मैं अपूर्ण, प्रभु पूर्ण-पुरुष तुम,
मैं नश्वर, प्रभु चिर-आयुष तुम ।
मैं कामी, प्रभु कोटि काम-रति,
मैं प्राणी, प्रभु सकल प्राण-गति ।
मैं भिक्षुक, प्रभु दानवीर हो,
मैं मरुथल, प्रभु अमिय-नीर हो ।
मैं प्यासा, प्रभु आशा गगरी,
मैं भटकूँ, प्रभु उत्सव-नगरी ।
मैं कुरूप, प्रभु रूप-प्रतिष्ठा,
मैं प्रपंच, प्रभु निर्मल निष्ठा ।
मैं बाती, प्रभु कोटि दिवाकर,
मैं बूँदी, प्रभु यश के सागर ।
मैं अशक्त, प्रभु पूर्ण शक्तिमय,
मैं शंका, प्रभु अन्तिम निर्णय ।
मैं मूरख, प्रभु ज्ञान-सिन्धु सम,
मैं रागी, प्रभु त्याग, तपोवन ।
मैं कर्कश, प्रभु वंशी सुरलय,
मैं ईर्ष्या, प्रभु प्रेम, प्रीतिमय ।
मैं प्रश्नावलि, प्रभु दर्शन हो,
मैं त्यक्या, प्रभु आकर्षण हो ।
मैं आँसू, प्रभु वृन्दावन-सुख,
मैं मथुरा, प्रभु गोकुल उन्मुख ।
मैं मदमत, प्रभु क्षमा-नीर नद,
मैं क्रोधी, प्रभु शान्त, शीलप्रद ।
मैं पंथी, प्रभु अंत-पंथ हो,
मैं आश्रित, प्रभु कृपावंत हो ।
मुरलीधारी मधुर मनोहर,
शापित शक्तिहीन सेवक पर,
बरसा दो प्रभु दया अहैतुक,
कृपा करो हे प्रेम सरोवर ।
वाह! बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति!
उत्कृष्ट अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteमैं भ्रमित ,ओ अद्रश्य आदर्श !!
अद्भुत! अप्रतिम! अत्योत्कृष्ट!
ReplyDeleteइतना बढ़िया ............दिन भर गाना है भजन ये ...........
ReplyDeleteमैं में अवगुण, प्रभु मे गुण ही गुण है..
ReplyDelete..यथा नाम, तथा गुण..जै प्रवीण।
..जै श्री कृष्ण.
बहुत अच्छी कविता।
ReplyDeleteराष्ट्रीय एकता और विकास का आधार हिंदी ही हो सकती है।
शब्दहीन कर दिया आपने तो........
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जन्माष्टमी की शुभकामनाओं के साथ इस मनमोहक पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई भी स्वीकारें
जबरदस्त ,यह है काव्य का निर्झर -कृष्ण जन्म पर आपकी कवि उत्फुलता...
ReplyDeleteभाव ,शिल्प ,अभिव्यक्ति प्रतिवेदन सब लिहाज से एक उत्कृष्ट रचना ...
त्यक्या=त्यक्त्या?
ati sunder, bhaw bhakti se otprot.
ReplyDeleteबहुत शानदार, सर।
ReplyDeleteजन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें।
gaagar men saagar bhar diya aapne...prabhu ke saamne poori tarah se khul gaye hain aap....jai ho !
ReplyDeleteमैं भटकूँ, प्रभु उत्सव-नगरी... आइये हम भी उत्सव मनाएँ... इस प्रेम सरोवर में डूब के हम भी कृष्ण हो जाएँ...
ReplyDeleteजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!
जन्माष्टमी पर बहुत ही खूबसूरत रह्च्ना..... सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से अपने उद्दगार प्रकट किये हैं ..कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत बढ़िया,
ReplyDeleteजन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें !!
सुन्दर कविता ...
ReplyDeleteजन्माष्टमी की शुभकामनायें ...!
मुरलीधर के सम्मोहन से कौन बच पाया है ... बचपन से आज तक हर रूप में सम्पूर्ण पाया है इनको.
ReplyDeleteजन्माष्टमी की शुभकामनाये
अद्भुद रचना ... सचमुच उत्कृष्ट
ReplyDeleteएक बार तो विश्वास नहीं हुआ कि आपने ही ... :P
कृष्ण जन्मोत्सव की शुभकामनाएँ
are waah ...itna pyara bhajan ..
ReplyDeletebehtareen.
बहुत सुंदर भजन जी,जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें।
ReplyDeleteजन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें।सुन्दर भजन्।
ReplyDeleteprveen
ReplyDeletebhkti rs ki chashni me pgi bhut hi sunder bhavabhivykti .
bhut achchhe.
इस परम पावन आर्त प्रार्थना पर टिपण्णी को शब्द कहाँ से लाऊं ????
ReplyDeleteमुरलीधर आपपर और हम सबपर अपने स्नेह की अनवरत वर्षा करें......
इसे संजोग कर रख लिया है...
अनंत शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर प्रभु भक्ती |
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति... शुभकामनायें...
ReplyDeleteईमेल से प्राप्त संजीव तिवारी जी की टिप्पणी
ReplyDeleteजन्माष्टमी की शुभकामनांए.
सुनकर विभूषित है बंशी से, आभा नव नीरव सम श्याम
पीताम्बर शरीर में शोभित, अरूण बिम्ब सम अधर ललाम
पूर्ण इंदु सम जिनके मुखवा, जिनके कमल नयन है धन्य
उस भगवान कृष्ण से बढ़कर, विदित ना मुझे तत्व कुछ अन्य
कवि - अज्ञात
भावपूर्ण उदगार
ReplyDeleteअद्भुत काव्य
ReplyDeleteजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
ReplyDeleteजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
जय श्रीकृष्ण
एतना गहरा प्रभु बंदना के बाद मनसांत हो गया..
ReplyDeleteकृष्ण जन्माष्टमी के पहले बेहतर प्रस्तुति। आपको कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteजन्माष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
ReplyDeleteअद्भुत।
ReplyDeleteजन्माष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर उपहार है आपकी तरफ से ब्लॉग जगत को |आभार
ReplyDeleteमेरी दैनिक प्रार्थना
सांवरे घन श्याम तुम तो ,प्रेम के अवतार हो ,
फंस रहा हूँ झंझटो में ,तुम ही खेवनहार हो ,
चल रही आँधी भयानक ,भंवर में नैया पड़ी ,
थाम लो पतवार हे ! गिरधर तो बेडा पर हो ,
नगन पद गज के रुदन पर, दौड़ने वाले प्रभु ,
देखना निष्फल न मेरे , आंसुओ की धार हो ,
आपका दर्शन मुझे इस छवि में बारम्बार हो ,
हाथ में मुरली मुकुट सिर पर गले बन माल हो ,
है यही अंतिम विनय तुमसे, मेरी ए नन्दलाल ,
मै तुम्हारा दास हूँ और तुम, मेरे महाराज हो ,
मै तुम्हारा दास हूँ और तुम, मेरे महाराज हो..........................
sundar, antartam ko chhu jaaye aisi shabd rachna... janmaashtmi ki badhai aur shubhakamnayein....
ReplyDeleteअरे मुआफी, एक बात तो पूछना भूल गया जो सोचा था. क्या आपने शिवाजी सावंत लिखित युगंधर पढ़ी है? मूल मराठी में लेकिन हिंदी में अनुवादित, यदि नहीं तो जरुर जरूर पढ़ें...
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये.
ReplyDeleteबहुत खूब! जन्माष्टमी की बधाई!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ! उम्दा प्रस्तुती!
श्री कृष्ण-जन्माष्टमी पर सुन्दर प्रस्तुति...ढेर सारी बधाइयाँ !!
ReplyDelete________________________
'पाखी की दुनिया' में आज आज माख्नन चोर श्री कृष्ण आयेंगें...
खूबसूरत अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteश्री कृष्ण-जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.
बहुत ही सुन्दर,जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteहरे कृष्ण !
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबेहतरीन, वाह... अब हम क्या टीपें... शानदार
ReplyDeleteनिर्झर झरना... आपके प्रेम का
वाह ! कवि रूप के भी दर्शन करा दिए !
ReplyDeletebehtareen praveen jee..........:)
ReplyDeletejanmastami ki subhkamnayen......
बहुत खूबसूरत बिम्ब है...अनुनय विनय के भाव कृष्ण की तरह मनमोहने है...
ReplyDeleteबढिया ....... जय जगदीश हरे जैसा ॥ बधाई॥
ReplyDelete.
ReplyDeleteउत्कृष्ट अभिव्यक्ति !!
.
बहुत सुन्दर.. :)
ReplyDeleteइस जन्माष्टमी पर सबसे अच्छा उपहार
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी पर अद्भुत भावमय अभिब्यक्ति। श्री कृष्ण का तो पूरा जीवन ही रास, भक्ति, योग और कर्म का सन्देश देता है। श्री कृष्ण, राधा और महारास तीनों मिलकर मानव को प्रेम का सन्देश देते हैं। आपकी इस कविता में भी राधा का प्रेम और श्री कृष्ण का समर्पण भाव नजर आता है। इस प्रार्थना में नैसर्गिक और सहज प्रवाह है। इसमें अध्यात्म के कुम्भ से छलका हुआ भक्ति रस तो है ही,जीवन का वह उल्लास भी है जो हमें ललित से जोडता है। श्री कृष्ण पर तो आपको एक पूरा ललित निबन्ध लिखना चाहिये।
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी पर अद्भुत भावमय अभिब्यक्ति। श्री कृष्ण का तो पूरा जीवन ही रास, भक्ति, योग और कर्म का सन्देश देता है। श्री कृष्ण, राधा और महारास तीनों मिलकर मानव को प्रेम का सन्देश देते हैं। आपकी इस कविता में भी राधा का प्रेम और श्री कृष्ण का समर्पण भाव नजर आता है। इस प्रार्थना में नैसर्गिक और सहज प्रवाह है। इसमें अध्यात्म के कुम्भ से छलका हुआ भक्ति रस तो है ही,जीवन का वह उल्लास भी है जो हमें ललित से जोडता है। श्री कृष्ण पर तो आपको एक पूरा ललित निबन्ध लिखना चाहिये।
ReplyDeleteप्रिय बंधुवर प्रवीण पाण्डेय जी
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनाएं !
मैं मूरख, प्रभु ज्ञान-सिन्धु सम !
मैं कर्कश, प्रभु वंशी सुरलय !
मैं आँसू, प्रभु वृन्दावन-सुख ! मन करता है गाते ही रहें , आपकी यह सुंदर उत्कृष्ट रचना !
आपकी निर्मल मुस्कान का रहस्य आपका निर्मल पावन हृदय ही है , जो आपकी इस रचना में मुखरित हुआ है ।
हार्दिक शुभकामनाएं !
मंगलकामनाएं !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
यह हुई कोई बात!
ReplyDeleteवर्ना ज़माना तो ढलान पर सही दिशा में है, उलट होते ही चढ़ाई बन जाती है ढलान।
आपने लगता है ढलान पर गति को थामा ही नहीं, दिशा उलट ली गति की!
जय हो कृष्ण!
@ Udan Tashtari
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद
@ राम त्यागी
हम भ्रमितों को आदर्श सदा ही खीचते रहे हैं।
@ निशांत मिश्र - Nishant Mishra
अद्भुत! अप्रतिम! अत्योत्कृष्ट! तो कृष्ण का व्यक्तित्व है।
@ Archana
आपके भजन ने तो समग्र भक्ति उड़ेल दी रचना में।
@ बेचैन आत्मा
अवगुण मेरे धर लेना ही प्रभु का गुण है।
@ राजभाषा हिंदी
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद।
@ डॉ. मोनिका शर्मा
शब्दों के उद्गमकर्ता को व्यक्त करते समय शब्दहीन तो हम हो जाते हैं।
@ Arvind Mishra
कृष्ण जो करा लें, कम है।
@ Mrs. Asha Joglekar
कृष्ण का आकर्षण ही है इतना मधुर।
@ मो सम कौन ?
बहुत धन्यवाद।
@ संतोष त्रिवेदी
ReplyDeleteप्रभु के सम्मुख अपने अवगुण स्वीकारने में कैसी शर्म।
@ richa
कृष्ण तो सदैव उत्सव के वातावरण में रहते हैं। उनसे विलग हो हम दुख पाते रहते हैं।
@ Shah Nawaz
बहुत धन्यवाद
@ संगीता स्वरुप ( गीत )
कृष्ण से सम्बन्धित सभी वस्तुयें खूबसूरत हो जाती हैं।
@ सत्यप्रकाश पाण्डेय
बहुत धन्यवाद।
@ वाणी गीत
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद।
@ Sonal Rastogi
मुरलीधारी ने आयु के हर पड़ाव पर लुभाया है जीवन को।
@ पद्म सिंह
सच में मैंने नहीं लिखी है। मै तो निमित्त मात्र था
, उच्चारण और कोई कर रहा था।
@ shikha varshney
बहुत धन्यवाद।
@ राज भाटिय़ा
बहुत धन्यवाद आपको।
@ वन्दना
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद।
@ RAJWANT RAJ
वृन्दावन में बैठ लिखी कविता भक्त से पग ही जानी है।
@ रंजना
जब सारे अवगुण स्वीकार कर लिये हैं तो कोई शब्द कहाँ से लाऊँ।
@ नरेश सिह राठौड़
बहुत धन्यवाद
@ rohitler
बहुत धन्यवाद।
@ संजीव तिवारी
ReplyDeleteबड़ी सुन्दर कविता पढ़वायी।
@ rashmi ravija
कान्हा ने कितनो को भावुक बना दिया है।
@ रचना दीक्षित
बहुत धन्यवाद।
@ चला बिहारी ब्लॉगर बनने
बार बार पढ़कर अपने अवगुणों को जान लेने पर मेरा भी चित्त शान्त बैठा है।
@ satyendra...
बहुत धन्यवाद
@ महफूज़ अली
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद
@ मनोज कुमार
बहुत धन्यवाद
@ शोभना चौरे
आपकी दैनिक प्रार्थना पढ़ मन मुग्ध हो गया।
@ Sanjeet Tripathi
भगवान से क्या कृत्रिमता। सब सच बताना पड़ता है। मृत्युंजय व छावा पढ़ी है।
@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
बहुत धन्यवाद।
@ Babli
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद।
@ Akshita (Pakhi)
बहुत धन्यवाद।
@ Akanksha~आकांक्षा
बहुत धन्यवाद।
@ पी.सी.गोदियाल
बहुत धन्यवाद।
@ अभिषेक ओझा
बहुत धन्यवाद।
@ संजय भास्कर
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद
@ Vivek Rastogi
कृष्ण सबका प्रेम समेटे बैठे हैं, जिससे चाहते हैं निकलवा लेते हैं।
@ hem pandey
कवि बन कर कुछ प्रयास किया है, शेष कान्हा ने करवा लिया है।
@ Mukesh Kumar Sinha
बहुत धन्यवाद।
@ dimple
आराध्य को सत्य के पुष्प चढ़ाने में कैसी लाज।
@ cmpershad
ReplyDeleteप्रलय पयोधि तो भक्ति की पराकाष्ठा है।
@ Divya
बहुत धन्यवाद।
@ abhi
बहुत धन्यवाद।
@ dhiru singh {धीरू सिंह}
वृन्दावन में रचा वृन्दावन-बिहारी को अर्पित।
@ विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशन
कृष्ण के सम्पर्क में तो आत्मा शुद्ध हो जाती है, यह तो साहित्य है।
@ Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार
ReplyDeleteजितनी बार भी पढ़ा, मन में समाता गया।
@ Himanshu Mohan
दिशा तो निश्चय ही बदसी है, तभी कृष्ण दीख रहे हैं।
namast praveen ji....phali bar aapke blog par aai hu bt krishna ji k is bhajan par to dil khush ho gaya...mujhe words nahi mil rahe iske liye....seriously....very beautifully written n heart touching bhajan....bahut bahut bhadai....Archana
ReplyDelete@ zindagi-uniquewoman.blogspot.com
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद। श्रेय अर्चना जी के मधुर स्वर को जाता है।
avaak hoon padh kar
ReplyDeletesamarpan ka bhaav kya isse bhio gehra ho sakta hai
nashvar-anashvar ka bodh karati
man mein bas jane wali rachna
abhaar
Naaz