चलिए अब फ़टाफ़ट से पहले फ़िफ़्टी फ़िफ़्टी और फ़िर उसके बाद ट्वेंटी ट्वेंटी की रफ़्तार पकड लीजीए । टेस्ट जाने कितने दिनों बाद देखना नसीब हुआ है .... :):):):):):):):):):):):):):):):)
काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा। =0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=
सच में इस देश को जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।
हमें ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।
इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।
अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।
आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-
सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-
(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा राष्ट्रीय अध्यक्ष भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय 7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान) फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
स्वागत ........... बहुत जांच परख कर आपने इस रपटीली राह पर कदम रखा है शायद मधुगिरी पर विजय के बाद सोचा होगा आपने . और ब्लाग का नाम भी डंके की चोट पर है न दैन्यं न पलायनम
" बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नहीं हो सकता "
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register, जनोक्ति.कॉम www.janokti.com एक ऐसा हिंदी वेब पोर्टल है जो राज और समाज से जुडे विषयों पर जनपक्ष को पाठकों के सामने लाता है . हमारा प्रयास रोजाना 400 नये लोगों तक पहुँच रहा है . रोजाना नये-पुराने पाठकों की संख्या डेढ़ से दो हजार के बीच रहती है . 10 हजार के आस-पास पन्ने पढ़े जाते हैं . आप भी अपने कलम को अपना हथियार बनाइए और शामिल हो जाइए जनोक्ति परिवार में !
यह टेस्ट कमेंट है ।
ReplyDeleteएक टेस्ट कमेन्ट हमारा भी :)
ReplyDeleteगर्मजोशी से आपका स्वागत है. नियमितता व दीर्घजीविता बनी रहे इसी आशा और विश्वास के साथ शुभकामनाएँ व बधाईयाँ.
ReplyDeleteफोलो वाला जुगाड लगा दे... वैसे भी ब्लोगवाणी बंद है...
ReplyDeleteजय हो...
टेस्ट कमेन्ट मे इतना ही कि स्वागत है और शुभकामनायें
ReplyDeleteचलिए अब फ़टाफ़ट से पहले फ़िफ़्टी फ़िफ़्टी और फ़िर उसके बाद ट्वेंटी ट्वेंटी की रफ़्तार पकड लीजीए । टेस्ट जाने कितने दिनों बाद देखना नसीब हुआ है ....
ReplyDelete:):):):):):):):):):):):):):):):)
शुभकामनाएं!
ReplyDeletewah hujur, aap bhi aa gaye yahan, atithi bane rahne se apna ghar bhala? ;)
ReplyDeleteaccha laga dekh kar ki aapne bhi apna blog bana hi liya....
shubhkamnayein....
जिन्दा लोगों की तलाश!
ReplyDeleteमर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
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सच में इस देश को जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।
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इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।
अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।
आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-
सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
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भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
स्वर्ग किसे चाहिए मृत्युलोक के प्राणियों में से ...:):)..
ReplyDeleteनए ब्लॉग की शुरुआत ही शानदार ....
शुभकामनायें ...!!
वाह बधाई! स्वागत!
ReplyDeleteस्वर्गीय जी आप का इस नारकीय ब्लाग जगत में स्वागत है। न दैन्यं न पलायनम......हुँ:
ReplyDeleteस्वागत करना भूल गये थे नये ब्लॉग पर...स्वागत है महाराज का अनेक शुभकामनाओं के साथ.
ReplyDeleteस्वागत करना भूल गये थे नये ब्लॉग पर...स्वागत है महाराज का अनेक शुभकामनाओं के साथ.
ReplyDeleteटेस्ट में आप पास हुए :)
ReplyDeleteस्वागत ........... बहुत जांच परख कर आपने इस रपटीली राह पर कदम रखा है शायद मधुगिरी पर विजय के बाद सोचा होगा आपने . और ब्लाग का नाम भी डंके की चोट पर है न दैन्यं न पलायनम
ReplyDeleteAccept my best wishes.
ReplyDelete" बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नहीं हो सकता "
ReplyDeleteहिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,
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कमाल है यहाँ हम खटखटाये नहीं थे. ही ही ही
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