुत उम्दा आलेख.अनुज अरविन्द कों विवाह की शुभकामनायें ।
ReplyDeleteअरविन्द जी को विवाह की हार्दिक बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ....
ReplyDeleteसच है ... जीवन के उतार चडाव बहुत कुछ सिखलाते हैं ... वैसे भी अतीत की बातें हमेशा सरल लगती हैं ...
अरविन्द जी और आपके समस्त परिवार को ढेरों शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteउचित परामर्श देने का तो आपका व्यक्तित्व ही है। उसके लिए ढेरों बधाइयाँ।
क्या बात, क्या बात, क्या बात. अनुज के विवाह की बधाइयाँ.
ReplyDeleteमैं न सुधरने वाला आशावादी हूँ,
ReplyDeleteसंयोग है कि आपकी उम्र तक मैं भी अपने आप को इसी वाक्य से परिभाषित करता था|
अरविन्द को बधाई और वर-वधु को शुभकामनायें|
सबसे पहले अरविन्द जी को विवाह की बधाई एवं शुभ्कामनायें ......
ReplyDeleteप्रवीण जी ,आपने बहुत ही प्रेरक लेख लिखा है । आज ,वास्तव में ,कुछ वर्षों पूर्व की अपनी सोच और कुछ आक्रोश भी बेवजह लगती है , शायद इस को ही अनुभव कहते हैं ...
अनुज के विवाह पर शुभ-कामनाएँ बहुत ही प्रेरणात्मक विचार ... बहुत-बहुत बधाई ।
ReplyDeleteप्रेरक जीवन दर्शन है| आपकी पोस्ट मे। अर्विन्द जी को हार्दिक शुभकामनायें, बधाई।
ReplyDeleteजो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं। जो आनन्द अनुभव से समझने का है, वह संभवतः दर्शन में मिल ही न पाये।
ReplyDelete@ सही कहा आपने ! पशु पक्षी कोनसा दर्शन शास्त्र पढ़ते है ,अपने अनुभव के आधार पर वे अपना ही जीवन जीतें है |
जिन्दगी के मदरसे में अनुभवों के सबक ही जिन्दगी को जिन्दगी बनाते हैं और दूसरों को समझने में मदद करते हैं।
ReplyDelete'मैं न सुधरनेवाला आशावादी हूँ।' यह रोचक संयोग ही है कि मैं इस वाक्य को मुहावरे की तरह अपनी रोजमर्रा की बातों में प्रयुक्त करता हूँ।
प्रिय अरविन्द और उनकी जीवनसंगिनी को अकूत शुभ-कामनाऍं और आशीष।
@ Abhishek Ojha
ReplyDeleteजीवन में कुछ तो है जो आशायें संचारित हो जाती हैं। बहुत धन्यवाद आपका।
@ Udan Tashtari
अनुभव का विकल्प नहीं, अनुभव में उतरने में हिचकिचाना नहीं चाहिये। बहुत धन्यवाद आपका।
@ सतीश पंचम
भोपाल से निकल रहा था, सोचा भेंट हो जायेगी। अनुभवों ने बहुत कुछ सिखाया है, अनुभवों में उतरने को सदा उत्सुक रहता हूँ। बहुत धन्यवाद आपका।
@ ZEAL
बहुत धन्यवाद आपका।
@ संजय @ मो सम कौन ?
यह जीवन नैराश्य में डूबने से बचाने के लिये हर एक के लिये कुछ न कुछ रखे रहता है, यही उसकी विशेषता है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ dhiru singh {धीरू सिंह}
ReplyDeleteजीवन कितना कुछ दे जाता है औऱ हम सदैव कृतघ्न की तरह और माँग करते रहते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।
@ संतोष त्रिवेदी
जीवन के रहस्य बहुत गूढ़ भी हैं और बड़े सरल भी, तथ्यों को गलत या सही समझने की देर भर है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ रश्मि प्रभा...
घटनाओं का सही मूल्य उसके बाहर आने पर ही पता चलता है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ सतीश सक्सेना
बहुत धन्यवाद आपका।
@ : केवल राम :
जीवन में जूझते रहने से अधिक प्रिय दर्शनीय विषय क्या होगा भला मेरे लिये? बहुत धन्यवाद आपका।
@ पी.सी.गोदियाल "परचेत"
ReplyDeleteकर्म में जुटे हैं और यही संतुष्टि है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ Kajal Kumar
पर जो सच है उसे न देख पाना कितने अधिक दुखों का कारण है, बस यही एक तथ्य समझना होगा हम सबको। बहुत धन्यवाद आपका।
@ ताऊ रामपुरिया
यही नये नये आयाम रोचकता बनाये रखते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।
@ उन्मुक्त
बहुत धन्यवाद आपका।
@ निर्मला कपिला
जीवन ही प्रेरक है जो निराशाओं के बीच जूझने की प्रेरणा देता रहता है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ नुक्कड़
ReplyDeleteअनुभव ही सब कुछ है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ mahendra verma
अनुभव कितना कुछ सिखा जाता है हमें। बहुत धन्यवाद आपका।
@ प्रतिभा सक्सेना
अनुज की प्रसन्नता ही मेरे लिये शाबासी है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ ashish
यदि हम सीखने को तैयार हों तो बहुत कुछ सीख जाते हैं असफलताओं से। कानपुर नहीं आ पाया, गृहनगर के पास ही विवाह था। बहुत धन्यवाद आपका।
@ गिरधारी खंकरियाल
अनुभव सिखाते है तो सीखना अनवरत ही हुआ। बहुत धन्यवाद आपका।
@ संगीता स्वरुप ( गीत )
ReplyDeleteस्वयं की लिखी पंक्तियाँ मुझे भी प्रेरित करती रही हैं। बहुत धन्यवाद आपका।
@ अन्तर सोहिल
एक विचित्र अनुभव ही कहा जायेगा, जिन घटनाओं ने सर्वाधिक दुख दिया, भविष्य में जाकर वही ही सर्वाधिक आनन्दमयी लगीं। बहुत धन्यवाद आपका।
@ नरेश सिह राठौड़
अनुभव से सीखा ज्ञान बहुत सच्चा होता है।
@ Mukesh Kumar Sinha
दर्शन की भूलभुलैया व्यग्र करती है अनुभव की सीख थपकाती है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ वन्दना
यदि भविष्य को ईश्वर के हाथ छोड़कर वर्तान में पूर्णप्रयास करें तो ईश्वर सहायता भेजता रहता है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ Deepak Saini
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ kshama
प्रज्ञा तब तो ज्ञान का उत्कर्ष है। अनुभव ही सच ज्ञान देता है तो वही गुरु भी हुआ। बहुत धन्यवाद आपका।
@ Manoj K
जीवन को यदि संघर्ष मान लिया जाये और जूझते रहने को जीवन शैली तो सुख दुख के अरथ और भी स्पष्ट हो जाते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।
@ राजेश उत्साही
बहुत धन्यवाद आपका।
@ सदा
बहुत धन्यवाद आपका।
@ Dr. shyam gupta
ReplyDeleteइन दीपकों का सच्चा मूल्य समझना होगा हम सबको। बहुत धन्यवाद आपका।
@ सोमेश सक्सेना
जीवन थकने से रोकता है और मन चलने से रोकता है। जीवन मन से अधिक हितैषी है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ Patali-The-Village
यही कारण है कि हम थकने से रह जाते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।
@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’
बहुत धन्यवाद आपका।
@ Rahul Singh
कर्मनिरत रहें जो देने वाला है, देर सबेर देता ही रहता है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ मनोज कुमार
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ भारतीय नागरिक - Indian Citizen
बहुत धन्यवाद आपका।
@ rashmi ravija
बहुत धन्यवाद आपका।
@ SEPO
बहुत ही दमदार उदाहरण दिया आपने। अनुभव से सीखने को तैयार रहना चाहिये हम सबको।
@ Arvind Mishra
जिस पर अधिकार है, वही करते रहते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।
@ honesty project democracy
ReplyDeleteईश्वर सहायता अवश्य करता है, कर्म भी प्रार्थना का स्वरूप लिये हो सकते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।
@ सुशील बाकलीवाल
बहुत धन्यवाद आपका।
@ sidheshwer
जिजीविषा ही जीवन की भेंट है हम सबको। बहुत धन्यवाद आपका।
@ cmpershad
कहावतों में अनुभव का निचोड़ होता है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ shikha varshney
सच कहा आपने, अनुभव ही जिंदगी का आधार है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ amit-nivedita
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ Rakesh Kumar
अनुभव की पढ़ाई बहुत सिखाती है, हमें बस सीखते रहना होगा। बहुत धन्यवाद आपका।
@ डॉ॰ मोनिका शर्मा
जिजीविषा के अतिरिक्त कितना उत्साह देता रहता है जीवन। बहुत धन्यवाद आपका।
@ चला बिहारी ब्लॉगर बनने
मैदान में जाने वाले ही सीख पाते हैं जीवन का महत्व। बहुत धन्यवाद आपका।
@ ऋषभ Rishabha
रचनात्मकता ही जीवन को नये मार्ग दिखाती रहती है, उसे तो बनाये रखना होगा। बहुत धन्यवाद आपका।
@ वाणी गीत
ReplyDeleteजीवन स्वयं में ही शिक्षक है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ anupama's sukrity !
अनुभव में जीत से अधिक हार सिखा जाती है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ OM KASHYAP
अनुभव ही सर्वोपरि है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ Rajesh Kumar 'Nachiketa'
हर पल सीखने के लिये होता है बस यही ध्यान रखना होगा हम सबको। बहुत धन्यवाद आपका।
@ Bhushan
जीवन को जितना शीघ्र सुलझाना प्रारम्भ कर दें, उतना ही अच्छा। बहुत धन्यवाद आपका।
@ sumeet "satya"
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ G.N.SHAW
पुरातन में अनुभव का आधिक्य है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ Dr (Miss) Sharad Singh
बहुत धन्यवाद आपका।
@ वन्दना अवस्थी दुबे
बहुत धन्यवाद आपका।
@ Mithilesh dubey
बहुत धन्यवाद आपका।
@ santosh pandey
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ Ashok Vyas
आस्था और अनुभव साथ साथ चलते हैं यदि हम उसे स्वीकार करें तो। बहुत धन्यवाद आपका।
@ शिवकुमार ( शिवा)
बहुत धन्यवाद आपका।
@ दिगम्बर नासवा
अतीत सरल लगता है, घटनाओं का सही मूल्य पता चलता है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ Avinash Chandra
अपने अनुभवों को ही उड़ेलने का प्रयास करता हूँ। बहुत धन्यवाद आपका।
@ रचना दीक्षित
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
धार कम न करने का विचार है, आगे भविष्य जाने। बहुत धन्यवाद आपका।
@ nivedita
बहुत हँसी आती है कुछ घटनाओं पर। बहुत धन्यवाद आपका।
@ रजनी मल्होत्रा नैय्यर
बहुत धन्यवाद आपका।
@ Sunil Kumar
बहुत धन्यवाद आपका।
@ Ratan Singh Shekhawat
ReplyDeleteप्रकृति हमें भी बहुत कुछ सिखाती है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ विष्णु बैरागी
आपका रोजमर्रा का वाक्य मेरे जीवन का दिशा निर्देशक है। बहुत धन्यवाद आपका।
फिर भी जीवन में कुछ तो है, हम थकने से रह जाते हैं,
ReplyDeleteभावनायें बहती, हृद धड़के, स्वप्न दिशा दे जाते हैं,
नहीं विजय यदि प्राप्त, हृदय में नीरवता सी छाये क्यों,
संग्रामों में हारे क्षण भी, हौले से थपकाते हैं।
सुन्दर, गहरे अर्थों को अपने भीतर समेटे भावपूर्ण आलेख। शुभकामनाएँ।
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
http://vyangya.blog.co.in/
http://www.vyangyalok.blogspot.com/
http://www.facebook.com/profile.php?id=1102162444
जो अनुभव का एक क्षण दे जाता है, उसे पाने में दर्शनशास्त्र को सदियाँ लग जाती हैं।..वाह!
ReplyDelete..कबीर ने भी कहा है पोथी पढ़ने से नहीं ढाई आखर प्रेम का महसूस करने मात्र से ही आदमी पंडित हो सकता है।
..ओशो ने भई वर्तमान में जीने की सलाह दी है।
..सुंदर पोस्ट। भाई अरविंद को ढेरों शुभकामनायें। आप जैसा बड़ा भाई सभी को मिले।
संग्रामों में हारे क्षण भी, हौले से थपकाते हैं
ReplyDeleteजीवन के हर कठिन समय को सहजता से स्वीकारने से बेहतर कोई उपाय नहीं और अपने अनुज को जीवन पथ में आने वाली हर कठिनाई से जीतने के लिए इससे बेहतर कोई मूलमंत्र नहीं दे सकते अग्रज . अनुज की सफलता और शुभ विवाह के लिए बहुत बहुत बधाई आपको :)
@ प्रमोद ताम्बट
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका। जीवन गहरा मान लिया जाये तभी जीवन का आनन्द।
@ देवेन्द्र पाण्डेय
यही ढाई आखर प्रेम का और तीन आखर जीवन का, शेष सब तो स्वतः आ जाता है। बहुत धन्यवाद आपका।
@ Lata R. Ojha
जीवन की कठिनाई को सहजता से ही लेना पड़ेगा, तभी जीवन हमसे सहज हो पायेगा।