1.9.10

मुरलीधारी मधुर मनोहर


मैं अपूर्ण, प्रभु पूर्ण-पुरुष तुम,

मैं नश्वर, प्रभु चिर-आयुष तुम ।

मैं कामी, प्रभु कोटि काम-रति,

मैं प्राणी, प्रभु सकल प्राण-गति ।

मैं भिक्षुक, प्रभु दानवीर हो,

मैं मरुथल, प्रभु अमिय-नीर हो ।

मैं प्यासा, प्रभु आशा गगरी,

मैं भटकूँ, प्रभु उत्सव-नगरी ।

मैं कुरूप, प्रभु रूप-प्रतिष्ठा,

मैं प्रपंच, प्रभु निर्मल निष्ठा ।

मैं बाती, प्रभु कोटि दिवाकर,

मैं बूँदी, प्रभु यश के सागर ।

मैं अशक्त, प्रभु पूर्ण शक्तिमय,

मैं शंका, प्रभु अन्तिम निर्णय ।

मैं मूरख, प्रभु ज्ञान-सिन्धु सम,

मैं रागी, प्रभु त्याग, तपोवन ।

मैं कर्कश, प्रभु वंशी सुरलय,

मैं ईर्ष्या, प्रभु प्रेम, प्रीतिमय ।

मैं प्रश्नावलि, प्रभु दर्शन हो,

मैं त्यक्या, प्रभु आकर्षण हो ।

मैं आँसू, प्रभु वृन्दावन-सुख,

मैं मथुरा, प्रभु गोकुल उन्मुख ।

मैं मदमत, प्रभु क्षमा-नीर नद,

मैं क्रोधी, प्रभु शान्त, शीलप्रद । 

मैं पंथी, प्रभु अंत-पंथ हो,

मैं आश्रित, प्रभु कृपावंत हो ।

 

मुरलीधारी मधुर मनोहर,

शापित शक्तिहीन सेवक पर,

बरसा दो प्रभु दया अहैतुक,

कृपा करो हे प्रेम सरोवर ।


70 comments:

  1. वाह! बहुत उम्दा!!

    बेहतरीन अभिव्यक्ति!

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  2. उत्कृष्ट अभिव्यक्ति !!

    मैं भ्रमित ,ओ अद्रश्य आदर्श !!

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  3. अद्भुत! अप्रतिम! अत्योत्कृष्ट!

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  4. इतना बढ़िया ............दिन भर गाना है भजन ये ...........

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  5. मैं में अवगुण, प्रभु मे गुण ही गुण है..
    ..यथा नाम, तथा गुण..जै प्रवीण।
    ..जै श्री कृष्ण.

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  6. शब्दहीन कर दिया आपने तो........
    बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
    जन्माष्टमी की शुभकामनाओं के साथ इस मनमोहक पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई भी स्वीकारें

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  7. जबरदस्त ,यह है काव्य का निर्झर -कृष्ण जन्म पर आपकी कवि उत्फुलता...
    भाव ,शिल्प ,अभिव्यक्ति प्रतिवेदन सब लिहाज से एक उत्कृष्ट रचना ...
    त्यक्या=त्यक्त्या?

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  8. ati sunder, bhaw bhakti se otprot.

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  9. बहुत शानदार, सर।
    जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें।

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  10. gaagar men saagar bhar diya aapne...prabhu ke saamne poori tarah se khul gaye hain aap....jai ho !

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  11. मैं भटकूँ, प्रभु उत्सव-नगरी... आइये हम भी उत्सव मनाएँ... इस प्रेम सरोवर में डूब के हम भी कृष्ण हो जाएँ...
    जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!

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  12. जन्माष्टमी पर बहुत ही खूबसूरत रह्च्ना..... सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  13. बहुत खूबसूरती से अपने उद्दगार प्रकट किये हैं ..कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें

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  14. बहुत बढ़िया,
    जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें !!

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  15. सुन्दर कविता ...
    जन्माष्टमी की शुभकामनायें ...!

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  16. मुरलीधर के सम्मोहन से कौन बच पाया है ... बचपन से आज तक हर रूप में सम्पूर्ण पाया है इनको.
    जन्माष्टमी की शुभकामनाये

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  17. अद्भुद रचना ... सचमुच उत्कृष्ट
    एक बार तो विश्वास नहीं हुआ कि आपने ही ... :P

    कृष्ण जन्मोत्सव की शुभकामनाएँ

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  18. are waah ...itna pyara bhajan ..
    behtareen.

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  19. बहुत सुंदर भजन जी,जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें।

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  20. जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें।सुन्दर भजन्।

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  21. prveen
    bhkti rs ki chashni me pgi bhut hi sunder bhavabhivykti .
    bhut achchhe.

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  22. इस परम पावन आर्त प्रार्थना पर टिपण्णी को शब्द कहाँ से लाऊं ????
    मुरलीधर आपपर और हम सबपर अपने स्नेह की अनवरत वर्षा करें......
    इसे संजोग कर रख लिया है...

    अनंत शुभकामनाएं

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  23. बहुत सुन्दर प्रभु भक्ती |

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  24. Anonymous1/9/10 18:22

    उम्दा प्रस्तुति... शुभकामनायें...

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  25. ईमेल से प्राप्त संजीव तिवारी जी की टिप्पणी

    जन्‍माष्‍टमी की शुभकामनांए.

    सुनकर विभूषित है बंशी से, आभा नव नीरव सम श्‍याम
    पीताम्‍बर शरीर में शोभित, अरूण बिम्‍ब सम अधर ललाम
    पूर्ण इंदु सम जिनके मुखवा, जिनके कमल नयन है धन्‍य
    उस भगवान कृष्‍ण से बढ़कर, विदित ना मुझे तत्‍व कुछ अन्‍य
    कवि - अज्ञात

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  26. भावपूर्ण उदगार

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  27. अद्भुत काव्य
    जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!

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  28. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
    जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
    जय श्रीकृष्ण

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  29. एतना गहरा प्रभु बंदना के बाद मनसांत हो गया..

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  30. कृष्ण जन्माष्टमी के पहले बेहतर प्रस्तुति। आपको कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं।

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  31. जन्माष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!

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  32. बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर उपहार है आपकी तरफ से ब्लॉग जगत को |आभार
    मेरी दैनिक प्रार्थना
    सांवरे घन श्याम तुम तो ,प्रेम के अवतार हो ,
    फंस रहा हूँ झंझटो में ,तुम ही खेवनहार हो ,
    चल रही आँधी भयानक ,भंवर में नैया पड़ी ,
    थाम लो पतवार हे ! गिरधर तो बेडा पर हो ,
    नगन पद गज के रुदन पर, दौड़ने वाले प्रभु ,
    देखना निष्फल न मेरे , आंसुओ की धार हो ,
    आपका दर्शन मुझे इस छवि में बारम्बार हो ,
    हाथ में मुरली मुकुट सिर पर गले बन माल हो ,
    है यही अंतिम विनय तुमसे, मेरी ए नन्दलाल ,
    मै तुम्हारा दास हूँ और तुम, मेरे महाराज हो ,
    मै तुम्हारा दास हूँ और तुम, मेरे महाराज हो..........................

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  33. sundar, antartam ko chhu jaaye aisi shabd rachna... janmaashtmi ki badhai aur shubhakamnayein....

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  34. अरे मुआफी, एक बात तो पूछना भूल गया जो सोचा था. क्या आपने शिवाजी सावंत लिखित युगंधर पढ़ी है? मूल मराठी में लेकिन हिंदी में अनुवादित, यदि नहीं तो जरुर जरूर पढ़ें...

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  35. श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये.

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  36. बहुत खूब! जन्माष्टमी की बधाई!

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  37. आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
    बहुत बढ़िया ! उम्दा प्रस्तुती!

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  38. श्री कृष्ण-जन्माष्टमी पर सुन्दर प्रस्तुति...ढेर सारी बधाइयाँ !!
    ________________________
    'पाखी की दुनिया' में आज आज माख्नन चोर श्री कृष्ण आयेंगें...

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  39. खूबसूरत अभिव्यक्ति....
    श्री कृष्ण-जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.

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  40. बहुत ही सुन्दर,जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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  41. हरे कृष्ण !

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  42. आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  43. बेहतरीन, वाह... अब हम क्या टीपें... शानदार

    निर्झर झरना... आपके प्रेम का

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  44. वाह ! कवि रूप के भी दर्शन करा दिए !

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  45. behtareen praveen jee..........:)
    janmastami ki subhkamnayen......

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  46. बहुत खूबसूरत बिम्ब है...अनुनय विनय के भाव कृष्ण की तरह मनमोहने है...

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  47. बढिया ....... जय जगदीश हरे जैसा ॥ बधाई॥

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  48. .
    उत्कृष्ट अभिव्यक्ति !!
    .

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  49. बहुत सुन्दर.. :)

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  50. इस जन्माष्टमी पर सबसे अच्छा उपहार

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  51. श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर अद्भुत भावमय अभिब्यक्ति। श्री कृष्ण का तो पूरा जीवन ही रास, भक्ति, योग और कर्म का सन्देश देता है। श्री कृष्ण, राधा और महारास तीनों मिलकर मानव को प्रेम का सन्देश देते हैं। आपकी इस कविता में भी राधा का प्रेम और श्री कृष्ण का समर्पण भाव नजर आता है। इस प्रार्थना में नैसर्गिक और सहज प्रवाह है। इसमें अध्यात्म के कुम्भ से छलका हुआ भक्ति रस तो है ही,जीवन का वह उल्लास भी है जो हमें ललित से जोडता है। श्री कृष्ण पर तो आपको एक पूरा ललित निबन्ध लिखना चाहिये।

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  52. श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर अद्भुत भावमय अभिब्यक्ति। श्री कृष्ण का तो पूरा जीवन ही रास, भक्ति, योग और कर्म का सन्देश देता है। श्री कृष्ण, राधा और महारास तीनों मिलकर मानव को प्रेम का सन्देश देते हैं। आपकी इस कविता में भी राधा का प्रेम और श्री कृष्ण का समर्पण भाव नजर आता है। इस प्रार्थना में नैसर्गिक और सहज प्रवाह है। इसमें अध्यात्म के कुम्भ से छलका हुआ भक्ति रस तो है ही,जीवन का वह उल्लास भी है जो हमें ललित से जोडता है। श्री कृष्ण पर तो आपको एक पूरा ललित निबन्ध लिखना चाहिये।

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  53. प्रिय बंधुवर प्रवीण पाण्डेय जी

    बहुत बहुत शुभकामनाएं !

    मैं मूरख, प्रभु ज्ञान-सिन्धु सम !
    मैं कर्कश, प्रभु वंशी सुरलय !
    मैं आँसू, प्रभु वृन्दावन-सुख !
    मन करता है गाते ही रहें , आपकी यह सुंदर उत्कृष्ट रचना !

    आपकी निर्मल मुस्कान का रहस्य आपका निर्मल पावन हृदय ही है , जो आपकी इस रचना में मुखरित हुआ है ।


    हार्दिक शुभकामनाएं !
    मंगलकामनाएं !!

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  54. यह हुई कोई बात!
    वर्ना ज़माना तो ढलान पर सही दिशा में है, उलट होते ही चढ़ाई बन जाती है ढलान।
    आपने लगता है ढलान पर गति को थामा ही नहीं, दिशा उलट ली गति की!
    जय हो कृष्ण!

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  55. @ Udan Tashtari
    बहुत धन्यवाद

    @ राम त्यागी
    हम भ्रमितों को आदर्श सदा ही खीचते रहे हैं।

    @ निशांत मिश्र - Nishant Mishra
    अद्भुत! अप्रतिम! अत्योत्कृष्ट! तो कृष्ण का व्यक्तित्व है।

    @ Archana
    आपके भजन ने तो समग्र भक्ति उड़ेल दी रचना में।

    @ बेचैन आत्मा
    अवगुण मेरे धर लेना ही प्रभु का गुण है।

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  56. @ राजभाषा हिंदी
    बहुत धन्यवाद।

    @ डॉ. मोनिका शर्मा
    शब्दों के उद्गमकर्ता को व्यक्त करते समय शब्दहीन तो हम हो जाते हैं।

    @ Arvind Mishra
    कृष्ण जो करा लें, कम है।

    @ Mrs. Asha Joglekar
    कृष्ण का आकर्षण ही है इतना मधुर।

    @ मो सम कौन ?
    बहुत धन्यवाद।

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  57. @ संतोष त्रिवेदी
    प्रभु के सम्मुख अपने अवगुण स्वीकारने में कैसी शर्म।

    @ richa
    कृष्ण तो सदैव उत्सव के वातावरण में रहते हैं। उनसे विलग हो हम दुख पाते रहते हैं।

    @ Shah Nawaz
    बहुत धन्यवाद

    @ संगीता स्वरुप ( गीत )
    कृष्ण से सम्बन्धित सभी वस्तुयें खूबसूरत हो जाती हैं।

    @ सत्यप्रकाश पाण्डेय
    बहुत धन्यवाद।

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  58. @ वाणी गीत
    बहुत धन्यवाद।

    @ Sonal Rastogi
    मुरलीधारी ने आयु के हर पड़ाव पर लुभाया है जीवन को।

    @ पद्म सिंह
    सच में मैंने नहीं लिखी है। मै तो निमित्त मात्र था
    , उच्चारण और कोई कर रहा था।

    @ shikha varshney
    बहुत धन्यवाद।

    @ राज भाटिय़ा
    बहुत धन्यवाद आपको।

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  59. @ वन्दना
    बहुत धन्यवाद।

    @ RAJWANT RAJ
    वृन्दावन में बैठ लिखी कविता भक्त से पग ही जानी है।

    @ रंजना
    जब सारे अवगुण स्वीकार कर लिये हैं तो कोई शब्द कहाँ से लाऊँ।

    @ नरेश सिह राठौड़
    बहुत धन्यवाद

    @ rohitler
    बहुत धन्यवाद।

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  60. @ संजीव तिवारी
    बड़ी सुन्दर कविता पढ़वायी।

    @ rashmi ravija
    कान्हा ने कितनो को भावुक बना दिया है।

    @ रचना दीक्षित
    बहुत धन्यवाद।

    @ चला बिहारी ब्लॉगर बनने
    बार बार पढ़कर अपने अवगुणों को जान लेने पर मेरा भी चित्त शान्त बैठा है।

    @ satyendra...
    बहुत धन्यवाद

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  61. @ महफूज़ अली
    बहुत धन्यवाद

    @ मनोज कुमार
    बहुत धन्यवाद

    @ शोभना चौरे
    आपकी दैनिक प्रार्थना पढ़ मन मुग्ध हो गया।

    @ Sanjeet Tripathi
    भगवान से क्या कृत्रिमता। सब सच बताना पड़ता है। मृत्युंजय व छावा पढ़ी है।

    @ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
    बहुत धन्यवाद।

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  62. @ Babli
    बहुत धन्यवाद।

    @ Akshita (Pakhi)
    बहुत धन्यवाद।

    @ Akanksha~आकांक्षा
    बहुत धन्यवाद।

    @ पी.सी.गोदियाल
    बहुत धन्यवाद।

    @ अभिषेक ओझा
    बहुत धन्यवाद।

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  63. @ संजय भास्कर
    बहुत धन्यवाद

    @ Vivek Rastogi
    कृष्ण सबका प्रेम समेटे बैठे हैं, जिससे चाहते हैं निकलवा लेते हैं।

    @ hem pandey
    कवि बन कर कुछ प्रयास किया है, शेष कान्हा ने करवा लिया है।

    @ Mukesh Kumar Sinha
    बहुत धन्यवाद।

    @ dimple
    आराध्य को सत्य के पुष्प चढ़ाने में कैसी लाज।

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  64. @ cmpershad
    प्रलय पयोधि तो भक्ति की पराकाष्ठा है।

    @ Divya
    बहुत धन्यवाद।

    @ abhi
    बहुत धन्यवाद।

    @ dhiru singh {धीरू सिंह}
    वृन्दावन में रचा वृन्दावन-बिहारी को अर्पित।

    @ विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशन
    कृष्ण के सम्पर्क में तो आत्मा शुद्ध हो जाती है, यह तो साहित्य है।

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  65. @ Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार
    जितनी बार भी पढ़ा, मन में समाता गया।

    @ Himanshu Mohan
    दिशा तो निश्चय ही बदसी है, तभी कृष्ण दीख रहे हैं।

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  66. namast praveen ji....phali bar aapke blog par aai hu bt krishna ji k is bhajan par to dil khush ho gaya...mujhe words nahi mil rahe iske liye....seriously....very beautifully written n heart touching bhajan....bahut bahut bhadai....Archana

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  67. @ zindagi-uniquewoman.blogspot.com
    आपका बहुत धन्यवाद। श्रेय अर्चना जी के मधुर स्वर को जाता है।

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  68. avaak hoon padh kar
    samarpan ka bhaav kya isse bhio gehra ho sakta hai
    nashvar-anashvar ka bodh karati

    man mein bas jane wali rachna

    abhaar

    Naaz

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