आओ तुम जीवन प्रांगण में,
छाओ बन आह्लाद हृदय में,
उत्सुक है मन, बाट जोहता,
नहीं अकेले जगत सोहता,
तृषा पूर्ण, हैं रिक्तिक यादें,
आशान्वित बस समय बिता दें,
टूटेगी सुनसान उदासी,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी ।1।
अलसायी, झपकी, नम पलकें,
प्रेमजनित मधु छल-छल छलके,
स्वप्नचित्त, अधसोयी, हँसती,
जाने किस आकर्षण-रस की,
स्रोत बनी, कर ओत-प्रोत मन,
शमन नहीं हो सकने का क्रम,
रह-रह फिर आत्मा अकुलाती,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी ।2।
कोमल, कमल सरीखी आँखें,
प्रेम-पंक, उतराते जाते,
आश्रय बिन आधार अवस्थित,
मूक बने खिंचते, आकर्षित,
कहाँ दृष्टि-संचार समझते,
नैन क्षितिजवत तकते-तकते,
जाने कितनी रैन बिता दी,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी ।3।
सुप्तप्राय मन, व्यथा विरह की,
किन्तु लगा मैं अनायास ही,
आमन्त्रित यादों में रमने,
स्वप्नों के महके उपवन में,
आँखों में आकर्ष भरे तुम,
यौवन चंचल रूप धरे तुम,
बाँह पसारे पास बुलाती,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी ।4।
प्रात, निशा सब शान्त खड़े हैं,
आशाओं में बीत गये हैं,
देखो जीवन के कितने दिन,
मेघ नहीं क्यों बरसे रिमझिम,
आगन्तुक बन, सुख सावन में,
इस याचक का मान बढ़ाने,
आती तुम, अमृत बरसाती,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी ।5।
विवाह निश्चित होने के कुछ दिनों बाद ही यह कविता फूटी थी और अभी भी अधरों पर आ जाती है, गुनगुनाती हुयी, स्मृतियाँ लिये हुये। हाँ, आज विवाह को 12 वर्ष भी हो गये।
विवाह निश्चित होने के कुछ दिनों बाद ही यह कविता फूटी थी और अभी भी अधरों पर आ जाती है, गुनगुनाती हुयी, स्मृतियाँ लिये हुये। हाँ, आज विवाह को 12 वर्ष भी हो गये।
रचना सिर्फ 12 साल पुरानी, तर्ज छायावादी लेकिन गंध आदिम और शाश्वत मानवीय राग का.
ReplyDeleteयह रूप भी जारी रखिये
ReplyDeleteबहुत सुन्दर है
बारंवी सालगिरह पर आप दोनो को शुभकामनायें।
ReplyDeleteसुबह सुबह एक बहुत बढ़िया रचना पढ़ ली अब दिन बढ़िया गुजरेगा गुनगुनाते हुए |
ReplyDeleteबहुत सुंदर .... हर शब्द हर भाव मोती सा चुन कर सजाया है ....
ReplyDeleteलगता है आज के दिन ढेर सारी अच्छी-अच्छी घटनाएं हुई थीं। अभी ओशो के जन्म दिन के एहससास का आनंद ले ही रहा था कि आपने अपने शादी की वर्षगांठ की खबर दे दी। साथ में एक प्यारी कविता भी। आपकी एक कविता मुरली धारी मेरी हमेशा साथ रहने वाली डायरी में अंकित है..मैँ अपूर्ण, प्रभु पूर्ण पूरूष तुम...। इसे भी सहेजना पड़ेगा।
ReplyDelete...ढेर सारी बधाई।
आपके जीवन में सदैव उमंग हों,
ReplyDeleteखुशहाली के ही चारों तरफ़ रंग हों,
पवन सदैव मंद-मंद ही बहे,
और आप दोनों हमेशा ऐसे ही मुस्कुराते रहें।.....
शादी की सालगिरह मुबारक हो ।
ReplyDeleteप्रसाद जी याद आ गए। सरह प्रवाह लिए गेय रचना प्रातः काल को और सरस बना गई। ताजा हवा के एक झोंके समान .....! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteविचार-मानवाधिकार, मस्तिष्क और शांति पुरस्कार
... behatreen rachanaa ... vivaah parv ki varshghaanth ki badhaai va shubhakaamanaayen !!!
ReplyDeleteबढियां पंक्तियाँ |
ReplyDeleteशादी की बारहवीं वर्षगाँठ पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ |a
पाण्डेय जी आपका यह रूप तो मैंने पहली बार देखा अच्छा लगा क्या क्या छुपा रखा है आपने
ReplyDeleteशादी की बारहवीं वर्षगाँठ पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ |
बधाई १२ वर्ष पूरे होने पर . तारीख के हिसाब से आप एक दिन पहले हो मुझसे और साल के हिसाब से मै चार साल आगे हूं आपसे .
ReplyDeleteकविता बहुत अच्छी है .
विवाह वार्षिकी पर हमारा आशीष एवम् शुभकामनाएँ.. गीत पढ़्ना आरम्भ किया तो यही सोच रहा था. अंत में स्पष्ट हुआ!!
ReplyDeleteदिन की शुरुआत सुन्दर कविता के साथ! कविता की प्रतीक्षा कई दिनों से थी. धन्यवाद.
ReplyDeleteदिल्ली से वापसी में आपने ट्रेन में दो कवितायेँ लिखने की बात कही थी. कृपया उन्हें भी पढ़ने का मौका दें.
बधाइयाँ और शुभकामनाएं:) कविता का सन्दर्भ जानकार अच्छा लगा.
कोमल, कमल सरीखी आँखें,
ReplyDeleteप्रेम-पंक, उतराते जाते,
आश्रय बिन आधार अवस्थित,
मूक बने खिंचते, आकर्षित,
कहाँ दृष्टि-संचार समझते,
नैन क्षितिजवत तकते-तकते,
जाने कितनी रैन बिता दी,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी
yah bhaw hamesha rahe, shubhkamnayen
वैवाहिक वर्षगांठ पर आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteबहुत उम्दा गीत लगा. आभार इस गीत को हम सब को पढ़वाने का.
युगल जोड़ी को बधाइयाँ
ReplyDelete।
राहुल जी ने गन्ध आदिम और शाश्वत मानवीय राग कह मेरे मुँह की बात छीन ली।
कहते हैं कि 12 वर्ष में सब कुछ पुन: नया हो जाता है। पुराने समय की कथाओं में अक्सर 12 वर्षों की तपस्या के जिक्र मिलते हैं। अपने अनुभव बाँटिए न।
मैंने भी लिखा था।
http://girijeshrao.blogspot.com/2010/02/blog-post_14.html
दम्पति का फोटू अपेक्षित है।
विवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ....
ReplyDeleteउस समय मन के उठे भाव आज भी यूँ ही ताज़ा बने हुए हैं ..बहुत खूबसूरत रचना
सही कहूँ तो मुझे दुबारा पढ़ना पड़ा इसे, अच्छे से समझने के लिए :)
ReplyDeleteफोन करता हूँ आपको थोड़ी देर में, बधाई यहाँ नहीं दूँगा :)
कविता बहुत सुंदर लगी...
ReplyDeleteशादी की सालगिरह आपको बहुत बहुत मुबारक हो....
एक बात यह बताइए.... क्या आपका भी बाल-विवाह हुआ था...? ही ही ही ही ही ....... क्यूंकि आपकी स्किन से लगता नहीं ...
नमस्कार
ReplyDeleteशादी की सालगिरह मुबारक हो .....क्या भाव व्यक्त किये हैं आपने .....जीवन की अनुभूतिओं को शब्दों में पिरोकर पेश की यह कविता ....भाव पूर्ण है...हार्दिक शुभकामनायें
बारंवी सालगिरह पर आप दोनो को शुभकामनायें। प्रसाद और पंत की याद आ गई इसे पढकर।
ReplyDeleteकितनी सुन्दर रुमान के परिपाक से सुवासित कविता ....
ReplyDeleteयह समय के सापेक्ष नहीं बल्कि एक निरपेक्ष कालजयी कृति है !और राहुल जी का आकलन भी बिलकुल दुरुस्त -इसमें किसी और की छवि का भी रिफ्लेक्शन है ..मतलब उस सर्वशक्तिमान का और किसी का थोड़े ही :)
शादी की सालगिरह पर बधाई और शुभकामनाएं !
प्रवीण जी ,
ReplyDeleteवैवाहिक वर्षगांठ पर आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
और हां, जब भी मैं बंगलोर आऊंगा आपसे मिलने , आपसे ये गीत जरुर सुनूंगा.
बधाई ..
विजय
सुमधुर!
ReplyDeleteआप दोनों को हार्दिक शुभकामनायें, इस सुन्दर कविता के लिए आभार.
सर्वप्रथम तो आप दोनों लक्ष्मी-नारायण की युगल जोडी को विवाह की शुभकामनाएं। बहुत ही मनभावन गीत है लेकिन एक गीत के सहारे ही बारह वर्ष निकाल दिए? इतना श्रेष्ठ गीत लिखा है, तो और लिखो ना भाई। आज पुन: उसी होटल में पार्टी? हमें भी याद करके मिठाई खा लीजिएगा।
ReplyDeleteबधाई और शुभकामनायें... कल हमें दे दीजियेगा आठ साल पूरा करने पर...
ReplyDelete12 साल पुरानी रचना इतनी उत्कृ्ष्ट वाह । आपको शादी की सलगिरह पर बहुत बहुत बधाई। दाम्पत्यजीवन सुखमय हो। आशीर्वाद।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी रचना है .. वैवाहिक वर्षगांठ पर आप दोनो को बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteदेखो जीवन के कितने दिन,
ReplyDeleteमेघ नहीं क्यों बरसे रिमझिम,
आगन्तुक बन, सुख सावन में,
इस याचक का मान बढ़ाने,
आती तुम, अमृत बरसाती,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी ।5।
वा वाह...वा वाह ...
आज तो आनंद आ गया ! शुभकामनायें कविवर !
मुबारक हो।
ReplyDeleteसुप्तप्राय मन, व्यथा विरह की,
ReplyDeleteकिन्तु लगा मैं अनायास ही,
आमन्त्रित यादों में रमने,
स्वप्नों के महके उपवन में,
आँखों में आकर्ष भरे तुम,
यौवन चंचल रूप धरे तुम,
बाँह पसारे पास बुलाती,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी ।
विरह के दिन व्यतीत हुए १२ वर्ष हो चुके . साल गिरह पर हार्दिक शुभकामनाये
बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
ReplyDeleteसर्वप्रथम शादी के बारह वर्ष पूर्ण होने की हार्दिक बधाइयाँ...
ReplyDeleteऔर यह गीत बांटने का बहुत-बहुत धन्यवाद...
उत्सुक है मन, बाट जोहता,
नहीं अकेले जगत सोहता,
तृषा पूर्ण, हैं रिक्तिक यादें,
आशान्वित बस समय बिता दें,
टूटेगी सुनसान उदासी,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी ।1। सबसे सुन्दर...
कविता के साथ एक फोटो अपेक्षित था...युगल-मूर्ति की एक तस्वीर तो लगानी थी.
ReplyDelete(hope U hv got my earlier comment ..am perplexed...dnt know hv posted it or not...once again many Many Happy Returns of the Day!!!)
अरे वाह आप तो काव्य के भी महारथी निकले..छायावाद का रस पूर्ण रूप से दृष्टिगोचर है कविता में
ReplyDeleteबेहद सुन्दर और सुन्दर भावों से रची कविता.
यह भाव यूँ ही हमेशा बने रहें शुभकामनायें
आदरणीय प्रवीण जी
ReplyDeleteनमस्कार !
बहुत ही अच्छी रचना है
शादी की बारहवीं वर्षगाँठ पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ
आप स्वस्थ सुखी प्रसन्न और दीर्घायु हों , हार्दिक शुभकामनाएं हैं
संजय भास्कर
शादी की १२ वी वर्षगांठ पर मेरी शुभकामनाये स्वीकार करे आर्य . कविता के बारे में बस इतना कि अनिवर्चनीय आनंद कि अनुभूति हुई पढ़कर .
ReplyDeleteप्रवीण जी, वैवाहिक सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो।
ReplyDeleteशादी की बारहवीं वर्षगाँठ पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ |
ReplyDeleteबहुत ही मनभावन गीत …………गुनगुनाने का अपना मज़ा है।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआँखों में आकर्ष भरे तुम,
ReplyDeleteयौवन चंचल रूप धरे तुम,
बाँह पसारे पास बुलाती,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी ।
सुंदरतम रचना, एक एक शब्द जैसे मोती की तरह चुन चुन कर पिरोया गया है.
वैवाहिक वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएं. ईश्वर दोनों को स्वस्थ सुंदर और सुखी रखे.
रामराम.
विवाह की बारहवीं वर्ष गॉंठ पर हार्दिक अभिनन्दन, बधाइयॉं और शुभ-कामनाऍं।
ReplyDeleteमेरा मित्र मण्डल मेरी ही तरह कुटिल और क्रूर हैा मेरे विवाह की बारहवीं वर्ष गॉंठ पर भाई लोगों ने बडे-बडे अक्षरों एक वाक्य छपवा कर सुन्दर और मँहगी फ्रेम में जडवा कर भेंट किया था। वाक्य था - घबराना मत पट्ठे! आज से तेरे अच्छे दिन शुरु हो गए हैं। बारह साल में तो घूरे के दिन भी फिरते हैं।' मेरी पत्नी बहुत खिन्न हुई थी और गुस्से में फ्रेम फेंक दिया था।
लकिन अब स्थिति एकमदम विपरीत है। वह फ्रेम देनेवाले मित्रों को अपनी ओर से फोन कर कहती है - वैसी ही फ्रेम फिर से भेंट कीजिए।
प्रसादजी ने ठीक ही कहा था -
मानव जीवन वेदी पर,
परिणय है विरह-मिलना का।
दु:ख-सुख दोनों नाचेंगे,
है खेल ऑंख का, मन का।
आप के विवाह की वर्ष गाँठ पर.. बारह वर्ष के शुकून का आमंत्रण निर्धारित कराती भाव पूर्ण कविता प्रस्तुत करने के लिए धन्य वाद और बधाई |
ReplyDelete`अलसायी, झपकी, नम पलकें,
ReplyDeleteप्रेमजनित मधु छल-छल छलके,'
सुंदर चित्र खींचा है.... बधाई स्वीकारें :)
आप दोनो को बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteयह गीत बारह साल बाद भी जितना ताजा और रूमानियत से लबरेज़ है आपका दाम्पत्य भी उतना ही तरोताज़ा और गर्मजोशी से भरा रहे, हम इसकी हार्दिक कामना करते हैं।
गिरिजेश भैया की फरमाइश पर ध्यान दिया जाय।
अन्तर्मन की भावनाओं को वयक्त करती इस शानदार प्रस्तुति के साथ आपको शादी की 12वीं सालगिरह की हार्दिक बधाईयां...
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
विवाह की बारहवीं सालगिरह पर शुभकामनायें व बधाई।
...
विवाह के बारह वर्ष ही बीते हैं अभी तो ,ऐसे ही माधुर्य प्रीति और आनन्द- सिक्त अर्द्धशती भी आए और सफलतापूर्वक आगे बढ़ती जाए !
ReplyDeleteइस सुन्दर कविता की भावनाएं हृदय में सतत विद्यमान रहें!
अच्छी प्यास जगा रखी है आपने,वर्ना नया जोश ठंढा होने में देर नहीं लगती.
ReplyDeleteप्रियतम से मिलने को आतुर प्रिय की सुन्दर अभिव्यक्ति !
:)
ReplyDeleteसुप्तप्राय मन, व्यथा विरह की,
ReplyDeleteकिन्तु लगा मैं अनायास ही,
आमन्त्रित यादों में रमने,
स्वप्नों के महके उपवन में,
आँखों में आकर्ष भरे तुम,
यौवन चंचल रूप धरे तुम,
बाँह पसारे पास बुलाती,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी ।4।
--
यह चित्रगीत बहुत अच्छा लगा!
--
इस यादगार को सदैव संजोकर रखना!
यही तो पहले एहसास होते है दिल के जो काव्यधारा में बह निकलते है ...बधाई स्वीकार करे
ReplyDeleteमुबारका !!
ReplyDeleteआप दोनों को वैवाहिक जीवन के बारहवें पड़ाव की अन्नत शुभकामनायें ! यह गीत जीवन भर यूँ ही जीवन महकाता रहे !
ReplyDeleteसुप्तप्राय मन, व्यथा विरह की,
ReplyDeleteकिन्तु लगा मैं अनायास ही,
आमन्त्रित यादों में रमने,
स्वप्नों के महके उपवन में,
आँखों में आकर्ष भरे तुम,
यौवन चंचल रूप धरे तुम,
बाँह पसारे पास बुलाती,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी ..
इतनी मधुर प्रेमाभिव्यक्ति को इतने समय तक आपने छुपा कर रक्खा है प्रवीण जी ... ये ज़्यादती है आपके प्रशंसकों पर ... मज़ा आ गया इस मधुर गीत पर ...
वैवाहिक वर्षगांठ पर आपको बहुत बहुत शुभकामनाएँ....
ReplyDeleteविवाह की वर्षगाँठ के हार्दिक शुभकामना.. गीत सुन्दर है.. शब्द से कविता कोई ३०-४० वर्ष पूर्व की लगती हैं... कभी मेरे ब्लॉग पर भी पधारें... http://palkonkesapne.blogspot.com/2010/12/blog-post_09.html
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 14 -12 -2010
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
शादी की सालगिरह मुबारक हो. बहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteशादी की साल गिरह की बहुत बहुत बधाई \|
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति-
ReplyDelete@ Rahul Singh
ReplyDeleteजीवन तो प्रतीक्षारत ही निकल जाता है, बस विषय बदलते रहते हैं। प्रतीक्षा और प्यास निश्चय ही शाश्वत मानवीय राग हैं।
@ M VERMA
नेपथ्य में यह धारा बह रही है, धीरे धीरे। आप लोगों की शुभेच्छायें मिलती रहेंगी तो क्रम बना रहेगा।
@ उन्मुक्त
बहुत धन्यवाद आपका।
@ नरेश सिह राठौड़
हम तो जब कभी भी सुनते हैं, गुनगुनाते हैं, दिन अच्छा निकल जाता है।
@ डॉ॰ मोनिका शर्मा
बहुत धन्यवाद आपका। स्वतः ही बन गयी यह कविता, भाव बह चले।
@ देवेन्द्र पाण्डेय
ReplyDeleteओशो के जन्मदिन का सुनकर एक आत्मिक शान्ति घर कर गयी। हमारा दिन तो आप लोगों के उत्साह-वचन सुनकर ही अच्छा होने लगा था।
@ Archana
कवितामयी शुभकामनाओं का प्रभाव भी कवित्व-आनन्द लिये होगा।
@ ZEAL
बहुत धन्यवाद आपका।
@ मनोज कुमार
प्रसाद के महाप्रासाद के सम्मुख स्थिर होना सीख रहे हैं। कवियों की जितनी कृपा हो जाये, कम है।
@ 'उदय'
बहुत धन्यवाद आपका।
@ Ratan Singh Shekhawat
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका।
@ Sunil Kumar
ऐसा कुछ भी छिपा कर नहीं रखा है, जो है, व्यक्त है। गद्य लेखन तो जीवन में बाद में आया, कवितायें पहले की साथी हैं।
@ dhiru singh {धीरू सिंह}
आपको भी बधाई, आपका अनुभव 16वें साल में प्रवेश कर गया है।
@ सम्वेदना के स्वर
अच्छा हुआ पहले ही लिख गयीं ये कवितायें, अभी लिखते तो सन्देहों के घेरे में खड़े होते।
@ निशांत मिश्र - Nishant Mishra
दोनों ही कवितायें शीघ्र ही डालूँगा ब्लॉग पर। मन जब द्रवित हो बहता है, कविता बनती है।
@ रश्मि प्रभा...
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद। यह भाव जब भी रह रह कर उमड़ता है, कविता पढ़ लेता हूँ या नयी लिख लेता हूँ।
@ Udan Tashtari
बहुत धन्यवाद आपका, आप जैसे कविमना का भाना भी आवश्यक था मेरे लिये।
@ गिरिजेश राव
अब पता नहीं तपस्या मेरे लिये थी कि श्रीमती जी के लिये। कभी कभी तो मेरी स्थिति वा डोलत रस आपने जैसी हो जाती है। आपके अनुभव पढ़कर इस तपस्या की सार देख लिया। खट्टा और मीठापन, दोनों ही लिखूँगा, निश्चय ही।
हाँ दम्पति का चित्र अगली पोस्ट पर आ रहा है।
@ संगीता स्वरुप ( गीत )
बहुत धन्यवाद, भाव तो अभी भी लगते हैं कि कल ही आये ङों।
@ abhi
अब इसे पढ़ने की नहीं, गढ़ने की आवश्यकता है आपके लिये। जब प्रतीक्षा बलवती हो जायेगी, आपकी भी धार बह निकलेगी।
विवाह के उपरान्त भी ऐसे गीत फूट सकते हैं ...जोक्स अपार्ट .... बहुत खूबसूरत लय है..हर पढ़ने वाली की ज़बां पर चढ सकता है ... वर्षगाँठ की शुभकामनायें आप को ...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति.........मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ जिस पर हर गुरुवार को रचना प्रकाशित साथ ही मेरी कविता हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" at www.hindisahityamanch.com पर प्रकाशित..........आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे..धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत सुंदर...आगे भी यही प्रेम बरकरार रहे और ऐसे ही गीत लिखें ...शुभकामनाएं
ReplyDeletehttp://veenakesur.blogspot.com/
सुन्दर रचना ..प्रेम में विभोर.. आप दोनों को विवाह की १२ वीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं .. और इसी तरह की सुन्दर रचनाये आपके कलम से निकलें .|
ReplyDeleteकोमल अहसासों से परिपूर्ण भावमयी सुन्दर प्रस्तुति..बारहवीं सालगिरह पर हार्दिक शुभ कामनायें..
ReplyDeleteसॉरी मैं लेट हो गयी...
ReplyDeleteढेर ढेर शुभकामनाएं !!!!
रचना पर क्या कहूँ...शब्दहीन हूँ....बस आशीर्वाद देती हूँ भर भर के...
@ महफूज़ अली
ReplyDeleteजब विवाह हो गया तब की मानसिकता बच्चों जैसी ही थी, तब तो यह बाल विवाह ही हुआ। हम तो चाह रहे हैं कि आप भी विवाह कर ले और कोई सुन्दर सी कविता लिखें।
@ केवल राम
वैवाहिक जीवन के पहले की अनुभूतियाँ ही हैं, बाद में तो साक्षात अनुभव होते रहे, भाँति भाँति के।
@ अरुण चन्द्र रॉय
आपके द्वारा उत्साह बढ़ाना मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आपका बहुत धन्यवाद।
@ Arvind Mishra
जब प्रतीक्षा में समय का पता ही नहीं चलता है तो समय से निरपेक्ष कविता ही हुयी। छवियाँ तो रूप लेती रहती हैं, लगातार।
@ Vijay Kumar Sappatti
आप आइये, आपको तो गा कर सुनाऊँगा यह कविता।
@ Avinash Chandra
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका। शब्दों की जादूगरी तो आपसे सीखने को मिलती है।
@ ajit gupta
बहुत बार कहा कि पुनः ऐसा ही गीत लिखने के लिये वातावरण बनाया जाये, पर निष्कर्षहीन रहीं ऐसी प्रार्थनायें। गीत का मान रखते हुये 12 वर्ष बीत गये हैं।
@ भारतीय नागरिक - Indian Citizen
बहुत बधाई हो आपको भी। आप चार साल और सम्हालिये हमारे जैसा अनुभव पाने के लिये।
@ निर्मला कपिला
बहुत धन्यवाद आपका। आपकी शुभकामनायें बहुत काम आयेंगीं।
@ संगीता पुरी
बहुत धन्यवाद आपका।
@ सतीश सक्सेना
ReplyDeleteआप तो सदा ही आनन्द विभोर रहते हैं, हृदय का प्रतिविम्ब व्यवहार में भी।
@ राजेश उत्साही
बहुत धन्यवाद आपका।
@ गिरधारी खंकरियाल
जब वर्तमान से असन्तोष होता है तो उन विरह के दिनों को याद कर लेता हूँ, विचार व्यवस्थित हो जाते हैं।
@ राज भाटिय़ा
बहुत धन्यवाद आपका।
@ POOJA...
आप भी उसी राह जा रही हैं जहाँ पर कोई आपके लिये ऐसा ही गीत गा रहा होगा।
@ rashmi ravija
ReplyDeleteचित्र अगली पोस्ट पर आ रहा है। आपका पिछला कमेंट हमें भी नहीं मिला।
@ shikha varshney
प्रथम प्रेम तो काव्य ही से है, गद्य लेखन विचारक्षेत्र में बाद में अवतरित हुआ। उत्साह बढ़ाने का बहुत धन्यवाद।
@ संजय भास्कर
बहुत धन्यवाद आपका।
@ ashish
आपको अच्छा लगा, यह मन को सन्तोष है।
@ मो सम कौन ?
बहुत धन्यवाद आपका।
@ वन्दना
ReplyDeleteयह गीत गुनगुनाने में बहुत अच्छा लगता है।
@ Shekhar Kumawat
बहुत धन्यवाद आपका।
@ ताऊ रामपुरिया
बहुत धन्यवाद आपका। मन के सरलतम भाव सुन्दर लगते हैं, संभवतः वही व्यक्त हो गया।
@ विष्णु बैरागी
हम तो उसी आस में बैठे हैं कि दिन बहुरेंगे। कहाँ मिलता है वह फ्रेम। द्वन्द का मिलन पृथ्वी पर ही संभव है।
@ gyanesh
बारह वर्ष के बाद के अनुभव को प्रथम अनुभव के सापेक्ष नापने का प्रयास भर है।
@ cmpershad
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
चित्र अगली पोस्ट पर आ रहा है, उतार चढ़ाव से भरे जीवन में प्रारम्भ में की हुयी कामना रह रह कर याद आती है।
@ सुशील बाकलीवाल
बहुत धन्यवाद आपका।
@ प्रवीण शाह
बहुत धन्यवाद आपका।
@ प्रतिभा सक्सेना
अर्धशती की शुभकामनायें कुछ अधिक नहीं हैं? हर वर्ष के प्रारम्भ में एक वर्ष ही ठीक से निकल जाने की प्रार्थना कर लेते हैं।
@ संतोष त्रिवेदी ♣ SANTOSH TRIVEDI
ReplyDeleteरह रह कर वही प्रतीक्षा वाली प्यास जगा लेते हैं।
@ Kajal Kumar
बहुत धन्यवाद आपका।
@ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
पिछले 12 वर्षों से संजोकर रखे हैं और रह रह कर पढ़ लेते हैं।
@ Sonal Rastogi
भावों को पहचानने का बहुत आभार। सब संभवतः ऐसा ही सोचते होंगे।
@ प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI
बहुत धन्यवाद आपका।
@ ushma
ReplyDeleteवैवाहिक जीवन का उत्साह बढ़ाने के लिये विशेष शुभकामनायें।
@ दिगम्बर नासवा
प्रतीक्षा वाले गीत, प्रतीक्षारत ही रहे जीवन में। बहुत धन्यवाद आपका।
@ मेरे भाव
12 वर्ष पूर्व लिखी है, 40 वर्ष का तो मैं भी नहीं हुआ हूँ।
@ संगीता स्वरुप ( गीत )
इस सम्मान के लिये बहुत धन्यवाद आपका।
@ रचना दीक्षित
बहुत धन्यवाद आपका।
कित्ती प्यारी कविता..शादी की 12 वीं सालगिरह पर मेरी तरफ से ढेर सारी मिठाइयाँ खाइएगा.
ReplyDelete________________
'पाखी की दुनिया; में पाखी-पाखी...बटरफ्लाई !!
@ शोभना चौरे
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका।
@ प्रेम सरोवर
बहुत धन्यवाद आपका।
@ स्वप्निल कुमार 'आतिश'
सही कहा आपने, यह कविता तो विवाह के पहले ही फूटी थी, अब तो बस याद आती है।
@ Er. सत्यम शिवम
बहुत धन्यवाद आपका।
@ वीना
बहुत धन्यवाद आपका।
बहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत - बहुत शुभकामना
--
दिल से निकली हुई रचना है, मन को छू गयी। बधाई तो बनती ही है।
ReplyDelete---------
दिल्ली के दिलवाले ब्लॉगर।
कोमल, कमल सरीखी आँखें,
ReplyDeleteप्रेम-पंक, उतराते जाते,
आश्रय बिन आधार अवस्थित,
मूक बने खिंचते, आकर्षित,
कहाँ दृष्टि-संचार समझते,
नैन क्षितिजवत तकते-तकते,
जाने कितनी रैन बिता दी,
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी
बहुत ही लाजबाब, बाई दी वे ; भाभी जे ने कभी गा कर सुनाई यह कविता आपको आपसी वाक्-युद्ध के बाद टोंट के तौर पर : )
बारंवी सालगिरह पर आप दोनो को ढेरों शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत है! :-)
शादी की सालगिरह की आपको बहुत-बहुत शुभकामनायेँ।
ReplyDeleteकविता की प्रत्येक पंक्ति गुन गुनाने मेँ बहुत ही आसन है जिसके लिए किसी भी प्रकार के Musical instrument की आवश्यकता नहीँ है सभी Instruments कविता के प्रत्येक शब्द मेँ मौजूद हैँ। आभार प्रवीण जी।
bahut hi bhavbhari rachna .vivah ki 12 vi varshgathh par aap dpno ko hardik shubhkamnaye !
ReplyDeleteaati tum amrit barashati nice line ,aap ki kavita bahut achchhi hai .
ReplyDeletehaardik shubhkamnayein!
ReplyDelete@ डॉ. नूतन - नीति
ReplyDeleteभगवान करे आप की दुआ मुझे लग जाये और मैं कुछ और सार्थक लिख सकूँ।
@ Kailash C Sharma
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
@ रंजना
आशीर्वाद जब भी मिल जाये, वही दिन शुभ है।
@ Akshita (Pakhi)
अधिक मिठाई खा ली तो मोटे हो जायेंगे, आप पहचान नहीं पाओगी तब।
@ दीप
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’
ReplyDeleteआपको अच्छी लगी, धन्य भाग्य हमारे।
@ पी.सी.गोदियाल
उल्टा हम ही गा देते हैं, ब्रम्हास्त्र के रूप में।
@ Anjana (Gudia)
बहुत धन्यवाद है आपका।
@ Dr. Ashok palmist blog
आपनी संगीतमय प्रशंसा कर निरुत्तर कर दिया है।
@ shikha kaushik
बहुत धन्यवाद आपका।
@ IRA Pandey Dubey
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका उत्साहवर्धन के लिये।
@ अनुपमा पाठक
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
अनुपम प्रेम से पगा अनुरागमय उद्बोधन ! प्रवीण जी आपकी कविता इतनी सुंदर है कि इसकी प्रेरणा श्रीमती पांडे को देखने की इच्छा प्रबल हो गयी है ! कविता की तरह ही सभी पाठकों की प्रतिक्रियाएं एवं आपके प्रत्युत्तर भी उतने ही रोचक लगे ! आप दोनों के सुखद दाम्पत्य जीवन के लिये हार्दिक शुभकामनायें !
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